Friday, May 15, 2015

आईपीएस अमिताभ ठाकुर की अंचल संपत्ति की जांच के आदेश

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आईपीएस अमिताभ ठाकुर की अंचल संपत्ति की जांच के आदेश

Posted:    Updated: 2015-05-15 22:50:12 IST Uttar pradesh Governor orders probe against IPS Amitabh Thakur
राजभवन ने नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को आईजी अमिताभ ठाकुर की छुपाई गई अचल संपत्तियों की जांच के आदेश दिए हैं 
 
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस द्वारा छुपाई गई अचल संपत्तियों के मामले में राजभवन ने सख्ती दिखाते हुए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को नागरिक सुरक्षा के संयुक्त निदेशक आईजी अमिताभ ठाकुर की छुपाई गई अचल संपत्तियों की जांच के आदेश दिए हैं। राजभवन की ओर से यह आदेश एक सामाजिक संगठन द्वारा की गई शिकायत को संज्ञान में लेते हुए दिए गए हैं।
 
दरअसल, सामाजिक संगठन तहरीर का आरोप है कि 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 2010 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी अचल संपत्ति की जानकारी (इम्मूवेबिल प्रोपर्टी रिटर्न) में बताया था कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से लखनऊ व बिहार में दस संपत्तियां थीं, जिसमें राजधानी के गोमतीनगर स्थित विरामखंड में एक एचआईजी मकान, खरगापुर में पांच प्लाट व उजरियांव में एक पांच हजार स्क्वायर फिट में मकान भी थे।�उनके पास इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना, सीतामढ़ी में भी मकान व कृषि भूमि थी। इन सभी संपत्तियों से उनकी वार्षिक आय दो लाख 88 हजार 390 रूपये थी। संगठन का कहना है कि आईपीएस ठाकुर की इन संपत्तियों को मामले ने जब तूल पकड़ा तो उन्होंने बाद के वर्षो में दाखिल किए गए अपने आईपीआर में उनके नाम केवल दो संपत्तियां ही होने का दावा किया था और अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम आठ संपत्तियों की जानकारी छुपा ले गए।
 
गौरतलब है कि इससे पहले भी अचल संपत्तियां छुपाने के मामले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर आईजी कार्मिक ने उनकी संपत्ति की प्रारंभिक जांच की थी। जांच में उनके खिलाफ लगे आरोपों के पक्ष में कई अहम प्रमाण भी मिले थे, लेकिन कोई अंतिम कार्यवाही नहीं हो पाई थी। इसके बाद ठाकुर दंपत्ति ने इन परिसंपत्तियों में से एक को अपने एनजीओ पीपल्स फोरम को देकर उस पर "बलात्कार पीडित महिलाओं का स्मारक" बनाने की घोषणा भी की थी लेकिन अचल संपत्तियों का प्रकरण उठने के चलते संपत्ति का स्थानांतरण नहीं हो सका और अभी तक इस स्मारक का निर्माण भी नहीं कराया गया। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए संगठन तहरीर की ओर से राज्यपाल को पत्र लिखा था, जिस पर राज्यपाल ने कार्यवाही करते हुए प्रकरण को जांच के लिए नागरिक सुरक्षा के महानिदेशक को भेज दिया है।

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