Thursday, February 26, 2015

क्या जावेद उस्मानी उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में 'बिगड़ैल साँड़' की मानिंद व्यवहार कर रहे ‘मुलायम-समधी’ अरविंद सिंह बिष्ट और बिष्ट सरीखे अन्य सूचना आयुक्तों को नाथ पाएँगे ?



यध्यपि 'तहरीर' ने कतिपय टेक्निकल ग्राउंड्स पर जावेद उस्मानी की यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्ति का विरोध किया था जो अब भी कायम है और हमें इंतजार है इस मामले में उच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका के आदेश का तथापि जावेद उस्मानी की नियुक्ति के बाद से उनके अब तक के वक्तव्यों के आधार पर उनसे सकारात्मक बदलाव की आशा संचारित हो रही है पर हमारी यह आशा परिणामों में तब्दील होगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या जावेद उस्मानी में वह इच्छा शक्ति है जिसके बल पर वह उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में आरटीआई एक्ट को ताख पर रखकर  'बिगड़ैल साँड़' की मानिंद व्यवहार कर एक सूचनार्थी अशोक गोयल को झूंठे आरोप में फँसाकर जेल  भेज चुके,एक सूचनार्थी महेंद्र अग्रवाल पर नियम-प्रतिकूल 'अवमानना वाद' चला रहे और सुनवाई के लिए आयोग में आए एक सूचनार्थी  नीरज शर्मा को बिना किसी कारण के बदतमीजी करते हुए पुलिस के बल पर जबरदस्ती कस्टडी में बैठाने बाले ‘मुलायम-समधी’ अरविंद सिंह बिष्ट और बिष्ट सरीखे अन्य  सूचना आयुक्तों को नाथ कर यूपी में पटरी से उतर चुकी आरटीआई की रेल को वापस पटरी पर ला पाएँगे ?

19 फ़रवरी के टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उस्मानी ने जनसूचना  अधिकारी के स्तर पर ही सूचना दिया जाना सुनिश्चित करना,आरटीआई एक्ट के लिए तीन महीने में नियमावली बनाना,आयोग की वेबसाइट पर अपीलों की स्थिति और आदेशों को अपलोड कराना और जनसूचना  अधिकारियों कोट्रेनिंग दिलाने  की बात की थी जो स्वागतयोग्य  है तो वहीं आरटीआई आवेदन का प्रारूप निश्चित करना एक अधिनियम विरोधी और जन विरोधी कदम है जिसका विरोध किया जाएगा.

12/10/2014 को सूचना आयुक्तों को चुनौती देने के बाद हमने एक विस्तृत मांगपत्र आयोग को दिया था जिस पर कार्यवाही अब तक लंबित थी. हम जावेद उस्मानी को एक माह का समय देकर इनकी कार्यप्रणाली पर सूचनार्थियो से प्राप्त  फीडबैक  के आधार पर विस्तृत मांगपत्र बनाकर आरटीआई कार्यकर्ताओं के डेलिगेशन के साथ जावेद उस्मानी  से मिलने के पक्षधर थे पर हमें पता चला है कि उत्तर प्रदेश में घुटनों पर बैठकर अपना उल्लू सीधा करने की आदत बाले कुछ कथित आरटीआई एक्टिविस्ट  नवनियुक्त मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी से गुपचुप मिलकर  19 फ़रवरी के टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी उस्मानी की कार्य-योजना को ही अपनी माँगें बताकर उस्मानी के प्रत्यक्ष रूप से मक्खन पॉलिश लगा कर आरटीआई आंदोलन को कमजोर कर आए हैं. ऐसे में अब यह आवश्यक हो गया है कि पूरे सूबे के आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की समस्याओं का महत्तम समावेश करते हुए एक समग्र मांगपत्र जावेद उस्मानी से मिलकर उनको दिया जाए. इसके लिए आप सभी मित्रों से अपेक्षा है कि आप अपने सुझाव ई-मेल tahririndia@gmail.com पर भेजें और पारदर्शिता के इस औजार को मजबूती देने के हमारे प्रयास में सहभागी बनें.

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