Thursday, August 31, 2017

संवेदनहीनता : पुलिस महकमे को ही नहीं है on-duty मरने वाले पुलिसवालों की जानकारी !



लखनऊ/31 अगस्त 2017
आम आदमी जब उत्तर प्रदेश के पुलिस थानों में जाकर कोई जानकारी करना चाहता है तो उसे हमेशा निराशा ही हाथ लगती है l रिकॉर्ड को सही से न रखने के लिए उत्तर प्रदेश के पुलिस थाने खासे बदनाम हैं l पर अगर आप सोच रहे हैं कि सही से रिकॉर्ड न रखने की बीमारी केवल पुलिस थानों तक ही सीमित है तो आप गलत हैं l रिकॉर्ड मेन्टेन न करने की यह बीमारी पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद और पुलिस महकमे के मुखिया यानि कि पुलिस महानिदेशक के कार्यालय तक  फैली हुई है l पुलिस विभाग की इस बदहाली का खुलासा  राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीते 17 जनवरी को पुलिस महानिदेशक कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक और जनसूचना अधिकारी द्वारा बीते 27 जुलाई को दिए गए जबाब से हुआ है l

To download original RTI documents, click the link http://tahririndia.blogspot.in/2017/08/up-dgp-hq-10.html

देश के नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बताया कि उनके आरटीआई आवेदन को पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने आरटीआई एक्ट की धारा 6(3) में पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद को भेज दिया था जिससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा माँगी गई सूचना उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में नहीं थी l संजय ने बताया कि पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक  ने उनको पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के अपर पुलिस अधीक्षक स्थापना का एक पत्र भेजा है जिससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यूपी के  IPS कैडर, PPS सेवा कैडर , पुलिस इंस्पेक्टर, पुलिस सब इंस्पेक्टर, पुलिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर,सिपाही और हबलदार के सृजित पद,भरे पद और खाली पद की कोई भी जानकारी नहीं है l इसी पत्र से यह भी खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यूपी पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों की रैंकवार कार्यरत व्यक्तियों में से पुरुष,महिला,किन्नर,हिन्दू,मुसलमान,सिख,ईसाई व्यक्तियों की संख्या की भी कोई भी जानकारी नहीं है l

समाजसेवी संजय कहते हैं कि पुलिस मुख्यालय के जबाब से पुलिस विभाग की अपने खुद के कार्मिकों के प्रति संवेदनहीनता भी सामने आ रही है क्योंकि उनको बताया गया है कि पुलिस महकमे के पास पिछले 10 वर्षों में सेवाकाल में ही मर जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है l यही नहीं पुलिस मुख्यालय के पास पिछले 10 सालों में नए भर्ती किये गए अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या की सूचना नहीं होने की बात भी बताई गई है  l

आरटीआई जबाब से व्यथित संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर डीजीपी के पेंच कसकर पुलिस महकमे की रिकॉर्ड कीपिंग को दुरुस्त कराने की मांग करने की बात कही है l



 यूपी : मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा की आरटीआई से उजागर हुई पुलिस विभाग की पुलिसवालों के प्रति घोर उदासीनता l


संवेदनहीन UP DGP ऑफिस ,पुलिस HQ को नहीं हैं पिछले 10 साल में सेवाकाल में मरने वाले पुलिसवालों की कोई जानकारी !

संवेदनहीनता : महकमे को नहीं है on-duty मरने वाले पुलिसवालों की जानकारी !




लखनऊ/31 अगस्त 2017
आम आदमी जब उत्तर प्रदेश के पुलिस थानों में जाकर कोई जानकारी करना चाहता है तो उसे हमेशा निराशा ही हाथ लगती है l रिकॉर्ड को सही से न रखने के लिए उत्तर प्रदेश के पुलिस थाने खासे बदनाम हैं l पर अगर आप सोच रहे हैं कि सही से रिकॉर्ड न रखने की बीमारी केवल पुलिस थानों तक ही सीमित है तो आप गलत हैं l रिकॉर्ड मेन्टेन न करने की यह बीमारी पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद और पुलिस महकमे के मुखिया यानि कि पुलिस महानिदेशक के कार्यालय तक  फैली हुई है l पुलिस विभाग की इस बदहाली का खुलासा  राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीते 17 जनवरी को पुलिस महानिदेशक कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक और जनसूचना अधिकारी द्वारा बीते 27 जुलाई को दिए गए जबाब से हुआ है l

