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Monday, April 28, 2025

मदरसा अनुदानों में अनियमितताओं पर प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग.


दिनांक:
28 अप्रैल 2025
स्थान: लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 


उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के अनुदान प्रबंधन में गंभीर अनियमितताओं को लेकर भारत के प्रमुख पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार एवं कानूनी अधिकारों के कार्यकर्ता  संजय शर्मा ने एक व्यापक शिकायत पत्र भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च पदाधिकारियों को प्रेषित की है.

 


यह शिकायत पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव को भेजा गया है. शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में संचालित 558 सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के प्रबंधन की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं.

 

शर्मा ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास इन मदरसों के प्रबंधकों की सूची उपलब्ध नहीं है, जो कि प्रशासनिक स्तर पर घोर लापरवाही को दर्शाता है और यह सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 ( आरटीआई ) का भी खुला उल्लंघन भी है.

 

उनका कहना है कि मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदानों का दस्तावेजी और नियामकीय पालन न होना, गैर-योग्य स्टाफ की नियुक्ति, तथा पाठ्यक्रमों का असंगठित संचालन न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का संकेत देता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है.

 

संजय की प्रमुख मांगें हैं कि मदरसा अनुदानों के प्रबंधन की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए,अनुदान वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही के सख्त उपाय लागू किए जाएं,सभी मदरसों के प्रबंधकों का सत्यापन और पृष्ठभूमि जांच सुनिश्चित की जाए,दोषी अधिकारियों और संस्थानों के विरुद्ध प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही हो.

 

संजय शर्मा, जो लंबे समय से जनता के अधिकारों की रक्षा में सक्रिय हैं, का मानना है कि "शिक्षा और सुरक्षा के सवाल पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.यह सिर्फ प्रशासनिक विषय नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही और राष्ट्रहित का मुद्दा है."

 

उनकी यह पहल लोकतंत्र में नागरिक चेतना और सक्रियता का एक प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करती है.देशभर में उनके प्रयास को नागरिक समाज एवं मानवाधिकार संगठनों से समर्थन मिल रहा है.

 

संजय शर्मा से मोबाइल/व्हाट्सऐप नंबर 8004560000, 9454461111, 7991479999 पर और
ईमेल sanjaysharmalko@gmail.com , sukaylegal@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है.

 

Saturday, April 5, 2025

गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आलोक रंजन, दीपक सिंघल और शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ अभी भी चल रही है ED और CBI की जांच : प्रधानमंत्री को भेजी गई शिकायत पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की रिपोर्ट ने योगी,मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर उठाए गंभीर सवाल.

 




लखनऊ/शनिवार, 05-04-2025 .......................

गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में हो रही देरी पर सवाल उठाते हुए लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार और कानूनी अधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर यह आरोप लगाया गया है कि इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच जारी है, लेकिन अब तक किसी भी व्यक्ति के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई है.

 


गोमती रिवरफ्रंट परियोजना, जो लखनऊ में गोमती नदी के किनारे विकास कार्य के लिए 1,500 करोड़ की लागत से शुरू की गई थी, में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का आरोप है. बावजूद इसके, जिन अधिकारियों का नाम इसमें लिया गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया अब तक अधूरी रही है. इन अधिकारियों में प्रमुख रूप से आलोक रंजन (पूर्व मुख्य सचिव), दीपक सिंघल (पूर्व सिंचाई सचिव), और शिवपाल सिंह यादव ( पूर्व सिंचाई मंत्री ) का नाम शामिल है.

 


संजय शर्मा का आरोप है कि इस घोटाले के तहत लगभग 1,435 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन परियोजना का केवल 60% ही काम पूरा हुआ. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इस मामले में शीघ्र और निर्णायक कार्रवाई की जाए, ताकि न केवल दोषियों को सजा मिले बल्कि लोगों का केंद्र और राज्य सरकार में विश्वास भी बरकरार रहे.

 


उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ED और CBI दोनों ही एजेंसियां अभी भी मामले की जांच कर रही हैं, लेकिन जांच की कोई निश्चित समयसीमा या निष्कर्ष कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक सामने नहीं आया है. संजय शर्मा ने यह भी सवाल उठाया है कि दोनों, केंद्र और राज्य सरकारों की भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टॉलरेंस" नीति की सच्चाई क्या है, यदि ऐसे गंभीर मामलों में भी कार्रवाई में देश के एक प्रूडेंट  नागरिक की समझ से परे देरी की जा रही है.

 


उन्होंने आगे कहा कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है.उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि या तो इस मामले में शामिल व्यक्तियों को निर्दोष घोषित किया जाए या फिर उन्हें सजा दिलवाने के लिए कोर्ट में पेश किया जाए. संजय शर्मा का कहना है कि यह मुद्दा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की सार्वजनिक धन की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से जुड़ा हुआ है.

 


संजय शर्मा ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में विभागीय कार्रवाई और जांच का निष्कर्ष जनता के सामने लाया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने वालों को कठोर सजा मिले. उनका यह भी कहना था कि, "अगर यह मामला जल्दी न सुलझाया गया, तो यह लोकतंत्र, न्यायपालिका और कार्यपालिका की निष्पक्षता पर अति गंभीर सवाल उठाएगा."

