Showing posts with label namami. Show all posts
Showing posts with label namami. Show all posts

Monday, August 1, 2016

पीएम मोदी भूले गंगा से किये वादे ! : ऐश्वर्या की RTI से उजागर हुई ‘नमामि गंगे’ पर ‘मोदी सरकार’ की सुस्ती.







विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की राजाजीपुरम शाखा की कक्षा 10 की छात्रा और ‘आरटीआई गर्ल’ के नाम से विख्यात 14 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर की एक आरटीआई पर भारत सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा दिए गए जबाब को देखकर लगता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी चुनाव से पूर्व गंगा नदी की सफाई पर किये गए अपने बड़े बड़े वादों को शायद भूल गए हैं और गंगा नदी की साफ-सफाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की बहुप्रचारित नमामि गंगे योजना महज फाइलों, सरकारी विज्ञापनों, राजनैतिक आयोजनों और राजनैतिक बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गयी है.



Lucknow/02 August 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR


लगभग सवा दो साल पहले भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार  बनाए गए नरेन्द्र मोदी ने उत्तरप्रदेश की  बनारस लोकसभा सीट से नामांकन भरने के पहले सार्वजनिक रूप से कहा था पहले मुझे लगा था मैं यहां आया, या फिर मुझे पार्टी ने यहां भेजा है, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं मां गंगा की गोद में लौटा हूं. तब मोदी  ने सार्वजनिक रूप से भावुक होते हुए कहा था न तो मैं आया हूं और न ही मुझे भेजा गया है.दरअसल, मुझे तो मां गंगा ने यहां बुलाया है.यहां आकर मैं वैसी ही अनुभूति कर रहा हूं, जैसे एक बालक अपनी मां की गोद में करता है. मोदी ने उस समय यह भी कहा था कि वे गंगा को साबरमती से भी बेहतर बनाएंगे. पर अब लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की राजाजीपुरम शाखा की कक्षा 10 की छात्रा और ‘आरटीआई गर्ल’ के नाम से विख्यात 14 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर की एक आरटीआई पर भारत सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा दिए गए जबाब को देखकर लगता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी चुनाव से पूर्व गंगा नदी की सफाई पर किये गए अपने बड़े बड़े वादों को शायद भूल गए हैं और गंगा नदी की साफ-सफाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की बहुप्रचारित नमामि गंगे योजना महज फाइलों, सरकारी विज्ञापनों, राजनैतिक आयोजनों और राजनैतिक बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गयी है.



दरअसल ऐश्वर्या ने बीते 09 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर नमामि गंगे योजना पर केंद्र सरकार द्वारा किये गए खर्चों, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठकों और गंगा के प्रदूषण  को रोकने के सम्बन्ध में 7 बिन्दुओं पर जानकारी चाही थी. प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव और केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी सुब्रतो हाजरा ने बीते 6 जून को ऐश्वर्या को सूचित किया कि नमामि गंगे योजना से सम्बंधित कोई भी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय में नहीं है और ऐश्वर्या की अर्जी अधिनियम की धारा 6(3) के अंतर्गत भारत सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को अंतरित कर दी. जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अवर सचिव एवं जन सूचना अधिकारी के. के. सपरा ने बीते 4 जुलाई के पत्र के माध्यम से ऐश्वर्या को जो सूचना दी है वह अत्यधिक चौंकाने वाली है और नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वास्तव में गंभीर होने पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रही है. ऐश्वर्या को दी गयी सूचना  के अनुसार सरकार बनाने के बाद से अब तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गंगा की साफ-सफाई के लिए निर्धारित बजटीय आबंटन में कटौती तो की ही है साथ ही साथ सरकार आबंटित बजट की धनराशि को खर्च करने में भी विफल रही है.



सपरा ने ऐश्वर्या को बताया है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए 2137 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किया गया था जिसमें 84 करोड़ की कटौती कर संशोधित आबंटन 2053 करोड़ किया गया किन्तु सरकार इस वित्तीय वर्ष में महज 326 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई तो वहीं वित्तीय वर्ष 2015-16 में इस अभियान के लिए 2750 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित था जिसमें 1100 करोड़ की भारीभरकम कटौती कर संशोधित आबंटन 1650 करोड़ किया गया किन्तु सरकार इस वित्तीय वर्ष में भी 1632 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई. इस प्रकार केंद्र सरकार वितीय वर्ष 2014-15 में आबंटित धनराशि में से 1727 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाई और वितीय वर्ष 2015-16 में भी 1100 करोड़ की भारीभरकम कटौती के बाद किये गए संशोधित बजटीय आबंटन में से भी 18 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाई है.



ऐश्वर्या को देने के लिए 20 जून को तैयार की गई इस सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए 2500 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किया गया है पर इस आबंटन के सापेक्ष संशोधित आबंटन या बास्तविक खर्चों की कोई भी सूचना केंद्र सरकार के पास नहीं है.

