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Saturday, March 25, 2017

अमर्यादित फेसबुक कमेन्ट के लिए नूतन ठाकुर के खिलाफ FIR की मांग l



लखनऊ / 25-03-17
लखनऊ स्थित समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा ने लखनऊ के गोमतीनगर  
थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर IPS अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा सोशल मीडिया फेसबुक पर उनके खिलाफ अत्यंत अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगाया है और नूतन के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया है l

तहरीर में नूतन के पति और यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर विभिन्न सोशल मीडिया पर उनके विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र टिप्पणियां करते रहने का आरोप लगाया गया है l

FIR दर्ज कराने की यह तहरीर नूतन द्वारा अपने फेसबुक पर संजय को शिखंडी कहने के आधार पर दी गई है l संजय ने तहरीर में लिखा है कि एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित ही एक गंभीर आपराधिक कृत्य है और इसीलिये उन्होंने गोमतीनगर  थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर नूतन ठाकुर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की है l

तहरीर के साथ नूतन द्वारा फेसबुक पर डाली गई पोस्ट के स्क्रीनशॉट की प्रति साक्ष्य के रूप में प्रेषित की गई है l

थानाध्यक्ष गोमतीनगर को प्रेषित तहरीर निम्नवत है :
सेवा में,                                                                                                    
थानाध्यक्ष – थाना गोमतीनगर  
जनपद लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड  – 226010    

विषय : सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने हेतु प्रार्थना पत्र का प्रेषण l