देश के नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बताया कि उनके आरटीआई आवेदन को पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने आरटीआई एक्ट की धारा 6(3) में पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद को भेज दिया था जिससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा माँगी गई सूचना उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में नहीं थी l संजय ने बताया कि पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक  ने उनको पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के अपर पुलिस अधीक्षक स्थापना का एक पत्र भेजा है जिससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यूपी के  IPS कैडर, PPS सेवा कैडर , पुलिस इंस्पेक्टर, पुलिस सब इंस्पेक्टर, पुलिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर,सिपाही और हबलदार के सृजित पद,भरे पद और खाली पद की कोई भी जानकारी नहीं है l इसी पत्र से यह भी खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यूपी पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों की रैंकवार कार्यरत व्यक्तियों में से पुरुष,महिला,किन्नर,हिन्दू,मुसलमान,सिख,ईसाई व्यक्तियों की संख्या की भी कोई भी जानकारी नहीं है l

समाजसेवी संजय कहते हैं कि पुलिस मुख्यालय के जबाब से पुलिस विभाग की अपने खुद के कार्मिकों के प्रति संवेदनहीनता भी सामने आ रही है क्योंकि उनको बताया गया है कि पुलिस महकमे के पास पिछले 10 वर्षों में सेवाकाल में ही मर जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है l यही नहीं पुलिस मुख्यालय के पास पिछले 10 सालों में नए भर्ती किये गए अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या की सूचना नहीं होने की बात भी बताई गई है  l

आरटीआई जबाब से व्यथित संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर डीजीपी के पेंच कसकर पुलिस महकमे की रिकॉर्ड कीपिंग को दुरुस्त कराने की मांग करने की बात कही है l





Tuesday, August 29, 2017

बिना नियमावली ,बिना विज्ञापन UP CM योगी ने रख लिए 5 OSD - RTI खुलासा।

लखनऊ/29 अगस्त 2017
  
आबादी के हिसाब से देखें तो यूपी यानि कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सूबा है। देश की राजनीतिक दिशा को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले इस सूबे के सीएम बनने के लिए राजनेताओं को राजनीति शास्त्र का पूरा ककहरा कंठाग्र करने के साथ-साथ सूबे के करोड़ों लोगों के साथ की भी दरकार होती है पर क्या आप जानते हैं कि इसी सूबे के सीएम के OSD जिसे हिंदी में  विशेष कार्याधिकारी कहा जाता है, बनने के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षिक अर्हता या अन्य किसी योग्यता की जरूरत नहीं है। मतलब यह है कि CM अपने जिस कृपापात्र को चाहे,अपना OSD बनाये फिर चाहे वह निपट अनपढ़, नाकारा और अनुभवहीन ही क्यों न हो।चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी लखनऊ के तेजतर्रार समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते 5 जून को दायर की गई एक आरटीआई पर यूपी के सचिवालय प्रशासन अनुभाग 1 के अनुभाग अधिकारी विजय कुमार मिश्र द्वारा बीते 20 जुलाई को भेजे गए जबाब से हुआ है। 

To download original RTI papers, please visit weblink http://tahririndia.blogspot.in/2017/08/omg-up-cm-osd-rti.html

मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले देश के नामचीन एक्टिविस्टों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि यूपी सरकार को यह पता ही नहीं है कि यूपी के मुख्यमंत्रियों के विषेश कार्याधिकारी रखने की प्रथा का आरंभ कब किया गया था।

आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा को दी गई सूचना के अनुसार यूपी के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बीते 30 जून को बिना किसी नियम, अधिनियम के ही CM योगी के आदेश पर ही मुख्यमंत्री के OSD के पद पर नियुक्ति हेतु 05 अस्थाई निःसंवर्गीय पदों का सृजन करके इन पदों पर राजभूषण सिंह रावत,अभिषेक कौशिक,संजीव सिंह,उमेश सिंह और धर्मेंद्र चौधरी को बिना किसी चयन प्रक्रिया के ही नियुक्ति दे दी है।

