Thursday, June 30, 2016

UP : RTI कार्यकर्ताओं द्वारा हामिद अंसारी को काले झंडे दिखाने का मामला ध्यानाकर्षण हेतु राज्य चुनाव आयुक्त को अंतरित

विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन-उत्पीडन मामलों की जांच के लिए समिति बनाने और आयोग की सभी कार्यवाहियों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की आरटीआई कार्यकर्ताओं की मांगे न माने जाने पर आरटीआई भवन का उद्घाटन करने को आने वाले हामिद अंसारी को आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाए जाने के सम्बन्ध में लखनऊ की समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा द्वारा प्रेषित एक पत्र को भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने सचिवालय के माध्यम से उचित ध्यानाकर्षण हेतु उत्तर प्रदेश के चुनाव आयुक्त को प्रेषित किया है.





Lucknow/30 June 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR


उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के नए बने भवन का नाम ‘आरटीआई भवन’ रखा गया है. सूबे का सूचना आयोग पिछले 11 अप्रैल से ही इस आरटीआई भवन’ में पूरी तरह से कार्यशील हो चुका है.पहले इसका उद्घाटन पिछले 11 अप्रैल को होना था पर समाजसेविका उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में टाल दिया गया.इसके बाद इसका उद्घाटन आगामी 8 जुलाई को होना तय हुआ पर उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा आरटीआई भवन का उद्घाटन करने को आने वाले हामिद अंसारी को काले झंडे दिखाए जाने के चलते उद्घाटन को  टालकर आगामी 15 जुलाई को नियत किया गया. आरटीआई कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी और एक बार फिर उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में आरटीआई भवन का उद्घाटन करने को आने वाले हामिद अंसारी को 15 जुलाई को काले झंडे दिखाए जाने की  घोषणा कर दी और इस आशय का एक पत्र उपराष्ट्रपति को भी भेज दिया.


उर्वशी ने बयाता कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन-उत्पीडन मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार विशाखा समिति बनाने और आयोग की सभी कार्यवाहियों की शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग कराने,इन रिकॉर्डिंग्स को आईटी एक्ट में प्राविधानित समय तक संरक्षित रखकर किसी भी पक्ष द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की आरटीआई कार्यकर्ताओं की मांगे न माने जाने पर आरटीआई भवन का उद्घाटन करने को आने वाले हामिद अंसारी को आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाए जाने के सम्बन्ध में उनके द्वारा प्रेषित एक पत्र को भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने सचिवालय के माध्यम से उचित ध्यानाकर्षण हेतु उत्तर प्रदेश के चुनाव आयुक्त को प्रेषित किया है और इसकी सूचना उनको भी दी है.



राज्य सूचना आयोग की बदहाली पर बात करते हुए उर्वशी ने बताया कि आरटीआई प्रयोगकर्ताओं द्वारा यूपी के लोक प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचना मांगने के मामलों के आयोग में आने पर उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त राज्य सरकार के एजेंटो के रूप में कार्य करते हैं और ऐसी सूचनाएं सार्वजनिक होने से रोकने के दुरुद्देश्य से आरटीआई प्रयोगकर्ताओं, जिनमें महिलायें भी शामिल हैं,के साथ अपने स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर दुर्व्यवहार तो करते ही हैं,साथ ही साथ उलटे इन्हीं पीड़ित  आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को ‘सरकारी कार्य में बाधा डालने’ और ‘सूचना आयुक्तों से दुर्व्यवहार’ करने जैसे आरोप लगाकर पुलिस कार्यवाही करा देते हैं l यूपी के सूचना आयुक्त आरटीआई एक्ट को जानते तो नहीं ही हैं और यदि कोई आरटीआई आवेदक एक्ट के प्राविधानों का जिक्र करते हुए सूचना दिलाने की मांग करता है तो सूचना आयुक्त उस पर ‘आरटीआई का धंधेबाज’ और ‘ब्लैकमेलर’ होने जैसे आरोप लगाकर आवेदक द्वारा सुनवाई के दौरान बहस करने के संवैधानिक अधिकार को स्वयं पर  ‘बेजा दबाब’ बनाने की संघ्या देते हैं और उसे बेइज्जत करके सुनवाई कक्ष से निकाल देते हैं l

बकौल उर्वशी जब तक उनकी मांगे मानी नहीं जाती हैं, उनका यह विरोध-आन्दोलन जारी रहेगा.

