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एन के महरोत्रा के खिलाफ मुक़दमा
लखनऊ -सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा लोकायुक्त एन के महरोत्रा के खिलाफ दायर आपराधिक परिवाद में आज लोकायुक्त के समक्ष आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ परिवाद दायर करने वाले संजय शर्मा श्री महरोत्रा की मदद में मध्यस्थ बन कर खड़े हुए.
डॉ ठाकुर ने इसपर कड़ा प्रतिवाद किया कि आपराधिक मामलों में तीसरा व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता है और यदि कोई बात कहनी है तो वह स्वयं श्री महरोत्रा द्वारा कही जा सकती है, मध्यस्थ द्वारा नहीं.
उन्होंने कहा कि उनके पति के खिलाफ वाद दायर करने वाले व्यक्ति का इस तरह श्री महरोत्रा की मदद में खड़ा होना दोनों की मिलीभगत को दर्शाता है. डॉ ठाकुर की आपत्ति को स्वीकार करते हुए सीजेएम सोम प्रभा मिश्रा ने प्राथमिक स्तर पर ही मध्यस्थता प्रार्थनापत्र ख़ारिज कर दी.
साथ ही उन्होंने 200 सीआरपीसी में डॉ ठाकुर का विस्तृत बयान दर्ज करने के लिए कल 11 सितम्बर 2015 की तारीख तय किया.
परिवाद के अनुसार एन के महरोत्रा ने अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने और निजी नाराजगी के कारण न सिर्फ विधिविरुद्ध तरीके से उनके पति के खिलाफ जाँच ग्रहण किया बल्कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर गलत तथ्य सार्वजनिक कर इसे अकारण सनसनीखेज बनाने, उनके सास-ससुर के सिविल मामलों में हस्तक्षेप करने और उन्हें फर्जी फंसाने का प्रयास किया जो धारा 166, 167, 195, 195ए, 196, 200, 211, 219, 500 आईपीसी के तहत अपराध है.
लोकायुक्त मामले में इंटेरवीनर की एप्लीकेशन ख़ारिज
लखनऊ -सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा लोकायुक्त एन के महरोत्रा के खिलाफ दायर आपराधिक परिवाद में आज लोकायुक्त के समक्ष आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ परिवाद दायर करने वाले संजय शर्मा श्री महरोत्रा की मदद में मध्यस्थ बन कर खड़े हुए.
डॉ ठाकुर ने इसपर कड़ा प्रतिवाद किया कि आपराधिक मामलों में तीसरा व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता है और यदि कोई बात कहनी है तो वह स्वयं श्री महरोत्रा द्वारा कही जा सकती है, मध्यस्थ द्वारा नहीं.
उन्होंने कहा कि उनके पति के खिलाफ वाद दायर करने वाले व्यक्ति का इस तरह श्री महरोत्रा की मदद में खड़ा होना दोनों की मिलीभगत को दर्शाता है. डॉ ठाकुर की आपत्ति को स्वीकार करते हुए सीजेएम सोम प्रभा मिश्रा ने प्राथमिक स्तर पर ही मध्यस्थता प्रार्थनापत्र ख़ारिज कर दी.
साथ ही उन्होंने 200 सीआरपीसी में डॉ ठाकुर का विस्तृत बयान दर्ज करने के लिए कल 11 सितम्बर 2015 की तारीख तय किया.
परिवाद के अनुसार एन के महरोत्रा ने अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने और निजी नाराजगी के कारण न सिर्फ विधिविरुद्ध तरीके से उनके पति के खिलाफ जाँच ग्रहण किया बल्कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर गलत तथ्य सार्वजनिक कर इसे अकारण सनसनीखेज बनाने, उनके सास-ससुर के सिविल मामलों में हस्तक्षेप करने और उन्हें फर्जी फंसाने का प्रयास किया जो धारा 166, 167, 195, 195ए, 196, 200, 211, 219, 500 आईपीसी के तहत अपराध है.
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