महोदय,
मैं एक इंजीनियर,समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हूँ l  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की यह तहरीर सुश्री नूतन ठाकुर निवासी 5/426, विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ मोबाइल नंबर 9415534525 धारक द्वारा फेसबुक पर मेरे विरुद्ध की गई अत्यंत अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी के सम्बन्ध में मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने हेतु आपके समक्ष प्रस्तुत की जा रही है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर निवासी 5/426, विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ बहुत लम्बे समय से विभिन्न सोशल मीडिया पर मेरे विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र टिप्पणियां करते रहे हैं जिनकी पुष्टि  सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर की सोशल मीडिया ( फेसबुक,ट्विटर,ब्लॉग्स आदि ) पोस्ट्स से की जा सकती है l
26 जुलाई 2015 को नूतन ठाकुर ने अपने फेसबुक अकाउंट पर मेरे वारे में अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी “शायद ये सरकार एक औरत से डर गयी है जो संजय शर्मा जैसे शिखंडियों के जरिये छुपकर वार कर रही है” सार्वजनिक रूप से की थी l जब कतिपय लोगों ने मुझे बताया कि सुश्री नूतन ने फेसबुक पर मेरे सम्बन्ध में अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी की है तो मैंने सुश्री नूतन का फेसबुक अकाउंट देखा जिस पर नूतन ने मुझे शिखंडी कहा हुआ था l एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित ही एक गंभीर आपराधिक कृत्य है l सुश्री नूतन ठाकुर की इस पोस्ट पर अन्य लोगों ने भी मेरे वारे में नितांत ही ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणियां कीं हुईं थीं l सुश्री नूतन ठाकुर के पति श्री अमिताभ ठाकुर एक IPS अधिकारी हैं और सुश्री नूतन लोगों को अपने पति के उच्च पुलिस पद का हवाला देकर मृत्यु भय की धमकी देती रहती हैं इसीलिये उस समय जीवन भय के चलते मैंने इस मामले की ऍफ़.आई.आर. नहीं लिखाई और असहाय होकर सुश्री नूतन की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के साथ अपने फेसबुक पर “ यदि कोई महिला अपनी स्त्रीसुलभ शालीनता खोकर किसी पुरुष को ‘शिखंडी’ की संघ्या दे तो बेचारा पुरुष ऐसी स्थिति में क्या करे ?” लिखा और तदसमय चुप होकर बैठ गया l मेरी दिनांक 26-07-15 की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 1 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं  अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स में हो जाने के कारण उन सभी जगहों पर मेरी बदनामी हुई जहाँ जहाँ यह अखबार गया और आज भी लोग यह अखबार दिखा-दिखा कर मुझे परेशान करते रहते हैं l समाचार पत्र नव भारत टाइम्स के समाचार  के 1 पेज की कटिंग की प्रति संलग्नक संख्या 2 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं  अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर होने के कारण पूरे संसार में मेरी बदनामी हुई और आज भी निरंतर हो रही है l समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर दिनांक 27-07-15 को प्रदर्शित समाचार  के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 3 के रूप में संलग्न है l सुश्री नूतन ठाकुर द्वारा दिनांक 26-07-15 को की गई अमर्यादित पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 4 के रूप में संलग्न है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा मेरे विरुद्ध की गई टिप्पणियों से सम्बंधित पोस्ट्स को डिलीट करके इन दोनों के द्वारा अपने उपरोक्त अपराधों के साक्ष्य नष्ट करने की बात भी कतिपय सूत्रों से ज्ञात हुई है l
मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सुश्री नूतन ठाकुर के उपरोक्त कृत्य पूर्णतया अनुचित और अमर्यादित होने के साथ साथ स्पष्टतया गंभीर आपराधिक कृत्य हैं l सुश्री नूतन ठाकुर द्वारा कारित किये गये उपरोक्त आपराधिक कृत्य प्रथम दृष्टया ठन्डे दिमाग से किये गये गंभीर संज्ञेय अपराध प्रतीत होते हैंl   IPS श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा अपनी पत्नी सुश्री नूतन ठाकुर के आपराधिक कृत्यों को छुपाने की साजिश करने की बात भी  कतिपय सूत्रों से ज्ञात हुई है l इस साजिश का खुलासा मात्र विधिक विवेचना द्वारा ही संभव है l
मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में निर्णय पारित करते हुए संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने पर ऍफ़.आई.आर. दर्ज होने के सम्बन्ध में विधिक वाध्यता का कानून प्रतिपादित करते हुए कहा है कि :
Conclusion/Directions:  111) In view of the aforesaid discussion, we hold: (i) Registration of FIR is mandatory under Section 154 of the Code, if the information discloses commission of a cognizable offence and no preliminary inquiry is permissible in such a situation. (ii) If the information received does not disclose a cognizable offence but indicates the necessity for an inquiry, a preliminary inquiry may be conducted only to ascertain whether cognizable offence is disclosed or not. (iii) If the inquiry discloses the commission of a cognizable offence, the FIR must be registered. In cases where preliminary inquiry ends in closing the complaint, a copy of the entry of such closure must be supplied to the first informant forthwith and not later than one week. It must disclose reasons in brief for closing the complaint and not proceeding further. (iv) The police officer cannot avoid his duty of registering offence if cognizable offence is disclosed. Action must be taken against erring officers who do  not register the FIR if information received by him discloses a cognizable offence. (v) The scope of preliminary inquiry is not to verify the veracity or otherwise of the information received but only to ascertain whether the information reveals any cognizable offence. (vi) As to what type and in which cases preliminary inquiry is to be conducted will depend on the facts and circumstances of each case. The category of cases in which preliminary inquiry may be made are as under: (a)Matrimonial disputes/ family disputes (b)Commercial offences (c) Medical negligence cases (d)Corruption cases (e) Cases where there is abnormal delay/laches in initiating criminal prosecution, for example, over 3 months delay in reporting the matter without satisfactorily explaining the reasons for delay. The aforesaid are only illustrations and not exhaustive of all conditions which may warrant  preliminary inquiry. (vii) While ensuring and protecting the rights of the accused and the complainant, a preliminary inquiry should be made time bound and in any case it should not exceed 7 days. The fact of such delay and the causes of it must be reflected in the General Diary entry. (viii) Since the General Diary/Station Diary/Daily Diary is the record of all information received in a police station, we direct that all information relating to cognizable offences, whether resulting in registration of FIR or leading to an inquiry, must be mandatorily and meticulously reflected in the said Diary and the decision to conduct a preliminary inquiry must also be reflected, as mentioned above.

