Monday, January 4, 2016

क्या अपने पति निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर को विभागीय कार्यवाही में बचाने और अपने अवैध जमीन कब्जाने में कार्यवाही से बचने की पेशबंदी की रणनीति के तहत नूतन ने दाखिल की है उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक सैयद जावीद अहमद के खिलाफ रिट?




क्या अपने पति निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर को विभागीय कार्यवाही में बचाने और अपने अवैध जमीन कब्जाने  में कार्यवाही से बचने की पेशबंदी की रणनीति के तहत नूतन ने दाखिल की है उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक सैयद जावीद अहमद के खिलाफ रिट?

लगता है कि उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैयद जावीद अहमद के द्वारा पद सँभालते ही किये गए सबसे पहले संबोधन में ही  भ्रष्ट , बेईमान और जमीन कब्जाने वाले पुलिस कर्मियों  को चिन्हित कर कठोर कार्रवाई करने  के फरमान को लखनऊ की अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने कुछ अधिक ही गंभीरता से ले लिया और अपने ऊपर आने बाले संभावित खतरे से बचने के लिए पेशबंदी करने की रणनीति के तहत उच्च न्यायालय में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैयद जावीद अहमद के खिलाफ रिट दाखिल कर दी.


गौरतलब है कि नूतन ठाकुर पर भी अपने पति निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर के पद की हनक का दुरुपयोग कर जमीन कब्जाने के कई पुख्ता सबूत हैं और इन मामलों में मेरी शिकायतों पर कार्यवाहियां लंबित हैं.

एक अन्य कारण अपने पति के खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही में उसे बचाने के लिए नए डीजीपी पर दबाव बनाना भी हो सकता है.

यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु उनके द्वारा जावीद अहमद के खिलाफ कोई आवाज न उठाये जाने और पहले बलात्कार,आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड,भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा मीडिया के माध्यम से जावीद अहमद की तैनाती का विरोध करने और अब अमिताभ की पत्नी द्वारा उत्तर प्रदेश के  नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर अमिताभ द्वारा किये गए विरोध के आधारों पर ही हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर सवाल उठाने से मेरे मन में इन आशंकाओं ने जन्म लिया है.

इं० संजय शर्मा 
मोबाइल ८०८१८९८०८१

 


 

भ्रष्ट और जमीन कब्जाने वाले पुलिस कर्मी भुगतेंगेः जावीद

भ्रष्ट और जमीन कब्जाने वाले पुलिस कर्मी भुगतेंगेः जावीद 

http://www.livehindustan.com/news/uttarpradesh/article1-dgp-javid-syed-ahmed-a-police-officer-510489.html 

प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैयद जावीद अहमद ने कहा है कि बेईमान और जमीन कब्जा करने वाले थानेदार पुलिस अधिकारी जो भी करेंगे उसके  लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे। ऐसे पुलिस कर्मी चिन्हित किया जाएगा। पुलिस को संवेदनशीलता बढ़ानी होगी और महिलाओं-बच्चियों की सुरक्षा सर्वोपरि है यह समझना होगा।

अहमद शुक्रवार को पदभार संभालने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संगठित अपराध, सांप्रदायिकता व बड़े शहरों का ट्रैफिक पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। वह पुलिस को प्रोफेशनल बनाकर इन चुनौतियों का मुकाबला करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस का गौरवपूर्ण इतिहास है। इस कारण उन्हें अपनी जिम्मेदारी का पूरा अहसास है। वह प्रदेश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि पुलिस को विश्वसनीय, ईमानदार, संवेदनशील व अपने काम के प्रति प्रोफेशनल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

हर स्तर पर प्रयास होगा कि पुलिस कानून का राज सुनिश्चित करे। यदि कोई भी इसमें ढीला पाया जाएगा तो उसे चिह्नित कर कार्रवाई करने में देर नहीं की जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता हमेशा से सूबे में बड़ी चुनौती रही है, जो जैसा करेगा उसके साथ वैसी कार्रवाई होगी। प्रदेश में आईएसआईएस की सक्रियता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह एक समस्या है। इस मामले में नजर रखी जाएगी। उन्होंने संभल में आईएस से संबंध रखने में हुई गिरफ्तारी पर कहा कि यह देखाना होगा कि असलियत क्या है?

उन्होंने जमीनों पर कब्जा करने वाले भ्रष्ट थानेदारों के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि जो भी पुलिस कर्मी ऐसी हरकतों में शामिल होगा उन्हें चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई पुलिसकर्मी ऐसा कर रहा है तो यह साफ समझ ले वह जोखिम उठा रहा है। मामला संज्ञान में आने पर कठोर कार्रवाई करने में विलंब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जिलों में थानेदारों की तैनाती में मेरिट और परफार्मेंस को प्राथमिकता दी जाएगी। आंकड़ों में कमी लाने के लिए एफआईआर दर्ज न किए जाने पर कार्रवाई होगी। पुलिस की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह एफआईआर दर्ज करे।

 

