3 महीनों से PMO में अटका पड़ा है भ्रष्ट IAS सदाकांत के खिलाफ अभियोजन
स्वीकृति का मामला - RTI खुलासा।
लखनऊ/08 अगस्त 2017
भ्रष्टाचार विरोध
पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक आरटीआई जबाब ने कटघरे
में खड़ा कर दिया है। बीते 9 मार्च को भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण
विभाग में दायर की गई यह आरटीआई है यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी इंजीनियर और
समाजसेवी संजय शर्मा की जिस पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसचिव और सीपीआईओ
राजकिशन वत्स ने बीते 31 मई को संजय को जो जबाब भेजा है उसने भ्रष्टाचार विरोध पर बड़ी-बड़ी बातें करने
वाले पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
वत्स ने आरटीआई
एक्सपर्ट संजय शर्मा को बताया है कि 10 मामले ऐसे हैं जिनमें भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे IAS अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद जांच एजेंसी द्वारा
भ्रष्टाचार करने का दोषी पाए जाने पर अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी जो अभी तक
नहीं दी गई है।इनमें सबसे पुराना मामला राजस्थान कैडर के IAS गिरिराज सिंह का है जिसकी FIR साल 2005 में लिखी गई थी।अन्य 9 मामलों में आईएएस अधिकारियों में मनमोहन सिंह,एस. इन.मोहंती,सदाकांत शुक्ल,राजेन्द्र कुमार,नीरज कुमार,टी. सूरज, रॉडनी लॉरिनव्म,के.एस. क्रोफा,के.सी.सामरिया,ऐ. सुबिहा वह 10 अधिकारी हैं जिनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के मामलों को मोदी सरकार लंबे समय
से लंबित रखे हुई है।
गौरतलब है कि यूपी
में पीआईएल एक्टिविस्ट के रूप में प्रसिद्ध संजय शर्मा लंबे समय से यूपी कैडर के
आईएएस अधिकारी और वर्तमान में यूपी के लोक निर्माण विभाग में अपर मुख्य सचिव
सदाकांत शुक्ला द्वारा भारत सरकार के गृह मंत्रालय में तैनाती के दौरान लेह लद्दाख
में भारत की सीमा की सुरक्षा खतरे में डालकर सम्बेदनशील अभिलेख लीक कर 200 करोड़ का घोटाला करने के भ्रष्टाचार के मामले
में CBI
द्वारा साल 2010 में दर्ज कराई गई FIR पर साल 2012 से लंबित अभियोजन स्वीकृति मामले की लड़ाई लड़ रहे हैं।
देश के नामचीन
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय बताते है कि सदाकांत के
खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के इस मामले में दर्जनों ज्ञापन और आरटीआई के सहारे
उन्होंने इस प्रकरण को CBI
से गृह मंत्रालय, गृह मंत्रालय से डीओपीटी और अब डीओपीटी से
अंतिम पायदान यानि कि PMO
को भिजवा दिया है
जहां भी यह मामला लगभग 3 महीनों से लंबित है।
पीएमओ द्वारा
सदाकांत के भ्रष्टाचार पर नरम रुख अख्तियार करने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए
संजय ने बताया कि उन्होंने पीएमओ को पत्र भेजकर इस मामले का निस्तारण तत्काल करने
की मांग की है।
सदाकांत के
भ्रष्टाचार के मामले को 3 महीने तक दबाए रखने के आधार पर संजय ने नरेंद्र
मोदी द्वारा आगामी 15 अगस्त से भ्रष्ट बाबुओं से मुक्ति के लिए घोषित
किये गए अभियान को महज दिखावा बताते हुए भ्रष्टाचार विरोध पर पीएम को कटघरे में
खड़ा कर दिया है।
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