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W dated 12-10-15  द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस बिना किसी भेद-भाव के शीघ्रता से ऍफ़.आई.आर. दर्ज करे l

मेरी इस शिकायत के तथ्यों और शिकायत के साथ संलग्न साक्ष्यों के आलोक में उपरोक्त अभियुक्ता सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथमदृष्टया गंभीर संज्ञेय अपराध बनते हैं l इस मामले में अपराध से सम्बंधित शेष अभिलेख और प्रमाण/साक्ष्य प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मात्र विवेचक द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं और मुझे किसी भी स्थिति में नहीं मिल सकते हैं l

मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W dated 12-10-15  द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को दिये निर्देशों के अनुपालन में इस प्रकरण में प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने के कारण ऍफ़.आई.आर. दर्ज कर विवेचना कर साक्ष्य संकलन कर मामले का विधिक निस्तारण किया जाना आवश्यक है  अतः आपसे अनुरोध है कि सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने का कष्ट  करें l

संलग्नक : उपरोक्तानुसार ( 4 पेज )

दिनांक : 23-03 -17  

भवदीय,

( संजय शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम, लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत, पिन कोड - 226017   
मोबाइल :  7318554721  ई-मेल associated.news.asia@gmail.com




Saturday, July 30, 2016

UP : दयाशंकर परिवार गालीकाण्ड में समाजसेविका उर्वशी की अर्जी पर NHRC ने BSP नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर शुरू की जांच.



विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : बसपा कार्यकर्ताओं और मायावती समर्थकों द्वारा पूर्व बीजेपी नेता दयाशंकर के खिलाफ पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति में किये गए  सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शनों के दौरान बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा दयाशंकर और उसकी बेटी,बहन,पत्नी के वारे में अपशब्दों के प्रयोग को यूपी में कानून व्यवस्था की पूर्ण अनुपस्थिति के साथ-साथ दयाशंकर और दयाशंकर की बहन,पत्नी और बेटी के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताते हुए लखनऊ स्थित प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा दी गयी अर्जी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह जानकारी एक ई-मेल के माध्यम से उर्वशी को दी है.




Lucknow/30 July 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR


बसपा कार्यकर्ताओं और मायावती समर्थकों द्वारा पूर्व बीजेपी नेता दयाशंकर के खिलाफ किये गए  सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शनों के दौरान बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा दयाशंकर के डीएनए में खराबी होने, उन्हें नाजायज औलाद  बताने, कुत्ता कहे जाने और दयाशंकर अपनी बेटी को पेश करो, अपनी बहन पेश करो और अपनी पत्नी पेश करोजैसे नारे पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति में लगाए जाने को यूपी में कानून व्यवस्था की पूर्ण अनुपस्थिति के साथ-साथ दयाशंकर और दयाशंकर की बहन,पत्नी और बेटी के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन करने का गैरकानूनी कृत्य बताते हुए मामले की जांच कर दोषियों को दण्डित कराते हुए दयाशंकर के परिवार को मुआवजा दिलाने के लिए लखनऊ स्थित वरिष्ठ समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा दी गयी अर्जी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रकरण संख्या 28284/24/48/2016-WC दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह जानकारी एक ई-मेल के माध्यम से उर्वशी को दी है.


उर्वशी ने बताया कि उन्होंने बीते 22 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को एक पत्र भेजकर बीते 21 जुलाई  को राजधानी लखनऊ स्थित हजरतगंज चौराहे के पास बहुजन समाज पार्टी के धरने प्रदर्शन में लखनऊ पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार कार्मिकों  की उपस्थिति में पूर्व बी.जे.पी. नेता दया शंकर सिंह के परिवार की महिलाओं की शालीनता को भंग करने वाले अपशब्दों और दया  शंकर सिंह के मानवाधिकारों का हनन करने वाले बैनर-पोस्टर और शब्दों के सार्वजनिक प्रयोग करने के मामले की जांच आयोग के स्तर से कराने का अनुरोध किया था. उर्वशी ने बताया कि उन्होंने अपने पत्र के साथ धरने के कार्यक्रम की वीडियो क्लिप्स भी आयोग को भेजीं थीं l





उर्वशी ने बताया कि बीते कल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उनको एक ई-मेल भेजकर सूचित किया है कि दयाशंकर के परिवार की महिला सदस्यों के वारे में उनके द्वारा भेजी गयी शिकायत को आयोग में पंजीकृत कर लिया गया है. आयोग ने उर्वशी को शिकायत का पंजीकरण संख्या भी दे दिया है.    


