Sunday, May 17, 2015

यूपी: IPS अमिताभ ठाकुर के संपत्ति के जांच के आदेश

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यूपी: IPS अमिताभ ठाकुर के संपत्ति के जांच के आदेश

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस द्वारा छुपाई गई अचल संपत्तियों के मामले में राजभवन ने सख्ती दिखाते हुए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को नागरिक सुरक्षा के संयुक्त निदेशक आईजी अमिताभ ठाकुर की छुपाई गई अचल संपत्तियों की जांच के आदेश दिए हैं। राजभवन की ओर से यह आदेश एक सामाजिक संगठन द्वारा की गई शिकायत को संज्ञान में लेते हुए दिए गए हैं। दरअसल, सामाजिक संगठन तहरीर का आरोप है कि 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 2010 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी अचल संपत्ति की जानकारी (इम्मूवेबिल प्रोपर्टी रिटर्न) में बताया था कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से लखनऊ व बिहार में दस संपत्तियां थीं, जिसमें राजधानी के गोमतीनगर स्थित विरामखंड में एक एचआईजी मकान, खरगापुर में पांच प्लाट व उजरियांव में एक पांच हजार स्क्वायर फिट में मकान भी थे। उनके पास इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना, सीतामढ़ी में भी उनके पास मकान व कृषि भूमि थी। इन सभी संपत्तियों से उनकी वार्षिक आय दो लाख 88 हजार 390 रुपये थी। संगठन का कहना है कि आईपीएस ठाकुर की इन संपत्तियों को मामले ने जब तूल पकड़ा तो उन्होंने बाद के वर्षो में दाखिल किए गए अपने आईपीआर में उनके नाम केवल दो संपत्तियां ही होने का दावा किया था और अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम आठ संपत्तियों की जानकारी छुपा ले गए। गौरतलब है कि इससे पहले भी अचल संपत्तियां छुपाने के मामले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर आईजी कार्मिक ने उनकी संपत्ति की प्रारंभिक जांच की थी। जांच में उनके खिलाफ लगे आरोपों के पक्ष में कई अहम प्रमाण भी मिले थे, पर कोई अंतिम कार्यवाही नहीं हो पाई थी। इसके बाद ठाकुर दंपत्ति ने इन परिसंपत्तियों में से एक को अपने एनजीओ पीपल्स फोरम को देकर उस पर ‘बलात्कार पीड़ित महिलाओं का स्मारक’ बनाने की घोषणा भी की थी लेकिन अचल संपत्तियों का प्रकरण उठने के चलते संपत्ति का स्थानांतरण नहीं हो सका और अभी तक इस स्मारक का निर्माण भी नहीं कराया गया। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए संगठन तहरीर की ओर से राज्यपाल को पत्र लिखा था, जिस पर राज्यपाल ने कार्यवाही करते हुए प्रकरण को जांच के लिए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को भेज दिया है।
यूपी के चर्चित आईपीएस और देश की चंद बेहद चर्चित 9005_1397695920531759_5749644792042191675_nदंपति या कहे चर्चाओं में लगातार शुमार रहने वाले ठाकुर परिवार पर मड़राने लगे है कई सवालों के बेहद काले बादल।
उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस द्वारा छुपाई गई अचल संपत्तियों के मामले में राजभवन ने सख्ती दिखाते हुए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को नागरिक सुरक्षा के संयुक्त निदेशक आईजी अमिताभ ठाकुर की छुपाई गई अचल संपत्तियों की जांच के आदेश दिए हैं। राजभवन की ओर से यह आदेश एक सामाजिक संगठन द्वारा की गई शिकायत को संज्ञान में लेते हुए दिए गए हैं।
दरअसल, सामाजिक संगठन तहरीर का आरोप है कि 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 2010 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी अचल संपत्ति की जानकारी (इम्मूवेबिल प्रोपर्टी रिटर्न) में बताया था कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से लखनऊ व बिहार में दस संपत्तियां थीं, जिसमें राजधानी के गोमतीनगर स्थित विरामखंड में एक एचआईजी मकान, खरगापुर में पांच प्लाट व उजरियांव में एक पांच हजार स्क्वायर फिट में मकान भी थे।
साथ ही ठाकुर परिवार के पास इन अचल सम्पतियों के गृह प्रदेश बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना, सीतामढ़ी में भी उनके पास मकान व कृषि भूमि थी। इन सभी संपत्तियों से उनकी वार्षिक आय दो लाख 88 हजार 390 रुपये थी। संगठन का कहना है कि आईपीएस ठाकुर की इन संपत्तियों को मामले ने जब तूल पकड़ा तो उन्होंने बाद के वर्षो में दाखिल किए गए अपने आईपीआर में उनके नाम केवल दो संपत्तियां ही होने का दावा किया था और अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम आठ संपत्तियों की जानकारी छुपा ले गए।

गौरतलब है कि इससे पहले भी अचल संपत्तियां छुपाने के मामले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर आईजी कार्मिक ने उनकी संपत्ति की प्रारंभिक जांच की थी। जांच में उनके खिलाफ लगे आरोपों के पक्ष में कई अहम प्रमाण भी मिले थे, पर कोई अंतिम कार्यवाही नहीं हो पाई थी। इसके बाद ठाकुर दंपत्ति ने इन परिसंपत्तियों में से एक को अपने एनजीओ पीपल्स फोरम को देकर उस पर ‘बलात्कार पीड़ित महिलाओं का स्मारक’ बनाने की घोषणा भी की थी लेकिन अचल संपत्तियों का प्रकरण उठने के चलते संपत्ति का स्थानांतरण नहीं हो सका और अभी तक इस स्मारक का निर्माण भी नहीं कराया गया। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए संगठन तहरीर की ओर से राज्यपाल को पत्र लिखा था, जिस पर राज्यपाल ने कार्यवाही करते हुए प्रकरण को जांच के लिए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को भेज दिया है।
विश्वसनीयता के संकट काल में होते नए नए खुलासों और RTI समेत तमाम मध्याओं से आती सूचनाएं मन को व्यथित करती है।

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