Monday, May 29, 2017

सूचना अधिनियम की मॉनिटरिंग नहीं कर रहा UP सूचना आयोग l

लखनऊ/ 29 मई 2017

क्या संयोग है कि आज यूपी के गवर्नर राम नाईक राजभवन में "उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम" नामक पुस्तक का विमोचन करेंगे जिसमें सूचना आयोग ने अपने द्वारा किये गए सराहनीय कायों को सहेजकर जनता के बीच अपनी छवि सुधारने का प्रयास किया होगा तो वहीं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता इं. संजय शर्मा ने यूपी सूचना आयोग में दायर की गई आरटीआई पर आयोग के जनसूचना अधिकारी तेजस्कर पांडेय द्वारा दिये गए जबाब को मीडिया को जारी करते हुए सूचना आयोग पर RTI एक्ट की मॉनिटरिंग करने में असफल रहने का गंभीर आरोप लगाया है।

दरअसल संजय ने बीते अप्रैल की 7 तारीख को आयोग में 4 बिंदुआरटीआई दायर करके जानना चाहा था कि यूपी के सूचना आयोग ने गठन से तब तक की अवधि में सूचना कानून का सही से पालन न करने वाले कितने विभागों को एक्ट की धारा 25(5) की अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सिफारिशें भेजीं थीं।संजय की आरटीआई पर आयोग के जनसूचना अधिकारी तेजस्कर पांडेय ने बीते 27 अप्रैल को जारी पत्र द्वारा सूचना दी है जो संजय को आज मिली है। तेजस्कर ने संजय को बताया है कि आयोग ने अपने गठन से अब तक आरटीआई एक्ट न मानने वाले किसी भी सरकारी विभाग को कोई भी सिफारिश नहीं भेजी है।

आरटीआई कंसलटेंट संजय ने बताया कि आरटीआई एक्ट की धारा 25(5) के द्वारा आयोग को यह जिम्मेदारी दी गई है कि आयोग उन लोक प्राधिकारियों को चिन्हित करें जो अपनी कार्य पद्यति को एक्ट की भावना के हिसाब से नहीं बदल पाए हैं और फिर आयोग इन लोक प्राधिकारियों को सुधारने के लिए उपाय बताते हुए अपनी सिफारिश भेजेगा।

बकौल संजय आयोग के जबाव से साफ हो गया है कि आयोग एक्ट की मॉनिटरिंग करने का अपना कर ही नहीं रहा है ।संजय के अनुसार आयोग के इस नाकारापन की बजह से ही आयोग में दर्ज होने वाली शिकायतों और अपीलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

आयोग द्वारा अपनी पुस्तिका छपवाकर विमोचन कराने को जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी बताते हुए संजय ने मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को पत्र लिखकर दिखावे करने के स्थान पर जमीनी स्तर पर कार्य करने की नसीहत देने की बात भी कही है।


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