गौरतलब है कि उर्वशी ने बीते दिनों सूबे के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद और ए.डी.जी. कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी को पत्र लिखकर महिला के विरुद्ध अपराधों के आरोपी बीएसपी नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीकी आदि के खिलाफ पॉस्को एक्ट लगाकर  गिरफ्तारी की कार्यवाही तत्काल आरम्भ कराने और लखनऊ पुलिस द्वारा दया शंकर सिंह और बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी आदि की गिरफ्तारी के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए बीएसपी नेताओं के खिलाफ लिखी एफआईआर की जांच कर रहे पुलिस कार्मिकों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग भी की थी.



अपनी एक शिकायत पंजीकृत होने के बाद उर्वशी ने अब बीएसपी नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीकी आदि के खिलाफ पॉस्को एक्ट लगाकर  गिरफ्तारी की कार्यवाही तत्काल आरम्भ कराने के लिए भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.

 

 
©TAHRIR
( This news item can be reproduced/used but only with specific mention of TAHRIR blog  )


Sanjay Sharma is a Lucknow based freelancer and President at TAHRIR. He can be contacted at associated.news.asia@gmail.com Mobile/Whatsapp No. 7318554721.

To download related documents ©TAHRIR ( These downloaded documents can be reproduced/used only with specific mention of this TAHRIR blog ), please click here http://tahriruploads.blogspot.in/2016/07/nhrc-registers-complaint-no.html

Wednesday, September 23, 2015

Social Worker & RTI activist Er. Sanjay Sharma

Social Worker & RTI activist Er. Sanjay Sharma




Wednesday, June 3, 2015

नीतियों के स्थान पर सत्ताधारी राजनैतिक दलों की मंशा के अनुसार काम कर रही यूपी की रीढ़विहीन नौकरशाही.



तहरीर।  ०३ जून २०१५।  लखनऊ।  शायद प्रशासन को मजबूती देने के लिए बनायी गयी नौकरशाही, जिसे स्टील फ्रेम भी कहा जाता था, अब खुद ही शक्तिहीन हो गयी है या ये भी कह सकते  हैं कि यह  स्टील फ्रेम अब जंग लग  कर इस कदर टूट-फूट चूका है कि खुद ही सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा है l  ऐसे में कमोवेश पूर्णतया रीढ़विहीन हो चुकी इस नौकरशाही द्वारा   नीतियों के स्थान पर सत्ताधारी राजनैतिक दलों  की मंशा के अनुसार काम करने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। कुछ ऐसा ही खुलासा मेरी एक आरटीआई से हुआ है कि यूपी का संस्कृति विभाग किसी नीति नहीं अपितु सत्ताधारी राजनैतिक दल की मंशा के अनुसार काम करता है।




दरअसल मैने साल २००९ से २०१४ तक के सैफई महोत्सवों में यूपी की सरकार द्वारा खर्च के गयी धनराशि की सूचना माँगी थी. जनवरी २०१४ में माँगी गयी सूचना १६  महीने बाद मई २०१५ में दी गयी है हालाँकि आरटीआई एक्ट के अनुसार ये सूचना एक माह के बाद ही मिल जानी चाहिए थी ।




संस्कृति निदेशालय द्वारा मुझे दी गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने साल २००९,२०१०,२०११ में सैफई महोत्सव के आयोजन के लिए  कोई आर्थिक मदद नहीं दी थी  जबकि साल २०१२ में १३८.५२  लाख , साल २०१३ में ९६.५९ लाख और  साल २०१४  में ९५.२९ लाख रुपयों की आर्थिक मदद  दी ।

 

