Saturday, May 16, 2015

निष्पक्ष दिव्य संदेश के विशेष संवाददाता राजेन्द्र के. गौतम - विशेष साक्षात्कार

 https://www.facebook.com/amitabh.thakur/posts/1700681020159342
टूटेगा सरकारी सेवा का बंधन!
मीडिया पर अंकुश लगाने की कवायद केजरीवॉल की सबसे बड़ी विफलता
(दिव्यसंदेश साप्ताहिक पत्रिका में मेरा इंटरव्यू)
सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ उपजे जुनून ने पहले आईपीएस अफसर की कुर्सी तक पहुंचाया, इसके बावजूद संतुष्टिï न मिलने से जनसेवा की राह पकड़ी। इस राह पर पैर पड़ते ही समाज के ठेकेदारों और नेताओं के नजरों में किरकिरी बन कर उभरे। तमाम दिक्कतों के बावजूद जनसेवा को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मिशन बनाए चर्चित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने निष्पक्ष दिव्य संदेश के विशेष संवाददाता राजेन्द्र के. गौतम को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में संकेत दिए कि अब उनका सरकारी सेवा से मोहभंग हो चुका है। कभी भी इन बेडिय़ों से मुक्ति का ऐलान कर पूरी तरह से समाज सेवा में रम जाएंगे। पेश है बातचीत के विशेष अंश।
प्रश्न:-जनसेवा का विचार कैसे आए?
उत्तर:-बचपन में सामंतवादी व्यवस्था को करीब से देखा है, गरीबों के प्रति अन्याय को लेकर उनके माता-पिता ने काफी संघर्ष किया। गरीबों को न्याय दिलाने के लिए आईएएस अफसर बनना चाहता था। लेकिन भाग्य ने आईपीएस अफसर बना दिया। आईपीएस बनने के बाद संतुष्टि हुई कि चलो अब पुलिस सेवा के माध्यम से आम आदमी को न्याय दिलाना और आसान होगा।
प्रश्न:-आईपीएस अफसर के तौर पर आपने क्या जनसेवा के कार्य किए?
उत्तर:-जहां-जहां पोस्टिंग हुई, वहां-वहां तमाम कार्य किए हैं। पोस्टिंग के दौरान कभी भी आम और खास में अंतर नहीं किया। जिन जिलों में तैनात रहे हैं वहां की जनता आज भी उनको याद करती हैं।
प्रश्न:-सरकारी सेवा में रहते हुए सिस्टम के खिलाफ मुहिम क्यों छेड़ रखा है?
उत्तर:-सरकारी सेवा में रहते हुए जनसेवा करना काफी कठिन है। लेकिन इस दंश को इसलिए झेला कि भौतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पेंशन मिल सके। सरकारी सेवा मेरी कमजोरी बन कर उभरी है। मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों से सरकार और समाज के ठेकेदार खफा है। इस कारण मेरी आलोचना और परेशान करने से बाज नहीं आते हैं। मैंने कभी भी सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का कभी भी उल्लंघन नहीं किया। मात्र 10 फीसदी लोगों ने व्यवस्था को हाईजैक कर लिया है। बाकी 90 फीसदी लोगों को जगाने की मुहिम छेडऩा मेरी नजर में अनुशासनहीनता नहीं है।
प्रश्न:-नेताओं को आप किस नजरिए से देखते हैं?
उत्तर:-नेता समाज के लिए काफी काम करते हैं, लेकिन उनका पूरा फोकस सिर्फ अपने वोट बैंक को खुश करने में रहता है। इसी कमी के कारण नेता बदनाम होते हैं। अगर अपनी यह कमी दूर कर ले, तो जनता का नेताओं के प्रति नजरिया बदल जाएगा।
प्रश्न:-ठाकुर दम्पत्ति का अधिक जनहित याचिका करने के पीछे क्या उद्देश्य है?
उत्तर:-आम जनमानस को न्यायालय से न्याय मिल सकता है। इस कारण जनहित याचिकाएं करते हैं। उनके द्वारा कई गई जनहित याचिकाओं से तमाम ऐसे फैसले हुए जिनसे जनता को काफी राहत मिली। उनकी जनहित याचिका से कार्यपालिका और न्यायपालिका के ताकतवर लोग खफा होते हैं। इनके विचलन से आत्मिक संतुष्टिï होती है।
प्रश्न:-क्या राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए जनसेवा की स्टंटबाजी कर रहे हैं?
उत्तर:-यह गलत है कि राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए जनसेवा कर रहे हैं। जनसेवा के कार्य में बीते 25 सालों से और तेजी आई है।
प्रश्न:-कब राजनीति में आएंगे?
उत्तर:- राजनीति उन्हें कभी भी अच्छी नहीं लगी। इस कारण राजनीति में नहीं आना चाहते हैं। अगर राजनीति में आए तो राजनीतिक गंदगी को साफ करने के लिए आएंगे। फिलहाल अभी इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नजर नहीं आती है।
प्रश्न:-दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल पहले मीडिया की काफी तारीफ करते थे, अब कोस और अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं, क्या प्रतिक्रिया है आपकी?
उत्तर:-मीडिया हमेशा आईना दिखाती है। इंडिया आगेस्ट करप्शन आंदोलन के समय यही मीडिया अरविंद केजरीवाल को अच्छी लगती थी। अब केजरीवाल असलियत उजागर कर रही है तो बुरा लगना स्वाभाविक है। लेकिन स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए केजरीवाल को आलोचना सहन करना सीखना चाहिए। मीडिया पर अंकुश लगाने की सोच उनकी सबसे बड़ी विफलता है।
प्रश्न:-जनसेवा के कार्य में आपकी पत्नी यानी एडवोकेट नूतन ठाकुर का क्या योगदान है?
उत्तर:-समाज के ठेकेदारों से लडऩे के लिए सबसे बड़ा संबल पत्नी नूतन ठाकुर से मिला है। एक गाइड के रूप में उनका मार्ग दर्शन किया है। अनेकों मुसीबतों के पलों में साथ खड़ी रही हैं। कभी भी कोई शिकवा-शिकायत नहीं किया। हमेशा गरीबों को न्याय दिलाने के संघर्ष में साथ दिया है।
प्रश्न:-आपकी सम्पत्ति को लेकर राज्यपाल ने जांच के आदेश दिए हैं, क्या है प्रतिक्रिया आपकी?
उत्तर:-जनता के मुद्दों पर बढ़ती सक्रियता की वजह से इस तरह की समस्याएं आती रहती हैं। राज्यपाल से हुई शिकायतों पर जांच को लेकर उन्हें कोई परवाह नहीं है। हमने कोई भी अवैध सम्पत्ति नहीं खड़ी की है। जिससे घबराएं। जांच होने के बाद सब साफ हो जाएगा।
(साथियों, आपकी प्रतिक्रिया चाहिए)

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