Friday, August 3, 2018

UP:A Whopping 725% increase in Crimes Against Women during Yogi regime as compared to Akhilesh : RTI revelation by activist Sanjay Sharma.

अखिलेश के मुकाबले योगी राज में महिला अपराधों में  7.25 (सवा सात) गुना की भारी भरकम बढ़ोत्तरी : एक्टिविस्ट संजय शर्मा का RTI खुलासा.


Summary : अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम  मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं l अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 21 से कम  शीलभंग के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं lअखिलेश के समय में 27 से कम  अपहरण   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम  छेड़खानी के मामले   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीडन के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l सर्वाधिक घृणास्पद  पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में  महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं l







लखनऊ/03 अगस्त 2018

‘जिसकी जूती उसी का सर’ वाली कहाबत यूपी की बीजेपी सरकार पर फिट बैठती नज़र आ रही है l यूपी में कानून व्यवस्था को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता पर काबिज हुई  भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जबरदस्त रूप से फ्लॉप साबित हो रही है l कड़क छवि वाले वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ के समय में हालात पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश यादव के समय के मुकाबले 7 गुने से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं l यूपी में बीजेपी की सरकार बनने और उस पर भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सूबे की महिलाओं में नई उम्मीद जगी थी कि अब वे सुरक्षित हो जायेंगी  लेकिन योगी आदित्यनाथ महिलाओं की अपेक्षाओं पर कतई खरे नहीं उतर सके  हैं l राजधानी लखनऊ निवासी नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर सूबे के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो ने जो सूचना दी है उससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि योगी सरकार के समय में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के मुकाबले सामने 725 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है l



‘तहरीर’ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने बीते मई महीने की 18 तारीख को आरटीआई अर्जी डाली थी जिस पर उत्तर प्रदेश के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के सहायक जन सूचना अधिकारी नी बीती 27 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को सूचना दी है और पत्र की प्रति उत्तर प्रदेश के डीजीपी के कार्यालय को भी भेजी है l



संजय को दी गई सूचना के अनुसार पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश  यादव के कार्यकाल में 16 मार्च 2012 से 15 मार्च 2017 तक के 5 वर्ष यानि कि 1826 दिनों  में सूबे में दहेज़ हत्या के 11449, बलात्कार के 13981,शीलभंग के 36643,अपहरण के 48048, छेड़खानी के 4874, महिला उत्पीडन के  51027 और पास्को के 13727 अभियोग पंजीकृत हुए थे जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कार्यकाल में 16 मार्च 2018 से 30 जून 2018 तक के 107 दिनों में सूबे में दहेज़ हत्या के 3435, बलात्कार के 5654,शीलभंग के 17249,अपहरण के 21077, छेड़खानी के 1410, महिला उत्पीडन के  20573 और पास्को के 7018 अभियोग पंजीकृत हुए हैं l एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि इस प्रकार अखिलेश  यादव के समय 826 दिनों  में सूबे में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 179749 अपराध हुए जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के समय 107 दिनों में ही सूबे में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 76416 अपराध घटित हो गए हैं l


संजय ने बताया कि राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम  मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं l अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 21 से कम  शीलभंग के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं lअखिलेश के समय में 27 से कम  अपहरण   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम  छेड़खानी के मामले   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीडन के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l सर्वाधिक घृणास्पद  पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में  महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं l



समाजसेवी संजय का कहना है कि इस प्रकार राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए इन सरकारी आंकड़ों से साफ है कि सूबे में महिलाओं के प्रति होने वाले सभी श्रेणियों के अपराधों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है जो अत्यधिक चिंताजनक है l कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति के लिए संजय ने पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग्स में क्षमता की जगह भाई-भतीजाबाद,भ्रष्टाचार,जातिवाद,क्षेत्रवाद आदि को तरजीह देने की कुनीति को जिम्मेदार ठहराया है l



बकौल संजय दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से ही होकर ही जाता है और अगर योगी अब भी न चेते  तो ऐसा भी संभव है कि 2019 में BJP का विजय रथ दिल्ली पहुचने से पहले यूपी में ही रुक जाए l



