दोगलेपन की हद
: अपने सरकारी कक्ष में
नोटिस चस्पा कर
महिलाओं का प्रवेश
वर्जित करने बाले
आईपीएस अमिताभ ठाकुर ही अब कर
रहे सचिवालय में
प्रत्येक व्यक्ति को अपने
काम से बिना
अन्दर के अधिकारी
से पूछे या
उसकी इच्छा जाने
अन्दर प्रवेश करने
का अधिकार दिलाने
की बात !
कोई भी महिला मेरे कमरे में अकेले न आएः IG
नवभारत टाइम्स| Jan 22, 2015, 06.44AM IST
प्रमुख संवाददाता, लखनऊ
पुलिस महकमे में अपने तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले आईजी अमिताभ ठाकुर एक नोटिस जारी कर महिला संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। ठाकुर ने अपने दफ्तर के बाहर नोटिस चस्पा कर दी है जिसके बाद किसी भी महिला के उनके कमरे में अकेले आने की मनाही हो गई है। इसने महिला संगठनों को नाराज कर दिया है।
अमिताभ ठाकुर इस समय आईजी नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनात हैं। उनके खिलाफ एक महिला ने राज्य महिला आयोग में बलात्कार की शिकायत की है। इसके बाद आईजी ठाकुर ने अपने ऑफिस के दरवाजे पर ये नोटिस लगा दी है। इस नोटिस में उन्होंने लिखा है- 'कोई भी महिला आगंतुक कृपया मेरे कक्ष में अकेले प्रवेश न करे'। इतना ही नहीं उन्होंने इस नोटिस को ई-मेल किया और फेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया। इस पर नाराज महिला संगठनों का कहना है कि एक पुलिस अफसर और खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले अमिताभ की यह टिप्पणी अभद्र है। जिम्मेदार पद पर रहकर वे ऐसा नहीं कर सकते। वे इसके जरिए सभी महिलाओं को अपमानित कर रहे हैं। हालांकि अमिताभ ऐसा नहीं मानते।
महिला संगठनों का बयानः
कोई पीड़ित अगर उन्हें कोई गोपनीय बात बताना चाहेगी तो अब कैसे बताएगी! किसी महिला ने उनकी शिकायत की है तो वे उस प्रक्रिया को चलने दें। ऐसे तो वे सोशल एक्टिविस्ट का धर्म निभा रहे हैं और न पुलिस अफसर का।
-प्रो़ रूपरेखा वर्मा, सचिव साझी दुनिया
वे खुद कानून के जानकार हैं। उनसे तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती। वह सभी महिलाओं को कैसे कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। उनकी नोटिस सभी महिलाओं के लिए अपमानजनक है।
-ऊषा विश्वकर्मा, संयोजक रेड ब्रिगेड
यह बड़ी अजीब बात है। अमिताभ ठाकुर जैसे व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती। वह खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश करते हैं। यह महिलाओं को डराने की कोशिश है।
-मधु गर्ग, प्रदेश सचिव एडवा
क्या कहा ठाकुर नेः
अपनी जान बचाने के लिए मेरे पास और क्या तरीका है? यह नोटिस प्रतीकात्मक भी है कि इस तरह के आरोपों, फर्जी मामलों में पुरुषों के पास बचाव का कोई तरीका नहीं है। मेरा मकसद महिलाओं को अपमानित करने या शक की नजर से देखना नहीं है।
- अमिताभ ठाकुर, आईजी
पुलिस महकमे में अपने तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले आईजी अमिताभ ठाकुर एक नोटिस जारी कर महिला संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। ठाकुर ने अपने दफ्तर के बाहर नोटिस चस्पा कर दी है जिसके बाद किसी भी महिला के उनके कमरे में अकेले आने की मनाही हो गई है। इसने महिला संगठनों को नाराज कर दिया है।
अमिताभ ठाकुर इस समय आईजी नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनात हैं। उनके खिलाफ एक महिला ने राज्य महिला आयोग में बलात्कार की शिकायत की है। इसके बाद आईजी ठाकुर ने अपने ऑफिस के दरवाजे पर ये नोटिस लगा दी है। इस नोटिस में उन्होंने लिखा है- 'कोई भी महिला आगंतुक कृपया मेरे कक्ष में अकेले प्रवेश न करे'। इतना ही नहीं उन्होंने इस नोटिस को ई-मेल किया और फेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया। इस पर नाराज महिला संगठनों का कहना है कि एक पुलिस अफसर और खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले अमिताभ की यह टिप्पणी अभद्र है। जिम्मेदार पद पर रहकर वे ऐसा नहीं कर सकते। वे इसके जरिए सभी महिलाओं को अपमानित कर रहे हैं। हालांकि अमिताभ ऐसा नहीं मानते।
