Saturday, January 27, 2024

लखनऊ के ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण,अवैध निर्माण,सफाई में भ्रष्टाचार के कारण जल भराव जैसी समस्याओं पर हाई कोर्ट सख्त : संजोग वाल्टर की पीआईएल पर शासन समेत नगर निगम,एलडीए,केजीएमयू से 3 सप्ताह में मांगा जबाव.


 


 

 

लखनऊ,शनिवार,27 जनवरी 2024 ...............................

आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की प्रमुख जनसमस्याओं में से एक समस्या सरकारी एजेंसियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण इन एजेंसियों की सरपरस्ती में नालों और ड्रेनेज सिस्टम का अतिक्रमण कराकर इनके ऊपर कराये गए अवैध निर्माणों और शहर के नालों और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई कराने के लिए आये धन से मानकों के अनुसार सफाई कराने के स्थान पर धन का बंदरबांट कर महज कागजी खानापूर्ति करने के कारण होने वाले जल भरावों की है. जहाँ एक तरफ इन अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों के कारण आम जनमानस को निरंतर ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ मानकों के अनुसार सफाई नहीं होने के कारण लगातार बढती जा रही गाद से चोक हो रहे नाले और ड्रेनेज सिस्टम के सामान्य सी बरसात होते ही उफनने के कारण हुई वाटर लॉगिंग आम जनमानस को घर से बहार निकलते ही नरक में होने जैसा अहसास करा देती है. बरसात के मौसम में राजधानी के कई इलाकों के नागरिकों को तो घर से बाहर निकलने की जरूरत भी नहीं पड़ती है और प्रायः ही उनके घरों में गुस आया पानी उनको नरक में होने जैसा अहसास करा देता है.

 इन जन समस्याओं को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में वरिष्ठ पत्रकार,कैंसर सरवाइवर, कैंसर एक्टिविस्ट,पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं पूर्व जेल विजिटर संजोग वाल्टर द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर श्रीमती संगीता चंद्रा और अजय कुमार श्रीवास्तव-I की बेंच ने बीती 17 जनवरी को हुई सुनवाई में सख्त रुख अख्तियार करते हुए शासन, लखनऊ नगर निगम,लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए)  और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ( केजीएमयू ) समेत सभी उत्तरदाताओं को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.

 बताते चलें कि संजोग वाल्टर द्वारा यह जनहित याचिका कई प्रार्थनाओं के साथ दायर की गई है, जिसका सार उत्तरदाताओं को शहर में जल निकासी प्रणाली की उचित सफाई के लिए नगर निगम अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत दिए गए अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एक परमादेश की मांग करना है ताकि बरसात के मौसम में जल जमाव की संभावना से बचा जा सके और नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने सहित ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कर उनका अनुपालन सुनिश्चित हो सके.

 संजोग ने याचिका में यह भी प्रार्थना की है कि लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए विपक्षियों को एक परमादेश ( मेंडामस ) जारी किया जाए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच भी कराई जाए जो इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराए जाने के बावजूद लखनऊ शहर के लिए नालियों,नालों,ड्रेनेज सिस्टम की सफाई के अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं.

 मामले की सुनवाई में संजोग के अधिवक्ता शिखर चौबे, अशोक कुमार चौबे और सौरभ सिंह द्वारा यह तथ्य भी  प्रस्तुत किया गया कि संजोग द्वारा जवाहर नगर, लखनऊ में संक्रामक रोग अस्पताल, लखनऊ के पास इसकी चारदीवारी के अवैध निर्माण के सम्बन्ध में की गई शिकायत पर संबंधित अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि जवाहर नगर क्षेत्र में चल रहे नालों,ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण है. संजोग ने अपनी याचिका में कई अन्य सूचनाओं का भी हवाला दिया है जो लखनऊ शहर में जल निकासी व्यवस्था की सफाई के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार ( आरटीआई ) अधिनियम के तहत दिए गए आवेदन के आधार पर निकाली गई हैं.

 याचिका में विपक्षियों की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता के अतिरिक्त अधिवक्तागण नमित शर्मा, रत्नेश चंद्र, सवित्रा वर्धन सिंह, शुभम त्रिपाठी और  शैलेश सिंह चौहान उपस्थित हुए. सुनवाई में नगर निगम, लखनऊ की और से उपस्थित वकील ने कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई,संबंधित ठेकेदार द्वारा नाला के निर्माण से संबंधित तस्वीरें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कीं और मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की प्रार्थना की जिसके बाद मंच ने सभी विपक्षियों को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.