अपनी  संस्था ‘तहरीर’ के  प्रतिनिधिमंडल के साथ शीघ्र ही सूबे के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर सूबे की गिरती कानून व्यवस्था पर चर्चा करने और उनको सुझावात्मक मांगपत्र सौंपने की बात भी संजय ने कही है l 

अखिलेश के मुकाबले योगी राज में महिला अपराधों में 7.25 (सवा सात) गुना की भारी भरकम बढ़ोत्तरी : एक्टिविस्ट संजय शर्मा का RTI खुलासा.

UP:A Whopping 725% increase in Crimes Against Women during Yogi regime as compared to Akhilesh : RTI revelation by activist Sanjay Sharma.


Summary : अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम  मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं l अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 21 से कम  शीलभंग के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं lअखिलेश के समय में 27 से कम  अपहरण   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम  छेड़खानी के मामले   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीडन के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l सर्वाधिक घृणास्पद  पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में  महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं l







लखनऊ/03 अगस्त 2018

‘जिसकी जूती उसी का सर’ वाली कहाबत यूपी की बीजेपी सरकार पर फिट बैठती नज़र आ रही है l यूपी में कानून व्यवस्था को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता पर काबिज हुई  भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जबरदस्त रूप से फ्लॉप साबित हो रही है l कड़क छवि वाले वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ के समय में हालात पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश यादव के समय के मुकाबले 7 गुने से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं l यूपी में बीजेपी की सरकार बनने और उस पर भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सूबे की महिलाओं में नई उम्मीद जगी थी कि अब वे सुरक्षित हो जायेंगी  लेकिन योगी आदित्यनाथ महिलाओं की अपेक्षाओं पर कतई खरे नहीं उतर सके  हैं l राजधानी लखनऊ निवासी नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर सूबे के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो ने जो सूचना दी है उससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि योगी सरकार के समय में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के मुकाबले सामने 725 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है l



‘तहरीर’ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने बीते मई महीने की 18 तारीख को आरटीआई अर्जी डाली थी जिस पर उत्तर प्रदेश के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के सहायक जन सूचना अधिकारी नी बीती 27 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को सूचना दी है और पत्र की प्रति उत्तर प्रदेश के डीजीपी के कार्यालय को भी भेजी है l



संजय को दी गई सूचना के अनुसार पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश  यादव के कार्यकाल में 16 मार्च 2012 से 15 मार्च 2017 तक के 5 वर्ष यानि कि 1826 दिनों  में सूबे में दहेज़ हत्या के 11449, बलात्कार के 13981,शीलभंग के 36643,अपहरण के 48048, छेड़खानी के 4874, महिला उत्पीडन के  51027 और पास्को के 13727 अभियोग पंजीकृत हुए थे जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कार्यकाल में 16 मार्च 2018 से 30 जून 2018 तक के 107 दिनों में सूबे में दहेज़ हत्या के 3435, बलात्कार के 5654,शीलभंग के 17249,अपहरण के 21077, छेड़खानी के 1410, महिला उत्पीडन के  20573 और पास्को के 7018 अभियोग पंजीकृत हुए हैं l एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि इस प्रकार अखिलेश  यादव के समय 826 दिनों  में सूबे में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 179749 अपराध हुए जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के समय 107 दिनों में ही सूबे में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 76416 अपराध घटित हो गए हैं l


संजय ने बताया कि राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम  मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं l अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 21 से कम  शीलभंग के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं lअखिलेश के समय में 27 से कम  अपहरण   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम  छेड़खानी के मामले   प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीडन के मामले  प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l सर्वाधिक घृणास्पद  पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं l इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में  महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं l



