Tuesday, November 24, 2015

न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ 12 दिसम्बर को राजधानी में जुटेंगे देश भर के सामाजिक संगठन

 
लखनऊ। देश भर के अनेक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और समाजसेवी न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ राजधानी लखनऊ आगामी 12 दिसम्बर 2015 को सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान की अगुआई में जिलाधिकारी आवास से हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क तक पैदल मार्च करेंगे। इसके साथ ही महात्मा गांधी की प्रतिमा पर मोमबत्ती जलाकर त्वरित न्याय के लिए सभी न्यायालयों में न्यायिक पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित करने की मांगों को पुख्ता तरीके से उठाया जाएगा। येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि न्यायिक पारदर्शिता नहीं होने के कारण ही न्यायिक प्रक्रियाओं में भी भ्रष्टाचार गहरे तक घर कर गया है और इसलिए आज सभी के लिए एकसमान न्याय की बात बेमानी सी हो गयी है। फिल्म एक्टर सलमान खान के केस का हवाला देते हुए उर्वशी ने कहा कि सलमान को लाभ पंहुचाने के लिए पहले तो इस केस को 13 साल तक लटकाए रखा जाता है और फिर इसे तीन दिन के भीतर निबटा भी दिया जाता है। उर्वशी ने कहा कि ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि सलमान न्याय को खरीदने में समर्थ हैं जबकि एक आम आदमी, जो न्याय के लिए भुगतान नहीं कर पाता है वह न्याय पाने में पीछे छूट जाता है।न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए उर्वशी ने कहा कि यह कैसी व्यवस्था है जो जब चाहे तब न्याय में देरी भी कर सकती है और उसमें तेजी भी ला सकती है। उर्वशी ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से उनका संगठन उस न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करने को आगे आया है जिसमें विशिष्ट लोग और अमीर लोग जेल जाने से बच जाते हैं और निर्दोष होने पर भी गरीब जेलों में पड़े रहते हैं। उर्वशी ने कहा कि न्याय मे देरी और लंबित प्रकरणों की बढ़ती संख्या के मुद्दों पर चिंता तो सभी व्यक्त करते हैं पर इस समस्या का हल निकालने की दिशा में किये गए प्रयासों का कोई सार्थक परिणाम अभी तक सामने नहीं आया है। उर्वशी ने कहा कि न्याय की एक पारदर्शी और जिम्मेदार प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. उर्वशी ने कहा कि न्यायपालिका स्वायत्तता के नाम पर जवाबदेही से बचती है जो सही नहीं है। उर्वशी ने बताया कि इस न्याय यात्रा और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से न्यायालयों में पारदर्शिता और जबाबदेही सुनिश्चित करने को विडियो रिकॉर्डिंग कराने, सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट/निचली अदालतों/अपीलीय अदालतों आदि मुक़दमे के निपटान की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करने आदि मांगों को उठाते हुए देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को ज्ञापन भेजा जाएगा। 
 

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