Friday, August 29, 2025

पत्रकारों को ब्लैकमेल करने वाले लखनउआ कउआ गैंग पर कसा शिकंजा : निर्णायक कार्रवाई के लिए प्रेस काउंसिल ने संजय शर्मा से मांगी विस्तृत जानकारी.

 


लखनऊ / शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 ..................................

 

 

कांव-कांव कर आपके सर पर मंडराते कौवों के झुण्ड से क्या आप अपने जीवन में कभी दो-चार हुए हैं  ? यदि हुए हैं, तो आप स्मरण कर रहे होंगे कि कांव-कांव करते कउआ झुण्ड ने आपको कुछ पलों के लिए संघ्याशून्यता की स्थिति में ला दिया था. संघ्याशून्यता की स्थिति इसलिए नहीं कि वे शक्तिशाली थे अपितु इसलिए कि वे निहायत गंदे थे और आपको उनकी गन्दगी अपने ऊपर आ जाने का भय था, उनकी झुण्ड वाणी घनघोर कर्कश शोर थी जिसमें आप कुछ भी कहने में खुद को असमर्थ पा रहे थे और वे आपके पास रही कोई चीज आपसे छीनकर ले जाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे क्योंकि उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था और आपके पास उनसे पाने के लिए कुछ भी नहीं था. शायद पत्रकारों को ब्लैकमेल करने वाले ऐसे ही लखनउआ कउआ गैंग के खिलाफ वरिष्ठ पत्रकार  स्वर्गीय दिलीप सिन्हा ने अपनी लेखनी को मुखर किया था जिनकी मृत्यु के बाद उनके द्वारा उठाये मामलों में निर्णायक कार्रवाई के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रमुख कानूनी अधिकार,पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकारों के प्रमुख पैरोकारों में से एक संजय शर्मा की शिकायतों के बाद संजय से विस्तृत जानकारी मांगकर जांच कराने की बात कही है.

   

 

दिलीप सिन्हा की रहस्यमयी मौत से उठे सवाल

लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिन्हा की यूपीएसआरटीसी बस की चपेट में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने पत्रकारिता जगत और नागरिक समाज को झकझोर दिया है। इस केस में अब तक कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो इसे सिर्फ दुर्घटना नहीं बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र की ओर इशारा करते हैं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संजय शर्मा, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकारों के प्रमुख पैरोकार के रूप में जाने जाते हैं, ने इस घटना को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के समक्ष उठाया है और मामले को न्यायिक मुकाम तक पहुंचाने के लिए ठोस कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

 

 

PCI ने लिया संज्ञान, मांगी विस्तृत जानकारी

पेश किए गए पत्र के मुताबिक संजय शर्मा की ओर से दिलीप सिन्हा की संदिग्ध मौत और पत्रकारों की प्रताड़ना संबंधी शिकायतें 13 जुलाई 2025 को दर्ज की गई थीं, जिसे PCI ने Press Council Act, 1978 की धारा 13 के अंतर्गत संज्ञान में लिया है। PCI ने इस मामले में संजय शर्मा को निर्देशित किया है कि वे दिलीप सिन्हा की मौत की सभी परिस्थितियों, शिकायतों, और दस्तावेजी प्रमाण का विस्तार से प्रतिनिधित्व करें ताकि पूरी गंभीरता से जांच हो सके।

पत्र के दूसरे पैराग्राफ में विशेष तौर पर यह उल्लेख किया गया है कि संजय शर्मा द्वारा दी गई जानकारी में दिलीप सिन्हा के सूचना विभाग में दर्ज कराई गई शिकायतों और बार-बार हुई प्रताड़ना (harassment) व प्रेस स्वतंत्रता के दमन (suppression of press freedom) का विवरण शामिल है। PCI ने स्पष्ट किया है कि विस्तृत प्रस्तुति और सभी सहायक दस्तावेजों के बिना केस को आगे बढ़ाना संभव नहीं है, अतः पत्राचार और प्रमाणों की आवश्यकता है।

 

ब्लैकमेलिंग के तंत्र का खुलासा

शिकायत के केंद्र में एक ऐसा संगठित ब्लैकमेलिंग गैंग है, जिसकी गतिविधियां लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। इस गैंग की कार्यप्रणाली बेहद खतरनाक है:

