बिना नियमावली ,बिना विज्ञापन UP CM योगी ने रख लिए 5 OSD
लखनऊ/29 अगस्त 2017
आबादी के हिसाब से
देखें तो यूपी यानि कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सूबा है। देश की राजनीतिक
दिशा को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले इस सूबे के सीएम बनने के लिए
राजनेताओं को राजनीति शास्त्र का पूरा ककहरा कंठाग्र करने के साथ-साथ सूबे के
करोड़ों लोगों के साथ की भी दरकार होती है पर क्या आप जानते हैं कि इसी सूबे के
सीएम के OSD
जिसे हिंदी में
विशेष कार्याधिकारी कहा जाता है, बनने के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षिक अर्हता या अन्य किसी योग्यता की जरूरत
नहीं है। मतलब यह है कि CM अपने जिस कृपापात्र को चाहे,अपना OSD बनाये फिर चाहे वह निपट अनपढ़, नाकारा और
अनुभवहीन ही क्यों न हो।चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी लखनऊ के तेजतर्रार
समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते 5 जून को दायर की गई एक आरटीआई पर यूपी के
सचिवालय प्रशासन अनुभाग 1 के अनुभाग अधिकारी विजय कुमार मिश्र द्वारा
बीते 20 जुलाई को भेजे गए जबाब से हुआ है।
मानवाधिकार
संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले देश के नामचीन एक्टिविस्टों में शुमार होने
वाले संजय शर्मा ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि यूपी सरकार को यह पता ही नहीं
है कि यूपी के मुख्यमंत्रियों के विषेश कार्याधिकारी रखने की प्रथा का आरंभ कब
किया गया था।
आरटीआई एक्टिविस्ट
संजय शर्मा को दी गई सूचना के अनुसार यूपी के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ की
सरकार ने बीते 30 जून को बिना किसी नियम, अधिनियम के ही CM योगी के आदेश पर ही मुख्यमंत्री के OSD के पद पर नियुक्ति हेतु 05 अस्थाई निःसंवर्गीय पदों का सृजन करके इन पदों
पर राजभूषण सिंह रावत,अभिषेक कौशिक,संजीव सिंह,उमेश सिंह और धर्मेंद्र चौधरी को बिना किसी चयन
प्रक्रिया के ही नियुक्ति दे दी है।
संजय को बताया गया
है कि मुख्यमंत्री के OSD
पद पर नियुक्ति की
प्रक्रिया के संबंध में न तो कोई शासनादेश है और न ही कोई अधिनियम प्रख्यापित है।
विशेष कार्याधिकारी के पद के लिए कोई शैक्षिक अर्हता या योग्यता निर्धारित न होने
की सूचना भी विजय ने संजय को दी है।
वर्तमान 5 OSD की नियुक्ति के लिए पद विज्ञापित न किये जाने और बिना आवेदन आमंत्रित किये ही
योगी द्वारा 5
OSD नियुक्त कर लेने
का चौंकाने वाला खुलासा भी इस आरटीआई से हुआ है।
इन पांचों OSD की योग्यताओं.अनुभव, पांचों को आबंटित
कार्य,इनके द्वारा किये गए कार्य,इनकी चल अचल संपत्ति, इनके गृह जनपदों और इनकी राजनैतिक दलों से
संबद्धता से संबंधित कोई भी सूचना शासन के पास न होने की बात भी संजय को बताई गई
है ।
PIL
एक्टिविस्ट संजय
ने एक विशेष बातचीत में बताया कि OSD का पद एक संवेदनशील,जिम्मेदारीपूर्ण,राजपत्रित पद है और इस पद पर बिना नियम कानून की जा रही मनमानी नियुक्तियां
अवैध होने के कारण विधिशून्य हैं। संजय ने कहा
कि अयोग्य और सीएम के चापलूसों की नियुक्ति होने की दशा में इसका खामियाजा
जनता को ही भुगतना पड़ता है जबकि इनको वेतन-भत्ते जनता के टैक्स के पैसों से ही दिए
जाते हैं और इसीलिये संजय ने न्यायालय के
माध्यम से इन नियुक्तियों को निरस्त कराने और OSD पद की नियुक्ति नियमावली बनवाकर नियमानुसार नियुक्ति करने की मांग वाली याचिका
उच्च न्यायालय में डालने की बात भी कही है।
No comments:
Post a Comment