समाजसेवी संजय का कहना है कि इस प्रकार राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए इन सरकारी आंकड़ों से साफ है कि सूबे में महिलाओं के प्रति होने वाले सभी श्रेणियों के अपराधों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है जो अत्यधिक चिंताजनक है l कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति के लिए संजय ने पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग्स में क्षमता की जगह भाई-भतीजाबाद,भ्रष्टाचार,जातिवाद,क्षेत्रवाद आदि को तरजीह देने की कुनीति को जिम्मेदार ठहराया है l



बकौल संजय दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से ही होकर ही जाता है और अगर योगी अब भी न चेते  तो ऐसा भी संभव है कि 2019 में BJP का विजय रथ दिल्ली पहुचने से पहले यूपी में ही रुक जाए l



अपनी  संस्था ‘तहरीर’ के  प्रतिनिधिमंडल के साथ शीघ्र ही सूबे के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर सूबे की गिरती कानून व्यवस्था पर चर्चा करने और उनको सुझावात्मक मांगपत्र सौंपने की बात भी संजय ने कही है l 

Friday, July 27, 2018

गोरखपुर के मासूमों की मौत के जिम्मेदारों को साल भर में कोई प्रशासनिक दण्ड नहीं दे पाई योगी सरकार : एक्टिविस्ट संजय शर्मा की आरटीआई से बड़ा खुलासा l

यूपी सीएम योगी से एक्टिविस्ट संजय शर्मा का बड़ा सबाल : आखिर प्रशासनिक रूप से सरकार द्वारा कब दण्डित किये जायेंगे गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से लगभग एक साल पहले मारे गए मासूमों के हत्यारे ?

11-08-18 को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज घटना वाले दिन ऑक्सीजन की कमी होने पर आनंदलोक नर्सिंग होम से 6 और डा. कफील खान से  4 ऑक्सीजन  सिलिंडर मेडिकल कॉलेज मंगवाए गए : RTI खुलासा l











लखनऊ / 27 जुलाई  2018............        

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के यूपी की राजधानी लखनऊ आगमन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं l आने वाले दिनों में लखनऊ में केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ राजनैतिक दल बीजेपी के नेताओं द्वारा आम जनता के सामने एक सुनहरे भविष्य की तस्वीर पेश करते हुए बड़े-बड़े वादों  और घोषणाओं की बात की जायेगी l ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि विकास  और सुशासन  के लिए ऐसा संवाद जरूरी भी है परन्तु यदि नेताओं द्वारा पूर्व के  वादों  और घोषणाओं को मनसा-वाचा-कर्मणा पूरा नहीं किया जा रहा हो तो ऐसे में सरकार और नेताओं से सबाल पूँछ उनको कटघरे में खड़ा करने का पूरा-पूरा हक़ आम जनता को है l सूबे  की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने  बीते साल के 14 अगस्त को यूपी के  मुख्य सचिव  कार्यालय में  दायर की गई एक आरटीआई पर BRD मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार द्वारा बीती 3 जुलाई को दिए गए उत्तर के आधार पर  योगी सरकार पर  मृत बच्चों के हत्यारों के खिलाफ कोई प्रशासनिक कार्यवाही न करके मृत बच्चों से किये वादों को पूरा न करने और मामले में  संवेदनहीन रवैया रखने का आरोप लगाते हुए  यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके अगुआई वाली सरकार योगी के गृहजनपद में हुए इस भीषण मौत काण्ड के पीड़ितों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर कटघरे में खडा कर दिया है l
  
बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के अगस्त महीने की 14  तारीख को  यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौतों के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2017-18 के सम्बन्ध में 9 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l संजय ने मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन सप्लाई,घटना की मजिस्ट्रेटी जांच, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर जांच, मारे गए बच्चों की पोस्ट मोरटम रिपोर्ट,प्राइवेट संस्थानों से खरीदी गई ऑक्सीजन और घटना के दोषियों को दिए गए दंड की सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव एवं  जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने संजय का आवेदन बीते साल 21 अगस्त  को उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को ट्रान्सफर किया था l  हालाँकि आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देने के लिए अधिकतम 30 दिन की अवधि निर्धारित है लेकिन योगी सरकार ने मासूमों की मौत से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर निहायत असंवेदनशील रुख अपनाया और सूचना छुपाने के लिए RTI एक्ट का उल्लंघन तक कर दिया l निराश संजय ने बीती साल 5 अक्टूबर को मामला उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग पहुंचा दिया l बीती फरवरी में सूचना आयोग के नोटिस के बाद सूबे के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक कार्यालय की सम्बद्ध अधिकारी और जन सूचना अधिकारी प्रभा वर्मा ने बीती 6 फरवरी को संजय का आवेदन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को अंतरित किया था  l मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बीती 6 फरवरी को पत्र लिखकर सूचना देने के लिए 15 अतिरिक्त दिनों की मांग की थी और अब सूचना आयोग के दखल के बाद 3 जुलाई के पत्र के माध्यम से  संजय को सूचना  दी  गई है l
  
संजय को बताया गया है कि घटना की मजिस्ट्रेटी जांच, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर जांच,  और घटना के लिए दोषी पाई गई ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने नाम और उनको दिए  गए दंड से सम्बंधित कोई भी सूचना शासन से लेकर मेडिकल कॉलेज तक कहीं भी नहीं है l  अलबत्ता संजय को यह जरूर बताया गया है कि मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है l
  
मामला न्यायलय में विचाराधीन होने की बात कहते हुए 01 अगस्त से 14 अगस्त के बीच अस्पताल में मरे रोगियों के नाम,मौत के कारणों,पोस्ट मोरटम रिपोर्ट देने से मना कर दिया गया है l मेसर्स इम्पीरियल गैसेस लिमिटेड इलाहाबाद से 6742 ऑक्सीजन  सिलिंडर और मेसर्स मोदी केमिकल्स प्रा. लिमिटेड गोरखपुर से 8141 सिलिंडर खरीदे जाने की बात कहते हुए दिनांक 11-08-18 को घटना वाले दिन ऑक्सीजन की कमी होने पर आनंदलोक नर्सिंग होम से 6 और डा. कफील खान से  4 ऑक्सीजन  सिलिंडर मेडिकल कॉलेज मंगवाए जाने की बात भी  आरटीआई कंसलटेंट  संजय शर्मा को बताई गई है l
  
एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में कहा है  कि लगभग साल पूरा होने को है लेकिन मुख्यमंत्री के गृह-जनपद में  ऑक्सीजन की कमी  की बजह से हुई मासूमों की मौतों जैसे संवेदनशील मामले में भी योगी सरकार की प्रशासनिक चुप्पी कहीं यह बता रही है कि योगी सरकार ने इस भयावह मौतकाण्ड के मीडिया में लीक होने पर उस समय जांच बैठाने के नाम पर महज खानापूर्ति की थी और सरकार ने बाद में दोषियों को बचाने के लिए मामले की जांचों को ठन्डे बस्ते  में डाल दिया  है l सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विख्यात संजय ने इस आधार पर यूपी की सरकार और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर के मृत मासूमों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर पर कटघरे में खड़ा कर दिया है l
  
पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  संजय का कहना है कि वे मीडिया के माध्यम से अपनी बात देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पंहुचाना चाहते हैं ताकि राजधानी आगमन पर वे प्रदेश सरकार को गोरखपुर काण्ड के दोषियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही करने की नसीहत अवश्य दें l संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से भी अपेक्षा की है कि वे आने वाले 15 अगस्त को झंडारोहण कार्यक्रम से पहले गोरखपुर काण्ड के दोषी लोकसेवकों और दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही अवश्य पूर्ण करा देंगे  l 

Tuesday, July 24, 2018

पीएम मोदी संसदीय क्षेत्र बनारस पुल हादसे के 2 महीने बाद भी दोषियों को चिन्हित तक नहीं कर पाई योगी सरकार : एक्टिविस्ट संजय शर्मा की आरटीआई से बड़ा खुलासा l






