उत्तर प्रदेश में गिरती शासन व्यवस्था को लेकर सरकार के खिलाफ रिहाई मंच का धरना
http://haritkhabar.com/2015-06-dharna-pradarshan-against-sp-government-26-03/
June 26, 2015
लखनऊ :
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हुए हमले
और सूबे में गिरती शासन व्यवस्था के खिलाफ आपातकाल की बरसी पर जीपीओ स्थित
गांधी प्रतिमा हज़रतगंज पर रिहाई मंच ने धरना दिया। इस धरना प्रदर्शन के
दौरान जगेन्द्र के हत्यारोपी मंत्री को गिरफ्तार करो, सिर्फ मुआवजा नहीं
इंसाफ दो, जैसे नारे लगाए गए।
मंच की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित करते
हुए 17 सूत्रीय ज्ञापन से मांग की गई कि पत्रकारों, कार्यकताओं की
सुरक्षा की गांरटी की जाए, दलितों और महिलाओं की स्थिति पर विशेष सत्र
आयोजित किया जाए, खनन भ्रष्टाचार की जांच के लिए हाईकोर्ट के सिटिंग जज के
नेतृत्व में एक जांच आयोग गठित किया जाए, कारपोरेट घरानों, भ्रष्ट
अधिकारियों व ट्रांसफर, पोस्टिंग में पुलिस अधिकारियों और नेताओं के गठजोड़
पर सरकार श्वेत पत्र लाए, उर्दू, अरबी और फारसी विश्वविद्यालय में इन
तीनों भाषाओं की अनिवार्यता पुनः बहाल की जाए।
सूबे में अघोषित आपातकाल सा माहौल
वक्ताओं ने कहा कि पूरे सूबे में अघोषित
आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। वक्ताओं ने जगेन्द्र मामले में कहा कि सरकार
मुआवजा बांटकर इंसाफ के सवाल को दबाना चाहती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के
दागी मंत्रियों के पक्ष में खड़े होकर अपराधियों के हौसले बुलंद कर रहे
हैं। सरकार के आधे से ज्यादा मंत्री संगीन धाराओं में नामजद हैं, जिससे
पूरा सरकारी अमला जनता के सेवक के बजाए आपराधिक और भ्रष्ट गिरोह में तब्दील
हो चुका है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एनआरएचएम घोटाले के आरोपी
नवनीत सहगल को सपा सरकार द्वारा जेल भेजने के बजाए प्रमुख सचिव सूचना बना
दिया जाना दर्शाता है कि सरकार की मंशा क्या है?
दलितों का उत्पीड़न और जातीय ध्रुवीकरण की कोशिश
वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा
कि प्रदेश में दलितों का उत्पीड़न हो रहा है लोगों को सरकार संरक्षण देकर
जातीय ध्रुवीकरण कराने की गंदी राजनीति कर रही है। प्रशासन पर गंभीर आरोप
लगाते हुए कहा कि 100 और 1090 जैसे हेल्पलाईन से सुरक्षा देने की गारंटी
करने वाली पुलिस खुद महिलाओं के उत्पीड़न में संलिप्त है।
प्रदेश के किसान झेल रहे हैं दोहरी मार
वहीं किसान बेमौसम और प्रदेश सरकार की
बेरुखी की दोहरी मार झेल रहा है। बेमौसम बारिश के चलते 500 से अधिक किसानों
की मौत हुई जबकि सरकार ने सिर्फ 42 किसानों को मुआवजा दिया। कार्पोरेट
संरक्षण में सूबे को लूटने के लिए बड़े पैमाने पर किसानों की ज़मीनें
हड़पने की साजिश रची जा रही है। अकेले विद्युत नियामक आयोग की शह पर जेपी
समूह तथा अन्य निजी बिजली उत्पादन कंपनियों ने ही 30 हजार करोड़ रुपए बिजली
घोटाला कर दिया है तो वहीं बजाज, बिरला, मोदी ग्रुप, पोंटी चड्ढा के वेब
ग्रुप, डालमियां समेत कई कारपोरेट घरानों ने उत्तर प्रदेश के किसानों का 6
हजार करोड़ रुपया बकाया रखा है। प्रदर्शकारियों ने प्रदेश में बतौर काबीना
मंत्री के रूप में ताजपोशी होने के बाद शिवपाल यादव द्वारा अर्जित
परिसम्पत्तियों की जांच कराने की भी मांग की।
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