  
ऐश्वर्या ने एक विशेष बातचीत में कहा कि हालाँकि माँ गंगा के आशीर्वाद ने नरेंद्र मोदी को न केवल बनारस से लोकसभा में पंहुचाया अपितु उनकी पार्टी को आशातीत सफलता का आशीर्वाद देते हुए मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पंहुचाया पर लगता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद हमारे प्रधानमंत्री गंगा मां से किये अपने वायदों को भूल गए हैं. गंगा साफ-सफाई पर बजटीय आबंटन के सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2014-15 में  महज 15% खर्च और वित्तीय वर्ष 2015-16 में भी मात्र 59% खर्च पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ऐश्वर्या ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए महज 2500 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किये जाने को गंगा साफ-सफाई पर अगले 5 वर्षों में 20000 करोड़ रुपये खर्च करने की मोदी सरकार की बीते साल 13 मई में की गयी घोषणा के आधार पर नाकाफी बताया.


ऐश्वर्या कहती हैं कि गंगा सफाई पर हुई बैठकों की सूचना के लिए मुझे वेबसाइट को देखने का निर्देश दिया गया था. ऐश्वर्या के अनुसार जब उन्होंने वेबसाइट को देखा तो उनको पता चला कि साल 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के गठन से अब तक इसकी 6 बैठकें हुईं हैं जिनमें से 3 बैठक क्रमशः दिनांक 05-10-2009, 01-11-2010 और 17-04-2012 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुईं और 3 बैठक क्रमशः दिनांक 27-10-2014, 26-03-2015 और 04-07-2016 को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में. ऐश्वर्या ने बताया कि इन बैठकों के कार्यवृत्तों को डाउनलोड कर देखने पर मालूम चला कि जहाँ एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने  कार्यकाल में हुई तीनों बैठकों की अध्यक्षता की तो वहीं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल में हुई 3 बैठकों में से एक मात्र  दिनांक 26-03-2015 की बैठक में ही उपस्थित रहे और बाकी 2 बैठकों की अध्यक्षता जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने की. ऐश्वर्या बताती हैं कि राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं और सामान्यतया इस प्राधिकरण की बैठकों की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा की जानी चाहिए किन्तु वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्राधिकरण की दिनांक 27-10-2014 और 04-07-2016 की बैठक में अनुपस्थिति से गंगा साफ-सफाई पर उनके  वास्तव  में गंभीर होने पर प्रश्नचिन्ह तो लग ही रहा है.




ऐश्वर्या ने बताया कि वे अपने ‘अंकल मोदी’ को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध करेंगी कि वे आगे से ‘नमामि गंगे’ योजना पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर गंगा को निर्धारित समयान्तर्गत साफ करायें और माँ गंगा से किये अपने सभी वादे पूरे करें. ऐश्वर्या को विश्वास है कि विश्व में भारत के नाम का डंका बजबाने वाले उसके ‘अंकल मोदी’ उसके पत्र का संज्ञान लेकर गंगा को साफ कराकर एक नई मिसाल कायम करने में कामयाब होंगे.

©TAHRIR
( This news item can be reproduced/used but only with specific mention of TAHRIR blog  )


Sanjay Sharma is a Lucknow based freelancer and President at TAHRIR. He can be contacted at associated.news.asia@gmail.com Mobile/Whatsapp No. 7318554721.

To download related documents ©TAHRIR ( These downloaded documents can be reproduced/used only with specific mention of this TAHRIR blog ), please click here http://tahriruploads.blogspot.in/2016/08/tahrir-feature-dated-02-08-16-documents.html

Monday, June 29, 2015

पीएम मोदी की 'नमामि गंगे' योजना - नाम बड़े पर दर्शन छोटे






गंगा साफ सफाई पर पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'नमामि गंगे' भी सुस्त : वित्तीय वर्ष 2015-16  में बात 4000 करोड़ की पर  पहली तिमाही में  धेला भी नहीं खर्चा : वित्तीय वर्ष 2014 -15 में  बात 6300 करोड़ की  पर मात्र 324 करोड़ 88 लाख रुपये खर्च


लगता है एक साल में ही गंगा की सफाई और संरक्षण से जुड़ी अन्य योजनाओं और कैबिनेट से हालिया मंजूर की गयी  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘नमामी गंगे पर सरकार आरम्भ से ही सुस्त  होती जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की राजाजीपुरम शाखा की कक्षा 9 की छात्रा और 'आरटीआई गर्ल' नाम से प्रसिद्ध ऐश्वर्या पाराशर द्वारा इस सम्बन्ध में दायर एक आरटीआई अर्जी पर भारत सरकार ने इस  बाल आरटीआई कार्यकर्ता को बताया है कि   वित्तीय वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में गंगा साफ-सफाई  पर एक धेला भी नहीं खर्चा  गया है।


