Sunday, June 1, 2025

ऑनलाइन/ऑफलाइन शिकायत/मांग व्यवस्था और X(ट्विटर) में दुरुपयोग की रोकथाम, शिकायतकर्ता की घोषणा, प्रमाण, तथा सीमा निर्धारण हेतु विस्तृत नीति निर्माण का अनुरोध

 


सेवा में
,

माननीय नरेन्द्र मोदी जी

माननीय प्रधानमंत्री

नई दिल्ली

 

विषय: ऑनलाइन/ऑफलाइन शिकायत/मांग व्यवस्था और X(ट्विटर) में दुरुपयोग की रोकथाम, शिकायतकर्ता की घोषणा, प्रमाण, तथा सीमा निर्धारण हेतु विस्तृत नीति निर्माण का अनुरोध

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि वर्तमान में केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने के लिए CPGRAMS, विभागीय पोर्टल्स, IGRS,  सोशल मीडिया (विशेषकर X(ट्विटर)), तथा ऑफलाइन माध्यमों की सुविधा उपलब्ध है। इन व्यवस्थाओं का उद्देश्य पारदर्शी, त्वरित और जवाबदेह प्रशासन देना है। किंतु, हाल के वर्षों में इनका दुरुपयोग भी बढ़ा है, जिससे प्रशासनिक संसाधनों का दुरुपयोग, वास्तविक पीड़ितों के मामलों में देरी, तथा अनावश्यक विवाद उत्पन्न हो रहे हैं।

दुरुपयोग की प्रमुख समस्याएँ

  1. फर्जी, अप्रमाणित या व्यक्तिगत प्रतिशोधवश की गई शिकायतें: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णयों में स्पष्ट कहा है कि कानूनों का दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए नहीं होना चाहिए।
  2. एक ही शिकायत कई पोर्टलों पर, बार-बार दर्ज कराना: इससे प्रशासनिक बोझ बढ़ता है और शिकायतों की प्राथमिकता तय करना कठिन हो जाता है ।
  3. गुमनाम, फर्जी या पहचान छुपाकर की गई शिकायतें: इससे जांच में बाधा आती है और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो पाती।
  4. सोशल मीडिया, खासकर X(ट्विटर), का दुरुपयोग: कई बार बिना प्रमाण के या सार्वजनिक दबाव बनाने के लिए शिकायतें दर्ज की जाती हैं, जिनका कोई वैध आधार नहीं होता।

प्रस्तावित विस्तृत सुधार

1. शिकायतकर्ता की घोषणा एवं प्रमाण की अनिवार्यता

  1. प्रत्येक शिकायतकर्ता से यह घोषणा ली जाए कि वह शिकायत के विषय से किस प्रकार प्रभावित है (जैसे—सीधे पीड़ित, परिवारजन, कानूनी प्रतिनिधि आदि)।
  2. शिकायत के साथ तथ्यात्मक आख्या (affidavit/statement of facts) और प्रभावी प्रमाण (दस्तावेज, फोटो, ऑडियो/वीडियो, गवाह आदि) अनिवार्य रूप से संलग्न हों।
  3. यदि घोषणा या प्रमाण अपूर्ण/अस्पष्ट हों, तो शिकायत को प्राथमिक स्तर पर ही निरस्त कर दिया जाए।

2. शिकायतों की संख्या पर सीमा निर्धारण

  1. एक व्यक्ति (या संस्था) द्वारा एक माह में अधिकतम शिकायतों की संख्या निर्धारित की जाए (उदाहरण: अधिकतम 2 शिकायतें प्रतिमाह)।
  2. इस सीमा के उपरांत आई शिकायतों को स्वतः निरस्त किया जाए, जिससे बार-बार, तुच्छ या प्रतिशोधवश शिकायतें दर्ज करना रोका जा सके।

3. जनप्रतिनिधियों/अधिकारियों के लिए भी समान नियम

  1. विधायकों, सांसदों, मंत्रियों, अधिकारियों आदि द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों की संख्या भी सीमित की जाए।
  2. उनसे भी यह घोषणा ली जाए कि वे शिकायत/मांग से किस प्रकार प्रभावित हैं, ताकि पद का दुरुपयोग न हो।

4. सोशल मीडिया (विशेषकर X(ट्विटर)) का दुरुपयोग रोकना

  1. सरकारी विभागों के लिए स्पष्ट नियम बने कि X(ट्विटर)/सोशल मीडिया पोस्ट्स पर स्वतः संज्ञान न लें; केवल अधिकृत पोर्टल/वेबसाइट/आधिकारिक माध्यमों से आई शिकायतों पर ही कार्यवाही करें।
  2. X(ट्विटर) अकाउंट्स पर प्रत्येक शिकायतकर्ता से यह घोषणा ली जाए कि वह शिकायत के विषय से किस प्रकार प्रभावित है (जैसे—सीधे पीड़ित, परिवारजन, कानूनी प्रतिनिधि आदि)।

5. सभी पोर्टलों का एकीकरण एवं डुप्लिकेट रोकथाम

  1. सभी शिकायत पोर्टलों का API के माध्यम से एकीकरण हो, जिससे एक ही शिकायत अनेक पोर्टलों पर दर्ज न हो सके ।
  2. प्रत्येक शिकायतकर्ता को यूनिक कोड दिया जाए, जिससे डुप्लिकेट शिकायत की पहचान हो सके।

6. शिकायतों की प्राथमिक जांच और निरस्तीकरण

  1. प्रत्येक शिकायत की प्रारंभिक जांच (screening) के लिए एक समर्पित टीम हो, जो प्रमाण, तथ्य एवं घोषणा की जांच करे।
  2. अप्रमाणित, अस्पष्ट या गुमनाम शिकायतें प्राथमिक स्तर पर ही निरस्त कर दी जाएं।

7. शिकायतकर्ता की जवाबदेही एवं दंड का प्रावधान

  1. यदि शिकायत झूठी या प्रतिशोधवश पाई जाए, तो शिकायतकर्ता के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो (विशेषकर सरकारी कर्मचारियों के मामलों में) ।

8. शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए समयसीमा

               i.         प्राथमिक जांच हेतु 3-7 दिन की समयसीमा तय हो; अंतिम समाधान के लिए अधिकतम 21 दिन की सीमा हो ।

              ii.         यदि शिकायत में आवश्यक जानकारी/प्रमाण न हों, तो शिकायतकर्ता से शीघ्र संपर्क कर जानकारी मंगाई जाए; न देने पर शिकायत निरस्त हो।

निष्कर्ष

इन सुधारों से—

  1. शिकायत व्यवस्था का दुरुपयोग रुकेगा,
  2. प्रशासनिक संसाधनों का कुशल उपयोग होगा,
  3. वास्तविक पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिलेगा,
  4. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और भारत के कानूनों की भावना के अनुरूप पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर, विस्तृत नीति एवं दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, जिससे शिकायत व्यवस्था का दुरुपयोग रोका जा सके और शिकायत प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।

सादर,

भवदीय

 

( संजय शर्मा )

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