Sunday, April 28, 2024

 यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी चयन समिति की बैठक का कार्यवृत l

è यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त  और 10 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी चयन समिति की बैठक का कार्यवृत l




 

उन 64 महानुभावों की सूची जिनमें से चयनित होकर 1 महानुभाव 13 मार्च 2024 से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर आसीन हैं l

 

उन 64 महानुभावों की सूची जिनमें से चयनित होकर 1 महानुभाव  13 मार्च 2024 से  यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर आसीन हैं l




 

उन 543 महानुभावों की सूची जिनमें से चयनित होकर 10 महानुभाव 13 मार्च 2024 से यूपी के सूचना आयुक्तों के पदों पर आसीन हैं l

 उन 543 महानुभावों की सूची जिनमें से चयनित होकर 10 महानुभाव  13 मार्च 2024 से  यूपी के सूचना आयुक्तों के पदों पर आसीन हैं l














 

Saturday, April 27, 2024

प्रतिज्ञान पत्र और आरटीआई विरोधी पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने पर यूपी के सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम के खिलाफ शिकायत.


 लखनऊ / शनिवार, 27 अप्रैल 2024 ..............

 


उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के सुनवाई कक्ष  संख्या एस – 7 में कार्यरत सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम पर अनियमित कृत्य करने का आरोप लगाते हुए सूबे के राज्यपाल,हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव,प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख सचिव,मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री,सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत दर्जनों अधिकारियों को शिकायत भेजकर विधिवत जांच की मांग उठाई गई है.

 


 

शिकायतकर्ता राजाजीपुरम निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा ने अपनी शिकायत में लिखा है कि मोहम्मद नदीम ने बीती 13 मार्च को सूचना आयुक्त पद के प्रतिज्ञान पत्र पर राज्यपाल के हस्ताक्षर होने से पूर्व ही अधूरे प्रतिज्ञान पत्र का फोटो राजभवन की लिखित अनुमति  के बिना ही अवैध रूप से चोरी –छुपे खींचकर उसका प्रयोग सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अपने सोशल मीडिया ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करने ,रीपोस्ट करने  के  साथ-साथ सोशल मीडिया फेसबुक पर डाली गई पोस्ट में भी किया.

 


 

बकौल संजय राज्यपाल के हस्ताक्षर होने से पूर्व ही अधूरे प्रतिज्ञान पत्र का फोटो राजभवन की लिखित अनुमति  के बिना ही अवैध रूप से चोरी –छुपे खींचकर उसका प्रयोग सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अपने सोशल मीडिया पर डालना प्रशासनिक अनुशासनहीनता और कदाचार का कृत्य तो है ही साथ ही सरकारी दस्तावेज का फोटो बिना विधिक अनुमति चोरी – छुपे खींचकर सोशल मीडिया पर प्रयोग करना भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय कृत्य भी है.

 

 


संजय बताते हैं कि जब उन्होंने राज्यपाल सचिवालय,यूपी प्रशासनिक सुधार विभाग,यूपी प्रशासनिक सुधार निदेशालय और उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में आरटीआई अर्जियां देकर सभी सूचना आयुक्तों के प्रतिज्ञान पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ मांगीं तब एक माह पूरा होने के बाद इन सभी कार्यालयों के रेस्पोंसों से यह बात सामने आई है कि सूचना आयुक्तों के प्रतिज्ञान पत्र सार्वजनिक किये  जाने योग्य डाक्यूमेंट्स नहीं हैं.

 


 

संजय ने अपनी शिकायत में लिखा है कि मोहम्मद नदीम ने बीती 15 अप्रैल को ट्विटर पर दो बार और फेसबुक पर भी लिखा कि सूचना का अधिकार क़ानून के तहत क़ानून के दायरे में आवेदक को सूचना दिलाने से ज़्यादा चुनौती पूर्ण कार्य इस क़ानून के बेजा इस्तेमाल को रोकने का है l संजय ने बताया कि कुछ समय पूर्व तक के समाचारों से उनको ज्ञात है कि भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग,केन्द्रीय सूचना आयोग,यूपी प्रशासनिक सुधार विभाग,यूपी प्रशासनिक सुधार निदेशालय और उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में डाली गईं आरटीआई अर्जियों के उत्तरों में इन कार्यालयों द्वारा बताया गया है कि इन केन्द्रीय और उत्तर प्रदेश के इन कार्यालयों में सूचना कानून के दुरुपयोग का कोई भी मामला रिकॉर्ड पर नहीं है और यह भी कि  अपनी बात को सत्य साबित करने के प्रमाण मांगे जाने पर वे ये प्रमाण देने में समर्थ हैं.

 


संजय कहते हैं कि ऐसे में प्रथम दृष्टया यह बात सामने आ रही है कि पूर्व में पत्रकार रहे  मोहम्मद नदीम आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और बिना किसी प्रमाण के ही अपनी प्रतिकूल  राय बनाए हुए हैं.बकौल संजय यदि यह बात किंचित भी सही है तो सूचना कानून की धारा 17 के अनुसार मोहम्मद नदीम सूचना आयुक्त के पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं अतः इस बिंदु पर नदीम के विरुद्ध सम्यक रूप से प्रशासनिक जांच संस्थित करके नदीम से वे साक्ष्य मांगे जाएँ जिनके आधार पर नदीम ने सूचना क़ानून के बेजा इस्तेमाल की निश्चयात्मक बात कहते हुए इस बात को आरटीआई आवेदकों को सूचना दिलाने से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण होने का निश्चयात्मक वक्तव्य सार्वजनिक रूप से दिया है एवं इन पोस्ट्स पर आये आरटीआई विरोधी कमेंट्स का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन भी किया है. संजय कहते हैं कि यदि नदीम जांच अधिकारी को सूचना क़ानून के बेजा इस्तेमाल के ठोस साक्ष्य देने में असमर्थ रहते हैं तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि इन पोस्ट्स के द्वारा मोहम्मद नदीम ने प्रशासनिक कदाचार तो किया ही है साथ ही भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय कृत्य भी किया है.

 

 


संजय ने आशा जताई है कि सुशासन के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रही योगी सरकार सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की इन अनियमितताओं की जांच सम्यक स्तर से कराकर विधि-अनुसार यथेष्ट  प्रशासनिक एवं विधिक  कार्यवाही अवश्य कराएगी.