गौरतलब है कि यूपी में वर्ष २००९,२०१०,२०११ में मायावती की अगुआई बाली बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार थी और वर्ष २०१२,२०१३ और २०१४ में अखिलेश यादव की अगुआई बाली  समाजवादी पार्टी की सरकार । इस संबंध में मेरा यह कहना है कि यूपी की सरकार द्वारा मायावती के कार्यकाल में सैफई महोत्सव को कोई आर्थिक मदद  नही देने और अखिलेश के कार्यकाल में करोड़ों की मदद देने से यह स्वतः सिद्ध हो  रहा  है कि सैफई महोत्सव को  आर्थिक मदद देने का निर्णय सत्ताधारी राजनैतिक दलों की मंशा के अनुसार लिया जाता है न कि किसी नीति के अंतर्गत ।




इस आरटीआई जबाब से यह भी सिद्ध हो रहा है कि शायद प्रशासन को मजबूती देने के लिए बनायी गयी नौकरशाही, जिसे स्टील फ्रेम भी कहा जाता था, अब खुद ही शक्तिहीन हो गयी है या ये भी कह सकते  हैं कि यह  स्टील फ्रेम अब जंग लग  कर इस कदर टूट-फूट चूका है कि खुद ही सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा है ।  ऐसे में कमोवेश पूर्णतया रीढ़विहीन हो चुकी इस नौकरशाही द्वारा   नीतियों के स्थान पर सत्ताधारी राजनैतिक दलों  की मंशा के अनुसार काम करने की घटनाएं, जो कि  आम होती जा रही , इस आरटीआई का खुलासा सिद्ध कर रहा है  कि यूपी का संस्कृति विभाग भी किसी नीति नहींअपितु सत्ताधारी राजनैतिक दल की मंशा के अनुसार ही काम करता है।

 

आरटीआई जबाब यह भी दर्शा रहा है कि मीडीया के दखल से पैदा हुए जन-दवाव के चलते अखिलेश सरकार को भी सैफई महोत्सव की सरकारी मदद में कमी करनी पड़ी है ।



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ई० संजय शर्मा

संस्थापक - तहरीर

मोबाइल ८०८१८९८०८१




Monday, June 1, 2015

UP IPS IG Civil Defense Amitabh Thakur now molesting public resources in broad daylight.

UP IPS IG Civil Defense Amitabh Thakur now molesting public resources in broad daylight.

 

Sanjay Sharma

<tahririndia@gmail.com>




Sat, May 30, 2015 at 10:25 AM
To: cmup <cmup@nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>
Cc: hshso <hshso@nic.in>, hgovup <hgovup@up.nic.in>, hgovup <hgovup@gov.in>, hgovup <hgovup@nic.in>, csup <csup@up.nic.in>, csup <csup@nic.in>, dgp@up.nic.in, uppcc-up@nic.in, uppcc <uppcc@up.nic.in>, igkarmik-up@nic.in

Letter No. : TAHRIR/2015-16/150530/7                                                   Date : 30-05-2015



सेवा में,
अखिलेश यादव
माननीय मुख्यमंत्री,उत्तर प्रदेश,लखनऊ।  cmup@nic.in , cmup@up.nic.in

विषय : अमिताभ ठाकुर ( आईपीएस ) संयुक्त निदेशक नागरिक सुरक्षा द्वारा
कार्यालय समय में अपने और अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के एनजीओ 'नेशनल आरटीआई
फोरम','पीपल्स फोरम'के कार्य कर , उच्च न्यायलय की याचिकाएं तैयार
कर,आरटीआई का कार्य कर तथा बिना अवकाश लिए सूचना आयोगों एवं न्यायालयों
की सुनवाइयों, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होकर सरकारी संसाधनों एवं
पद का दुरुपयोग करने की जांच और दंडात्मक कार्यवाही  करने   के सम्बन्ध
में ।