संजय को बताया गया है कि मुख्यमंत्री के OSD पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया के संबंध में न तो कोई शासनादेश है और न ही कोई अधिनियम प्रख्यापित है। विशेष कार्याधिकारी के पद के लिए कोई शैक्षिक अर्हता या योग्यता निर्धारित न होने की सूचना भी विजय ने संजय को दी है।

 वर्तमान 5 OSD की नियुक्ति के लिए पद विज्ञापित न किये जाने और बिना आवेदन आमंत्रित किये ही योगी द्वारा 5 OSD नियुक्त कर लेने का चौंकाने वाला खुलासा भी इस आरटीआई से हुआ है।

इन पांचों OSD की योग्यताओं.अनुभव, पांचों को आबंटित कार्य,इनके द्वारा किये गए कार्य,इनकी चल अचल संपत्ति, इनके गृह जनपदों और इनकी राजनैतिक दलों से संबद्धता से संबंधित कोई भी सूचना शासन के पास न होने की बात भी संजय को बताई गई है ।

PIL एक्टिविस्ट संजय ने एक विशेष बातचीत में बताया कि OSD का पद एक संवेदनशील,जिम्मेदारीपूर्ण,राजपत्रित पद है और इस पद पर बिना नियम कानून की जा रही मनमानी नियुक्तियां अवैध होने के कारण विधिशून्य हैं। संजय ने कहा  कि अयोग्य और सीएम के चापलूसों की नियुक्ति होने की दशा में इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है जबकि इनको वेतन-भत्ते जनता के टैक्स के पैसों से ही दिए जाते  हैं और इसीलिये संजय ने न्यायालय के माध्यम से इन नियुक्तियों को निरस्त कराने और OSD पद की नियुक्ति नियमावली बनवाकर नियमानुसार नियुक्ति करने की मांग वाली याचिका उच्च न्यायालय में डालने की बात भी कही है।


OMG! अँगूठा टेंक,क्रिमिनल भी बन सकता है UP CM का OSD - RTI खुलासा।



बिना नियमावली ,बिना विज्ञापन UP CM योगी ने रख लिए 5 OSD 
  
लखनऊ/29 अगस्त 2017

आबादी के हिसाब से देखें तो यूपी यानि कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सूबा है। देश की राजनीतिक दिशा को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले इस सूबे के सीएम बनने के लिए राजनेताओं को राजनीति शास्त्र का पूरा ककहरा कंठाग्र करने के साथ-साथ सूबे के करोड़ों लोगों के साथ की भी दरकार होती है पर क्या आप जानते हैं कि इसी सूबे के सीएम के OSD जिसे हिंदी में  विशेष कार्याधिकारी कहा जाता है, बनने के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षिक अर्हता या अन्य किसी योग्यता की जरूरत नहीं है। मतलब यह है कि CM अपने जिस कृपापात्र को चाहे,अपना OSD बनाये फिर चाहे वह निपट अनपढ़, नाकारा और अनुभवहीन ही क्यों न हो।चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी लखनऊ के तेजतर्रार समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते 5 जून को दायर की गई एक आरटीआई पर यूपी के सचिवालय प्रशासन अनुभाग 1 के अनुभाग अधिकारी विजय कुमार मिश्र द्वारा बीते 20 जुलाई को भेजे गए जबाब से हुआ है। 

मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले देश के नामचीन एक्टिविस्टों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि यूपी सरकार को यह पता ही नहीं है कि यूपी के मुख्यमंत्रियों के विषेश कार्याधिकारी रखने की प्रथा का आरंभ कब किया गया था।

आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा को दी गई सूचना के अनुसार यूपी के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बीते 30 जून को बिना किसी नियम, अधिनियम के ही CM योगी के आदेश पर ही मुख्यमंत्री के OSD के पद पर नियुक्ति हेतु 05 अस्थाई निःसंवर्गीय पदों का सृजन करके इन पदों पर राजभूषण सिंह रावत,अभिषेक कौशिक,संजीव सिंह,उमेश सिंह और धर्मेंद्र चौधरी को बिना किसी चयन प्रक्रिया के ही नियुक्ति दे दी है।

