लखनऊ/बुधवार, 14 अगस्त 2024
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग (यूपीआईसी) में प्रवेश प्रोटोकॉल के संबंध में चिंता प्रकट करते हुए यूपी की राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी संजय शर्मा ने देश और प्रदेश के संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य व्यक्तियों समेत राज्य सूचना आयोग के सभी सूचना आयुक्तों,अधिकारियों और प्रशासनिक सुधार विभाग के अधिकारियों को प्रस्ताव याचिका भेजते हुए आरटीआई के धंधेबाजों का प्रवेश रोकने आदि के लिए यूपी सूचना आयोग में आगंतुक प्रवेश पास प्रणाली शुरू कराने की मांग उठाई है ।
बकौल संजय देखे गए रुझानों के आलोक में उन्होंने उच्च न्यायालयों और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रचलित प्रोटोकॉल के समान, आगंतुकों के लिए एक स्थायी और दैनिक पास प्रणाली को अपनाने का प्रस्ताव किया है । संजय बताते है उनके इस प्रस्ताव का प्राथमिक उद्देश्य यूपी सूचना आयोग परिसर के भीतर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाए जिनके पास आयोग में प्रवेश के लिए वैध कारण है क्योंकि वर्तमान अप्रतिबंधित पहुंच के कारण संदिग्ध बहानों के तहत आरटीआई भवन में आने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं का प्रसार हुआ है । ये व्यक्ति अक्सर एनजीओ या आरटीआई सुविधा सेवाओं के ऑफिसों की आड़ में काम करते हैं, लेकिन उनका असली मकसद व्यक्तिगत लाभ के लिए सिस्टम का शोषण करना या आरटीआई के नाम पर अनधिकृत व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करना हो सकता है और इसीलिए आयोग की सुरक्षा बढ़ाने, परिचालन अखंडता को बनाए रखने और आयोग के कर्मचारियों और कार्यों को अनुचित प्रभाव और शोषण से बचाने के लिए ओपन-एक्सेस नीति पर लगाम लगाया जाना आवश्यक है l
संजय ने अपनी याचिका में लिखा है कि मौजूदा ओपन-एक्सेस नीति ने उन व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रवेश की असीमित सुविधा प्रदान की है जिनके पास आयोग के साथ वैध या वास्तविक काम नहीं हो सकता है । ये व्यक्ति, अक्सर गैर-सरकारी संगठनों या कथित आरटीआई सुविधा सेवाओं की आड़ में काम करते हुए, ऐसी प्रथाओं का प्रदर्शन करते हैं जिन्हें दुर्भावना या शोषण के रूप में माना जा सकता है। ऐसी गतिविधियाँ सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में निहित पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। इस अनियमित पहुंच ने अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुचित दबाव,सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, परिचालन संबंधी व्यवधान और निरीक्षण के अभाव जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को जन्म दिया है ।
संजय ने लिखा है कि सबसे चिंताजनक घटनाओं में से एक है कुछ व्यक्तियों द्वारा यूपीआईसी अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डालने की बढ़ती प्रवृत्ति । ये व्यक्ति, अक्सर बिना पूर्व सूचना या अनुमति के समूहों में मिलते हैं, आयोग के कर्मचारियों से निजी लाभ लेने या ऐसी प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए दबाव डालने या प्रभावित करने का प्रयास करते देखे गए हैं जो मेरिट के आधार पर जरूरी नहीं हैं। ऐसा आचरण आयोग के संचालन की निष्पक्षता और निष्पक्षता को कमजोर करता है और इसकी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की अखंडता के लिए सीधा खतरा पैदा करता है।
संजय का मानना है कि पास प्रणाली का कार्यान्वयन एक सक्रिय सुरक्षा उपाय होगा, जो प्रक्रियात्मक औचित्य और प्रशासनिक दक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप होगा । पूर्व प्राधिकार की आवश्यकता स्थापित करके, आयोग सुरक्षा प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करेगा, इस प्रकार अनधिकृत पहुंच और संभावित सुरक्षा उल्लंघनों से जुड़े जोखिमों को कम करेगा साथ ही औपचारिक प्रवेश नियंत्रण तंत्र की कमी और सुरक्षा जोखिमों को भी कम करेगा l अनधिकृत व्यक्तियों या समूहों के आरटीआई भवन के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंच प्राप्त करने से गोपनीयता का संभावित उल्लंघन हो सकता है और कर्मचारियों और आयोग के संचालन दोनों की सुरक्षा से समझौता हो सकता है।
संजय कहते हैं कि पास प्रणाली लागू करने से ऑफिस खोलकर काम करने वाले आरटीआई धंधेबाजों की जबरदस्ती की रणनीति की रोकथाम होगी,सुरक्षा प्रोटोकॉल उन्नत होगा, आयोग का परिचालन दक्षता और फोकस बढ़ेगा, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और आरटीआई धंधेबाजों की शोषणकारी प्रथाओं की रोकथाम होगी जिससे आयोग का न्याय समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्तियों तक पंहुच पायेगा l
संजय ने आशा जताई है कि ऐसी प्रणाली मौजूदा मुद्दों का समाधान करेगी, आयोग के संचालन की अखंडता की रक्षा करेगी और एक सुरक्षित और कुशल कार्य वातावरण सुनिश्चित करेगी। ऐसी प्रणाली न केवल सुरक्षा और परिचालन दक्षता को बढ़ाएगी बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को भी कायम रखेगी।
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