आरएसएस को खुश करने को अमिताभ उठा रहे जावीद अहमद की नियुक्ति पर सवाल
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लखनऊ। निलम्बित आईपीएस अमिताभ ठाकुर जहां एक ओर सरकार की योजनाओं और
फैसलों पर अदालत में याचिकाएं दाखिल कर सवाल उठाते रहे है। वहीं अब एक
सामाजिक कार्यकर्ता ने उन पर (आईपीएस ठाकुर) पर धुर-अल्पसंख्यक विरोधी और
अति-हिंदूवादी दिखावे में एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो की कार्य-संस्कृति होने
और सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। सोशल
एक्टिविस्ट ने यूपी के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी से
निलंबित आईपीएस ठाकुर के खिलाफ करने की जांच की मांग की है।
शिकायत के अनुसार हाल ही में आरएसएस में शामिल होने की घोषणा करने वाले बलात्कार, आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड, भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर सवाल उठाने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह अभियुक्त अधिकारी अब बीजेपी और आरएसएस को खुश करके अपने आपको इन मामलों में बचाने के लिए बीजेपी के राजनैतिक प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करने के लिए ही ‘एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो’ वाली कार्यसंस्कृति पर कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाला यह कथित सेक्युलर एकदम से चरम हिन्दूवादी होने का नाटक कर रहा है और मुसलामानों का असंगत विरोध किये पड़ा है।
शिकायत कर्ता संजय शर्मा ने बताया कि यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस निलंबित आईपीएस द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए और बीजेपी में अपनी पत्नी की और आरएसएस में अपनी पैठ बनाने के लिए ही अल्पसंख्यक समुदाय के नवनियुक्त डीजीपी की काबिलियत पर उंगली उठायी गयी है जिससे देश के लोकसेवकों के लिए निर्धारित विधि का खुला उल्लंघन हुआ है और सारे संसार में उत्तर प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है।
संजय के अनुसार यह एक लोकसेवक की स्वार्थपरता का जीवंत उदाहरण भी हो सकता है।
संजय ने अपनी शिकायत में कहा कि क्योंकि इस लोकसेवक का यह व्यवहार सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन भी है। अतः मैं इस शिकायत के माध्यम से अनुरोध कर रहा हूँ कि इन मामलों में इस लोकसेवक के व्यक्तिगत निहितार्थ होने या न होने के बारे में जांच कराकर अग्रिम दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
शिकायत के अनुसार हाल ही में आरएसएस में शामिल होने की घोषणा करने वाले बलात्कार, आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड, भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर सवाल उठाने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह अभियुक्त अधिकारी अब बीजेपी और आरएसएस को खुश करके अपने आपको इन मामलों में बचाने के लिए बीजेपी के राजनैतिक प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करने के लिए ही ‘एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो’ वाली कार्यसंस्कृति पर कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाला यह कथित सेक्युलर एकदम से चरम हिन्दूवादी होने का नाटक कर रहा है और मुसलामानों का असंगत विरोध किये पड़ा है।
शिकायत कर्ता संजय शर्मा ने बताया कि यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस निलंबित आईपीएस द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए और बीजेपी में अपनी पत्नी की और आरएसएस में अपनी पैठ बनाने के लिए ही अल्पसंख्यक समुदाय के नवनियुक्त डीजीपी की काबिलियत पर उंगली उठायी गयी है जिससे देश के लोकसेवकों के लिए निर्धारित विधि का खुला उल्लंघन हुआ है और सारे संसार में उत्तर प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है।
संजय के अनुसार यह एक लोकसेवक की स्वार्थपरता का जीवंत उदाहरण भी हो सकता है।
संजय ने अपनी शिकायत में कहा कि क्योंकि इस लोकसेवक का यह व्यवहार सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन भी है। अतः मैं इस शिकायत के माध्यम से अनुरोध कर रहा हूँ कि इन मामलों में इस लोकसेवक के व्यक्तिगत निहितार्थ होने या न होने के बारे में जांच कराकर अग्रिम दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
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शिकायत के अनुसार हाल ही में आरएसएस में शामिल होने की घोषणा करने वाले बलात्कार, आय से अधिक संपत्ति,एनजीओ के माध्यम से फ्रॉड, भूखंडों पर अवैध कब्जे आदि मामलों के अभियुक्त यूपी के निलंबित आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त डीजीपी जावीद अहमद की तैनाती पर सवाल उठाने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं यह अभियुक्त अधिकारी अब बीजेपी और आरएसएस को खुश करके अपने आपको इन मामलों में बचाने के लिए बीजेपी के राजनैतिक प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करने के लिए ही ‘एक हाथ लो- दूसरे हाथ दो’ वाली कार्यसंस्कृति पर कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पीके-ओएमजी ट्रस्ट बनाने बाला यह कथित सेक्युलर एकदम से चरम हिन्दूवादी होने का नाटक कर रहा है और मुसलामानों का असंगत विरोध किये पड़ा है।
शिकायत कर्ता संजय शर्मा ने बताया कि यूपी में जावीद अहमद से वरिष्ठ 13 आईपीएस अधिकारी और भी है और यदि सरकार के इस कदम से उनमें से किसी को भी कोई आपत्ति है तो वह प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार से या फिर न्यायालय से अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस निलंबित आईपीएस द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए और बीजेपी में अपनी पत्नी की और आरएसएस में अपनी पैठ बनाने के लिए ही अल्पसंख्यक समुदाय के नवनियुक्त डीजीपी की काबिलियत पर उंगली उठायी गयी है जिससे देश के लोकसेवकों के लिए निर्धारित विधि का खुला उल्लंघन हुआ है और सारे संसार में उत्तर प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है।
संजय के अनुसार यह एक लोकसेवक की स्वार्थपरता का जीवंत उदाहरण भी हो सकता है।
संजय ने अपनी शिकायत में कहा कि क्योंकि इस लोकसेवक का यह व्यवहार सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन भी है। अतः मैं इस शिकायत के माध्यम से अनुरोध कर रहा हूँ कि इन मामलों में इस लोकसेवक के व्यक्तिगत निहितार्थ होने या न होने के बारे में जांच कराकर अग्रिम दंडात्मक कार्यवाही की जाए