ऐश्वर्या बताती है कि समाचार पत्रों में गंगा की सफाई और संरक्षण से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महत्वाकांक्षी योजना ‘नमामी गंगे को  केंद्रीय सरकार द्वारा  20 हजार करोड़ रूपए का बजट आवंटित किये जाने सम्बन्धी खबर पढ़ने के बाद उन्होंने बीते 26 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई दायर की थी। 


तीन बिन्दुओं की इस आरटीआई अर्जी के माध्यम से इस 'आरटीआई गर्ल' ने  वित्तीय वर्ष 2014 -15  और 2015-16  में गंगा नदी की साफ सफाई  पर खर्चे गए पैसे और इस सम्बन्ध में आयोजित बैठकों की सूचना माँगी थी। 


प्रधानमंत्री कार्यालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी और अवर सचिव बी. के. रॉय ने बीते  4 जून को ऐश्वर्या का आरटीआई आवेदन जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव को अंतरित कर दिया था।  जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के उप सचिव एल. बी. तुओलते ने इस सम्बन्ध में ऐश्वर्या को बीते 22 जून के एक पत्र के माध्यम से सूचना भेजी है।   


ऐश्वर्या को दी गयी सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014 -15 में भारत सरकार ने  गंगा नदी की साफ सफाई की नमामी गंगेयोजना  पर कुल 324 करोड़ 88 लाख रुपये खर्च किये थे।  इसमें से 90 करोड़ रुपये गैर वाह्य सहायतित परियोजनाओं पर और 324 करोड़ 88 लाख रुपये वाह्य सहायतित परियोजनाओं पर खर्चे गए। वित्तीय वर्ष 2014 -15 में  गंगा नदी की साफ सफाई  पर खर्चे गए कुल 324 करोड़ 88 लाख रुपयों में से 12 करोड़ 88 लाख रुपये सामान्य मद में और अवशेष 312 करोड़ रुपये कैपिटल एसेट्स पर खर्चे गए। 


एल. बी. तुओलते ने  ऐश्वर्या को यह भी बताया है कि भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में गंगा साफ-सफाई  पर एक पैसा  भी नहीं खर्चा है। 


ऐश्वर्या को दी गयी सूचना के की वेबसाइट लिंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014 -15 में गंगा  साफ सफाई पर दो बैठक दिनांक 27.10.2014 और 26.03.2015 को हुईं और वित्तीय वर्ष 2015-16 में गंगा  साफ सफाई पर अब तक  कोई बैठक नहीं हुई है। 


गौरतलब है कि  पिछले साल जुलाई में अपने पहले बजट में नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे  योजना को 6300 करोड़ से अधिक का बजट आवंटन करने की बात कही थी।  बीते मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक कैबिनेट  बैठक मेंनमामी गंगेयोजना  को मंजूरी दी गई थी।  इस योजना में  समन्वित प्रयासों से गंगा नदी को व्यापक तरीके से स्वच्छ और संरक्षित किये जाने की बात कही गयी थी यह भी कहा गया था कि गंगा नदी की सफाई और संरक्षण के लिए   पिछले तीन दशकों  में  खर्च किये गए धन में  चार गुना बढ़ोतरी करते हुए अगले पांच सालों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई थी सरकार ने बेहतर और सतत परिणाम हासिल करने के लिए नदी के किनारों पर रहने वाले लोगों को इस परियोजना में शामिल करने पर जोर दिए जाने की बात भी कही थी। 



ऐश्वर्या कहती हैं कि गंगा साफ सफाई पर पिछले वर्ष के 6300 करोड़ के वित्तीय आवंटन के विरुद्ध महज 325 करोड़ का खर्चा और वित्तीय वर्ष 2015 -16 में 20000 करोड़ की भारीभरकम रकम की बात करके पहली तिमाही में एक भी रुपये का खर्चा न किये जाने के कारण  वह दुःखी भी हैं और गंगा सफाई को लेकर चिंतित भी।


कक्षा 9 की यह जागरूक छात्रा कहती है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनता में सिविक सेंस की कमी,  उद्योगपतियों के निहित स्वार्थ और सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते गंगा आज  देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है जिसका प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित बताए गए प्रदूषण के स्तर से तीन हजार गुना अधिक है। 


ऐश्वर्या अब नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताएंगी  कि एक समय लन्दन की 'टेम्स' नदी भी ब्रिटेन की सर्वाधिक प्रदूषित  नदी थी पर आज वह ब्रिटेन की सर्वाधिक साफ नदियों में से एक है और देश के प्रधानमंत्री से 'गंगा' का  भी 'टेम्स' की तरह  तर्ज पर कायाकल्प करने के लिए बनायी गयी योजना के समुचित क्रियान्वयन और प्रबंधन का अनुरोध करेंगी।