महोदय,
विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है क़ि अमिताभ ठाकुर ( आईपीएस ) संयुक्त
निदेशक नागरिक सुरक्षा द्वारा कार्यालय समय में अपने और अपनी पत्नी नूतन
ठाकुर के एनजीओ 'नेशनल आरटीआई फोरम','पीपल्स फोरम'के कार्य किये जाते
हैं,उच्च न्यायलय की याचिकाएं तैयार की जाती हैं,आरटीआई का कार्य किया
जाता है तथा अमिताभ ठाकुर प्रायः ही बिना अवकाश लिए सूचना आयोगों एवं
न्यायालयों की सुनवाइयों में शामिल होकर सरकारी संसाधनों एवं पद का जमकर
दुरुपयोग कर रहे हैं।अमिताभ ठाकुर द्वारा कार्यालय समय में कार्यालय के
और अपने निजी इंटरनेट कनेक्शन के द्वारा अपने,अपनी पत्नी अधिवक्ता नूतन
ठाकुर के और कई एनजीओ के कार्य किए जाते हैं जिनमें ई-मेल भेजना,सोशल
मीडीया पर पोस्ट डालना,ब्लॉग लिखना,व्यक्तिगत रिट,पीआईएल,आरटीआई आदि टाइप
करना शामिल हैं ।

समाचार पत्रों के माध्यम से सामाजिक संगठन 'तहरीर'  संज्ञान में यह
अनियमितता भी आयी है कि अमिताभ ठाकुर द्वारा कार्यालय समय में  और बिना
अवकाश लिए हुए ही सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत की जाती है  और इस
प्रकार जनता के पैसों से वेतन लेने बाला ये लोकसेवक सरकारी समय में
व्यक्तिगत कार्य करता है और इस प्रकार पद का दुरुपयोग भी करता है। महोदय
सहमत होंगे कि यदि सभी लोकसेवक अमिताभ  ठाकुर की मानिंद व्यवहार करने
लगें तो  निश्चित ही सभी सरकारी व्यवस्थाएं नष्ट  हो जाएंगी और जनमानस
त्राहि-त्राहि करने लगेगा ।

आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त के संबंध में विभागीय जाँच और यूपी पुलिस की
साइबर-सेल द्वारा  सभी कंप्यूटर की हार्ड-डिस्क, कार्यालय में बैठकर
इंटरनेट से किए गये कम्यूनिकेशन्स, इनके ई-मेल ,सोशल मीडीया और ब्लॉग  की
पोस्ट की फोरेन्सिक जाँच कराकर जाँच रिपोर्ट के आधार पर सरकारी संसाधनों
की दिनदहाड़े डकैती डालने बाले इस आईपीएस लोकसेवक को नियमानुसार विभागीय
नियमों एवं आईपीसी के तहत क़ानूनी कार्यवाही कराकर दंडित करायें ।

प्रतिलिपि : आवश्यक कार्यवाही हेतु सादर ई-मेल द्वारा प्रेषित।
1- राजनाथ सिंह, माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार द्वारा गृह सचिव, भारत
सरकार।  hshso@nic.in
2- राम नाइक, माननीय राज्यपाल,उत्तर प्रदेश,लखनऊ। hgovup@nic.in ,
hgovup@up.nic.in , hgovup@gov.in
3- अलोक रंजन, मुख्य सचिव,उत्तर प्रदेश,लखनऊ।  csup@up.nic.in , csup@nic.in
4- अरविन्द कुमार जैन,उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक,उत्तर प्रदेश,लखनऊ।
dgp@up.nic.in , uppcc-up@nic.in , uppcc@up.nic.in
5-तनूजा श्रीवास्तव - आईजी ( कार्मिक ) उत्तर प्रदेश पुलिस
महानिदेशक,उत्तर प्रदेश,लखनऊ।  igkarmik-up@nic.in
6-महानिदेशक - उत्तर प्रदेश नागरिक सुरक्षा निदेशालय ,पंचम तल,जवाहर
भवन,अशोक मार्ग,लखनऊ , पिन कोड-२२६००१


भवदीय

Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir.india
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : +91 - 8081898081


 TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India.   तहरीर (पारदर्शिता, जवाबदेही और
मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल  )  भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता
संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के
हितार्थ  जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था  है  l

Sunday, May 24, 2015

यूपी के 7 स्टार 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन लगे सजा पर विदेशी यात्राओं में आये मज़ा !






