Monday, August 30, 2021

जेल गए पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर के खिलाफ लोकायुक्त उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट पर FIR दर्ज करा केन्द्रीय जांच एजेंसियों से जांच की मांग .

 

जेल गए पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर के खिलाफ लोकायुक्त उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट  पर FIR दर्ज करा केन्द्रीय जांच एजेंसियों से जांच की मांग .

 

लखनऊ / 31 अगस्त 2021 ………….

सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह प्रकरण में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद कोर्ट के आदेश से जेल भेजे गए पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर के खिलाफ लोक आयुक्त उत्तर प्रदेश द्वारा जांच की  गई थी और जांच के बाद अमिताभ ठाकुर के खिलाफ 24 अगस्त 2015 को शासन को प्रतिवेदन भेजा गया था जिस पर कार्यवाही लंबित है.

 

शिकायतकर्ता संजय शर्मा ने बताया कि प्रतिवेदन की अनुशंषाओं के प्रथम बिंदु में लोकायुक्त ने प्रश्नगत प्रतिवेदन में इंगित समस्त तथ्यों का समावेश करते  हुए अमिताभ ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की सुस्पष्ट अनुशंषा की थी. लोकायुक्त ने 5 बिन्दुओं पर अनुशंषा करके अमिताभ ठाकुर द्वारा आय से अधिक सम्पातियाँ अर्जित करने, काले धन से परिवारीजनों के नाम पर संपत्ति क्रय-विक्रय करने,अपनी पत्नी श्रीमती नूतन ठाकुर के साथ मिलकर अनेकों NGOs बनाकर काले धन को सफेद करने, पीआईएल ट्रेडिंग करने,  आईपीएस पद का दुरुपयोग करके लोगों के प्लॉट्स पर अवैध कब्जे करने आदि की जांच केन्द्रीय जांच एजेंसियों सी.बी.आई.,प्रवर्तन निदेशालय आदि से कराने की भी अनुशंषा की थी.

 

संजय ने बताया कि क्योंकि माननीय लोकायुक्त  की रिपोर्ट पर कार्यवाही अभी भी लंबित है इसीलिये उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि वे लोकायुक्त की रिपोर्ट की अनुशंषाओं के अनुसार अमिताभ ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर अमिताभ ठाकुर द्वारा आय से अधिक सम्पातियाँ अर्जित करने, काले धन से परिवारीजनों के नाम पर संपत्ति क्रय-विक्रय करने,अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के साथ मिलकर अनेकों NGOs बनाकर काले धन को सफेद करने, पीआईएल ट्रेडिंग करने, समाजसेवा के नाम पर कतिपय पत्रकारों के साथ मिलकर लोगों को ब्लैकमेल करने, आईपीएस पद का दुरुपयोग करके लोगों के प्लॉट्स पर अवैध कब्जे करने तथा लोगों को धमकाने और ब्लैकमेल आदि करने के लिए उनके खिलाफ झूंठी ऍफ़.आई.आर. लिखाने आदि के सम्बन्ध में केन्द्रीय जांच एजेंसियों सी.बी.आई.,प्रवर्तन निदेशालय,इनकम टैक्स विभाग, आर्थिक अपराध इकाई आदि से अन्वेषण कराते हुए विधिक कार्यवाही कराई जाए.

 

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