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Saturday, March 25, 2017

अमर्यादित फेसबुक कमेन्ट के लिए नूतन ठाकुर के खिलाफ FIR की मांग l



लखनऊ / 25-03-17
लखनऊ स्थित समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा ने लखनऊ के गोमतीनगर  
थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर IPS अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा सोशल मीडिया फेसबुक पर उनके खिलाफ अत्यंत अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगाया है और नूतन के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया है l

तहरीर में नूतन के पति और यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर विभिन्न सोशल मीडिया पर उनके विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र टिप्पणियां करते रहने का आरोप लगाया गया है l

FIR दर्ज कराने की यह तहरीर नूतन द्वारा अपने फेसबुक पर संजय को शिखंडी कहने के आधार पर दी गई है l संजय ने तहरीर में लिखा है कि एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित ही एक गंभीर आपराधिक कृत्य है और इसीलिये उन्होंने गोमतीनगर  थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर नूतन ठाकुर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की है l

तहरीर के साथ नूतन द्वारा फेसबुक पर डाली गई पोस्ट के स्क्रीनशॉट की प्रति साक्ष्य के रूप में प्रेषित की गई है l

थानाध्यक्ष गोमतीनगर को प्रेषित तहरीर निम्नवत है :
सेवा में,                                                                                                    
थानाध्यक्ष – थाना गोमतीनगर  
जनपद लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड  – 226010    

विषय : सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने हेतु प्रार्थना पत्र का प्रेषण l