 संजोग ने बताया कि उनको पूरी उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले में नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने,ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कराकर उनका अनुपालन सुनिश्चित कराने,लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित कराने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच कराने का परमादेश जारी कर आम जनमानस को ट्रैफिक जाम और वाटर लॉगिंग की समस्याओं से स्थाई रूप से निजात अवश्य दिलाएगा.

 

 

 

 

लखनऊ के ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण,अवैध निर्माण,सफाई में भ्रष्टाचार के कारण जल भराव जैसी समस्याओं पर हाई कोर्ट सख्त : संजोग वाल्टर की पीआईएल पर शासन समेत नगर निगम,एलडीए,केजीएमयू से 3 सप्ताह में मांगा जबाव.

 


लखनऊ,शनिवार,27 जनवरी 2024 ...............................

 

आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की प्रमुख जनसमस्याओं में से एक समस्या सरकारी एजेंसियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण इन एजेंसियों की सरपरस्ती में नालों और ड्रेनेज सिस्टम का अतिक्रमण कराकर इनके ऊपर कराये गए अवैध निर्माणों और शहर के नालों और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई कराने के लिए आये धन से मानकों के अनुसार सफाई कराने के स्थान पर धन का बंदरबांट कर महज कागजी खानापूर्ति करने के कारण होने वाले जल भरावों की है. जहाँ एक तरफ इन अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों के कारण आम जनमानस को निरंतर ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ मानकों के अनुसार सफाई नहीं होने के कारण लगातार बढती जा रही गाद से चोक हो रहे नाले और ड्रेनेज सिस्टम के सामान्य सी बरसात होते ही उफनने के कारण हुई वाटर लॉगिंग आम जनमानस को घर से बहार निकलते ही नरक में होने जैसा अहसास करा देती है. बरसात के मौसम में राजधानी के कई इलाकों के नागरिकों को तो घर से बाहर निकलने की जरूरत भी नहीं पड़ती है और प्रायः ही उनके घरों में गुस आया पानी उनको नरक में होने जैसा अहसास करा देता है.
 
 

इन जन समस्याओं को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में वरिष्ठ पत्रकार,कैंसर सरवाइवर, कैंसर एक्टिविस्ट,पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं पूर्व जेल विजिटर संजोग वाल्टर द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर श्रीमती संगीता चंद्रा और अजय कुमार श्रीवास्तव-I की बेंच ने बीती 17 जनवरी को हुई सुनवाई में सख्त रुख अख्तियार करते हुए शासन, लखनऊ नगर निगम,लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए)  और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ( केजीएमयू ) समेत सभी उत्तरदाताओं को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.
 
 
बताते चलें कि संजोग वाल्टर द्वारा यह जनहित याचिका कई प्रार्थनाओं के साथ दायर की गई है, जिसका सार उत्तरदाताओं को शहर में जल निकासी प्रणाली की उचित सफाई के लिए नगर निगम अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत दिए गए अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एक परमादेश की मांग करना है ताकि बरसात के मौसम में जल जमाव की संभावना से बचा जा सके और नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने सहित ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कर उनका अनुपालन सुनिश्चित हो सके.
 
 
संजोग ने याचिका में यह भी प्रार्थना की है कि लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए विपक्षियों को एक परमादेश ( मेंडामस ) जारी किया जाए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच भी कराई जाए जो इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराए जाने के बावजूद लखनऊ शहर के लिए नालियों,नालों,ड्रेनेज सिस्टम की सफाई के अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं.
 
 
मामले की सुनवाई में संजोग के अधिवक्ता शिखर चौबे, अशोक कुमार चौबे और सौरभ सिंह द्वारा यह तथ्य भी  प्रस्तुत किया गया कि संजोग द्वारा जवाहर नगर, लखनऊ में संक्रामक रोग अस्पताल, लखनऊ के पास इसकी चारदीवारी के अवैध निर्माण के सम्बन्ध में की गई शिकायत पर संबंधित अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि जवाहर नगर क्षेत्र में चल रहे नालों,ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण है. संजोग ने अपनी याचिका में कई अन्य सूचनाओं का भी हवाला दिया है जो लखनऊ शहर में जल निकासी व्यवस्था की सफाई के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार ( आरटीआई ) अधिनियम के तहत दिए गए आवेदन के आधार पर निकाली गई हैं.
 
 
याचिका में विपक्षियों की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता के अतिरिक्त अधिवक्तागण नमित शर्मा, रत्नेश चंद्र, सवित्रा वर्धन सिंह, शुभम त्रिपाठी और  शैलेश सिंह चौहान उपस्थित हुए. सुनवाई में नगर निगम, लखनऊ की और से उपस्थित वकील ने कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई,संबंधित ठेकेदार द्वारा नाला के निर्माण से संबंधित तस्वीरें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कीं और मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की प्रार्थना की जिसके बाद मंच ने सभी विपक्षियों को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.
 