महिला संगठनों का बयानः
कोई पीड़ित अगर उन्हें कोई गोपनीय बात बताना चाहेगी तो अब कैसे बताएगी! किसी महिला ने उनकी शिकायत की है तो वे उस प्रक्रिया को चलने दें। ऐसे तो वे सोशल एक्टिविस्ट का धर्म निभा रहे हैं और न पुलिस अफसर का।
-प्रो़ रूपरेखा वर्मा, सचिव साझी दुनिया
वे खुद कानून के जानकार हैं। उनसे तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती। वह सभी महिलाओं को कैसे कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। उनकी नोटिस सभी महिलाओं के लिए अपमानजनक है।
-ऊषा विश्वकर्मा, संयोजक रेड ब्रिगेड
यह बड़ी अजीब बात है। अमिताभ ठाकुर जैसे व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती। वह खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश करते हैं। यह महिलाओं को डराने की कोशिश है।
-मधु गर्ग, प्रदेश सचिव एडवा
क्या कहा ठाकुर नेः
अपनी जान बचाने के लिए मेरे पास और क्या तरीका है? यह नोटिस प्रतीकात्मक भी है कि इस तरह के आरोपों, फर्जी मामलों में पुरुषों के पास बचाव का कोई तरीका नहीं है। मेरा मकसद महिलाओं को अपमानित करने या शक की नजर से देखना नहीं है।
- अमिताभ ठाकुर, आईजी
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Bhadas News
महिला विरोधी मानसिकता के प्रदर्शन के लिए आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ कार्यवाही की मांग
- Written by B4M Reporter
- Published in उत्तर प्रदेश
To,
1- SHRI RAJNATH SINGH, HOME MINISTER, Ministry of Home Affairs, North Block,Central Secretariat,New Delhi – 110001 through Shri Anil Goswami HOME SECRETARY hshso@nic.in
2- The Governor of Uttar Pradesh,Uttar Pradesh Government , Lucknow, Uttar Pradesh,India,Pin Code-226001
"hgovup" <hgovup@nic.in>, "hgovup" <hgovup@up.nic.in>, "hgovup" <hgovup@gov.in>,
3- Chief Minister of Uttar Pradesh, Uttar Pradesh Government, Lucknow.
"cmup" <cmup@nic.in>,"cmup" <cmup@up.nic.in>,
4- Chief Secretary of Uttar Pradesh, Uttar Pradesh Government,Lucknow.
"csup" <csup@up.nic.in>,
5- Director General of Uttar Pradesh Police uppcc-up <uppcc-up@nic.in>, uppcc <uppcc@up.nic.in>, dgp <dgp@up.nic.in>,
6- Chairman, Uttar Pradesh State Women Commission, Lucknow. up.mahilaayog@yahoo.com
Sub.: Inquiry in the matter of putting a notice outside his office and sharing on social networking site facebook, a notice reading "Woman visitors kindly requested not to come alone in my chamber,” by UP cadre 1992-batch IPS Amitabh Thakur and subsequently punish him for this act which is highly insulting, objectionable, discriminary & prejudiced to the whole women race on earth.
Sir/Madam,
You must be aware that UP cadre 1992-batch IPS Amitabh Thakur and his wife Dr. Nutan Thakur have been accused by a Ghaziabad-based woman of raping her and by another Etah based woman of assaulting her sexually at his Viram Khand located residence in Lucknow recently. Both the woman filed the complaint at the UP State's Women Commission. Scanned copies of both complaints are attached.