 

अब यह देखना बाकी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या केंद्र और राज्य सरकारें अपनी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को सही मायने में लागू करती हैं.

 

संजय शर्मा का संपर्क विवरण Mobiles 8004560000, 9454461111, 7991479999 Email sanjaysharmalko@icloud.com है.

 

 

संजय शर्मा: एक सत्य के लिए संघर्ष करने वाले नायक

 

संजय शर्मा, जो लखनऊ के एक प्रसिद्ध मानवाधिकार और कानूनी अधिकार कार्यकर्ता हैं, भारतीय समाज में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने सदैव पारदर्शिता, न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उनकी स्पष्टता और निष्पक्षता ने उन्हें केवल एक संघर्षशील कार्यकर्ता के रूप में नहीं, बल्कि एक आदर्श नेतृत्वकर्ता के रूप में भी स्थापित किया है।

 

संजय शर्मा ने हमेशा सरकारों और संस्थाओं से पारदर्शिता की उम्मीद जताई है और उनका जीवन इस सिद्धांत पर आधारित है कि समाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना हमारी जिम्मेदारी है। चाहे वह गोमती रिवरफ्रंट घोटाले का मामला हो या अन्य किसी अन्याय के खिलाफ उनका संघर्ष, उन्होंने हमेशा उन शक्तियों से मुकाबला किया है जो समाज की बेहतरी की दिशा में रुकावट डालती हैं।

 

संजय शर्मा का यह विश्वास है कि 'न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है', और इसी विश्वास के साथ उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। उनका कार्य न केवल कानून के दायरे में, बल्कि समाज में उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरा है, जो अपनी आवाज उठाने से डरते हैं। उनकी निडरता और साहस ने यह सिद्ध कर दिया है कि सत्य की राह पर चलने वाले लोग कभी अकेले नहीं होते, उनका समर्थन समाज और कानून दोनों से होता है।

 

उनके प्रयासों ने हमें यह समझने में मदद की है कि एक व्यक्ति भी बड़े बदलाव का कारण बन सकता है, बशर्ते वह सच्चाई की ओर नतमस्तक होकर संघर्ष करे। संजय शर्मा का जीवन इस बात का प्रतीक है कि किसी भी नीति या परियोजना में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार को पहचानने और उन्हें उजागर करने का साहस हर एक नागरिक में होना चाहिए।

 

संजय शर्मा का कार्य निश्चित रूप से समाज के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि कोई कार्यकर्ता अपने उद्देश्य में दृढ़ नायक हो, तो वह न केवल भ्रष्टाचार को खत्म कर सकता है, बल्कि न्याय की स्थापना भी कर सकता है। उनका यह संघर्ष न केवल देश की भ्रष्टाचार विरोधी नीति को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि न्याय की दिशा में उठाए गए हर कदम का महत्व होता है।

 

संजय शर्मा के कार्यों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह भारतीय समाज के एक महान नायक हैं, जो न केवल न्याय की प्रतीक हैं, बल्कि एक सशक्त आवाज हैं, जो समाज के हर वर्ग को समान अवसर और निष्पक्षता का अधिकार दिलाने के लिए निरंतर संघर्षरत हैं।

 







Monday, December 11, 2023

यूपी : 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने;आवास,सचिवालय-लोकभवन-विधानसभा प्रवेश पास,यात्रा,इलाज जैसी सरकारी सुविधाएं बापस लेने की सीएम योगी से मांग.

 लखनऊ/सोमवार,11 दिसम्बर 2023 ....................

मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधीक्षक ( अपराध ) उत्तर प्रदेश संतोष कुमार मिश्रा द्वारा प्रमुख सचिव विधान सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ को संबोधित एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मानवाधिकार उत्तर प्रदेश को पृष्ठांकित कर प्रेषित किये गए पत्र संख्या पत्रांक : डीजी – सात – एस – 4 – नियम – 51(09) / 2023 दिनांक 09 अगस्त, 2023 को आधार बनाकर राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा ने यूपी के  812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने;आवास,सचिवालय-लोकभवन-विधानसभा प्रवेश पास,यात्रा,इलाज जैसी सरकारी सुविधाएं बापस लेने की मांग सीएम योगी को पत्र लिखकर की है.

 


बताते चलें कि मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के इस पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से 2022 तक कुल 812 पत्रकारों के खिलाफ 612 अभियोग पंजीकृत हुए हैं, जिसमें 211 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है  तथा   5 पत्रकार अभी जेल में बंद हैं.