 
संजोग ने बताया कि उनको पूरी उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले में नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने,ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कराकर उनका अनुपालन सुनिश्चित कराने,लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित कराने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच कराने का परमादेश जारी कर आम जनमानस को ट्रैफिक जाम और वाटर लॉगिंग की समस्याओं से स्थाई रूप से निजात अवश्य दिलाएगा.
  
 
 

 

Sunday, December 17, 2023

आरटीआई सक्सेस स्टोरी : उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति को शुरू करनी पड़ी वेबसाइट.

 लखनऊ / सोमवार,18 दिसम्बर 2023.........................

उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति अपनी वेबसाइट शुरू करने जा रहा है. अब तक सूबे की हज समिति की अपनी कोई वेबसाइट नहीं थी. यूपी की राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दर्जनों आरटीआई अर्जियां दाखिल करने और इन अर्जियों पर सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के दखल के बाद सूबे के हज यात्रियों को पारदर्शिता और सुशासन का यह तोहफा मिलने जा रहा है.

 

संजय बताते हैं कि सूबे के हज समिति की वेबसाइट नहीं होने के कारण हज यात्रियों को छोटी-छोटी सूचनाएं लेने के लिए समिति के कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और समिति में व्याप्त भाई-भतीजाबाद संस्कृति और भ्रष्टाचार के कारण खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था साथ ही समिति द्वारा कराये जाने वाले कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण सूबे की हज समिति में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं गहरे तक व्याप्त हो गईं थीं जिसका खामियाजा अंतिमतः हज यात्री ही भुगतते थे.

 

बकौल संजय अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल हेल्पलाइन 79991479999 पर इस सम्बन्ध में अनेकों शिकायतें प्राप्त होने पर उन्होंने सूबे के हज हाउस की वेबसाइट शुरू कराने और यूपी हज हाउस द्वारा कराये जाने वाले सभी कार्यों को ई-निविदा पोर्टल के माध्यम से ही कराने जैसे विषयों पर दर्जनों आरटीआई अर्जियां सूबे के अल्पसंख्यक विभाग सहित अनेकों कार्यालयों में दायर कीं थीं जिन पर वर्तमान में सूबे के सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के समक्ष सुनवाईयाँ चल रही हैं.

 

 

संजय ने बताया कि उनको ख़ुशी है कि उनके प्रयासों और मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के दखल के बाद अब उनको सूचना मिली है कि उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति अपनी वेबसाइट शुरू करने जा रही है.

 

संजय ने बताया जब तक सूबे की हज समिति अपने कामकाज में पूर्णतया पारदर्शिता लाकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस’ के मूल मन्त्र को आत्मसात कर वेबसाइट को पूरी तरह फंक्शनल कर वेबसाइट के माध्यम से ई-टेंडरिंग की व्यवस्था पूरी तरह लागू करने के साथ-साथ वेबसाइट को रियल टाइम में लगातार अपडेट करते रहने जैसे कार्य निरंतर नहीं करती रहती है तब तक उनकी यह मुहिम जारी रहेगी.

Monday, December 11, 2023

यूपी : 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने;आवास,सचिवालय-लोकभवन-विधानसभा प्रवेश पास,यात्रा,इलाज जैसी सरकारी सुविधाएं बापस लेने की सीएम योगी से मांग.

 लखनऊ/सोमवार,11 दिसम्बर 2023 ....................

मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधीक्षक ( अपराध ) उत्तर प्रदेश संतोष कुमार मिश्रा द्वारा प्रमुख सचिव विधान सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ को संबोधित एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मानवाधिकार उत्तर प्रदेश को पृष्ठांकित कर प्रेषित किये गए पत्र संख्या पत्रांक : डीजी – सात – एस – 4 – नियम – 51(09) / 2023 दिनांक 09 अगस्त, 2023 को आधार बनाकर राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा ने यूपी के  812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने;आवास,सचिवालय-लोकभवन-विधानसभा प्रवेश पास,यात्रा,इलाज जैसी सरकारी सुविधाएं बापस लेने की मांग सीएम योगी को पत्र लिखकर की है.

 


बताते चलें कि मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के इस पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से 2022 तक कुल 812 पत्रकारों के खिलाफ 612 अभियोग पंजीकृत हुए हैं, जिसमें 211 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है  तथा   5 पत्रकार अभी जेल में बंद हैं.

