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-> यूपी के क़ानून बनाने बाले ही तोड़ रहे क़ानून ! : अखिलेश सरकार के पास नहीं
है यूपी के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल सदस्यों द्वारा द्वारा सार्वजनिक
कीं गयीं परिसंपत्तियाँ ( टोटल वेल्थ,
एसेट्स ) और देयतायें (लायबिलिटीज़) !: अखिलेश
यादव यूपी के सीएम और मंत्रियों की निजी संपत्ति,देनदारियों
पर पारदर्शिता निभाने के आश्वासन में विफल !
लखनऊ.
३० मई २०१५. तहरीर.
असीम
त्रिवेदी का कार्टून 'गैंग रेप ऑफ मदर इंडिया' देखा. लगा वास्तव में क्या सही सोच है
असीम भाई की. लगा कि ऐसे राजनेताओं में से कुछ हमारी यूपी के भी हैं. मिलिए इनसे.
वर्तमान
में उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के कई मंत्रियों की संपत्ति में तेजी से हो रही बृद्धि की खबरें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक
और सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रही हैं ऐसे में मेरी आरटीआई से यह खुलासा होना कि
यूपी के सीएम और उनकी मंत्रिपरिषद के 2011 से अब तक सार्वजनिक कीं गयीं
परिसंपत्तियाँ ( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयतायें (लायबिलिटीज़) के विवरण प्रदेश
की सरकार के पास नहीं हैं, एक महत्वपूर्ण खुलासा है जो कानून बनाने बालों के द्वारा
ही कानून को तोड़े जाने का जीवंत उदहारण तो है ही, यह इन माननीयों के दोहरे चरित्र को
भी उजागर कर रहा है।
कहने
को तो सरकारों के लिए उच्च पदों पर भ्रष्टाचार
देश की आम जनता के जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने बाले समकालीन मुद्दों में सर्वाधिक
बड़ा मुद्दा है. सरकारें ऐसा भी मानती है कि
यदि देश के उच्च पदों पर आसीन लोकसेवक अपनी
परिसंपत्तियों को सार्वजनिक करने लगें तो भ्रष्टाचार पर काफ़ी हद तक लगाम लगाई जा सकती
है. पूरे देश की जनता भी ऐसा ही मानती है जिसकी बानगी पूरे देश ने अन्ना आंदोलन के
दौरान देखी जिसकी परिणति के रूप में देश को लोकपाल क़ानून भी मिला जिसमें लोकसेवकों
और उनके परिवार के सभी सदस्यों की परिसंपत्तियाँ सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया गया
पर जब परिसंपत्तियाँ सार्वजनिक करने पर अमल करने की बात आती है तो सर्वाधिक उच्च पदों
पर आसीन लोग ही दोगला व्यवहार कर अपना मुँह छुपाते नज़र आते है.
कुछ
ऐसा ही खुलासा मेरे द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव कार्यालय में दायर एक आरटीआई
पर उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी द्वारा मुझे १४ मई २०१५ को भेजे
जबाब से हुआ है .
दरअसल
मैने बीते साल
के सितंबर माह
में उत्तर प्रदेश
के मुख्य सचिव
कार्यालय में
एक आरटीआई दायर करके
यूपी के मुख्यमंत्री
और मंत्रिमंडल सदस्यों
की वित्तीय वर्ष
२०१०-११,२०११-१२,२०१२-१३,२०१३-१४ एवं
२०१४-१५ की
कुल परिसंपत्तियों ( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयताओं ( लायबिलिटीज़ ) तथा ये
विवरण
न देने पर
दंडित किए गये मुख्यमंत्री
और मंत्रिमंडल सदस्यों की
सूचना माँगी थी.
मुख्य
सचिव कार्यालय ने मेरा आरटीआई आवेदन उत्तर
प्रदेश के गोपन विभाग को अंतरित कर दिया था. राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद
गोपन विभाग के विशेष सचिव एवं जनसूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल द्वारा मुझे भेजे पत्र से ये चौंकाने बाला खुलासा हुआ है कि यूपी के मुख्यमंत्री
और मंत्रिमंडल सदस्यों की कुल परिसंपत्तियों ( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयताओं ( लायबिलिटीज़ ) तथा ये विवरण
न देने पर दंडित किए गये मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल
सदस्यों की कोई भी सूचना गोपन विभाग में धारित नहीं है.
