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Saturday, March 4, 2017

यूपी : आखिर एक्टिविस्ट ने ही क्यों कर डाली सूचना आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने की मांग ?


Lucknow/04-03-17
अब तक सभी आरटीआई एक्टिविस्ट किसी भी संस्था या क्षेत्र को पारदर्शिता के कानून या सूचना के अधिकार की परिधि में लाने की वकालत करते दिखाई दिए हैं पर यूपी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें सूबे के जाने-माने आरटीआई विशेषज्ञ और एक्टिविस्ट इंजीनियर संजय शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को पत्र लिखकर यूपी के सूचना आयोग को आरटीआई की परिधि से बाहर करने की मांग कर डाली  है l जब आप संजय द्वारा उठाई गई इस अप्रत्याशित मांग को उठाने के कारण  के बारे में जानेंगे तो आप दांतों तले  उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे क्योंकि संजय ने यह मांग यूपी के सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी तेजस्कर पांडेय, प्रथम अपीलीय अधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह और मुख्य सूचना आयुक्त के धुर आरटीआई विरोधी रवैये के चलते मजबूरी में उठाई है l

मामला दरअसल ये है कि  एक्टिविस्ट संजय ने सूचना आयोग और सूचना आयुक्तों के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में सूचना पाने के लिए सूचना आयोग में 8 आरटीआई आवेदन दिए थे l हालाँकि आरटीआई एक्ट की धारा 7 (1 ) के अनुसार 30 दिनों में सूचना दिया जाना अनिवार्य है पर तेजस्कर पांडेय ने  इन 8 में से किसी  भी  आरटीआई आवेदन पर 30 दिनों में कोई भी सूचना नहीं दी और संजय ने आरटीआई एक्ट की  धारा  18  का प्रयोग कर शिकायतों को आयोग पंहुँचा  दिया l बकौल संजय आयोग इन मामलों में सुनवाई तो कई हुईं  है पर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया है l

इन 8 आरटीआई आवेदनों पर संजय द्वारा आयोग में की गई प्रथम अपीलों को प्रथम अपीलीय अधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह में ठन्डे बास्ते में डाल  दिया और इन पर आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है l प्रथम अपीलों पर राघवेंद्र विक्रम सिंह द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर संजय ने आयोग में द्वितीय अपीलें कीं हैं जिन पर  सुनवाई तो कई हुईं  है पर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया है l बकौल संजय 6  महीने से अधिक समय बीत जाने पर भी जन सूचना अधिकारी ने इन 8 में से 5 अपीलों के सम्बन्ध में आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है और 3 मामलों में द्वितीय अपील दायर करने के बाद आरटीआई आवेदन के उत्तर भेजे हैं जिनके सम्बन्ध में उनके  द्वारा प्रेषित आपत्तियां आज तक जन सूचना अधिकारी के स्तर पर निस्तारण के लिए लंबित हैं l

बकौल संजय पूरे सूबे की सूचना दिलाने के लिए बने सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने वाले जन सूचना अधिकारी पर कोई कार्यवाही न होने के इस मामले से खुद-ब-खुद सामने आ रहा है की जावेद उस्मानी ने यूपी में आरटीआई की लुटिया डुबोने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है l


अपने पत्र में संजय ने लिखा है "मेरे द्वारा मांगीं गई सूचनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार तथा सूचना आयुक्तों से सम्बंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से सम्बंधित हैं l ऐसे में आयोग के तीनों स्तरों क्रमशः जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी और मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर मूर्ख बनने का नाटक करके सूचनाओं को सार्वजनिक करने में देरी की जा रही है और इस प्रकार मेरे संवैधानिक/नागरिक/मानव अधिकारों का हनन तो किया ही जा रहा है साथ ही साथ यह आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन भी है l"

संजय ने बताया कि जब आयोग को कोई सूचना देनी ही नहीं है तो फिर क्यों न इस बेबजह की ड्रामेवाजी  को समाप्त कराया जाये और  आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर कराने की मुहिम  चलाई जाए ताकि उन जैसे जागरूक नागरिक बेबजह सूचना मांगकर अपना समय और धन नष्ट न करें तथा  आयोग और आयुक्तों को भी  खुलकर भ्रष्टाचार करने की छूट  विधिक रूप से मिल जाए l