स्नैपशॉट्स -> 3 साल, 5 विदेश यात्राएं पर मात्र 10 जनता दर्शन : 2 -4  घंटों की अवधि दर्शन के जनता दर्शन में पस्त पर 4 -7   दिनों की विदेश यात्राओं में मस्त अखिलेश  : 'जनता' से दूर 'अखिलेश' के दर्शन - पिछले एक साल में कोई जनता दर्शन कार्यक्रम नहीं ! 66 की जगह पर हुए महज 09 ( 13.63%) जनता दर्शन ! : यूपी के 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन लगता सजा पर जनता के करोङों खर्च कर की गयी  विदेशी यात्राओं में आता मज़ा  : 3 साल, 5 विदेश यात्राएं पर मात्र 10 जनता दर्शन - देखिये 7 स्टार अखिलेशी समाजवाद ! 



लखनऊ।तहरीर l 25 मई 2015 …… साल 2012 में सत्ता में  आते ही अखिलेश यादव द्वारा 'जनता दर्शन' कार्यक्रम को पुनर्जीवित करना क्या अखिलेश का नाटक  मात्र था या अखिलेश की  जनता की समस्याओं का समाधान करने की वास्तविक चिंता ? आज तीन साल बाद क्या अखिलेश  यह बताने की स्थिति में हैं कि उन्होंने  कितने जनता दर्शन कार्यक्रम किये और इन कार्यक्रमों से कितने लोगों की समस्याओं का हल निकला है?

सत्ता में आते  ही अखिलेश ने घोषणा की थी कि  'जनता दर्शन' कार्यक्रम प्रत्येक सप्ताह हर बुधवार को होगा परन्तु 18 अप्रैल को हुए पहले जनता दर्शन के बाद ही 23 अप्रैल  2012 को 'जनता दर्शन' कार्यक्रम में बदलाव करते हुए इनको आधा कर दिया और ऐलान किया कि अब वह  हर महीने के पहले और तीसरे बुधवार को जनता दर्शन कार्यक्रम आयोजित कर आम जनता की समस्याएं सुनेंगे। उस समय अखिलेश यादव और समाजवादी सरकार ने जनता दर्शन को लेकर अनेकों घोषणाएं करते हुए  प्रदेश की जनता को सुहावने सब्जबाग़ दिखाए थे l

यह बात अलग है कि सूबे की जनता के लिए जनता दर्शन महज  'ऊंची दुकान, फीका पकवान' ही साबित हुआ और  लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा  की  एक आरटीआई के जबाब से स्पष्ट हुआ था कि पहले साल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बहुचर्चित और बहुप्रचारित जनता दर्शन कार्यक्रमों में जनता की तकलीफों के दस्तावेज रूपी एप्लिकेशन में से सिर्फ 26 प्रतिशत अर्जियों का ही निपटारा हो सका था । तब मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार ने उर्वशी को बताया था  कि 15-03-12 से 14-03-13 तक की अवधि में माo मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित जनता दर्शन में कुल 22,872 पत्र प्राप्त हुए एवं 6,069 मामले निस्तारित किये गये और इस प्रकार निस्तारित अर्जियों का प्रतिशत कुल का करीब 26 प्रतिशत ही था  जो जनता की अपेक्षाओं के हिसाब से बेहद निराशाजनक था ।

बेहद जोरशोर से और लम्बे चौड़े बादों के साथ शुरू किये गए जनता दर्शन कार्यक्रमों की हकीकत जानने के लिए मैंने मुख्यमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई दायर की थी जिसका जबाब प्रदेश के दूर दराज क्षेत्रों के लोगों की  आर्थिक मदद, विकास कार्यों, पेंशन भुगतान, विकलांगों की समस्याएओं, ऋण उगाही पर रोक, पुलिस उत्पीडन, जमीन से सम्बंधित विवाद, नौकरी,कानून-व्यवस्था जैसे संवेदनशील मामलों की शिकायतों का समाधान कर उनको न्याय दिलाने की एक बहुत बड़ी उम्मीद के रूप में प्रचारित और  अखिलेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की ढोल की पोल उजागर कर रहा है   l जनता दर्शन कार्यक्रम की घोषणा करते हुए अखिलेश ने कहा था कि वे इन कार्यक्रमों द्वारा अपनी पूर्ववर्ती सीएम मायावती के जनता से दूरी रखने से उलट जनता के पास रहेंगे पर आरटीआई से उजागर हक़ीक़त अखिलेश को झूंठा साबित कर रही है l

