Wednesday, November 8, 2017

Demonetization : PM Modi's apathy exposed by RTI of Lucknow based activist Er. Sanjay Sharma.

नोटबंदी : PM मोदी की असंवेदनशीलता एक्टिविस्ट संजय शर्मा की RTI से उजागर l 
 

लखनऊ/8 नवंबर 2017.........................
©tahririndia* 
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आज से 1 साल पहले ठीक आज ही के दिन 1000 और 500 के नोट बंद किए गए थेl  तब जहाँ एक तरफ नोटबंदी के फायदों को लेकर सत्ता पक्ष द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए थे तो वहीं विपक्ष ने नोटबंदी के बाद फैली अफरा-तफरी पर सरकार को आड़े हाथों लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी l नोटबंदी के नफा-नुकसान  पर सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियों की रस्साकशी आज भी जारी है पर आज जब  नोटबंदी की पहली वर्षगांठ है ऐसे में यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी फायर ब्रांड आरटीआई कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई ने नोटबंदी के कई दिलचस्प पहलुओं को उजागर किया है l
To Download original RTI & reply, please click this weblink http://sajagngonews.blogspot.in/2017/11/blog-post.html
देश के जाने-माने मानव अधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार  होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल 29 दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर नोटबंदी के संबंध में 13 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी l प्रधानमंत्री कार्यालय ने संजय की इस आईटीआई अर्जी को भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग और राजस्व विभाग को अंतरित किया था l कालांतर में राजस्व विभाग ने संजय की यह आरटीआई अर्जी प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को अंतरित की और आर्थिक कार्य विभाग ने संजय की यह आरटीआई अर्जी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अंतरित की l इस अर्जी पर संजय को हाल ही में जबाब मिले हैं l
देश के जाने माने  समाजसेवी संजय की इस आरटीआई अर्जी पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने जो सूचना दी है वह बेहद दिलचस्प है और नोटबंदी के परिणामों और नोटबंदीसे हुई मौतों पर मोदी सरकार की असंवेदनशीलता सामने ला रही है l नोटबंदी के बाद उजागर हुए काले धन की धनराशि, नोटबंदी के बाद देश को हुए आर्थिक नफा नुकसान, नोटबंदी के बाद बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोत्तरी या कमी, नोटबंदी के कारण बैंकों की या ATMs  की लाइनों में लगने के कारण अथवा कैश की कमी के कारण हुई मौतों की संख्या और नोटबंदी के कारण हुई मौतों के मामलों में भारत सरकार द्वारा दिए गए मुआवजों  की धनराशि की सूचना को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के अंतर्गत सूचना की परिभाषा में नहीं होना बताते हुए इन बिंदुओं की सूचना नहीं दी है l  संजय कहते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय का यह जवाब नोटबंदी की विफलता और सरकार के आम जनता के प्रति गैर संवेदनशील रवैये  को उजागर करने के लिए पर्याप्त है l अपने पैने वक्तव्यों के लिए जाने जाने वाले संजय कहते हैं कि सरकार से अपेक्षा होती है कि वह अपने द्वारा किये गए नए प्रयोग के परिणाम खुद ही जनता को बताएगी पर यहाँ तो झूंठ बोलकर मुंह छुपाया जा रहा है l सरकार के पास नोटबंदी का कोई ज्ञात फायदा न होने की बात कहते हुए संजय ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है l
भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस ने संजय को बताया है कि  नोटबंदी के बाद या नोटबंदी करने की वजह से किसी समस्या के ना होने देने के लिए भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का आदेश जारी करने के अलावा और कोई कदम नहीं उठाया था l  यही नहीं संजय को यह भी बताया गया है कि नोटबंदी करने से पहले किसी भी इकोनॉमिस्ट यानि कि  अर्थशास्त्री से सलाह तक नहीं ली गई थी l अघोषित आय प्रगटन  योजना के बारे में संजय
को बताया गया है के वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना संचालित थी जो इस साल 31 मार्च  को बंद हो चुकी है l
नोटबंदी की घोषणा की तिथि पर 1000/- और 500/- के चलन में रहे पुराने नोटों की संख्या की सूचना के संबंध में बीते 31 अक्टूबर को पत्र जारी कर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने संजय को बताया है कि 4 नवंबर 2016 तक संचलन में जारी कुल नोटों का मूल्य 17.74 ट्रिलियन रुपये था जिनमें 500/- और 1000/- के नोट भी सम्मिलित थे तो वही वापस प्राप्त 1000/- और 500- के पुराने नोटों की संख्या के बारे में संजय को बताया गया है कि 30 जून 2017 तक वापस प्राप्त विनिर्दिष्ट बैंक नोट का  आकलित मूल्य 15.28 ट्रिलियन रुपये था l
प्रवर्तन निदेशालय ने बीते 24 अक्टूबर को पत्र जारी कर आरटीआई एक्ट की धारा 24 का हवाला देते हुए संजय को सूचना देने से इंकार कर दिया है l रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक अन्य पत्र के माध्यम से संजय को नोटबंदी का निर्णय लिए जाने से संबंधित फाइल की नोट सीट्स, जाली नोट सरकुलेशन में होने के संबंध में प्राप्त सूचनाओं के स्रोतों,नकली नोटों का प्रयोग देश विरोधी गतिविधियों में होने, नोटबंदी से पहले 2000/- के और 500/- के नए नोट छापने का निर्णय लेने आदि से संबंधित पत्रावली के रिकॉर्ड आदि की सूचनाओं के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1 )(a ) और 8(1)(g ) का हवाला देते हुए इन सूचनाओं के प्रगटन  से भारत की प्रभुता और अखंडता को खतरा होने और सूचना के प्रगटन से विधि प्रवर्तन या सूचना प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गई सूचना के स्रोत की पहचान करने की बात कहते हुए यह सूचनाएं देने से इंकार कर दिया है l

अपने बेबाक रुख के चलते लखनऊ की शान कहे जाने वाले इस समाजसेवी ने बताया कि पिछले साल दिसम्बर में माँगी गई यह सूचना उनको 10 महीने से अधिक समय बाद हाल ही में दी गई है और नोटबंदी पर सरकार के अपारदर्शी रुख की  भर्त्सना करते हुए  और देश के प्रधानमंत्री से स्वतः स्फूर्त रूप से उनके द्वारा माँगी गई सूचनाएं स्वयं की सार्वजनिक करने की मांग की है l

©tahririndia* 

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