संजय ने बताया कि जावेद उस्मानी  ने एक्ट की धारा 15(4) में कई तुगलकी आदेश जारी कर एक्ट को कमजोर करने की साजिश की है तो उन्होंने सोचा कि क्यों न जावेद उस्मानी को  पत्र लिखकर उनको एक और तुगलकी आदेश जारी करने की गुहार लगाईं जाए और इसीलिये उन्होंने उस्मानी को पत्र लिखकर आयोग को ही आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश  जारी करके आयोग द्वारा किया जा रहा उनका उत्पीडन समाप्त कराने का अनुरोध किया है l

बकौल संजय वे अनियमितता दिखने पर  सूचना मांगने की अपनी आदत से मजबूर हैं और आयोग भ्रष्टाचार छुपाने के लिए सूचना न देने की आदत से मजबूर है l

संजय के अनुसार जब तक आयोग आरटीआई एक्ट की परिधि में रहेगा वे सूचना मांगते रहेंगे और सूचना आयोग के हाथों उत्पीड़ित होते रहेंगे इसीलिये उन्होंने आयोग को ही आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश  जारी करने का अनुरोध किया है ताकि सारा बखेड़ा ही ख़त्म हो जाए l

संजय द्वारा भेजा  गया पत्र निम्नानुसार है :
सुनवाई कक्ष संख्या S1 - सुनवाई की तिथि 06-03-2017
सेवा में,                                                                                                                            
श्री जावेद उस्मानी - मुख्य सूचना आयुक्त
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन
गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016   