24CityNewsआरएसएस को खुश करने को अमिताभ उठा रहे जावीद अहमद की नियुक्ति पर सवाल

आरएसएस को खुश करने को अमिताभ उठा रहे जावीद अहमद की नियुक्ति पर सवाल

 
Amitabh-Thakur
लखनऊ। निलम्बित आईपीएस अमिताभ ठाकुर जहां एक ओर सरकार की योजनाओं और फैसलों पर अदालत में याचिकाएं दाखिल कर सवाल उठाते रहे है। वहीं अब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उन पर (आईपीएस ठाकुर) पर धुर-अल्पसंख्यक विरोधी और अति-हिंदूवादी दिखावे में एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो की कार्य-संस्कृति होने और सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। सोशल एक्टिविस्ट ने यूपी के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी से निलंबित आईपीएस ठाकुर के खिलाफ करने की जांच की मांग की है।
शिकायत के अनुसार हाल ही में आरएसएस में शामिल होने की घोषणा करने वाले बलात्कार, आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड, भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर सवाल उठाने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह अभियुक्त अधिकारी अब बीजेपी और आरएसएस को खुश करके अपने आपको इन मामलों में बचाने के लिए बीजेपी के राजनैतिक प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करने के लिए ही ‘एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो’ वाली कार्यसंस्कृति पर कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाला यह कथित सेक्युलर एकदम से चरम हिन्दूवादी होने का नाटक कर रहा है और मुसलामानों का असंगत विरोध किये पड़ा है।
शिकायत कर्ता संजय शर्मा ने बताया कि यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस निलंबित आईपीएस द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए और बीजेपी में अपनी पत्नी की और आरएसएस में अपनी पैठ बनाने के लिए ही अल्पसंख्यक समुदाय के नवनियुक्त डीजीपी की काबिलियत पर उंगली उठायी गयी है जिससे देश के लोकसेवकों के लिए निर्धारित विधि का खुला उल्लंघन हुआ है और सारे संसार में उत्तर प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है।
संजय के अनुसार यह एक लोकसेवक की स्वार्थपरता का जीवंत उदाहरण भी हो सकता है।
संजय ने अपनी शिकायत में कहा कि क्योंकि इस लोकसेवक का यह व्यवहार सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन भी है। अतः मैं इस शिकायत के माध्यम से अनुरोध कर रहा हूँ कि इन मामलों में इस लोकसेवक के व्यक्तिगत निहितार्थ होने या न होने के बारे में जांच कराकर अग्रिम दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
 

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http://24city.news/2016/01/04/%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%8F%E0%A4%B8%E0%A4%8F%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A4/

Amitabh-Thakur
लखनऊ। निलम्बित आईपीएस अमिताभ ठाकुर जहां एक ओर सरकार की योजनाओं और फैसलों पर अदालत में याचिकाएं दाखिल कर सवाल उठाते रहे है। वहीं अब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उन पर (आईपीएस ठाकुर) पर धुर-अल्पसंख्यक विरोधी और अति-हिंदूवादी दिखावे में एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो की कार्य-संस्कृति होने और सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। सोशल एक्टिविस्ट ने यूपी के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी से निलंबित आईपीएस ठाकुर के खिलाफ करने की जांच की मांग की है।
शिकायत के अनुसार हाल ही में आरएसएस में शामिल होने की घोषणा करने वाले बलात्कार, आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड, भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर सवाल उठाने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह अभियुक्त अधिकारी अब बीजेपी और आरएसएस को खुश करके अपने आपको इन मामलों में बचाने के लिए बीजेपी के राजनैतिक प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करने के लिए ही ‘एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो’ वाली कार्यसंस्कृति पर कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाला यह कथित सेक्युलर एकदम से चरम हिन्दूवादी होने का नाटक कर रहा है और मुसलामानों का असंगत विरोध किये पड़ा है।
शिकायत कर्ता संजय शर्मा ने बताया कि यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस निलंबित आईपीएस द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए और बीजेपी में अपनी पत्नी की और आरएसएस में अपनी पैठ बनाने के लिए ही अल्पसंख्यक समुदाय के नवनियुक्त डीजीपी की काबिलियत पर उंगली उठायी गयी है जिससे देश के लोकसेवकों के लिए निर्धारित विधि का खुला उल्लंघन हुआ है और सारे संसार में उत्तर प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है।
संजय के अनुसार यह एक लोकसेवक की स्वार्थपरता का जीवंत उदाहरण भी हो सकता है।
संजय ने अपनी शिकायत में कहा कि क्योंकि इस लोकसेवक का यह व्यवहार सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन भी है। अतः मैं इस शिकायत के माध्यम से अनुरोध कर रहा हूँ कि इन मामलों में इस लोकसेवक के व्यक्तिगत निहितार्थ होने या न होने के बारे में जांच कराकर अग्रिम दंडात्मक कार्यवाही की जाए

Oh No ! Alas PTI Lucknow! UR credibility wrt zero defect news from U is at stake now.




If  PTI Lucknow is too careless in posting its news items/its in too hurry to care for the mistakes while posting the news features or the level of knowledge of some of its correspondents is so low that they are not capable of understanding these  mistakes. Whichever is/are the reason(s) but one thing is for sure that credibility wrt zero defect news from PTI Lucknow is at stake now.

On Jan 4 ,2016 means Yesterday,PTI Lucknow posted a news as per which  A writ petition can be filed in the Lucknow bench of the Allahabad high !  but what’s this high? Is not mentioned in this news item. So PTI has left it to its readers to assume this high.

The same news mentions “The has petitioner sought a direction for the removal of Javeed from the post of DGP”. Is this ‘The has petitioner sought’ some sort of new English I am not aware of ? or this is a second mistake in same news item ! why this second mistake by the prestigious newswire service PTI?

As per the news website http://indiatoday.intoday.in/story/petition-in-hc-against-appointment-of-uttar-pradesh-dgp/1/562134.html news bearing code “ PTI CORR ABN PAL” s unedited, unformatted feed from the Press Trust of India wire. Even PTI website has these mistakes http://www.ptinews.com/news/6932943_Petition-in-HC-against-appointment-of-Uttar-Pradesh-DGP-.html .

Will PTI do something to avoid occurrence of such mistakes in future or it shall be an usual affair  as such mistakes are taken normal in this era of CUT-PASTE-CULTURE? But then again the credibility of story writing by PTI shall be at stake.

Only time will tell what PTI Lucknow shall do to avoid such mistakes.

Screenshots  attached.