महोदय,
मैं एक इंजीनियर,समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हूँ l  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की यह तहरीर सुश्री नूतन ठाकुर निवासी 5/426, विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ मोबाइल नंबर 9415534525 धारक द्वारा फेसबुक पर मेरे विरुद्ध की गई अत्यंत अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी के सम्बन्ध में मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने हेतु आपके समक्ष प्रस्तुत की जा रही है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर निवासी 5/426, विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ बहुत लम्बे समय से विभिन्न सोशल मीडिया पर मेरे विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र टिप्पणियां करते रहे हैं जिनकी पुष्टि  सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर की सोशल मीडिया ( फेसबुक,ट्विटर,ब्लॉग्स आदि ) पोस्ट्स से की जा सकती है l
26 जुलाई 2015 को नूतन ठाकुर ने अपने फेसबुक अकाउंट पर मेरे वारे में अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी “शायद ये सरकार एक औरत से डर गयी है जो संजय शर्मा जैसे शिखंडियों के जरिये छुपकर वार कर रही है” सार्वजनिक रूप से की थी l जब कतिपय लोगों ने मुझे बताया कि सुश्री नूतन ने फेसबुक पर मेरे सम्बन्ध में अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी की है तो मैंने सुश्री नूतन का फेसबुक अकाउंट देखा जिस पर नूतन ने मुझे शिखंडी कहा हुआ था l एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित ही एक गंभीर आपराधिक कृत्य है l सुश्री नूतन ठाकुर की इस पोस्ट पर अन्य लोगों ने भी मेरे वारे में नितांत ही ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणियां कीं हुईं थीं l सुश्री नूतन ठाकुर के पति श्री अमिताभ ठाकुर एक IPS अधिकारी हैं और सुश्री नूतन लोगों को अपने पति के उच्च पुलिस पद का हवाला देकर मृत्यु भय की धमकी देती रहती हैं इसीलिये उस समय जीवन भय के चलते मैंने इस मामले की ऍफ़.आई.आर. नहीं लिखाई और असहाय होकर सुश्री नूतन की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के साथ अपने फेसबुक पर “ यदि कोई महिला अपनी स्त्रीसुलभ शालीनता खोकर किसी पुरुष को ‘शिखंडी’ की संघ्या दे तो बेचारा पुरुष ऐसी स्थिति में क्या करे ?” लिखा और तदसमय चुप होकर बैठ गया l मेरी दिनांक 26-07-15 की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 1 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं  अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स में हो जाने के कारण उन सभी जगहों पर मेरी बदनामी हुई जहाँ जहाँ यह अखबार गया और आज भी लोग यह अखबार दिखा-दिखा कर मुझे परेशान करते रहते हैं l समाचार पत्र नव भारत टाइम्स के समाचार  के 1 पेज की कटिंग की प्रति संलग्नक संख्या 2 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं  अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर होने के कारण पूरे संसार में मेरी बदनामी हुई और आज भी निरंतर हो रही है l समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर दिनांक 27-07-15 को प्रदर्शित समाचार  के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 3 के रूप में संलग्न है l सुश्री नूतन ठाकुर द्वारा दिनांक 26-07-15 को की गई अमर्यादित पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 4 के रूप में संलग्न है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा मेरे विरुद्ध की गई टिप्पणियों से सम्बंधित पोस्ट्स को डिलीट करके इन दोनों के द्वारा अपने उपरोक्त अपराधों के साक्ष्य नष्ट करने की बात भी कतिपय सूत्रों से ज्ञात हुई है l
मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सुश्री नूतन ठाकुर के उपरोक्त कृत्य पूर्णतया अनुचित और अमर्यादित होने के साथ साथ स्पष्टतया गंभीर आपराधिक कृत्य हैं l सुश्री नूतन ठाकुर द्वारा कारित किये गये उपरोक्त आपराधिक कृत्य प्रथम दृष्टया ठन्डे दिमाग से किये गये गंभीर संज्ञेय अपराध प्रतीत होते हैंl   IPS श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा अपनी पत्नी सुश्री नूतन ठाकुर के आपराधिक कृत्यों को छुपाने की साजिश करने की बात भी  कतिपय सूत्रों से ज्ञात हुई है l इस साजिश का खुलासा मात्र विधिक विवेचना द्वारा ही संभव है l
मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में निर्णय पारित करते हुए संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने पर ऍफ़.आई.आर. दर्ज होने के सम्बन्ध में विधिक वाध्यता का कानून प्रतिपादित करते हुए कहा है कि :
Conclusion/Directions:  111) In view of the aforesaid discussion, we hold: (i) Registration of FIR is mandatory under Section 154 of the Code, if the information discloses commission of a cognizable offence and no preliminary inquiry is permissible in such a situation. (ii) If the information received does not disclose a cognizable offence but indicates the necessity for an inquiry, a preliminary inquiry may be conducted only to ascertain whether cognizable offence is disclosed or not. (iii) If the inquiry discloses the commission of a cognizable offence, the FIR must be registered. In cases where preliminary inquiry ends in closing the complaint, a copy of the entry of such closure must be supplied to the first informant forthwith and not later than one week. It must disclose reasons in brief for closing the complaint and not proceeding further. (iv) The police officer cannot avoid his duty of registering offence if cognizable offence is disclosed. Action must be taken against erring officers who do  not register the FIR if information received by him discloses a cognizable offence. (v) The scope of preliminary inquiry is not to verify the veracity or otherwise of the information received but only to ascertain whether the information reveals any cognizable offence. (vi) As to what type and in which cases preliminary inquiry is to be conducted will depend on the facts and circumstances of each case. The category of cases in which preliminary inquiry may be made are as under: (a)Matrimonial disputes/ family disputes (b)Commercial offences (c) Medical negligence cases (d)Corruption cases (e) Cases where there is abnormal delay/laches in initiating criminal prosecution, for example, over 3 months delay in reporting the matter without satisfactorily explaining the reasons for delay. The aforesaid are only illustrations and not exhaustive of all conditions which may warrant  preliminary inquiry. (vii) While ensuring and protecting the rights of the accused and the complainant, a preliminary inquiry should be made time bound and in any case it should not exceed 7 days. The fact of such delay and the causes of it must be reflected in the General Diary entry. (viii) Since the General Diary/Station Diary/Daily Diary is the record of all information received in a police station, we direct that all information relating to cognizable offences, whether resulting in registration of FIR or leading to an inquiry, must be mandatorily and meticulously reflected in the said Diary and the decision to conduct a preliminary inquiry must also be reflected, as mentioned above.

