गौरी हत्याकांड में पुलिस खुलासे से असंतुष्ट सामाजिक संगठन 'तहरीर' ने फिर की सीबीआई जाँच की माँग
गौरी हत्याकांड में पुलिस की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन तहरीर ने उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दी गयी गाइड्लाइन्स का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए यूपी में 'पुलिस सुधार' लागू कराने और 'गौरी हत्याकांड' की सीबीआई जाँच की माँग करने संबंधी एक माँग-पत्र भारत के गृह मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह,यूपी के राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव, डीजीपी, महिला आयोग की अध्यक्षा और लखनऊ के जिलाधिकारी,डीआईजी और एसएसपी को भेजा था.
'तहरीर' का मानना था कि क्योंकि हर मामले में सीबीआई जाँच नही कराई जेया सकती है क्योंकि यह अव्यवहारिक है अतः जब तक पुलिस सुधार लागू कर सूबे की पुलिस को गैर-जायज़ राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त नही किया जाएगा, तब तक यूपी की क़ानून व्यवस्था नही सुधर सकती है इसीलिए लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन तहरीर ने उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दी गयी गाइड्लाइन्स का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए यूपी में 'पुलिस सुधार' लागू कराने और 'गौरी हत्याकांड' की सीबीआई जाँच की माँग करने संबंधी एक माँग-पत्र भारत के गृह मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह,यूपी के राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव, डीजीपी, महिला आयोग की अध्यक्षा और लखनऊ के जिलाधिकारी,डीआईजी और एस एस पी को भेजाथा.
राजधानी लखनऊ के
बहुचर्चित गौरी हत्याकांड के खुलासे
में पुलिस
की बतायी
थ्योरी और
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई पेंच
नजर आ
रहे हैं
जिनसे पुलिस
के खुलासे
और पोस्टमार्टम
रिपोर्ट पर
कई सवाल
खड़े खड़े
हो रहे
हैं.
पुलिस ने गौरी हत्याकांड के
खुलासे में
लाश के
टुकड़े करने
में लकड़ी
काटने वाली
आरी के
इस्तेमाल की
बात कही
है| वहीं
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक लाश
के टुकड़े
करने में
दो तरह
के हथियारों
का प्रयोग
किया गया
है| पोस्टमार्टम
रिपोर्ट साफ
कहती है
कि गौरी
को मोटराइज्ड
हथियार से
काटा गया।
पर अब
पुलिस कह
रही है
कि उसे
आरी से
काटा गया
था . इसी के
साथ पोस्टमार्टम
रिपोर्ट में
गौरी की
हत्या गला
दबाकर नहीं
बल्कि किसी
धारदार हथियार
से काटकाट
मारा गया
था क्योकि
जिस वक़्त
गौरी की
गर्दन काटी
गयी, उस
समय गौरी
ज़िंदा थी.
अगर विशेषज्ञों
की माने
तो किसी
लकड़ी काटने
वाली आरी
से किसी
इंसान के
शरीर को
काटा जाएगा
तो उसे
तेजी से
चलाना होगा,
जो कि
किसी अनाड़ी
के दवारा
इतनी सफाई
से नही
काटा जा
सकता है|
दांतेदार आरी
से काटने
पर त्वचा
के ऊतक
बुरी तरह
से क्षतिग्रस्त
हो जाते
हैं| गौरी
को जिस
सफाई से
काटा गया
है उसे
देखकर तो
एक बात
स्पष्ट है
कि उसे
किसी मोटोराइज्ड
कटर से
काटा गया
है.
अब सवाल यह है कि डॉक्टरों की
रिपोर्ट गलत है या पुलिस की थ्योरी? और इसका पता लगाने के लिए डॉक्टरों की रिपोर्ट
और पुलिस की थ्योरी, दोनों का ही परीक्षण आवश्यक है.
अतः गौरी
हत्याकांड में पुलिस खुलासे से
असंतुष्ट सामाजिक
संगठन 'तहरीर' फिर से सीबीआई जाँच
की माँग
को दोहरा
रहा है.
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