This refers to news-reports that following rape charges, inspector general (civil defence) Amitabh Thakur on 21-01-15 (Wednesday) put up a notice outside his office located in Jawahar Bhawan, requesting women not to visit him unaccompanied. Pic of "Woman visitors kindly requested not to come alone in my chamber,” notice as published on a
news website is attached for your perusal.
Currently posted as joint director (civil defence) Amitabh Thakur, 46, has not only put up the notice outside his office located in Jawahar Bhawan but has also shared the picture of the notice on social networking site-Facebook.
This ‘no woman alone entry’ notice put up by Amitabh Thakur outside his office in Lucknow is highly insulting, objectionable & discriminary to the whole women community.
As per media reports, Amitabh Thakur said that he has put up the notice outside his office as a precautionary measure to save him from women who, he thinks, might level false charges against him in future. This whimsical act of Amitabh Thakur is enough evidence to prove that either Amitabh Thakur has lost his mental balance or he (as an IPS officer) is too prejudiced to provide them justice to women coming to him.
You shall agree that putting a notice by a public servant at a public office to prevent unaccompanied women to enter his cabin is punishable under service rules also.
So please get the matter thoroughly inquired and take subsequent penal action against IPS Amitabh Thakur as per the law of the land.
Copies to DM Lucknow,DIG Lucknow and SSP Lucknow for information & necessary action.
Sincerely yours,
Sanjay Sharma
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : 9369613513
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- May 18, 2015
- Written by B4M डेस्क
- Published in सुख-दुख
आईपीएस
अमिताभ ठाकुर आज
अपनी पत्नी एवं
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.नूतन ठाकुर
के साथ कालिदास मार्ग
स्थित मुख्यमंत्री आवास
गए, जहां ज्ञात
हुआ कि वे
एनेक्सी (मुख्यमंत्री सचिवालय) गए हुए हैं.
सचिवालय में प्रवेश के
लिए उनका पास
नहीं बना। अपनी
सुरक्षा और फर्जी मुकदमों से
बचत की गुहार
के लिए वह
मुख्यमंत्री से मुलाक़ात.करना
चाहते थे लेकिन
संभव न हो
सका।
सचिवालय लखनऊ में आम आदमी की तरह मुख्यमंत्री से मिलने के लिए प्रयासरत डॉ.नूतन ठाकुर और उनके पति आईपीएस अमिताभ ठाकुर
उन्होंने बाद
में अपने फेसबुक
वॉल पर लिखा
कि ''जनविरोधी है
सचिवालय प्रवेश व्यवस्था, बदलने
को प्रत्यावेदन किया
है। 'आज मैं
और नूतन अपनी
सुरक्षा और फर्जी मुकदमों से
बचाव के लिए
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
से मिलने के
उद्देश्य से हम एनेक्सी पहुंचे,
जहां अन्दर जाने
के लिए पास
बनवाना पड़ता है.
एक आईजी के
रूप में मेरे
पास सचिवालय पास
था पर नूतन
को पास नहीं
था, फिर यह
भी है कि
एनेक्सी में भी पंचम
ताल (अर्थात मुख्यमंत्री सचिवालय) जाने
के लिए अलग
से पास चाहिए
होता है, अतः
हमने तय किया
कि पास बनवा
लिया जाए.