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W dated 12-10-15  द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस बिना किसी भेद-भाव के शीघ्रता से ऍफ़.आई.आर. दर्ज करे l

मेरी इस शिकायत के तथ्यों और शिकायत के साथ संलग्न साक्ष्यों के आलोक में उपरोक्त अभियुक्ता सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथमदृष्टया गंभीर संज्ञेय अपराध बनते हैं l इस मामले में अपराध से सम्बंधित शेष अभिलेख और प्रमाण/साक्ष्य प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मात्र विवेचक द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं और मुझे किसी भी स्थिति में नहीं मिल सकते हैं l

मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W dated 12-10-15  द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को दिये निर्देशों के अनुपालन में इस प्रकरण में प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने के कारण ऍफ़.आई.आर. दर्ज कर विवेचना कर साक्ष्य संकलन कर मामले का विधिक निस्तारण किया जाना आवश्यक है  अतः आपसे अनुरोध है कि सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने का कष्ट  करें l

संलग्नक : उपरोक्तानुसार ( 4 पेज )

दिनांक : 23-03 -17  

भवदीय,

( संजय शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम, लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत, पिन कोड - 226017   
मोबाइल :  7318554721  ई-मेल associated.news.asia@gmail.com




Tuesday, December 22, 2015

डार्क-लाइट फिल्म्स और संदीप दुबे को निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर के काले कारनामों के प्रमाण भेजकर ठाकुर दंपत्ति की डार्क साइड भी दिखाकर पूरा सच दिखाने का अनुरोध.



डार्क-लाइट फिल्म्स और संदीप दुबे को निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर  के काले कारनामों के प्रमाण भेजकर ठाकुर दंपत्ति की डार्क साइड भी दिखाकर पूरा सच दिखाने का अनुरोध.  


मित्रों,
मैंने दिल्ली की डार्क-लाइट फिल्म्स और निर्देशक संदीप दुबे को यूपी के मुलायम सिंह यादव - अमिताभ ठाकुर मोबाइल फोन प्रकरण पर लघु फिल्म बनाने पर बधाई देते हुए डार्क-लाइट फिल्म्स और निर्देशक संदीप दुबे को पत्र भेजकर सप्रमाण अनुरोध किया है कि वे इस लघु फिल्म में अमिताभ की डार्क साइड यानि कि जिलों में तैनातियों के दौरान अवैध कृत्यों से की गयी काली कमाई से बीघों में रिहायशी जमीनें खरीदे जाने, अज्ञात और अवैध लोगों को 2000 शस्त्र लाइसेंस बांटकर यूपी में अपराध बढाने का कारक बनने, एसपी के रूप में तैनाती के दौरान अपने साले की मदद से चोरी की गाड़ियों के खरीद-फ़रोख्त का अवैध धंधा करने, जनता के पैसे लूटकर काली कमाई करके इंडियन पब्लिक स्कूल के नाम से शिक्षा जैसे पवित्र पेशे में गोरखधंधा करने, अनुभूति सेवा संस्थान और उसके बाद आईआरडीएस, आरटीआई फंड जैसे आधा दर्जन एनजीओ बनाकर इनके मार्फत भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों का काला धन सफेद करने, पीआइएल ट्रेडिंग करने, अपने अधीनस्थ महिला कार्मिक पर बुरी नज़र रखने और गलत नीयत से पद का दुरुपयोग कर उसे सेवा से बर्खास्त कराने का षड्यंत्र रचने, निहित स्वार्थ के लिए आरएसएस-बीजेपी को पानी पी-पी कर कोसने बाले और कुछ दिन पूर्व ही पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाले अमिताभ-नूतन का खालिस सेक्युलर और अधार्मिक होने से लेकर आरएसएस-बीजेपी और राम मंदिर में आस्था के ढोंग का आवरण ओढने तक का सफर, नूतन द्वारा बिना ड्यूटी पर जाए अवैध रूप से  शिक्षिका का वेतन लेते रहने के सामाजिक अपराध जैसी घटनाओं का भी समावेश करें ताकि इस फ़िल्म का चित्रांकन यथार्थ से नज़दीक हो.


