बीते 11 जुलाई से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा चल रहा है। 11 जुलाई 1987 को
पूरे विश्व की जनसंख्या 5 अरब हुई थी, तब इस विशेष दिन को विश्व
जनसंख्या दिवस घोषित कर हर साल मनाया जाता है। भारत विश्व का पहला देश था
जहां जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से परिवार नियोजन कार्यक्रमों की
शुरुआत की गई थी। पहल तो अच्छी थी पर मेरा मानना है कि नीति-नियंताओं की
इच्छाशक्ति की कमी और लोगों से अपेक्षाकृत सहयोग न मिलने के कारण
परिणाम आशाजनक नहीं मिले और ये कार्यक्रम आज भी जनसंख्या नियंत्रण और
जागरुकता फैलाने के नाम पर महज खानापूर्ति से अधिक कुछ भी नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि वह तेजी से बढ़ती
जनसंख्या से चिंतित है और सरकार जनसंख्या स्थिरता पखवारा भी मना रही है
।'खुशहाल परिवार का मंतर, दो बच्चों में तीन साल का अंतर' की थीम पर
आयोजित इस पखवारे में रैलियों , गोष्ठियों और कार्यशालाओं के आयोजनों की
कवायद कर लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के फायदे गिनाए जाने की भी बात
सरकार की तरफ से की जा रही है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण विकासशील क्षेत्र जनसंख्या के बीच सामंजस्य
बैठाने में लगे रहते हैं तो वहीं विकसित क्षेत्र पलायन करके अच्छे अवसरों
की चाहत में बाहर से आने वाले लोगों की वजह से बढ़ते जनसंख्या धनत्व से
परेशान रहते हैं।
प्रायः अशिक्षा, अज्ञान और आर्थिक पिछड़ेपन को ही जनसँख्या बृद्धि के
मुद्दों से उदासीनता का मुख्य कारक माना जाता है परन्तु यदि मैं आपसे
कहूँ कि उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह, जिन पर स्वयं जनसँख्या को
नियंत्रित करने की नीतियां बनाने का दायित्व है, स्वयं अपनी जनसंख्या
बृद्धि औरअपने परिवार नियोजन को लेकर उदासीन हैं तो क्या आप विश्वास
करेंगे ? शायद नहीं। पर आपको विश्वास करना पड़ेगा क्योंकि मेरी एक आरटीआई
के जबाब में उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति विभाग के जबाब से तो यही
सिद्ध हो रहा है।
दरअसल मैंने बीते 21 नवम्बर को मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक आरटीआई
लगाकर दो से अधिक बच्चे पैदा करने बाले आईएएस अधिकारियों के नामों की
सूचना माँगी थी। बीते 8 जून को उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति विभाग के
अनुभाग अधिकारी और जनसूचना अधिकारी रघुवंश प्रताप सिंह ने मुझे बताया है
कि यूपी के आईएएस अधिकारियों के स्थापना सम्बन्धी कार्यों को देखने बाले
उनके विभाग के पास दो से अधिक बच्चे पैदा करने बाले आईएएस अधिकारियों के
नामों की कोई सूचना नहीं होने के कारण दिया जाना संभव नहीं है।
इस आरटीआई जबाब के आधार पर मेरा कहना यह है कि हालाँकि 13 जनवरी 1995 को
डीओपीटी के नोटिफिकेशन संख्या 11017/27/93 के माध्यम से लागू किये गए
अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली के नियम 17A (iii) के अनुसार प्रत्येक
आईएएस अधिकारी को अपने व्यक्तिगत स्तर पर दो बच्चों के परिवार मानक का
पालन करना अनिवार्य है किन्तु दुर्भाग्य है कि 10 वर्षों से अधिक समय बाद
भी उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार ने इस नियम का अनुपालन कराने के लिए कोई
प्रयास नहीं किया है| मेरा यह भी कहना है कि इससे स्पष्ट है कि यूपी
सरकार इस आईएएस अधिकारी परिवार नियोजन अखिल भारतीय नियम के अनुपालन में
पूर्णतया उदासीन है और जनसँख्या नियंत्रण पर बड़ी बड़ी बातें करने बाले
सूबे के नीति-नियंता आईएएस अपने परिवार-नियोजन को लेकर ही पारदर्शी नहीं
हैं।
मैं आज जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े पर अपने सामाजिक संगठन ''तहरीर'' के
माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव और भारत सरकार के
कार्मिक मंत्रालय को पत्र भेजकर इस नियम का कड़ाई से अनुपालन कराये जाने
और इस नियम का उल्लंघन करने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही
किये जाने की मांग कर रहा हूँ।
--
Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
https://www.facebook.com/
Website :http://tahririndia.blogspot.
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : +91 - 8081898081
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India. तहरीर (पारदर्शिता, जवाबदेही और
मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल ) भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता
संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के
हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l
No comments:
Post a Comment