''जब लगभग
11.15 बजे
हम कोने पर
अवस्थित पास बनवाने वाले
कक्ष में पहुंचे
तो बड़ी विचित्र स्थिति
थी. कई सारे
लोग वहाँ परेशान
घूम रहे थे
और कोई उनका
सुनने वाला नहीं
था. उनमे दो
पुलिस इंस्पेक्टर धर्मपाल त्यागी
और राम प्रताप
सिंह थे जो
अन्दर जाना चाह
रहे थे पर
उन्हें पास नहीं
मिल पा रहा
था. पूछने पर
बताया कि वे
मुजफ्फरनगर में तैनात हैं
और मुजफ्फरनगर दंगों
की जाँच टीम
में हैं. उन्हें
जे पी सिंह,
विशेष सचिव गृह
ने मुजफ्फरनगर दंगों
की जाँच के
सिलसिले में बुलाया था
और वे काफी
देर से जे
पी सिंह से
संपर्क करना चाह
रहे थे पर
उनका संपर्क नहीं
हो पा रहा
था जिसके कारण
वे काफी परेशान
थे. उन्होंने एकाधिक
बार कहा कि
हम लोगों को
बुला लिया जाता
है पर इस
बात का कत्तई
ध्यान नहीं रखा
जाता कि हम
अन्दर कैसे जायेंगे, अब
न जाने कब
तक यहीं इंतज़ार
करना पड़ेगा.
''इसी प्रकार
एक आरक्षी अरुण
कुमार सिंह वहां
ऐसे ही परेशान
भटक रहे थे.
कैरियर डेंटिस्ट कॉलेज
के भी एक
सज्जन थे, जिनका
नाम हम नहीं
पूछ पाए, जिन्होंने बताया
कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय के
एक अनुसचिव ने
बुलाया था पर
अब उनसे संपर्क
ही नहीं हो
पा रहा है.
चंदौली जिले से
एसडीएम चंदौली बरनवाल
को शम्भू सिंह
यादव, सचिव, मुख्यमंत्री ने
बुलाया था और
वे भी उसी
प्रकार भटक रहे
थे क्योंकि श्री
शम्भू सिंह से
संपर्क नहीं हो
पा रहा था.
''मैनपुरी के
रहने वाले सीआईएसएफ में
बडौदा में तैनात
सतीश चन्द्र मिश्र
भी अपने खेत
पर अवैध कब्जे
की समस्या के
सम्बन्ध में बड़ी उम्मीद
लगा कर मुख्यमंत्री या
किसी अन्य जिम्मेदार अधिकारी से
मिलने आये थे
पर लाख प्रयास
के बाद भी
कोई अफसर उनसे
मिलने को तैयार
नहीं था और
वे वहीँ मायूस
भटक रहे थे.
ये सभी लोग
अलग-अलग अधिकारियों से
मिलना चाह रहे
थे पर ऐसा
लगता है कि
सम्बंधित अधिकारी इनसे मिलने को
विशेष इच्छुक नहीं
थे या कम
से कम उस
समय उपलब्ध नहीं
थे. अतः ये
सभी लोग परेशालहाल भटक
रहे थे.
''इसके इतर
कुछ राजनैतिक लोग
भी थे जो
मुख्यमंत्री से मिलने आये
थे, जैसे मिर्जापुर के
श्री अनुराग तिवारी
आदि. इन लोगों
द्वारा राजनैतिक पार्टी
का नाम बताये
जाने पर इनके
लिए अलग से
व्यवस्था बनायी जा रही
थी
''हमने भी
पूछा कि हमें
मुख्यमंत्री से मिलना है
तो बताया गया
कि हम 2236181 फोन नंबर
पर बात करें.
समय 11.23 बजे मैंने इस
नंबर पर बात
किया, अपना नाम
बताया और अपने
प्राणों के भय के
कारण आने का
कारण दिया और
कहा कि मुख्यमंत्री से
मिलना है तो
उस तरफ से
सज्जन ने कहा
कि मुलाकात नहीं
हो पाएगी. मैंने
उनसे उनका नाम
पूछा तो नाम
बताने से साफ़
इनकार कर दिया.
फिर नूतन ने
समय 11.27 पर उसी नंबर
पर फोन कर
अपना नाम बता
कर कारण सहित
मुलाकात की बात कही
तो उसे भी
मना कर दिया
गया.
''इसके बाद
नूतन ने फोन
नंबर 2238291 पर प्रमुख सचिव
गृह के कार्यालय से
उनसे मिलने का
प्रयास किया तो
वहां से भी
मना कर दिया
गया. इसके बाद
कोई अन्य तरीका
नहीं होने पर
हम लौट आये.