उम्मीद है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कही जाने बाली पत्रकारिता से जुड़े संदीप दुबे इस मामले में इन प्रमाणों में उपलब्ध तथ्यों का समावेश करके अपने प्रोडक्शन हाउस डार्क-लाइट फिल्म्स के नाम को सार्थक करते हुए अमिताभ ठाकुर की डार्क और लाइट, दोनों साइड्स का फिल्मांकन  करके जनता के सामने सिर्फ सच ही परोसेंगे.


यदि डार्क-लाइट फिल्म्स और संदीप दुबे पूरा सच नहीं दिखाते हैं तो .......... तो क्या; ये जो पब्लिक है न भाई, वैसे तो ये सब जानती ही है. फिर भी यदि ऐसा हुआ तो फिर अमिताभ की डार्क साइड पर फ़िल्म बनबाने को हम आगे आयेंगे और जनता के सामने रखेंगे अमिताभ-नूतन का पूरा सच और छुपाया गया झूंठ भी.   


आप भी पढ़िए प्रखर विचार नामक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के अगस्त 2006 के अंक में अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर के काले कारनामों से सम्बंधित एक विस्तृत समाचार.

Sanjay Sharma 
Mob. 8081898081 












Thursday, November 26, 2015

2008 में बीजेपी और आर.एस.एस. को गरियाने बाली नूतन ठाकुर आखिर अब किस मुंह से कर रहीं हैं बीजेपी की तारीफ ?



नूतन ठाकुर का जबरदस्त वैचारिक दोगलापन और मतलबपरस्ती उजागर : साल 2008 में बीजेपी और आर.एस.एस. को खुलकर गरियाने बाली नूतन ठाकुर ने अपने पति की काली कमाई का काला साम्राज्य बचाने के लिए साल 2015 में आखिर थाम ही लिया बीजेपी का दामन.


साल 2008 में नूतन ठाकुर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आर.एस.एस. ) को  Hindu right-wing fundamentalist group कहते हुए भारतीय जनता पार्टी ( बी.जे.पी. ) को संघ के इशारों पर काम कर बाली बताते हुए जमकर गरियाया था.उडीसा के लेनिन कुमार राय गिरफ्तारी प्रकरण में नूतन ने लिखा था So, in India (and particularly in Orissa) it is a crime to write anything against the RSS or to produce an RSS letter or to comment upon it- more so if the government is supported by the BJP! यही नहीं नूतन ने तो अपने लेख में भारत में नागरिकों की आजादी पर सबाल उठाते हुए लिखा था Is this a free country we are living in? अपनी सामाजिक संस्था आई.आर.डी.एस. के प्रतिनिधि के तौर पर लिखे इस लेख में नूतन ने तब RSS को Hindu right-wing fundamentalist group भी बताया था.



साल 2008 में बीजेपी और आर.एस.एस. को खुलकर गरियाने बाली नूतन ठाकुर ने अब साल 2015 में 'बीजेपी में शामिल होने की घोषणा कर अपना वैचारिक दोगलापन जाहिर करते हुए कहा है 'बीजेपी में शामिल होने के मुख्य कारण यह हैं कि इस पार्टी में वंशवाद नहीं है. राजनीतिक दलों में इसमें सर्वाधिक आतंरिक प्रजातंत्र है. यह विभिन्न वर्गों में विभेद नहीं करता है. एक अखिल भारतीय पार्टी है और राष्ट्रीयता की भावना पर आधारित है.



तो क्या नूतन ठाकुर के इस कदम के आधार पर यह माना जाय कि इस साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी कथित रूप से Hindu right-wing fundamentalist group कहे जाने बाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभुत्व से आजाद हो गयी है और आर.एस.एस. भी अब Hindu right-wing fundamentalist group नहीं रहा है अर्थात सही मायनों में सेक्युलर हो गया है. यदि ऐसा है तो नरेंद्र मोदी जी और भागवत जी को इस सकारात्मक परिवर्तन के लिए कोटिशः धन्यवाद. परन्तु यदि ऐसा नहीं है तो वैचारिक दोगलेपन और मतलबपरस्ती के लिए नूतन ठाकुर की कोटिशः भर्त्सना क्योंकि नूतन के इस समय बीजेपी ज्वाइन करने का स्पष्ट कारण इनके द्वारा अपने पति की काली कमाई के काले साम्राज्य को बचाने की मतलबपरस्ती मात्र ही है. 