संजय को बताया गया है कि मुख्यमंत्री के OSD पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया के संबंध में न तो कोई शासनादेश है और न ही कोई अधिनियम प्रख्यापित है। विशेष कार्याधिकारी के पद के लिए कोई शैक्षिक अर्हता या योग्यता निर्धारित न होने की सूचना भी विजय ने संजय को दी है।

 वर्तमान 5 OSD की नियुक्ति के लिए पद विज्ञापित न किये जाने और बिना आवेदन आमंत्रित किये ही योगी द्वारा 5 OSD नियुक्त कर लेने का चौंकाने वाला खुलासा भी इस आरटीआई से हुआ है।

इन पांचों OSD की योग्यताओं.अनुभव, पांचों को आबंटित कार्य,इनके द्वारा किये गए कार्य,इनकी चल अचल संपत्ति, इनके गृह जनपदों और इनकी राजनैतिक दलों से संबद्धता से संबंधित कोई भी सूचना शासन के पास न होने की बात भी संजय को बताई गई है ।

PIL एक्टिविस्ट संजय ने एक विशेष बातचीत में बताया कि OSD का पद एक संवेदनशील,जिम्मेदारीपूर्ण,राजपत्रित पद है और इस पद पर बिना नियम कानून की जा रही मनमानी नियुक्तियां अवैध होने के कारण विधिशून्य हैं। संजय ने कहा  कि अयोग्य और सीएम के चापलूसों की नियुक्ति होने की दशा में इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है जबकि इनको वेतन-भत्ते जनता के टैक्स के पैसों से ही दिए जाते  हैं और इसीलिये संजय ने न्यायालय के माध्यम से इन नियुक्तियों को निरस्त कराने और OSD पद की नियुक्ति नियमावली बनवाकर नियमानुसार नियुक्ति करने की मांग वाली याचिका उच्च न्यायालय में डालने की बात भी कही है।


Sunday, August 27, 2017

संजय शर्मा की RTI से उजागर नियुक्ति घोटाले पर बैठी CBI जांच l

लखनऊ/27 अगस्त 2017

साल 2005 में अमल में आये सूचना के अधिकार कानून ने आम आदमी को इतनी ताकत तो दे ही दी कि यदि आम आदमी ने सही मंशा,संयम और हिम्मत के साथ आरटीआई का प्रयोग किया तो वह असंभव माने जाने वाले कार्यों को भी बहुत आसानी से करा सकता है l देश के आम नागरिकों ने आरटीआई यानि कि सूचना कानून का प्रयोग करके 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, व्यापम घोटाला आदि जैसे बड़े-बड़े घोटालों को उजागर करने की नींव रख आरटीआई एक्ट की प्रभावकारिता को स्थापित भी किया है  l इसी कड़ी में आरटीआई के प्रयोग से भारत सरकार के सबसे बड़े संस्थान यानि कि भारतीय रेल के महाप्रबंधक जैसे उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने के लिए बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्तियां करके देश की नौजवान पीढ़ी के साथ विश्वासघात करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है l  

यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने बीते साल मई माह में उत्तर रेलवे के प्रधान कार्यालय, बड़ौदा हाउस, नयी दिल्ली में एक आरटीआई दायर कर महाप्रबंधक कोटे के तहत की गई भर्तियों के सम्बन्ध में सूचना माँगी थी l उत्तर रेलवे के प्रधान कार्यालय बड़ौदा हाउस दिल्ली के रमन कुमार शर्मा ने संजय को लिखकर बताया कि भारतीय रेल ने साल 2010 में जारी हुए आदेश के आधार पर लगभग 2 वर्ष पूर्व साल 2008 में ही एक महाप्रबंधक विवेक सहाय ने अपने कोटे से 116 नियुक्तियां एवं एक अन्य महाप्रबंधक एस. के. बुडलाकोटी ने लगभग 06 माह पूर्व मार्च 2010 में अपने कोटे से 30 भर्तियाँ कर डालीं थीं l संजय कहते हैं कि बाद में जारी होने वाले आदेश के आधार पर पूर्व में ही होने वाली ये नियुक्तियां स्पष्टतया अवैध नियुक्तियां थीं और इसीलिये भारतीय रेल के महाप्रबंधक कोटे की इन अवैध नियुक्तियों की बात सामने आने पर उन्होंने बीते जनवरी माह में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं पदेन प्रमुख सचिव ए. के. मित्तल और डी.ओ.पी.टी. के निदेशक को पत्र लिखकर विभागीय और विधिक कार्यवाही की मांग की l डी.ओ.पी.टी. ने यह पत्र रेलवे बोर्ड के सचिव को भेज दिया था l   संजय द्वारा अपने इन पत्रों पर कार्यवाही के सम्बन्ध में सूचना मांगे जाने पर रेलवे के प्रधान कार्यालय ने संजय को बताया है कि उनके द्वारा की गई शिकायत की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है l

रेलवे के प्रधान कार्यालय की सीमा वी. वर्मा पर अवैध नियुक्तियों की सीबीआई जांच की प्रचलित प्रक्रिया में सही पक्ष न रखकर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखने का आरोप लगाते हुए संजय ने रेल मंत्री को पत्र लिखने के साथ-साथ सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि प्रचलित जांच में उनको पक्षकार बनाकर प्रकरण की जांच में रेलवे के सभी रिकॉर्ड को समाहित कर समग्र जाँच कर दोषियों को दण्डित किया जाए l

आरटीआई के प्रयोग से भ्रष्टाचार के इस मामले को देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई तक पंहुचाने को आम आदमी के औजार कहे जाने वाले आरटीआई एक्ट की जीत बताते हुए संजय ने बताया कि यदि आवश्यकता  हुई तो वे इस मामले के दोषियों को दण्डित कराने के लिए उच्च न्यायालय जाने में कतई नहीं हिचकेंगे l


Friday, August 25, 2017

UP : सूचना आयुक्त अरविन्द बिष्ट के खिलाफ FIR की तहरीर l

लखनऊ/25-08-2017

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लखनऊ विकास प्राधिकरण की ट्रांसगोमती चाँदगंज
योजना में 12 हज़ार वर्गफुट के भूखंड का पट्टा कराने की जालसाजी के आरोपों में
घिरे यूपी के वर्तमान सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट अपनी और अपने
परिवारीजनों की संपत्तियों पर चौतरफा घिरते जा रहे हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ
के तेजतर्रार एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने बीते 22 अगस्त को लखनऊ के
थाना तालकटोरा में एक तहरीर देकर अरविंद बिष्ट समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ
धोखाधड़ी,भ्रष्टाचार और मनीलॉन्ड्रिंग करने के गंभीर आरोप लगाते हुए अभियुक्तों
के खिलाफ FIR लिखकर विधिक कार्यवाही करने की मांग की है।


देश के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने
बताया कि उन्होंने अपनी तहरीर में अरविंद बिष्ट के साथ-साथ अरविंद की पत्नी और
एलडीए में उपसचिव पद पर काम कर रहीं अम्बी बिष्ट,अरविंद के पुत्र अमन
बिष्ट,पुत्री अपर्णा बिष्ट,एलडीए के कार्मिक सीमा अग्रवाल और लालमणि प्रसाद के
साथ-साथ अरविंद बिष्ट के अज्ञात रिश्तेदारों को भी अभियुक्त बनाया है।



यूपी के PIL एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने बताया है कि उन्होंने अपनी तहरीर में
बिष्ट परिवार की लखनऊ के  विराटखंड गोमतीनगर,विराजखण्ड गोमतीनगर,शारदानगर
योजना रत्नखण्ड,UPSIDC के कुर्सीरोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया,नेहरू
एन्क्लेव,मोहनलालगंज,बख्शी का तालाब,सीतापुर रोड,विश्वास खंड,टीजी चाँदगंज
योजना,गोमतीनगर विस्तार,वास्तु खंड,रुचिखण्ड,विकासखंड,कानपुर रोड योजना की
दर्जनों संपत्तियों के अलावा लखनऊ के बाहर भी अवैध स्रोतों से संपत्तियां
अर्जित करने के आरोप लगाते हुए बिष्ट परिवार पर भ्रष्टाचार,जालसाजी और
मनीलॉन्ड्रिंग से जमीनों का अवैध कारोबार करने का आरोप लगाया है।