विषय : संजय शर्मा बनाम जन सूचना अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग से सम्बंधित 8 शिकायतों एवं 8 अपीलों ( कुल 16 प्रकरणों ) की दिनांक 06-03-17 की सुनवाई के रिकॉर्ड में लेने के लिए पत्र का प्रेषण  l
महोदय,
आपके संज्ञानार्थ सादर अवगत कराते हुए अनुरोध है कि :
1- दिनांक 06-03-17 को  सूचीबद्ध 16 प्रकरणों के सम्बन्ध में महोदय को एवं जन सूचना अधिकारी को पृथक-पृथक संबोधित करते हुए प्रकरण-वार आपत्ति विषयक पत्र  दिनांक 10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को आयोग के प्राप्ति पटल पर प्राप्त कराये जा चुके हैं जिन के सम्बन्ध में मुझे आज तक जन सूचना अधिकारी का कोई भी पत्र नहीं मिला है l कृपया दिनांक 10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को प्रेषित आपत्तियों का संज्ञान लेकर सुनवाई करें l
2- दिनांक 06-03-17 को  सूचीबद्ध मामलों में से अधिकतर मामले पूर्व में भी आयोग में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थे किन्तु आप द्वारा इन मामलों की पूर्व की इन सुनवाइयों के समय इन प्रकरणों में गुण-दोष के आधार पर सूचना देने या न देने के सम्बन्ध में अपना अभिमत स्थिर कर जन सूचना अधिकारी को कोई निर्देश नहीं दिये गये जिसके कारण न केवल आयोग के समय का दुरुपयोग हुआ है अपितु मुझे सूचना दिलाने में नाहक ही बिलम्ब भी हुआ है और अधिनियम की मूल मंशा के खिलाफ काम हुआ है l   
3- उपरोक्त 16 प्रकरणों को जन सूचना अधिकारी के इस निवेदन पर एक साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है कि सुनवाई में कार्यालय के समय का सदुपयोग हो सके जबकि उपरोक्त 16 प्रकरणों में से जो आठ शिकायतें हैं वे आठ की आठों शिकायतें महज इसलिए करनी पडीं हैं क्योंकि जन सूचना अधिकारी ने इन सभी शिकायतों से सम्बंधित  आरटीआई आवेदनों पर 30 दिनों में कोई भी सूचना नहीं दी है l अवशेष 8 द्वितीय अपीलें इस कारण करनी पडीं हैं कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने किसी भी प्रथम अपील की सुनवाई नहीं की है और जन सूचना अधिकारी ने इन 8 में से 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है और 3 मामलों में द्वितीय अपील दायर करने के बाद आरटीआई आवेदन के उत्तर भेजे हैं जिनके सम्बन्ध में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां आज तक जन सूचना अधिकारी के स्तर पर निस्तारण के लिए लंबित हैं l उपरोक्त से स्पष्ट है कि आयोग के जन सूचना अधिकारी एक दोगली कार्यपद्धति के तहत कार्य करके न केवल आयोग का कीमती समय नष्ट करने के अपितु आयोग में आप की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के दोषी हैं  जिसके लिए इनको धारा 20(1) और 20(2) के तहत दण्डित किया जाना अनिवार्य है l
4- उपरोक्त 16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 18 की शिकायतों के हैं उन में मैंने सूचना प्राप्त करने की  नहीं अपितु 30 दिन से अधिक की प्रत्येक दिन की देरी के लिए जन सूचना अधिकारी को @250/- प्रतिदिन की दर से दण्डित करने की मांग की है l जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में सूचना देने में 30 दिन से अधिक की प्रत्येक दिन की देरी के लिए स्पष्टीकरण तलब कर जन सूचना अधिकारी को धारा 20(1) के तहत दण्डित किया जाए l
5- उपरोक्त 16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 19(3) की अपीलों के हैं उनमें आयोग के प्रथम अपीलीय अधिकारी को अधिनियम की धारा 19(6) के तहत लेखबद्ध किये गये कारणों के साथ आयोग के समक्ष तलब किया जाए और जन सूचना अधिकारी को उन 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर, जिन पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है, बिन्दुवार सूचना निःशुल्क देने के लिए और अवशेष 3 मामलों में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां का बिन्दुवार निराकरण कर सूचना निःशुल्क देने के लिए निर्देशित करने के साथ साथ आयोग में आप की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के लिए  जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में स्पष्टीकरण तलब कर उसे धारा 20(2) के तहत दण्डित किया जाए l
6- सुनवाई में  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा Sanjay Hindwan vs. State Information Commission and others, CWP No.640 of 2012-D, decided on 24.08.2012 के आदेश और HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANA AT CHANDIGARH द्वारा CWP No.17758 of 2014 Smt. Chander Kanta ...Petitioner Versus The State Information Commission and others ...Respondents के सम्बन्ध में पारित आदेश दिनांक 19.05.2016 का संज्ञान लेकर जनसूचना अधिकारी को 30 दिन के अधिक की अवधि की प्रत्येक दिन की देरी के लिए एक्ट की धारा 20 के तहत दण्डित किया जाए l
7- मेरे द्वारा मांगीं गई सूचनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार तथा सूचना आयुक्तों से सम्बंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से सम्बंधित हैं l ऐसे में आयोग के तीनों स्तरों क्रमशः जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी और मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर मूर्ख बनने का नाटक करके सूचनाओं को सार्वजनिक करने में देरी की जा रही है और इस प्रकार मेरे संवैधानिक/नागरिक/मानव अधिकारों का हनन तो किया ही जा रहा है साथ ही साथ यह आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन भी है l  कृपया या तो आयोग से सम्बंधित उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015 के प्रारूप 3 को आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित कर प्रति सप्ताह अपडेट कराने के लिए या फिर आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश एक्ट की धारा 15(4) में जारी कर आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन समाप्त कराने का कष्ट करें l

प्रतिलिपि : श्री तेजस्कर पाण्डेय,उप सचिव एवं जन सूचना अधिकारी, राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन,गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016  को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित l

भवदीय,   

( संजय शर्मा )
102, नारायण टॉवर, ईदगाह के सामने,ऍफ़ ब्लाक

राजाजीपुरम ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत,पिन कोड – 226017    ई –मेल पता :   tahririndia@gmail.com      मोबाइल :  7318554721                                                                        