Tuesday, November 17, 2015

None of Half a dozen NGOs floated by Amitabh-Nutan Thakur Couple is registered !



पंजीकृत नहीं है अमिताभ-नूतन ठाकुर दंपत्ति के आधा दर्जन एनजीओ में से कोई भी एनजीओ !


लखनऊ/बुधवार 18 नवम्बर 2015/ जीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही के मुद्दों पर बड़ी-बड़ी बातें करने बाली लखनऊ की अमिताभ-नूतन ठाकुर दंपत्ति पारदर्शिता और जबाबदेही के मुद्दे पर खुद ही कटघरे में आ गयी है l अब उत्तर प्रदेश के फर्म्स,सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार के कार्यालय में भेजी गयी एक शिकायत से खुलासा हुआ है कि इस दंपत्ति द्वारा बनाए गए आधा दर्जन एनजीओ में से कोई भी उत्तर प्रदेश के फर्म्स,सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार के कार्यालय में पजीकृत नहीं पाया गया है l


बताते चलें कि पारदर्शिता और जबाबदेही पर कार्य करने बाली सामाजिक संस्था ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने ठाकुर दंपत्ति द्वारा संचालित एनजीओ नेशनल आरटीआई फोरम,पीपुल्स फोरम,पीके-ओएमजी ट्रस्ट,इंस्टिट्यूट फॉर डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंस और आरटीआई फंड की गतिविधियों को संदिग्ध बताते हुए इनके माध्यम से पीआइएल ट्रेडिंग करने और काला धन सफेद करने की सम्भावना व्यक्त करते हुए इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त से की थी l लोकायुक्त ने संजय की इस शिकायत को सही पाते हुए शिकायत पर अग्रिम जांच हेतु अनुशंषा राज्य सरकार को प्रेषित की थी l


बीते 07 अक्टूबर को संजय ने उत्तर प्रदेश के फर्म्स,सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार को लोकायुक्त की रिपोर्ट प्रेषित करते हुए ठाकुर दंपत्ति द्वारा बनाए गए इन एनजीओ की संदिग्ध गतिविधियों, इनके माध्यम से पीआइएल ट्रेडिंग करने और काला धन सफेद करने, इनके आय के स्रोतों,बैलेंस शीट,ऑडिट रिपोर्ट व अन्य जांचे कराने का अनुरोध किया था l


उत्तर प्रदेश के फर्म्स,सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार पी० एन० दुबे ने बीते 19 अक्टूबर के एक पत्र के माध्यम से संजय को बताया है कि उनके कार्यालय में उपलब्ध कंप्यूटरीकृत रिकॉर्ड में नेशनल आरटीआई फोरम,पीपुल्स फोरम,पीके-ओएमजी ट्रस्ट,इंस्टिट्यूट फॉर डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंस और आरटीआई फंड में से कोई भी एनजीओ पंजीकृत नहीं पायी गयी है l


इस सम्बन्ध में संजय का कहना है कि उत्तर प्रदेश के फर्म्स,सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार पी० एन० दुबे के इस जबाब से उनके द्वारा लोकायुक्त के समक्ष ठाकुर दंपत्ति के इन एनजीओ के माध्यम से पीआइएल ट्रेडिंग करने,काला धन सफेद करने आदि गैर-कानूनी गतिविधियाँ संचालित कर धन का घालमेल करने संबंधी आरोप खुद-ब-खुद पुष्ट हो रहे हैं l संजय ने अमिताभ-नूतन ठाकुर दंपत्ति पर पारदर्शिता और जबाबदेही के मुद्दों पर बड़ी-बड़ी बातें करने का ढकोसला मात्र करने का आरोप लगाते हुए इस दंपत्ति द्वारा गैर कानूनी गतिविधियाँ संचालित करने के उद्देश्य से आधा दर्जन एनजीओ बनाने की बात कही है और इन सभी गैर-पंजीकृत एनजीओ द्वारा संदिग्ध गतिविधियाँ संचालित करने के मामलों  की जांच हेतु सूबे के राज्यपाल,मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच कराये जाने की बात कही है l