इस अनुभव से
हमने निम्न बातें
पूरी तरह समझ
लीं-
''1. सचिवालय में
केवल वही जा
सकता है जिसकी
अन्दर किसी अधिकारी से
जान-पहचान हो
अथवा जो सत्तारूढ़ पार्टी
का सदस्य हो
अथवा जो किसी
प्रकार से प्रभावशाली हो
''2. ज्यादातर मामलों
में जहां बाहर
बैठा आदमी अन्दर
जाने को बेचैन
होता है वहीँ
अन्दर का अधिकारी इन्हें
बुलाने को कत्तई
बेचैन नहीं दीखता
और इस प्रकार
इन्हें लम्बे समय
तक इंतज़ार करना
पड़ता है और
परेशान होना पड़ता
है
''लेकिन इसमें
सबसे गंभीर बात
यह है कि
इस व्यवस्था के
कारण सामान्य आदमी
(या कुछ थोड़ी-बहुत औकात वाले
लोग भी) सचिवालय में
अन्दर अपने काम
से नहीं जा
सकते. स्पष्ट है
कि यह व्यवस्था पूरी
तरह से दूषित
है क्योंकि इससे
आम आदमी को
अकारण सचिवालय में
जाने से रोका
जा रहा है.
यह व्यवस्था जनहित
के विरुद्ध है
क्योंकि इससे कोई भी
आम आदमी जो
अन्दर किसी को
नहीं जानता अथवा
जिसकी कोई पहुँच
नहीं है वह
किसी भी स्थिति
में अपने काम
से अन्दर नहीं
जा सकता.
''यह बड़ी
अनुचित स्थिति भी
है क्योंकि इसमें
अन्दर के अफसर
के आदेश पर
किसी को अन्दर
प्रवेश मिलेगा जबकि
जाहिर है कि
यदि किसी को
कोई शिकायत है,
कोई परेशानी है,
कोई दिक्कत है
अथवा कोई शिकायत
करनी है तो
उसे अन्दर का
अधिकारी क्यों बुलाएगा. यह
व्यवस्था इस कारण भी
पूरी तरह गलत
है क्योंकि इससे
सुरक्षा का कोई लेना-देना नहीं है.
किसी व्यवस्था में
एक आदमी के
अन्दर प्रवेश करने,
नहीं करने से
खतरा नहीं हो
सकता और न
ही आम आदमी
को अन्दर प्रवेश
करने से रोकने
से सुरक्षा बढ़
जायेगी. यदि वास्तव
में सुरक्षा को
ध्यान में रखना
है तो इस
प्रकार की अनुचित
प्रवेश व्यवस्था की
जगह प्रत्येक व्यक्ति को
अनुमति देते हुए
उनकी ठीक से
चेकिंग की जाए.
जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की
चेकिंग की बात
तो समझ में
आती है, अचानक
बहुत भीड़ बढ़
जाने पर नियंत्रण की
बात तो समझ
में आती है
पर इस प्रकार
आम आदमी और
तमाम सरकारी सेवकों
को घंटों बिना
कारण बाहर लटकाए
रहना अथवा अन्दर
जाने से प्रवेश
करने से रोकना
सीधे-सीधे आम
आदमी के हितों
के विरुद्ध स्थिति
है.
''हमने आज
इस सम्बंध में
प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन को
पत्र लिख कर
अनुरोध किया है
और हमने यह
निश्चय किया है
कि यदि पंद्रह
दिवस में आवश्यक
परिवर्तन नहीं हुए तो
हम इस व्यवस्था के
हर प्रकार से
आम आदमी के
हितों के विरुद्ध होने
और किसी भी
प्रकार से सुरक्षा के
लिए उपयोगी नहीं
होने के कारण
हाई कोर्ट में
चुनौती देंगे और
माननीय कोर्ट से
इस व्यवस्था को
समाप्त करने और
प्रत्येक व्यक्ति को अपने काम
से बिना अन्दर
के अधिकारी से
पूछे या उसकी
इच्छा जाने अन्दर
प्रवेश करने का
अधिकार देने का
अनुरोध करेंगे.''
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