 

बकौल संजय उनको भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल फ़ोन हेल्पलाइन 7991479999 पर कुछ पत्रकारों ने ही बताया है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के इन 812 दागी पत्रकारों में से कई के सम्बन्ध में एल.आई.यू. विभाग ने कतिपय कारणों से आपराधिक मामलों को छुपाकर रिपोर्ट दी हैं जिसके आधार पर कई पत्रकारों को उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा सरकारी मान्यता प्रदान कर दी गई है, परिवहन विभाग द्वारा फ्री बस की सुविधा दी जा रही है ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा फ्री इलाज की सुविधा दी जा रही है,राज्य संपत्ति विभाग द्वारा सरकारी आवास आबंटित हैं ,सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा सचिवालय स्थाई प्रवेश पास और स्थाई वाहन पास निर्गत हैं,विधान सभा सचिवालय द्वारा स्थाई पास निर्गत हैं और लोकभवन तक के स्थाई प्रवेश पास  निर्गत हैं जिसके कारण सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग तो हो ही रहा है साथ ही गैर आपराधिक पृष्ठभूमि के अर्थात स्वच्छ छवि के पत्रकारों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है.  

 

संजय ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि इस प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि के पत्रकारों के लोकभवन,सचिवालय और विधानसभा के स्थाई सरकारी प्रवेश पास और वाहन पास से निर्बाध प्रवेश से इन अति महत्वपूर्ण और प्रदेश की सर्वोच्च संस्थाओं के भवनों की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है जिसके सम्बन्ध में गहन जांच और कड़ी कार्यवाही शीघ्रता से किया जाना समय की मांग है.

 

संजय ने बताया कि सुशासन के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान बना रहे योगी आदित्यनाथ  आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर जनहित और पत्रकार हित के इस मामले में प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से अवश्य ही करायेंगे.

 

सेवा में,

माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश

लखनऊ cmup@nic.in

 

विषय : आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से कराने की मांग विषयक l

 

महोदय,  

कृपया मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधीक्षक ( अपराध ) उत्तर प्रदेश श्री संतोष कुमार मिश्रा द्वारा प्रमुख सचिव विधान सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ को संबोधित एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मानवाधिकार उत्तर प्रदेश को पृष्ठांकित कर प्रेषित किये गए पत्र संख्या पत्रांक : डीजी – सात – एस – 4 – नियम – 51(09) / 2023 दिनांक 09 अगस्त, 2023 ( प्रति शिकायत के साथ संलग्न है ), के सन्दर्भ से अवगत कराना है कि मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के इस पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से 2022 तक कुल 812 पत्रकारों के खिलाफ 612 अभियोग पंजीकृत हुए हैं, जिसमें 211 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है  तथा   5 पत्रकार अभी जेल में बंद हैं l

 

मुझे भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल फ़ोन हेल्पलाइन
7991479999 पर बताया गया है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के इन 812 दागी पत्रकारों में से कई के सम्बन्ध में एल.आई.यू. विभाग ने कतिपय कारणों से आपराधिक मामलों को छुपाकर रिपोर्ट दी हैं जिसके आधार पर कई पत्रकारों को उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा सरकारी मान्यता प्रदान कर दी गई है, परिवहन विभाग द्वारा फ्री बस की सुविधा दी जा रही है ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा फ्री इलाज की सुविधा दी जा रही है,राज्य संपत्ति विभाग द्वारा सरकारी आवास आबंटित हैं ,सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा सचिवालय प्रवेश पास और वाहन पास निर्गत हैं,विधान सभा सचिवालय द्वारा पास निर्गत हैं जिसके कारण सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग तो हो ही रहा है साथ ही गैर आपराधिक पृष्ठभूमि के अर्थात स्वच्छ छवि के पत्रकारों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है l यही नहीं, इस प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि के पत्रकारों के लोकभवन,सचिवालय और विधानसभा के स्थाई सरकारी प्रवेश पास और वाहन पास से निर्बाध प्रवेश से इन अति महत्वपूर्ण और प्रदेश की सर्वोच्च संस्थाओं के भवनों की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है जिसके सम्बन्ध में गहन जांच और कड़ी कार्यवाही शीघ्रता से किया जाना समय की मांग है l

 

अस्तु आपसे अनुरोध है कि आपराधिक मामलों के अभियुक्त उत्तर प्रदेश के 812 दागी पत्रकारों की सरकारी मान्यता समाप्त कराने, आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में मान्यता का नवीनीकरण नहीं होने देने, इन पत्रकारों को मिल रही समस्त प्रकार की सरकारी सुविधाओं को तत्काल रोककर आपराधिक मामला लंबित रहने तक भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा अनुमन्य नहीं होने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के एल.आई.यू. विभाग,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सचिवालय प्रशासन विभाग,विधान सभा सचिवालय, लोक भवन सचिवालय, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,राज्य संपत्ति विभाग समेत अन्य सम्बंधित विभागों को तत्काल निर्देशित कर प्रभावी कार्यवाही शीघ्रता से कराने की कृपा करें l

 

भवदीय

( इं. संजय शर्मा )
कंसलटेंट
राष्ट्रीय अध्यक्ष
ट्रांसपेरेंसी एकाउंटेबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव फॉर रेवोलुशन ( पंजीकृत सामाजिक संस्था )
मोबाइल 9565247365,9454461111,7991479999
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पत्राचार का पता
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