Wednesday, February 25, 2015

RTI reveals forgery for the purpose of cheating state coffers by making a false document/falsification of accounts by Amitabh Thakur, a UP IPS, IG & Joint Director -Civil Defense



आरटीआई से उजागर यूपी सिविल डिफेन्स संयुक्त सचिव आईजी आईपीएस अमिताभ ठाकुर द्वारा किया गया छल,कूट रचना और लेखों का मिथ्याकरण. 

यदि मैं कहूँ कि यूपी के सिविल डिफेन्स के संयुक्त सचिव और आईजी आईपीएस अमिताभ ठाकुर द्वारा सरकार से छल करके कूट रचना द्वारा लेखों का मिथ्याकरण कर व्यक्तिगत लाभ लेने के दुरूद्देश्य से राजकीय कोष को क्षति पंहुचाई गयी है तो क्या आप मानेंगे ? शायद नहीं. पर मेरे द्वारा आरटीआई एक्ट के तहत सिविल डिफेन्स के निदेशालय से प्राप्त दस्तावेज़ों को देखने के बाद आपको मानना ही होगा कि अमिताभ ठाकुर द्वारा सरकार से छल करके कूट रचना द्वारा लेखों का मिथ्याकरण कर व्यक्तिगत लाभ लेने के दुरूद्देश्य से राजकीय कोष को क्षति पंहुचाने का आपराधिक कृत्य किया गया है.

दरअसल मैने दिनांक 26-08-14 को एक आरटीआई दायर कर यूपी के सिविल डिफेन्स के संयुक्त सचिव और आईजी आईपीएस अमिताभ ठाकुर के अवकाश प्रार्थना पत्रों और इनके सरकारी वाहनों की लॉग-बुक की सत्यापित प्रतियाँ माँगी थीं. दिनांक 30-01-15 को सिविल डिफेन्स के निदेशालय के जन सूचना अधिकारी सुरेंद्र सिंह नेगी ने जो सूचना दी है वह स्थापित कर रही है कि अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार से छल करके कूट रचना द्वारा सरकारी वाहन की लॉग-बुक के लेखों का मिथ्याकरण कर व्यक्तिगत लाभ लेने के दुरूद्देश्य से राजकीय कोष को क्षति पंहुचाने का आपराधिक कृत्य किया गया है.

सिविल डिफेन्स के निदेशालय के जन सूचना अधिकारी सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा सत्यापित कर दी गयी सूचना से स्पष्ट हो रहा है कि :
1-  अमिताभ ठाकुर के अवकाश प्रार्थना पत्र दिनांक 10-04-14 के अनुसार दिनांक 15-04-14, 16-04-14    और 17-04-14 को अमिताभ अवकाश पर थे और उच्च्तम न्यायालय में एक व्यक्तिगत विशेष अनुमति याचिका दायर करने और अन्य व्यक्तिगत कार्यों से भारत की राजधानी नई दिल्ली में थे.
2-  अमिताभ ठाकुर के सरकारी वाहन के ड्राइवर हेमचंद और अमिताभ ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित वाहन लॉग-बुक के अनुसार दिनांक 15-04-14, 16-04-14  और 17-04-14 को अमिताभ ने इन तीनों दिनों में अपने आवास से वाहन पर सवार होकर सरकारी वाहन का सरकारी कार्य से उपयोग किया और इन तिथियों में यह सरकारी गाड़ी क्रमशः 76 किलोमीटर, 56 किलोमीटर और 61 किलोमीटर चली जबकि इन तिथियों में अमिताभ अवकाश पर थे और उच्च्तम न्यायालय में एक व्यक्तिगत विशेष अनुमति याचिका दायर करने और अन्य व्यक्तिगत कार्यों से लखनऊ से 500 किलोमीटर से भी अधिक दूर भारत  की राजधानी नई दिल्ली में थे.

यह तो आप भी मानेंगे कि अवकाश पर लखनऊ से 500 किलोमीटर से भी अधिक दूर भारत  की राजधानी नई दिल्ली में बैठा आदमी किसी भी तरह इन तीनों दिनों में अपने आवास से वाहन पर सवार होकर सरकारी वाहन का सरकारी कार्य से उपयोग नहीं कर सकता है और यह अभिलेख स्वतः ही  स्थापित कर रहा है कि अमिताभ ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार से छल करके कूट रचना द्वारा सरकारी वाहन की लॉग-बुक के लेखों का मिथ्याकरण कर व्यक्तिगत लाभ लेने के दुरूद्देश्य से राजकीय कोष को क्षति पंहुचाने का आपराधिक कृत्य किया गया है.

यह खुलासे से वह कहावत एक बार फिर चरितार्थ हो रही है जो कहती है "चोर चोरी से जाए , हेराफेरी से नहीं." और यह भी कि "चोर कितना भी शातिर को कुछ सुराग तो छोड़ ही जाता है".

बड़ा सबाल यह भी है कि एक  दूसरे को क़ानूनी नोटिस-जबाब भेजकर अख़बारों की सुर्खियाँ बटोरने बाली सामाजिक रूप से सक्रिय  ठाकुर दंपत्ति के  एक सदस्य अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध सिद्ध हो रहे इस अपराध के लिए अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर अमिताभ को सज़ा दिलाने को आगे आएँगी या आपराधिक कृत्य के  इस मामले में अमिताभ का ही साथ देंगीं.






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