ईमानदारी का ढोल पीटने बाली अमिताभ ठाकुर-नूतन ठाकुर दंपत्ति की दस संपत्तियां है पर दिखा रहे मात्र दो !
http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttar-pradesh-news-in-hindi/256700/ips-officer-amitabh-thakur-why-hang-vigilance-probe.html
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क्यों लटकी है अमिताभ ठाकुर के खिलाफ विजिलेंस जांच |
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लगातार विवादों में घिरे रहने वाले आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को मानों इन दिनों मुंह-मांगी मुराद मिल गयी है.
ठाकुर की संपत्ति की विजिलेंस जांच की सिफारिश की फाइल शासन में धूल जो फांक रही है. लगातार अपने कृत्यों से पुलिस महकमे और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले अमिताभ ठाकुर को शासन का कौन अधिकारी बचा रहा है, यह सवाल आजकल पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बन गया है.
आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर आईजी कार्मिक ने उनकी संपत्ति की प्रारंभिक जांच की थी. जांच में उनके खिलाफ लगे आरोपों के पक्ष में कई अहम प्रमाण मिलने पर इस मामले की विस्तृत जांच के लिए विजिलेंस जांच की सिफारिश की गयी.
तत्कालीन डीजीपी पहले तो इस सिफारिश को काफी दिनों तक दबाये रहे लेकिन बाद में इसे लेकर विवाद खड़ा होने पर उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति से पूर्व शासन से इसकी संस्तुति कर दी. अब शासन में यह मामला पिछले तीन माह से लंबित पड़ा है.
गृह विभाग के अधिकारी इस बाबत कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. इस बाबत प्रमुख सचिव गृह एके गुप्त से दो बार एसएमएस कर जानकारी मांगी गयी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं डीजीपी मुख्यालय के अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है.
वहीं जब इस प्रकरण में अमिताभ ठाकुर का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि विभागीय नियम उन्हें अपना पक्ष रखने से प्रतिबंधित करते हैं, अत: वे तथ्यों के विस्तार में नहीं जाकर मात्र इतना कहेंगे कि चूंकि वे स्वयं निरंतर पारदर्शिता की वकालत करते रहे हैं, वे अपने संबंध में ऐसी किसी भी जांच का स्वागत करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वे किसी प्रकार से गलत नहीं हैं.’
क्या है मामला : दरअसल 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 2010 में केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दी गयी अपनी अचल संपत्ति की जानकारी(इम्मूवेबिल प्रोपर्टी रिटर्न) में बताया था कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से लखनऊ व बिहार में दस संपत्तियां है.
राजधानी के गोमतीनगर स्थित विरामखंड में एक एचआईजी मकान, खरगापुर में पांच प्लाट व उजरियांव में एक पांच हजार स्क्वायर फिट में मकान है.
इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना, सीतामढ़ी में भी उनके पास मकान व कृषि भूमि है. इन सभी संपत्तियों से उनकी वार्षिक आय दो लाख 88 हजार 390 रुपये है। उनके पास इतनी संपत्तियां होने के मामले ने जब तूल पकड़ा तो उन्होंने बाद के वर्षो में दाखिल किये गये अपने आईपीआर में उनके नाम केवल दो संपत्तियां ही होने का दावा किया.
उन्होंने अपनी पत्नी के नाम आठ संपत्तियों की जानकारी नहीं दी जबकि यह नियमों के विपरीत था. इसे लेकर डीजीपी मुख्यालय ने उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच करायी जिसमें इस मामले की विजिलेंस जांच की सिफारिश की गयी.
डीजीपी मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अभी वर्ष 2012 व 2013 का आईपीआर दाखिल नहीं किया है.
पहले भी हो चुकी है विजिलेंस जांच : अमिताभ ठाकुर के खिलाफ विजिलेंस जांच का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले अप्रैल 2003 में भी उनके खिलाफ विजिलेंस जांच हो चुकी है.
उन पर आरोप लगा था कि वे एसपी देवरिया के पद पर रहने के दौरान अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम से एनजीओ चला रहे हैं. ठाकुर ने इस बाबत कोर्ट में दावा किया था कि इस जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है.
ठाकुर की संपत्ति की विजिलेंस जांच की सिफारिश की फाइल शासन में धूल जो फांक रही है. लगातार अपने कृत्यों से पुलिस महकमे और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले अमिताभ ठाकुर को शासन का कौन अधिकारी बचा रहा है, यह सवाल आजकल पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बन गया है.
आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर आईजी कार्मिक ने उनकी संपत्ति की प्रारंभिक जांच की थी. जांच में उनके खिलाफ लगे आरोपों के पक्ष में कई अहम प्रमाण मिलने पर इस मामले की विस्तृत जांच के लिए विजिलेंस जांच की सिफारिश की गयी.
तत्कालीन डीजीपी पहले तो इस सिफारिश को काफी दिनों तक दबाये रहे लेकिन बाद में इसे लेकर विवाद खड़ा होने पर उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति से पूर्व शासन से इसकी संस्तुति कर दी. अब शासन में यह मामला पिछले तीन माह से लंबित पड़ा है.
गृह विभाग के अधिकारी इस बाबत कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. इस बाबत प्रमुख सचिव गृह एके गुप्त से दो बार एसएमएस कर जानकारी मांगी गयी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं डीजीपी मुख्यालय के अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है.
वहीं जब इस प्रकरण में अमिताभ ठाकुर का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि विभागीय नियम उन्हें अपना पक्ष रखने से प्रतिबंधित करते हैं, अत: वे तथ्यों के विस्तार में नहीं जाकर मात्र इतना कहेंगे कि चूंकि वे स्वयं निरंतर पारदर्शिता की वकालत करते रहे हैं, वे अपने संबंध में ऐसी किसी भी जांच का स्वागत करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वे किसी प्रकार से गलत नहीं हैं.’
क्या है मामला : दरअसल 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 2010 में केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दी गयी अपनी अचल संपत्ति की जानकारी(इम्मूवेबिल प्रोपर्टी रिटर्न) में बताया था कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से लखनऊ व बिहार में दस संपत्तियां है.
राजधानी के गोमतीनगर स्थित विरामखंड में एक एचआईजी मकान, खरगापुर में पांच प्लाट व उजरियांव में एक पांच हजार स्क्वायर फिट में मकान है.
इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना, सीतामढ़ी में भी उनके पास मकान व कृषि भूमि है. इन सभी संपत्तियों से उनकी वार्षिक आय दो लाख 88 हजार 390 रुपये है। उनके पास इतनी संपत्तियां होने के मामले ने जब तूल पकड़ा तो उन्होंने बाद के वर्षो में दाखिल किये गये अपने आईपीआर में उनके नाम केवल दो संपत्तियां ही होने का दावा किया.
उन्होंने अपनी पत्नी के नाम आठ संपत्तियों की जानकारी नहीं दी जबकि यह नियमों के विपरीत था. इसे लेकर डीजीपी मुख्यालय ने उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच करायी जिसमें इस मामले की विजिलेंस जांच की सिफारिश की गयी.
डीजीपी मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अभी वर्ष 2012 व 2013 का आईपीआर दाखिल नहीं किया है.
पहले भी हो चुकी है विजिलेंस जांच : अमिताभ ठाकुर के खिलाफ विजिलेंस जांच का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले अप्रैल 2003 में भी उनके खिलाफ विजिलेंस जांच हो चुकी है.
उन पर आरोप लगा था कि वे एसपी देवरिया के पद पर रहने के दौरान अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम से एनजीओ चला रहे हैं. ठाकुर ने इस बाबत कोर्ट में दावा किया था कि इस जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है.
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