गोपन
विभाग के जनसूचना
अधिकारी ने ये
भी अभिलिखित किया
है कि उनको
यह भी नहीं
पता है कि
मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल
सदस्यों की कुल
परिसंपत्तियों ( टोटल वेल्थ,
एसेट्स ) और
देयताओं ( लायबिलिटीज़ ) की ये
सूचना उत्तर प्रदेश
के किस विभाग
द्वारा धारित है और
मेरा आरटीआई आवेदन
और पोस्टल आर्डर
मुझे बापस कर
दिया है.
सूबे
के मुख्य सचिव
के कार्यालय,गोपन
विभाग और राज्य
सूचना आयोग के
हस्तक्षेप के बाद
भी मुझे मुख्यमंत्री
और मंत्रिमंडल सदस्यों
की कुल परिसंपत्तियों
( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयताओं
( लायबिलिटीज़ ) की
सूचना मिलने के स्थान
पर आरटीआई आवेदन
बापस मिलने से
ये तो स्पष्ट
है कि उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री
और मंत्रिमंडल सदस्य
अपनी कुल परिसंपत्तियों
( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयताओं
( लायबिलिटीज़ ) की
सूचना उत्तर प्रदेश सरकार
को देते ही
नहीं है। मेरे अनुसार
ये स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण
है और उच्च
पदों पर आसीन
और
माननीय कहे जाने बाले
इन लोगों के
दोगले चेहरे उजागर
कर रही है.
उत्तर
प्रदेश सहित भारत में ज्यादातर राज्य अपने सीएम और मंत्रियों की संपत्ति सार्वजनिक
करने में असमर्थ रहे हैं है। उत्तर प्रदेश
के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अखिलेश यादव ने प्रशासन में पारदर्शिता की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री
और मंत्रियों की निजी संपत्ति को सार्वजनिक
करने की बात कही थी , लेकिन इस आरटीआई से पता
चला है मोटे तौर पर वह इसमें पूर्णतः विफल रहे हैं। हमारा मानना
है कि इस खुलासे से उच्च स्थानों पर पारदर्शिता
और जवाबदेही स्थापित करने की मुहीम को एक बड़ा झटका लगा है ।
उत्तर
प्रदेश मंत्रियों और विधायकों (आस्तियों और देयताओं का प्रकाशन) अधिनियम (1975) राज्य
विधानसभा के हर सदस्य के लिए प्रत्येक और नए वित्तीय वर्ष के पहले 20 दिनों के भीतर
अपनी संपत्ति और देनदारियों का विवरण प्रस्तुत
करना अनिवार्य बनाता है।
लोक
प्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत आचार संहिता के अनुसार भी प्रत्येक विधायक को हर साल
नियमित रूप से उनके और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और देनदारियों की घोषणा करके
समाज के समक्ष एक उदाहरण स्थापित करने की उम्मीद
की जाती है ।
इन
नियमों के पिछले 40 वर्षों से अस्तित्व में होने के बावजूद हमारे नेताओं द्वारा इनको गंभीरता से नहीं
लिया गया है और मेरी इस आरटीआई के जवाब से
पता चलता है कि यूपी के क़ानून बनाने बाले ही क़ानून तोड़ रहे हैं।
ये
सूचना मायावती और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल की हैं जिससे स्पष्ट है कि मायावती
के पदच्युत होने और अखिलेश के पदारूढ़ होने से केवल सत्ता के चेहरे मात्र ही बदले और इन माननीयों द्वारा अपनी संपत्तियां छुपाने की पुरानी मानसिकता जस की तस रही.
मेरा
मानना है कि इन उच्च पदस्थ माननीयों के पारदर्शी हुए बिना भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र की स्थापना संभव नहीं है और इसीलिये मैं सामाजिक
संगठन 'तहरीर' के संस्थापक अध्यक्ष की हैसियत से यूपी के राज्यपाल को ज्ञापन देकर सूबे
के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल सदस्यों को उनकी
कुल परिसंपत्तियों ( टोटल वेल्थ, एसेट्स ) और देयताओं ( लायबिलिटीज़ ) की सूचना प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से सार्वजनिक करने के निर्देश जारी करने
की अपील
करूंगा.
