समझ नहीं आता कि ये लोकतान्त्रिक ढंग से चुने जनप्रतिनिधि हैं या राजतान्त्रिक तानाशाह ?
जनता के पैसों की बर्बादी में मायावती का तो कोई सानी ही नहीं है । मुझे नहीं लगता कि आप सब करोड़ों के नोटों से बनी माला पहनकर सालगिरह का सार्वजनिक जश्न मनाती मायावती को अब तक भूल पाए होंगे ।
अपनी सनक में मायावती ने मुख्यमंत्री रहते विशेष पैकेज की राशि को भी पार्कों, स्मारकों और अपनी मूर्तियों पर खर्च कर दिया था । जेट प्लेन से सैंडल आने बाला विकीलीक्स खुलासा भी याद है न । मायावती ने तब यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए पसंदीदा ब्रांड की सैंडल मुंबई से मंगाने के लिए खाली जेट प्लेन को लखनऊ से मुंबई भेज दिया था । शायद लखनऊवासी मायावती की गाडी आने से पहले सड़कों की विशेष सफाई और धुलाई को अब तक भूले नहीं होंगे ।
जनता के पैसों की बर्बादी में मायावती का तो कोई सानी ही नहीं है । मुझे नहीं लगता कि आप सब करोड़ों के नोटों से बनी माला पहनकर सालगिरह का सार्वजनिक जश्न मनाती मायावती को अब तक भूल पाए होंगे ।
अपनी सनक में मायावती ने मुख्यमंत्री रहते विशेष पैकेज की राशि को भी पार्कों, स्मारकों और अपनी मूर्तियों पर खर्च कर दिया था । जेट प्लेन से सैंडल आने बाला विकीलीक्स खुलासा भी याद है न । मायावती ने तब यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए पसंदीदा ब्रांड की सैंडल मुंबई से मंगाने के लिए खाली जेट प्लेन को लखनऊ से मुंबई भेज दिया था । शायद लखनऊवासी मायावती की गाडी आने से पहले सड़कों की विशेष सफाई और धुलाई को अब तक भूले नहीं होंगे ।
कहा जाता है कि अपनी सुरक्षा के डर से मायावती ने अपना खाना बनाने के लिए 9
कुक रखे थे जिसमें सिर्फ दो खाना बनाते थे और बाकी 7 खाना बनता हुआ देखते
थे । मायावती को इससे भी संतोष नहीं होता था और वे खाना बनने के बाद दो
फूड टेस्टर से उसकी जांच करवाती थीं । मायावती भारत के किसी भी राज्य की
पहली ऐसी मुख्यमंत्री हुईं जिन्होंने अपने घर से दफ्तर के लिए निजी सड़कें
बनवाईं।
जनता का पैसा है भाई “माले मुफ्त, दिले बेरहम” बाली कहावत तो याद है न ।
जनता का पैसा है भाई “माले मुफ्त, दिले बेरहम” बाली कहावत तो याद है न ।
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