यशभारती अनियमितताओं पर शोर बहुत पर न जांच, न दंड,न सम्मान के मार्गदर्शी सिद्धांतों या पेंशन नियमावली में कोई संशोधन।
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लखनऊ/ 6 अगस्त 2017
बीते मार्च में सूबे की कमान संभालने पर पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिये गए
यशभारती सम्मानों पर उंगली उठाते हुए बड़ी बड़ी बयानबाजी करने वाले यूपी के सीएम
योगी आदित्यनाथ अब अखिलेश द्वारा दिये गए इन सम्मानों पर नरम पड़ते नज़र आ रहे
हैं।चौंकाने वाला यह खुलासा यूपी की राजधानी लखनऊ के निवासी इंजीनियर और
समाजसेवी संजय शर्मा द्वारा यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में बीते मई माह
में दायर की गई एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश संस्कृति निदेशालय की संयुक्त
निदेशक अनुराधा गोयल द्वारा दी गई सूचना से हुआ है।
दरअसल आरटीआई एक्सपर्ट संजय शर्मा ने बीते मई माह की 27 तारीख को यूपी के
मुख्य सचिव कार्यालय में 8 बिंदुओं पर आरटीआई दायर कर पूर्व में दिए गए
यशभारती सम्मानों पर सूबे की नई बनी योगी सरकार द्वारा की गई कार्यवाही की
सूचना मांगी थी।मुख्य सचिव कार्यालय के पीआईओ और अनुसचिव पी. के. पांडेय ने
एक्टिविस्ट संजय की यह अर्जी बीते 31 मई को शासन के संस्कृति विभाग के जन
सूचना अधिकारी को अंतरित कर दी थी।शासन के संस्कृति विभाग के पास भी संजय
द्वारा मांगी गईं सूचना न होने के कारण यह आरटीआई आवेदन संस्कृति निदेशालय को
अंतरित हुआ जिस पर निदेशालय के जन सूचना अधिकारी अजय कुमार अग्रवाल ने 14
जुलाई को पत्र जारी कर एक्टिविस्ट को सूचना भेजी हैं ।
संजय को दी गई सूचना के अनुसार अभी तक योगी सरकार ने न तो यशभारती के
मार्गदर्शी सिद्धांतों में और न ही पेंशन नियमावली में कोई संशोधन किया
है।यशभारती सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों को पेंशन देने के लिए चालू वित्तीय
वर्ष 2017-18 में 5 माह के लिए 466 लाख का बजटीय प्राविधान होने, यश भारती से
सम्मानित किसी भी व्यक्ति की पेंशन की धनराशि में कटौती करने या पेंशन बन्द
करने का कोई भी आदेश न होने की बात भी अनुराधा ने संजय को बताई है।
यही नहीं, यशभारती सम्मान के वितरण,पेंशन राशि बढ़ाने और पेंशन पाने वालों की
पात्रता में बदलाव करने की कथित अनियमितताओं की कोई जांच रिपोर्ट न होने और
अखिलेश की सरकार की इन कथित अनियमितताओं के लिए किसी भी IAS या PCS अधिकारी को
दंडित न किये जाने की बात भी इस आरटीआई एक्टिविस्ट को बताई गई है।
इस आरटीआई जबाब से यह बात भी सामने आई है कि यश भारती एवं पद्म सम्मान से
सम्मानित महानुभावों को बिना नियमावली के ही 20000/- प्रतिमाह पेंशन दी जा रही
थी और पिछली सरकार ने इस संबंध में बाकायदा नियमावली प्रख्यापित करके इस
धनराशि को 50000/- प्रतिमाह कर दिया था ।
लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही लाने के क्षेत्र में कार्य कर रहे नामचीन
एक्टिविस्टों में शुमार होने वाले और सामाजिक एवं राजनैतिक मुद्दों पर मुखर
होकर विचार रखने वाले संजय शर्मा इस आरटीआई उत्तर को आधार बनाकर कहते हैं कि
योगी ने यशभारती की अनियमितताओं पर जुबानी बयानबाजी तो बहुत की पर जमीनी
कार्यवाही के नाम पर कुछ भी न कर पाए।
पूर्व में दिए गए यशभारती सम्मान की पुनर्समीक्षा के लिए बीते 9 मई को एक आदेश
करने को महज खानापूर्ति बताते हुए संजय ने इसे नाकाफी बताया है और योगी को
पत्र लिखकर इस मामले में समयबद्ध जांच कराकर दोषियों को दंडित करने की माँग
करने की बात कही है।
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