संजय
शर्मा
संस्थापक
'तहरीर'
मोबाइल
८०८१८९८०८१
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Saw Aseem Trivedi’s cartoon "Gang Rape of
Mother India". Found it very realistic. I was thinking if UP CM &
council of Ministers are also some of the politicians getting Mother India gang
raped by the corruption-demon. Pls. read on.
At a time when the news of rapid growth of assets of many
ministers of Akhilesh Yadav Government are touching headlines on front pages of
newspapers, getting breaking news space on electronic media and are the most
shared and commented features on social media,
A reply on one of my RTIs has grilled UP CM & its council of
ministers over their tall claims on practicing transparency in public life by
themselves as none of the Ministers of present and the predecessor Govts.
including CMs have shared information with UP Government about their assets and
liabilities, as mandated, according to the state government's response to a RTI
query of mine.
I being an advocate of Transparency & accountability in
public life, had sought information
about assets and liabilities declared by the Cabinet as well as the Chief
Ministers of State to which UP Govt. has replied that the data is not
available. I sought the info 04-09-2014 from PIO of office of Chief Secretary
of UP. This RTI got transferred to confidential deptt. of UP Govt.
In an obvious snub to earlier boastings of
Akhilesh Yadav on transparency claims
made on disclosures of assets & liabilities of CM and council of Ministers
of UP, the Uttar Pradesh Government has returned back to me this RTI
application of mine which sought details
about earlier CM Mayawati, present CM Akhilesh Yadav and other ministers'
assets concerning their regime. I had filed this RTI query seeking a detailed
report on the assets and liabilities of the CM and council of ministers
over the past five years. However, the UP government returned the plea saying
the information was not with them.
In reply to the query, UP government's special secretary & public information officer of
confidential department Krishna Gopal said that neither the information sought was
with confidential department nor he knew as to who might be holding the
information sought by me. Citing this he returned the RTI plea & 10/- RTI
fee back to me.
Most states in India including Uttar
Pradesh have been unable to make ministers' assets public. Soon after
taking charge as youngest CM of UP, Akhilesh Yadav has asserted that
transparency will be pursued in issues of governance and CM,ministers' personal
assets but he failed grossly as this RTI has revealed and its a severe blow to
the youngest CM's claims on transparency and accountability at high places.
We, at ‘TAHRIR’ believe that transparency
and accountability are the two cornerstones of any pro-people government.
Transparency and accountability not only connect the people closer to the
government but also make them equal and integral part of the decision making
process.But, Alas………………………!
The Uttar Pradesh Ministers and Legislators
(Publication of Assets & Liabilities) Act (1975) makes it mandatory for
each and every member of the state assembly to submit details or their assets
and liabilities within the first 20 days of the new financial year.
The code of conduct under the Public
Representative Act 1951 of the Constitution of India, CM and his council of
ministers are expected to set an example for other MLAs by declaring their and
their family members' assets and liabilities regularly every year.
While these rules existed and despite the
law being in force for the last 40 years, these were never taken seriously by
our leaders, reveals this RTI reply.
This is akin to Cocking
a snook at the government orders as none of CMs and their council of Ministers
have disclosed their assets and liabilities. Even Chief
Minister Akhilesh Yadav, who had declared his assets after coming to power in
2012 has also failed to comply with the government orders though in 2012 he was
the first to put up his assets on the government website, claiming that it was
the first step towards transparency in governance but even this move of Akhilesh Yadav failed to set the tone for his
cabinet colleagues to come out and declare their net worth and later Akhilesh
too boarded the non-transparency ship and avoided such declarations in later
years.
We are of the opinion that this RTI reply also reveals that from Maya to Akhilesh, only heads changed n not the mentality & mindset of governance so far as the positive changes in transparency in governance are concerned.
Soon a delegation of ‘TAHRIR’ shall meet UP Governor Ram Naik & CM
Akhilesh Yadav to press our demand of making sure that from now onwards CM,
Ministers, MLAs & MLCs of UP should file their wealth returns with UP Govt.
as mandated under The Uttar Pradesh Ministers and Legislators (Publication of
Assets & Liabilities) Act (1975).
Er. Sanjay Sharma
Founder President – TAHRIR
Mobile 8081898081