Thursday, November 17, 2016

UP : सूचना आयोग के नाकारा जनसूचना अधिकारी तेजस्कर पाण्डेय को हटाने की मांग




प्रकरणसंख्या एस 1/1046/A/2016 अगली सुनवाई तिथि 20-01-2017
सेवा में,
जावेद उस्मानी  मुख्य सूचना आयुक्त  
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग, आरटीआई भवन
विभूति खंड,गोमतीनगर,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत, पिन कोड-226016

विषय :  प्रकरण  संख्या एस 1/1046/A/2016 के सम्बन्ध में जन सूचना अधिकारी के पत्र संख्या 2913/रा.सू../2016 दिनांक 28-10-16 द्वारा दी गयी सूचना के सम्बन्ध में आपत्तियों का प्रेषण l

महोदय,
       कृपया उपरोक्त विषयक बिन्दुवार आपत्तियां निम्नवत है :
1- जनसूचना अधिकारी ने 30 दिन की निर्धारित अवधि में कोई भी सूचना नहीं दी है अतः 6 माह बाद सूचना देने के कारण जनसूचना अधिकारी आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत दंड के पात्र हैं l तेजस्कर पाण्डेय आयोग की अपील/शिकायत का नोटिस मिलने पर ही  आरटीआई आवेदन को पहली बार छूता है और अपनी कपोल्काल्पनाओं के आधार पर सूचना देता है अतः इस कामचोर और नाकारा कार्मिक तेजस्कर पाण्डेय को अधिनियम के तहत दण्डित करें और इसे हटाकर किसी कर्मठ कार्मिक को जनसूचना अधिकारी बनाएं l
2- जनसूचना अधिकारी ने कपोलकल्पित आधार का सहारा लेकर बिंदु संख्या 1,2,4 और 5 की सूचना  देने के मार्ग में कृत्रिम अवरोध उत्पन्न किया है l माँगी गयी सूचना के अवलोकन से स्पष्ट है कि मैंने अभिलेखों की मांग की है और जनसूचना अधिकारी से उसके किसी भी निष्कर्ष की अपेक्षा नहीं की है l मेरे द्वारा माँगी गयी सूचनाएं सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान द्वारा दिए गए सार्वजनिक वक्तव्य से सम्बंधित अभिलेख हैं  जो आरटीआई एक्ट की धारा 2(के तहत सूचना की परिभाषा में आती हैआरटीआई एक्ट की धारा 2()(iv) के तहत अभिप्राप्त की जा सकती है,आरटीआई एक्ट की धारा 8 तथा/अथवा 9 के अंतर्गत प्रगटन से छूट प्राप्त सूचना की श्रेणी की सूचना भी नहीं है l सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान एक लोकसेवक हैं और एक लोकसेवक द्वारा दिए गए सार्वजनिक वक्तव्य से सम्बंधित अभिलेख आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करना आवश्यक है अतः इन बिन्दुओं की सूचना दिलाएं l यदि आवश्यक हो तो इन बिन्दुओं पर अधिनियम की धारा 5(4) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान से सहायता की मांग करायें या इन बिन्दुओं को अधिनियम की धारा 6(3) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान को अंतरित करायें l
3- जनसूचना अधिकारी ने कपोलकल्पित आधार का सहारा लेकर बिंदु संख्या 3 और 6 की सूचना  देने के मार्ग में कृत्रिम अवरोध उत्पन्न किया  है l माँगी गयी सूचना के अवलोकन से स्पष्ट है कि मैंने अभिलेखों की मांग की है और जनसूचना अधिकारी से सूचना आयुक्त के किसी भी निर्णय पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी की अपेक्षा कदापि नहीं की है l मेरे द्वारा माँगी गयी सूचनाएं सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान द्वारा दिए गए सार्वजनिक वक्तव्य से सम्बंधित अभिलेख हैं  जो आरटीआई एक्ट की धारा 2(के तहत सूचना की परिभाषा में आती हैआरटीआई एक्ट की धारा 2()(iv) के तहत अभिप्राप्त की जा सकती है,आरटीआई एक्ट की धारा 8 तथा/अथवा 9 के अंतर्गत प्रगटन से छूट प्राप्त सूचना की श्रेणी की सूचना