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Sanjay Sharma is a Lucknow based freelancer and President at TAHRIR. He can be contacted at associated.news.asia@gmail.com Mobile/Whatsapp No. 7318554721.


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Sunday, June 26, 2016

UP : अक्षम और भ्रष्ट सूचना आयुक्त डुबा रहे आरटीआई की लुटिया

विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : लखनऊ की समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने अपने द्वारा अखिलेश की सरकार के निःशुल्क लैपटॉप वितरण घोटाले के सम्बन्ध में दायर की गयी एक आरटीआई के आधार पर यूपी के सूचना आयुक्तों पर अक्षमता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इन अक्षम आयुक्तों को सूबे में पारदर्शिता की मुहिम के लिए बड़ा खतरा बताया है.





Lucknow/26 June 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR


यूपी में सूचना आयुक्तों की योग्यताओं और क्षमताओं को कटघरे में खड़ा करने की श्रंखला काफी लम्बी है. इसी कड़ी में सूबे की चर्चित आरटीआई कार्यकत्री और समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने एक बार फिर अपने द्वारा दायर की गयी एक आरटीआई के आधार पर यूपी के सूचना आयुक्तों पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए इन अक्षम आयुक्तों को सूबे में पारदर्शिता की मुहिम के लिए बड़ा खतरा बताया है.


उर्वशी ने इस संबाददाता को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के सहायक निदेशक शम्भु भान सिंह के दो पत्र दिखाए है जो यूपी में सूचना के अधिकार की दुर्दशा की कहानी अपने आप ही वयां कर रहे हैं. दरअसल उर्वशी ने तीन साल से भी अधिक समय पहले साल 2013 के मार्च माह में एक आरटीआई दायर कर सपा सरकार की निःशुल्क लैपटॉप वितरण योजना से सम्बंधित सूचना माँगी थी. हालांकि अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार उर्वशी इस सूचना को 1 माह में पाने का हक़ रखतीं थीं पर यह सूचना उर्वशी को 39 माह से अधिक समय हो जाने पर भी नहीं मिली है और सूचना आयुक्त मूकदर्शक बने तमाशा देख रहे हैं.



हालाँकि आरटीआई एक्ट की धारा 6(3) में प्राविधानित है कि आरटी आई आवेदनों का अंतरण हर हाल में 5 दिनों में हो जाना चाहिए पर अक्षम सूचना आयुक्तों की लचर कार्यशैली के कारण अब जनसूचना अधिकारी इतने निरंकुश हो गए हैं कि उर्वशी के इस मामले में आरटीआई आवेदन का अंतरण 3 वर्ष 3 महीने बाद किया गया है.



सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने इस संबाददाता से एक विशेष बातचीत में कहा कि अक्षम व्यक्तियों को सूचना आयुक्त बनाए जाने का खामियाजा पूरे तंत्र को उठाना पद रहा है. बकौल उर्वशी जब उन जैसी जुझारू आरटीआई कार्यकत्री को सूचना लेने के लिए इतनी मशक्कत करनी पद रही है तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि एक साधारण इंसान के लिए यूपी के वर्तमान तंत्र से सूचना ले पाना लगभग असंभव ही है. सूचना दिलाने में हो रही इस तरह की असामान्य देरी पर बातचीत करते हुए उर्वशी ने कहा कि सूचना आयुक्तों की अक्षमता और उनका भ्रष्ट आचरण ही इस तरह की देरी के मुख्य कारणों में से प्रमुख कारण हैं. उर्वशी ने कहा कि अखिलेश की सरकार के निःशुल्क लैपटॉप वितरण घोटाले को छुपाने के लिए ही यह सूचना उनको नहीं दी जा रही है.