मेरी आरटीआई के जबाब में मुख्यमंत्री सूचना परिसर एनेक्सी के सहायक निदेशक और प्रभारी यशोवर्धन तिवारी ने बताया  है कि  अखिलेश यादव ने I5 मार्च 2012 से 20 फरवरी  2015 तक की तीन साल की अवधि में मात्र 10 जनता दर्शन कार्यक्रमों का आयोजन किया है l पहला जनता दर्शन 18-04-2012  को हुआ था और उसके बाद के  9 जनता दर्शन 02-05-2012,05-09-2012,03-10-2012,07-11-2012,03-04-2013,05-06-2013,03-07-2013,04-09-2013 और  05-02-2014 को हुए l  अंतिम कार्यक्रम 'जनता का दरबार' नाम से हुआ था l इस प्रकार पिछले एक साल में कोई जनता दर्शन कार्यक्रम हुआ ही नहीं है l

अगर हम अखिलेश की घोषणाओं के हिसाब से भी देखें तो जिस अवधि में 66 जनता दर्शन होने थे वहां मात्र 09 ही हुए हैं जो 13.63 प्रतिशत है l  मेरा सबाल है यदि जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के प्रति मुख्यमंत्री स्वयं मात्र    13.63 प्रतिशत ही गंभीर हैं तो ऐसे में  सूबे की नौकरशाही और अन्य लोकसेवकों से क्या उम्मीद की जाये l  मेरा  मानना है  कि  शायद यही कारण  है कि संसाधन होते हुए भी  सूबे की जनता त्रस्त है और यूपी विकास की राह में पिछड़ रहा है.

मेरा सबाल यह भी है कि जनता की सेवा करने के नाम पर सत्ता पाने बाले अखिलेश यादव यानि हमारी यूपी के 'समाजवादी' सीएम को जनता दर्शन तो  कज़ा जैसा लगता है पर  विदेशी यात्राओं में बड़ा  मज़ा आता है l  शायद यही कारण है कि अखिलेश यादव 3 साल में  4 -7   दिनों की लम्बी अवधि बाली 5 विदेश यात्राएं तो मजे से कर लेते हैं पर  2 -4  घंटों की अल्प अवधि बाले  मात्र 10 जनता दर्शन  कार्यक्रम कर पाते हैं l क्या मैं इसे  7 स्टार अखिलेशी समाजवाद समझूँ कि  जनता दर्शन में पस्त अखिलेश विदेश यात्राओं में मस्त हैं और   'अखिलेश' के दर्शन 'जनता' से दूर हो गए हैं l

सीएम अखिलेश अभी अपनी पत्नी डिंपल के साथ फ्रांस में हैं l अखिलेश इससे पहले भी जर्मनी,नीदरलैंड,स्विट्ज़रलैंड समेत अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की उस यात्रा पर भी जा चुके हैं जिस पर खर्च तो एक करोड़ से अधिक आया पर अखिलेश ने उस कार्यक्रम का वहिष्कार स्वयं ही कर दिया था l जनता की  समस्याओं से दूर रहकर  कभी फूल,कभी इत्र,कभी सब्जी, कभी कुम्भ जैसे मुद्दों पर विदेश घूम-घूम कर यूपी की जनता को कब तक गुमराह कर पाएंगे आखिर 2017 भी तो नज़दीक ही है l 


फूल,इत्र,सब्जी, कुम्भ जैसे मुद्दों  वेहतरी की संभावनाएं भारत में भी हैं बस जनता की समस्याएं सुलझाएं अखिलेश क्योंकि उत्तर प्रदेश अखिलेश के विदेश  घूमने से नहीं , अपितु यूपी में रहकर आम जनता की जमीनी समस्याएं सुलझाने से ही उत्तम प्रदेश बनेगा, ऐसा मेरा मानना है l 


संजय शर्मा
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