भी नहीं है l सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान एक लोकसेवक हैं और एक लोकसेवक द्वारा दिए गए सार्वजनिक वक्तव्य से सम्बंधित अभिलेख आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करना आवश्यक है अतः इन बिन्दुओं की सूचना दिलाएं l यदि आवश्यक हो तो इन बिन्दुओं पर अधिनियम की धारा 5(4) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान से सहायता की मांग करायें या इन बिन्दुओं को अधिनियम की धारा 6(3) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान को अंतरित करायें l
4- जनसूचना अधिकारी ने अधिनियम की धारा 8 और 11 को समझे बिना और धारा 11 के उपबंधों का पूर्ण अनुपालन किये बिना ही इस आधार का सहारा लेकर बिंदु संख्या 7 और 8 की सूचना  देने के मार्ग में कृत्रिम अवरोध उत्पन्न किया  है l जनसूचना अधिकारी एक्ट को सम्यक रूप से समझने में असमर्थ है l जनसूचना अधिकारी ने यह भी नहीं बताया है कि हाफिज उस्मान और इसके परिवार की चल-अचल संपत्ति की सूचना धारा 8 की किस उपधारा के तहत प्रगटन से छूट प्राप्त श्रेणी की सूचना है  और अपनी कपोलकल्पना के आधार पर सूचना का प्रसार वाधित करने के दुरुद्देश्य से धारा 8 का सहारा लिया है जो अवैध है l आई..एसअधिकारियों और उनके परिवारों की चल अचल संपत्ति वेबलिंक http://ipr.ias.nic.in/StartIPR1.htm और http://ipr.ias.nic.in/IndexIPR.asp   पर सार्वजनिक है अतः हाफिज उस्मान और उनके परिवारों की चल अचल संपत्ति की सूचना सार्वजनिक किये जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है l जनसूचना अधिकारी ने अधिनियम की धारा 11(1) के तहत हाफिज उस्मान से निवेदन प्राप्त नहीं किया है और अपनी कपोलकल्पना के आधार पर सूचना का प्रसार वाधित करने के दुरुद्देश्य से धारा 11 का सहारा लिया है जो अवैध है l माँगी गयी सूचना के अवलोकन से स्पष्ट है कि मैंने अभिलेखों की मांग की है जो आरटीआई एक्ट की धारा 2(के तहत सूचना की परिभाषा में आती हैआरटीआई एक्ट की धारा 2()(iv) के तहत अभिप्राप्त की जा सकती है,आरटीआई एक्ट की धारा 8 तथा/अथवा 9 के अंतर्गत प्रगटन से छूट प्राप्त सूचना की श्रेणी की सूचना भी नहीं है l सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान एक लोकसेवक हैं और एक लोकसेवक और उसके परिवार की चल अचल संपत्ति से सम्बंधित अभिलेख आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करना आवश्यक है अतः इन बिन्दुओं की सूचना दिलाएं l यदि आवश्यक हो तो इन बिन्दुओं पर अधिनियम की धारा 5(4) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान से सहायता की मांग करायें या इन बिन्दुओं को अधिनियम की धारा 6(3) के तहत लोकसेवक हाफिज उस्मान को अंतरित करायें l

कृपया उपरोक्त आपत्तियों का संज्ञान लेकर आपातियाँ दूर करा कर सभी बिन्दुओं की पूर्ण सूचना प्रदान कराते हुए जनसूचना अधिकारी को दण्डित करें l 

दिनांक     : 15-11- 2016

प्रतिलिपि:तेजस्कर पाण्डेय,जनसूचना अधिकारी/उपसचिव,उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग,कक्ष संख्या 412, आरटीआई भवन,विभूति खंड,गोमतीनगर,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत, पिन कोड-226016 को उपरोक्त आपत्तियों का संज्ञान लेकर आपातियाँ दूर कर सूचना प्रदान करने हेतु प्रेषित l

भवदीय 


संजय शर्मा ) 
102नारायण टॉवरईदगाह के सामने,ऍफ़ ब्लाक
राजाजीपुरम ,लखनऊउत्तर प्रदेशभारत,पिन कोड – 226017  
मोबाइल नंबर : 7318554721