बकौल उर्वशी जब तक सरकार के चाटुकार अक्षम व्यक्तिओं को अपारदर्शी रीति से सूचना आयुक्त बनाया जाता रहेगा, तब तक राज्य सूचना आयुक्त रूपी इस कुँए में भ्रष्टाचार की भांग घुली रहेगी और आक्षम और भ्रष्ट आयुक्त सरकारों के भ्रष्टाचारों को इसी तरह छुपाते रहेंगे.

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Friday, June 24, 2016

OMG! मुस्लिम आरक्षण पर UP की अखिलेश सरकार ने नहीं लिखा केंद्र की मोदी सरकार को कोई ख़त !



समाचार सार News©TAHRIRnews: मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर यूपी के सीएम अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी शायद महज लम्बी-चौड़ी डींगें हांककर मुस्लिमों को गुमराह करने तक ही सीमित है क्योंकि लखनऊ की समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई अर्जी पर यूपी के कार्मिक विभाग के राज्य लोक  सूचना अधिकारी जे. पी. श्रीवास्तव के जबाब से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर UP की अखिलेश सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार को  कोई भी ख़त नहीं लिखा है. 



Lucknow/24 June 2016/ Sanjay Sharma News©TAHRIRnews
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कुल आबादी की लगभग 20%  आबादी मुस्लिम होने के चलते जब-जब चुनाव का समय नजदीक आता है तब-तब कमोवेश सभी राजनैतिक दल मुस्लिमों को लुभाकर उनका वोट पाने की कवायद के तहत उनको आरक्षण देने का चुनावी झुनझुना झाड-पोंछ कर बाहर निकाल बजाने लगते हैं पर सरकारें बनने के बाद सत्तानशीन होने के बाद इस मुद्दे को भुलाकर फिर ठन्डे बस्ते में डाल देते हैं. कुछ यही हाल अखिलेश यादव की अगुआई में चल रही यूपी की वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार का भी है. वैसे तो समाजवादी पार्टी और इसके सभी बड़े नेता यूपी में मुस्लिमों का सबसे बड़ा खैरख्वाह बनने के बड़े-बड़े दावे करते हैं पर शायद हकीकत इसके उलट ही है और यह सरकार भी मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने के नाम पर गुमराह करने से अधिक कुछ भी नहीं कर रही है क्योंकि लखनऊ की समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई अर्जी पर यूपी के कार्मिक विभाग के राज्य लोक  सूचना अधिकारी जे. पी. श्रीवास्तव के जबाब से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि UP के CM  अखिलेश यादव ने भारत के PM नरेंद्र मोदी को मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर कोई भी ख़त नहीं लिखा है. आरटीआई जबाब से स्पष्ट है कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी मुस्लिम आरक्षण पर चाहें जितनी बड़ी-बड़ी बातें कर लें पर पिछले 3 साल से अधिक समय से अखिलेश यादव ने मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने की कोई सुधि नहीं ली है और इस सम्बन्ध में भारत के प्रधानमंत्री से पिछले 3 सालों में कोई  पत्राचार नहीं किया है. समाजवादी पार्टी की वर्तमान सरकार के इन चार वर्षों से अधिक के कार्यकाल में सूबे की सरकार मुसलमानों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर केंद्र की सरकार को महज 1 प्रस्ताव भेजने और 1 पत्र लिखने से अधिक कुछ भी नहीं कर पायी है. इस प्रकार अखिलेश सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर इन चार सालों से अधिक के समय में केंद्र की सरकार को महज 11 पेज भेजने से अधिक कुछ भी नहीं किया है.

मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर यह चौंकाने वाला खुलासा लखनऊ की समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा द्वारा सूबे के मुख्य सचिव के कार्यालय में बीते 21 मई को दायर की गयी एक आरटीआई अर्जी पर आये जबाब से हुआ है. मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव और जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने उर्वशी की इस अर्जी को बीते 25 मई को आरटीआई एक्ट की धारा 6(3) के तहत यूपी के कार्मिक विभाग के जन सूचना अधिकारी को अंतरित किया था. कार्मिक अनुभाग-2 के राज्य लोक  सूचना अधिकारी जे. पी. श्रीवास्तव बीते 10 जून के पत्र के माध्यम से उर्वशी की 5 बिन्दुओं की आरटीआई अर्जी  पर सूचना दी है पर गलती से पत्र भेजने की तिथि 10 मई अंकित कर दी है.
 
उर्वशी को दिए गए जबाब में बताया गया है कि यूपी के वर्तमान सीएम  अखिलेश यादव ने मार्च 2012 में मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद से अब तक के चार सालों में मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर महज 1 प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है. मुसलामानों को आरक्षण दिलाने के परिपेक्ष्य में सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्र आयोग द्वारा की गयी संस्तुति के सन्दर्भ में सार्थक एवं प्रभावी कार्यवाही कराने हेतु अखिलेश द्वारा दिसम्बर 2012 में केंद्र सरकार को भेजा गया 9 पेजों का यह प्रस्ताव इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार  द्वारा केंद्र को भेजा गया एकमात्र प्रस्ताव बनकर रह गया है. जे.पी. श्रीवास्तव के द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार यूपी के वर्तमान सीएम  अखिलेश यादव ने मार्च 2012 में मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद से अब तक के चार सालों में मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर महज 1 पत्र केंद्र सरकार को भेजा है. मुसलामानों को आरक्षण दिलाने के परिपेक्ष्य में अखिलेश द्वारा अप्रैल 2013 में केंद्र सरकार को भेजा गया 2 पेजों का यह पत्र इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार  द्वारा केंद्र को भेजा गया एकमात्र प्रस्ताव बनकर रह गया है.जे.पी. श्रीवास्तव ने उर्वशी को इस प्रस्ताव, इस पत्र और इससे सम्बंधित 4 पेज की नोट-शीट्स भी दीं हैं.

समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने इस स्वतंत्र पत्रकार से की गयी एक विशेष बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी मुसलमानों  को जीते-जागते इंसान समझने के स्थान पर महज वोट-बैंक समझा जा रहा है. बकौल उर्वशी यूपी में कांग्रेस,सपा और बसपा द्वारा चुनावों से पहले मुसलमानों को सब्जबाग़ दिखाकर इनके वोट पाने के लिए आरक्षण जैसे मुद्दों को चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल कर वोट तो पा लिया जाता है पर सरकार बनने के बाद इन मुद्दों को जिस तरह भुलाकर सूबे के मुस्लिमों को धोखा दिया जाता है, उसकी बानगी उनकी यह आरटीआई सामने रख रही है.

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  द्वारा आने वाले दिनों में अपने आवास पर आयोजित किये जाने वाले रोजा-इफ्तार कार्यक्रम का संदर्भ देते हुए उर्वशी ने इस सार्वजनिक कार्यक्रम में जाकर अखिलेश से भेंटकर उन को आरटीआई से सम्बंधित प्रपत्र सौंपकर उन से मुस्लिम आरक्षण पर अपने चुनावी वादों के अनुसार सार्थक कार्य कर  कथनी-करनी के अंतर को मिटाने की नसीहत देने की बात भी कही है. उर्वशी ने कहा कि उनको उम्मीद है कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रोजेदारों के बीच बैठकर किये गए मुस्लिम आरक्षण के वादे को और बाकी राजनैतिक वादों की तरह झूठा नहीं होने देंगे.  
News©TAHRIRnews
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