समाजसेवी संजय ने बताया कि थाना तालकटोरा के थानाध्यक्ष द्वारा
फर्जीबाड़ा,कूटरचना और जालसाजी से काला धन सम्पत्तियों में खपाने के इस हाई
प्रोफाइल मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी इसीलिए उन्होंने बीते कल
लखनऊ के एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी,भ्रष्टाचार
निरोधक अधिनियम और मनीलॉन्ड्रिंग एक्ट की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज करने की
मांग की है।



संजय ने बताया कि यदि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर नहीं लिखी तो वे इस मामले
को अगले हफ्ते अदालत ले जाएंगे।

*समाजसेवी संजय शर्मा ने लगाए धोखाधड़ी,भ्रष्टाचार और मनीलॉन्ड्रिंग कर अवैध सम्पत्तियाँ 
अर्जित करने के आरोप l To download original letters as written by Er. Sanjay Sharma to SHO Talkatora and SSP Lucknow, please click this weblink http://tahririndia.blogspot.in/2017/08/up-fir.html 

UP:समाजसेवी संजय शर्मा ने पुलिस में दी सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार,धोखाधड़ी, मनीलॉन्ड्रिंग की FIR लिखाने की तहरीर।



लखनऊ/25-08-2017

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लखनऊ विकास प्राधिकरण की ट्रांसगोमती चाँदगंज
योजना में 12 हज़ार वर्गफुट के भूखंड का पट्टा कराने की जालसाजी के आरोपों में
घिरे यूपी के वर्तमान सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट अपनी और अपने
परिवारीजनों की संपत्तियों पर चौतरफा घिरते जा रहे हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ
के तेजतर्रार एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने बीते 22 अगस्त को लखनऊ के
थाना तालकटोरा में एक तहरीर देकर अरविंद बिष्ट समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ
धोखाधड़ी,भ्रष्टाचार और मनीलॉन्ड्रिंग करने के गंभीर आरोप लगाते हुए अभियुक्तों
के खिलाफ FIR लिखकर विधिक कार्यवाही करने की मांग की है।

देश के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने
बताया कि उन्होंने अपनी तहरीर में अरविंद बिष्ट के साथ-साथ अरविंद की पत्नी और
एलडीए में उपसचिव पद पर काम कर रहीं अम्बी बिष्ट,अरविंद के पुत्र अमन
बिष्ट,पुत्री अपर्णा बिष्ट,एलडीए के कार्मिक सीमा अग्रवाल और लालमणि प्रसाद के
साथ-साथ अरविंद बिष्ट के अज्ञात रिश्तेदारों को भी अभियुक्त बनाया है।


यूपी के PIL एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने बताया है कि उन्होंने अपनी तहरीर में
बिष्ट परिवार की लखनऊ के  विराटखंड गोमतीनगर,विराजखण्ड गोमतीनगर,शारदानगर
योजना रत्नखण्ड,UPSIDC के कुर्सीरोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया,नेहरू
एन्क्लेव,मोहनलालगंज,बख्शी का तालाब,सीतापुर रोड,विश्वास खंड,टीजी चाँदगंज
योजना,गोमतीनगर विस्तार,वास्तु खंड,रुचिखण्ड,विकासखंड,कानपुर रोड योजना की
दर्जनों संपत्तियों के अलावा लखनऊ के बाहर भी अवैध स्रोतों से संपत्तियां
अर्जित करने के आरोप लगाते हुए बिष्ट परिवार पर भ्रष्टाचार,जालसाजी और
मनीलॉन्ड्रिंग से जमीनों का अवैध कारोबार करने का आरोप लगाया है।