  • यह गिरोह ऐसे स्थानीय बेरोज़गार और अशिक्षित गुंडा किस्म के लोगों को अपने गिरोह में शामिल करता है जिनकी स्वयं की समाज में कोई इज्जत नहीं होती है ।
  • इस गिरोह के सदस्य काली कमाई के पैसों से ऑफिसों को खोल उनमें लगे वॉयस रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी कैमरों की मनमाफिक क्लिप्स से और निःशुल्क साइबर कैफ़े और निःशुल्क मदद के नाम पर दुकान खोलकर लोगों के आधार,पैन,मोबाइल,ईमेल जैसे निजी डाटा इकठ्ठा करके इन लोगों को ब्लैकमेल करके उनको अपने गिरोह में शामिल कर अपने मनमाफिक गैरकानूनी काम कराते हैं या उनसे पैसे मांगते हैं l
  • सरकारी तंत्र की निगाह से बचे रहने के लिए इस गिरोह के सदस्य वरिष्ठ पत्रकारों, स्वतंत्र आवाज उठाने वालों, और सरकारी महकमों में सक्रिय लोगों के खिलाफ अलग-अलग नामों से लगातार IGRS, RTI, कोर्ट केस, और फर्ज़ी FIR दर्ज करवाते हैं और उनको संगठित रूप से ब्लैकमेल करते हैं ।
  • गैंग के कई सदस्यों द्वारा फर्जीबाड़े से चल रहे समाचार पत्रों और सोशल मीडिया का घनघोर इस्तेमाल कर पत्रकारों के चरित्र हनन, सामाजिक दबाव और ब्लैकमेलिंग को अंजाम दिया जाता है।
  • गिरोह को राजनैतिक व्यक्तियों का भी संरक्षण प्राप्त है, जो अपने बच्चों और प्रतिनिधियों के माध्यम से इन अपराधियों के कृत्यों के सहभागी हैं और गैंग को  राजनीतिक और प्रशासनिक राहत दिलवाते हैं और ब्लैकमेलिंग के लिए गिरोह के इशारे पर विधान सभा में प्रश्न तक उठाये जाते हैं ।
  • गैंग सोशल मीडिया पर स्वयं को एक अजेय शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश करता है और गैंग के शातिर सदस्य लाइक,शेयर,कमेंट का इस्तेमाल अपने शिकार के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश की रणनीति बनाकर करते हैं l

 

संजय शर्मा की अद्वितीय सक्रियता

संजय शर्मा ने दिलीप सिन्हा की मौत में सामने आए इन तथ्यों को PCI के समक्ष भेजकर न सिर्फ एक अत्यन्त जरूरी जांच की नींव रखी है, बल्कि पत्रकारों की स्वतंत्रता के पक्ष में निर्णायक पहल की है। उन्होंने अपनी शिकायत में विस्तार से बताया कि दिलीप सिन्हा की शिकायतें सूचना विभाग में लम्बे समय तक लंबित रहीं, और इसके बाद गैंग ने उनके खिलाफ लगातार कई फर्जी मामलों, दमनकारी काग़ज़ात, और सामाजिक/अदालतों में प्रताड़ना के रास्ते खोले। संजय शर्मा का संघर्ष केवल न्याय दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका प्रयास समाज में जवाबदेही और पारदर्शिता की संस्कृति स्थापित करना है।

 

PCI के हस्तक्षेप और उम्मीद की किरण

PCI के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद जगी है कि न सिर्फ दिलीप सिन्हा के केस में निष्पक्ष जांच होगी, बल्कि पत्रकारिता के लोकतांत्रिक स्वरूप की रक्षा भी सुनिश्चित होगी। PCI की सक्रियता और संजय शर्मा के प्रयास एक सामूहिक क्रांति का आह्वान करते हैं, जिससे लखनऊ सहित पूरे देश में पत्रकारिता दबाव, भय व ब्लैकमेलिंग से मुक्त रह सकेगी।

 

निष्कर्ष: न्याय, पारदर्शिता और पत्रकारिता की स्वतंत्रता

यह मामला न्याय व्यवस्था, पत्रकारिता जगत और नागरिक संस्थाओं के लिए कसौटी है। यदि निष्पक्ष जांच और सख्त कानूनी कार्रवाई होती है, तो भविष्य में ऐसे ब्लैकमेलिंग गैंग और उनके संरक्षकों पर नकेल कसी जा सकेगी। संजय शर्मा की पहल ने न सिर्फ दिलीप सिन्हा के मामले को उजागर किया है, बल्कि पत्रकारिता में बढ़ती समस्याओं और प्रताड़ना के खिलाफ समाज को सजग किया है।

 

संजय शर्मा से मोबाइल नंबर्स 8004560000, 9454461111, 7991479999 और ईमेल  sanjaysharmalko[AT]icloud[DOT]com, sukaylegal[AT]gmail[DOT]com पर संपर्क किया जा सकता है l