 

बकौल संजय उनको भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल फ़ोन हेल्पलाइन 7991479999 पर कुछ पत्रकारों ने ही बताया है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के इन 812 दागी पत्रकारों में से कई के सम्बन्ध में एल.आई.यू. विभाग ने कतिपय कारणों से आपराधिक मामलों को छुपाकर रिपोर्ट दी हैं जिसके आधार पर कई पत्रकारों को उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा सरकारी मान्यता प्रदान कर दी गई है, परिवहन विभाग द्वारा फ्री बस की सुविधा दी जा रही है ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा फ्री इलाज की सुविधा दी जा रही है,राज्य संपत्ति विभाग द्वारा सरकारी आवास आबंटित हैं ,सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा सचिवालय स्थाई प्रवेश पास और स्थाई वाहन पास निर्गत हैं,विधान सभा सचिवालय द्वारा स्थाई पास निर्गत हैं और लोकभवन तक के स्थाई प्रवेश पास  निर्गत हैं जिसके कारण सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग तो हो ही रहा है साथ ही गैर आपराधिक पृष्ठभूमि के अर्थात स्वच्छ छवि के पत्रकारों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है.  

 

संजय ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि इस प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि के पत्रकारों के लोकभवन,सचिवालय और विधानसभा के स्थाई सरकारी प्रवेश पास और वाहन पास से निर्बाध प्रवेश से इन अति महत्वपूर्ण और प्रदेश की सर्वोच्च संस्थाओं के भवनों की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है जिसके सम्बन्ध में गहन जांच और कड़ी कार्यवाही शीघ्रता से किया जाना समय की मांग है.

 

संजय ने बताया कि सुशासन के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान बना रहे योगी आदित्यनाथ  आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर जनहित और पत्रकार हित के इस मामले में प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से अवश्य ही करायेंगे.

 

सेवा में,

माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश

लखनऊ cmup@nic.in

 

विषय : आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से कराने की मांग विषयक l

 

महोदय,  

कृपया मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधीक्षक ( अपराध ) उत्तर प्रदेश श्री संतोष कुमार मिश्रा द्वारा प्रमुख सचिव विधान सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ को संबोधित एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मानवाधिकार उत्तर प्रदेश को पृष्ठांकित कर प्रेषित किये गए पत्र संख्या पत्रांक : डीजी – सात – एस – 4 – नियम – 51(09) / 2023 दिनांक 09 अगस्त, 2023 ( प्रति शिकायत के साथ संलग्न है ), के सन्दर्भ से अवगत कराना है कि मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के इस पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से 2022 तक कुल 812 पत्रकारों के खिलाफ 612 अभियोग पंजीकृत हुए हैं, जिसमें 211 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है  तथा   5 पत्रकार अभी जेल में बंद हैं l

 

मुझे भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल फ़ोन हेल्पलाइन
7991479999 पर बताया गया है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के इन 812 दागी पत्रकारों में से कई के सम्बन्ध में एल.आई.यू. विभाग ने कतिपय कारणों से आपराधिक मामलों को छुपाकर रिपोर्ट दी हैं जिसके आधार पर कई पत्रकारों को उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा सरकारी मान्यता प्रदान कर दी गई है, परिवहन विभाग द्वारा फ्री बस की सुविधा दी जा रही है ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा फ्री इलाज की सुविधा दी जा रही है,राज्य संपत्ति विभाग द्वारा सरकारी आवास आबंटित हैं ,सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा सचिवालय प्रवेश पास और वाहन पास निर्गत हैं,विधान सभा सचिवालय द्वारा पास निर्गत हैं जिसके कारण सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग तो हो ही रहा है साथ ही गैर आपराधिक पृष्ठभूमि के अर्थात स्वच्छ छवि के पत्रकारों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है l यही नहीं, इस प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि के पत्रकारों के लोकभवन,सचिवालय और विधानसभा के स्थाई सरकारी प्रवेश पास और वाहन पास से निर्बाध प्रवेश से इन अति महत्वपूर्ण और प्रदेश की सर्वोच्च संस्थाओं के भवनों की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है जिसके सम्बन्ध में गहन जांच और कड़ी कार्यवाही शीघ्रता से किया जाना समय की मांग है l

 

अस्तु आपसे अनुरोध है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से कराने की कृपा करें l

 

भवदीय

( इं. संजय शर्मा )
कंसलटेंट
राष्ट्रीय अध्यक्ष
ट्रांसपेरेंसी एकाउंटेबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव फॉर रेवोलुशन ( पंजीकृत सामाजिक संस्था )
मोबाइल 9565247365,9454461111,7991479999
ई मेल sanjaysharmalkoATicloudDOTcom , tahrirhelpATgmailDOTcom
पत्राचार का पता
- 102,नारायण टावर,ऍफ़ ब्लाक, राजाजीपुरम,त्रिमूर्ति मैरिज हॉल के पास, लखनऊ -
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