समाजसेवी संजय ने बताया कि थाना तालकटोरा के थानाध्यक्ष द्वारा
फर्जीबाड़ा,कूटरचना और जालसाजी से काला धन सम्पत्तियों में खपाने के इस हाई
प्रोफाइल मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी इसीलिए उन्होंने बीते कल
लखनऊ के एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी,भ्रष्टाचार
निरोधक अधिनियम और मनीलॉन्ड्रिंग एक्ट की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज करने की
मांग की है।

संजय ने बताया कि यदि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर नहीं लिखी तो वे इस मामले
को अगले हफ्ते अदालत ले जाएंगे।

Wednesday, August 23, 2017

UP: अखिलेश के मुकाबले योगीराज में 17% बढे महिला अपराध l




महिला सुरक्षा पर टोटल फेल हुए CM योगी  l

To download original RTI papers, Please click this link http://tahririndia.blogspot.in/2017/08/cm-l.html
लखनऊ/23-08-17

सूबे की पूर्ववर्ती सपा सरकार को महिला सुरक्षा मुद्दे पर लगातार 5 साल तक
कटघरे में खड़ी करने वाली भारतीय जनता पार्टी सत्तानशीन होने के बाद यूपी की
महिलाओं को सुरक्षा देने के मुद्दे पर खुद कटघरे में आ गई है।यूपी की राजधानी
लखनऊ के फायरब्रांड एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई पर उत्तर
प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा दिये गए जबाब से अब यह चौंकाने वाला खुलासा
हुआ है कि महिला सुरक्षा पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले यूपी के वर्तमान सीएम
आदित्यनाथ योगी महिला अपराध रोकथाम मामले में अपने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव से
भी फिसड्डी साबित हो रहे हैं।आरटीआई जबाब के अनुसार यूपी की पूर्व सीएम
मायावती के समय में महिलाओं के खिलाफ मासिक अपराध दर सबसे कम थी जो अखिलेश के
समय में तो बढ़ी ही पर योगी के समय में तो महिला अपराध की मासिक दर अखिलेश के
समय की मासिक दर से भी आगे निकल कर नया रिकॉर्ड बना रही है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा दायर आरटीआई पर
प्राप्त उत्तर के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के दिनांक 13-05-07 से
14-03-12 तक के 58 माह के कार्यकाल में महिला आयोग को 97542 शिकायतें प्राप्त
हुईं जो शत-प्रतिशत निस्तारित कर दीं गईं।इसी जबाब के अनुसार पूर्व
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दिनांक 15-03-12 से 18-03-17 तक के 60 माह के
कार्यकाल में महिला आयोग को 1,79,764 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से
1,63,624 अर्थात 91 प्रतिशत निस्तारित कीं गईं।

PIL एक्टिविस्ट संजय शर्मा बताते हैं कि सूबे के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ
द्वारा दिनांक 19-03-17 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद 16-06-17 तक के तीन माह
के कार्यकाल में महिला आयोग में कुल 10,517 शिकायतें दर्ज हुईं जिनमें से महज
2829 अर्थात 27 प्रतिशत ही निस्तारित हुईं हैं।

इंजीनियर संजय शर्मा बताते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग को पूर्व
मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में प्रतिमाह 1682 शिकायतें प्राप्त हुईं जो
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय में बढ़कर प्रतिमाह 2996 हो गईं और अब
वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समय में पुराने रिकॉर्ड तोड़कर 3506
प्रतिमाह हो गईं हैं जो वर्तमान भाजपा सरकार को महिला सुरक्षा पर कटघरे में
खड़ा कर रही हैं।

मायावती के समय में महिलाओं की शिकायतों की शत-प्रतिशत निस्तारण दर का अखिलेश
के समय में घटकर 91 प्रतिशत पर आ जाने और योगी के समय महज 27 प्रतिशत रह
जाने और अखिलेश के मुकाबले  योगीराज में 17%  महिला अपराध बढ़ जाने पर
गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने योगी से
महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से काम करने और संवेदनशील रवैया
अख्तियार करने की मांग की है।


To download original RTI papers, Please click this link http://tahririndia.blogspot.in/2017/08/cm-l.html