Sunday, July 5, 2015

कायम रहेगी बाघ की बादशाहत,शेर को राष्ट्रीय पशु बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं - पर्यावरण मंत्रालय




उन बाघप्रेमियों के लिए यह खबर राहत देने बाली हो सकती है जो बीते अप्रैल में  केंद्र सरकार द्वारा बाघ की बजाय शेर को राष्ट्रीय पशु बनाने पर विचार करने की  ख़बरों से  परेशान थे।

यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी 'आरटीआई गर्ल'   13 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर  द्वारा दायर एक आरटीआई अर्जी  पर भारत सरकार के पर्यावरण, वन  एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय  द्वारा दिए गए  जबाब से यह स्पष्ट हो गया है  कि फिलहाल राष्ट्रीय पशु की  पदवी पर बाघ की ही बादशाहत कायम रहेगी


ऐश्वर्या बताती हैं कि बीते अप्रैल में उन्होंने समाचार  पत्रों में  केंद्र सरकार द्वारा बाघ की बजाय शेर को राष्ट्रीय पशु बनाने पर विचार करने की  ख़बरें पढ़ने के बाद वे भी व्यथित हो गयीं थीं।  इसीलिये मामले की तह तक जाने के लिए उन्होंने बीते  4  मई  को प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई अर्जी लगाकर राष्ट्रीय पशु को बदलने की कार्यवाहियों के रिकॉर्ड की मांग की थी।


बीते  20   मई  को प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऐश्वर्या की  आरटीआई अर्जी को भारत के गृह सचिव को अंतरित किया था। बीते   17  जून को  भारत सरकार के पर्यावरण, वन  एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय  के आधीन कार्यरत राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण ने  इस बाल आरटीआई कार्यकर्ता को बताया है कि प्राधिकरण को राष्ट्रीय पशु बदलने के सम्बन्ध में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।


ऐश्वर्या की आरटीआई के खुलासे से उन अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया है जिनमें कहा गया था कि झारखंड से राज्यसभा सांसद परिमाल नाथवानी ने राष्ट्रीय पशु को बाघ से बदलकर शेर को बनाने का एक प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले 'नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ' को भेजा था  और मंत्रालय ने इस प्रस्ताव में रुचि दिखाई थी।

आरटीआई जबाब से खुश ऐश्वर्या ने बताया कि वे खुश हैं कि साल 1972 में  राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया बाघ  ही राष्ट्रीय पशु बना रहेगा और भारत के 17 राज्यों में पाए  जाने बाले बाघों को बचाने का अभियान बदस्तूर जारी रहेगा।

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