लखनऊ/24-07-18 .....................
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते मई महीने में दर्जनों जिंदगियां लील लेने वाले निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे के बाद 2 महीने से ज्यादा समय बीत जाने पर भी अभी तक प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उनकी अगुआई में चल रही सूबे की बीजेपी सरकार अब तक महज दुःख जताने, हादसे की जांच के लिए विभिन्न जांच समितियां गठित करने, कुछेक लोकसेवकों को निलंबित करने  जैसे दिखावटी उपक्रम करने तक ही सीमित रहे हैं और अभी तक इस मामले में न तो कोई जांच पूरी हो पाई है , न हादसे के लिए उत्तरदायित्व का निर्धारण हो पाया है और न ही अभी तक हादसे के लिए जिम्मेवार लोकसेवकों, कंपनियों और ठेकेदारों के नाम ही चिन्हित किये जा सके हैं और अब तक न ही कोई दोषी जेल ही भेजा गया है l रूपया  130 करोड़ की कुल लागत वाले सवा 2 किलोमीटर लम्बे इस पुल के लिए 95 करोड़ रुपये जनता के खजाने से खर्चे जा चुके हैं लेकिन बीजेपी सरकार पुल बनाने के काम में लगे ठेकेदारों के नाम सार्वजनिक करने के नाम पर बगलें झांकती नज़र आ रही है और आरटीआई में गोल-मोल जबाब दे रही है l और तो और सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता का आलम यह है कि शासन से लेकर सेतु निगम तक किसी को भी हादसे में मारे गए व्यक्तियों की संख्या और उनको दिए गए सरकारी मुआवजे या पुल बनाने वाले ठेकेदारों द्वारा दिए गए मुआवजे की कोई भी जानकारी नहीं है और इस सम्बन्ध में सूचना केवल जिला प्रशासन के ही पास होने की बात सरकार द्वारा आरटीआई जबाब में कही जा रही है l मजेदार बात यह भी है कि पुल हादसे की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ द्वारा खुद पहल करके शासन स्तर से जांच के लिए गठित की गई जांच कमेटी के गठन का आदेश अभी तक उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के पास नहीं पंहुच पाया है l हालाँकि शासन स्तर पर गठित कमेटी की जांच पूरी हो गई है परन्तु इस कमेटी ने जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही की है और यह कमेटी पुल हादसे के किसी भी दोषी का नाम सामने लाने में नाकामयाब रही है l बनारस पुल हादसे के वारे में ये चौंकाने वाले खुलासे यूपी की राजधानी स्थित सामाजिक संस्था ‘तहरीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीते जून माह में यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड के परियोजना प्रबंधक संदीप गुप्ता द्वारा बीती 9 जुलाई को दिए गए जबाब से हुए हैं l

एक्टिविस्ट संजय शर्मा कहते हैं कि यह हाल उस जिले में हुए हादसे का है जिसे क्योटो बनाने का वादा पीएम मोदी लम्बे समय से करते आये हैं और जब तब विदेशी मेहमानों के साथ भारी ताम-झाम के साथ बनारस आते रहते हैं तो छोटी-मोटी जगहों पर होने वाले हादसों में हालिया सरकारी तंत्र की उदासीनता का अंदाजा कोई भी आसानी से लगा सकता है l

देश के जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा का कहना है कि हादसे के बाद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव  प्रसाद मौर्य ने हादसे के जिम्मेवार किसी भी दोषी को  बख्शे न जाने के वादे टीवी कैमरों के सामने दहाड़ मार-मार कर किये थे  पर संदीप गुप्ता का यह जबाब सूबे के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के वादों को झूंठा साबित कर रहा है l
संजय ने बताया कि उनका मानना है कि दोषियों को शीघ्रता से कड़ा दण्ड देने से दुर्घटना के शिकार लोगों की आत्मा को शांति मिलने के साथ-साथ भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए जिम्मेवार लोगों में डर आने से ऐसे हादसे रोकने में मदद मिलेगी अतः अब वे दुर्घटना के बाद  इस घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट करने वाले  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द पुल हादसे के दोषियों को चिन्हित कराकर दण्डित कराने के लिए PMO के स्तर से प्रयास करने की गुहार लगाने जा रहे है l