Wednesday, June 29, 2022

सेल्फीबाज पत्रकार सावधान, यूपी विधान सभा,लोक भवन,एनेक्सी या सचिवालय में ली सेल्फी तो होगा कड़ा एक्शन – आरटीआई खुलासा.

 लखनऊ /  गुरुवार    ~   30 जून 2022 …………..

उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रतिनिधियों को सूचना विभाग के मार्फत सूबे के विधान सभा,लोकभवन, एनेक्सी, सचिवालय में प्रवेश के लिए सचिवालय प्रशासन और विधान सभा प्रशासन के द्वारा वार्षिक प्रवेश पत्र समाचार संकलन के काम के लिए निर्गत किये जाते हैं. ये प्रवेश पत्र विशुद्ध रूप से समाचारों के संकलन मात्र के लिए होते हैं किन्तु प्रायः देखा गया है कि कुछ शातिर पत्रकार अपनी निजी हनक बनाकर निजी लाभ कमाने के दुरुद्देश्य से इस सुविधा का दुरुपयोग कर  विधान सभा,लोकभवन, एनेक्सी, सचिवालय में समाचार संकलन के लिए जारी पासों से प्रवेश करके सेल्फी,फोटो और वीडियो लेकर सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं जिसके कारण  विधान सभा,लोकभवन, एनेक्सी और सचिवालय की सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न होने की सम्भावना आसन्न हो जाती है.

 



जब इस मुद्दे पर राजधानी लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा ने सूबे के सूचना विभाग में आरटीआई डाली तो चला है कि सूबे के विधान सभा,लोकभवन, एनेक्सी और सचिवालय गए मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा इन परिसरों में निजी फोटोग्राफी पूरी तरह से अवैधानिक है और किसी पत्रकार द्वारा ऐसा करने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की व्यवस्था है. चौंकाने वाला यह खुलासा पेशे से इंजीनियर संजय द्वारा बीती 17 मई को यूपी के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय में दायर की गई एक आरटीआई पर निदेशालय के उप निदेशक और जन सूचना अधिकारी दिनेश कुमार सहगल द्वारा बीती 7 जून को दिए गए उत्तर से हुआ है.

 



संजय ने आरटीआई आवेदन देकर कहा था कि उत्तर प्रदेश विधान सभा, उत्तर प्रदेश लोक भवन, एनेक्सी तथा उत्तर प्रदेश सचिवालय परिसर में निजी फोटोग्राफी निषिद्ध है किन्तु बहुधा मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा समाचार संकलन कार्य से इतर निजी सेल्फी/फोटो लेकर अपने निजी सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सूचना विभाग द्वारा दी गई सुविधाओं का दुरुपयोग करके निजी लाभ लम्बे समय से लिया जा रहा है और इस प्रकार से अनुशासनहीनता भी की जा रही है  और सूचना मांगी थी कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सूचना विभाग द्वारा नियम बनाए जाने अथवा नहीं बनाए जाने की सूचना दें. इस पर सूचना विभाग ने संजय को लिखकर दिया है कि ऐसे मामलों पर सचिवालय प्रशासन द्वारा अनुशासन के उल्लंघन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है तथा इसके अतिरिक्त यदि किसी मीडिया प्रतिनिधि द्वारा ऐसा किया जाता है तो सचिवालय/विधान सभा प्रशासन द्वारा नियमानुसार अग्रेतर कार्यवाही प्रस्तावित की जाती है.

 



संजय ने यह भी जानना चाहा था कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सूचना विभाग द्वारा वर्तमान वर्ष 2022 में सम्बंधित मीडिया प्रतिनिधियों का सचिवालय पास निरस्त करने की संस्तुतियों के मामलों की संख्या,ऐसे मामलों को रोकने के लिए सूचना विभाग द्वारा वर्तमान वर्ष 2022 में सम्बंधित मीडिया प्रतिनिधियों की सूचना विभाग की मान्यता निरस्त करने की संस्तुतियों के मामलों,ऐसे मामलों को रोकने के लिए सूचना विभाग द्वारा वर्तमान वर्ष 2022 में की गई कार्यवाहियों की सूचना उन्हें दी जाये जिस पर सहगल ने संजय को बताया है इन तीनों बिन्दुओं की सूचना शून्य है अर्थात इस वर्ष अभी तक ऐसे पत्रकारों के खिलाफ किसे भी स्तर से कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है.

 

संजय को यह भी बताया गया है कि वर्तमान वर्ष 2022 में अब तक विभिन्न संस्थानों के 49 प्रेस प्रतिनिधियों के सचिवालय पास बने हैं तथा मीडिया संस्थानों अथवा कर्मचारियों के सरकारी अथवा निजी वाहनों के लिए 17 सचिवालय पास निर्गत किये गए हैं.

 

 

 

 


Sunday, June 26, 2022

यूपी में अंगूठा टेक भी पा सकते हैं राज्य मुख्यालय, वरिष्ठ या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता – आरटीआई खुलासा.

 लखनऊ /  सोमवार, 27 जून 2022 …………..

 उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग मीडिया प्रतिनिधियों को विभिन्न प्रकार की मान्यताएं देता है जिनमें राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार, वरिष्ठ पत्रकार  या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यताएं उच्चतम श्रेणी की ऐसी मान्यताएं हैं जिनके साथ अनेकों निःशुल्क अथवा सशुल्क सरकारी लाभ भी दिए जाते हैं. इन लाभों में सरकारी आवास आबंटन; रियायती दर पर यात्रा; रिवाल्विंग फण्ड के माध्यम से एस.जी.पी.जी.आई. ( SGPGI ) लखनऊ में निःशुल्क इलाज़; विधान सभा,लोकभवन, एनेक्सी, सचिवालय में प्रवेश समेत अनेकों लाभ शामिल हैं. 

 


सार्वजनिक जीवन में कुछ मान्यता प्राप्त पत्रकारों द्वारा गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को हेय दृष्टि से देखने की घटनाएं प्रायः सामने आती रहती हैं लेकिन क्या आपको पता है कि राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार, वरिष्ठ पत्रकार  या स्वतंत्र पत्रकार जैसी  उच्चतम श्रेणी की मान्यताएं प्राप्त व्यक्ति यदि अँगूठा टेक भी हों तो भी राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है और राज्य सरकार को अंगूठा टेक व्यक्तियों तक को इस प्रकार की मान्यताएं देने में कतई कोई गुरेज नहीं है. यानि कि तिकड़म  भिडाकर कोई अंगूठा टेक भी यूपी में राज्य मुख्यालय, वरिष्ठ या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता पा सकता है.चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा  द्वारा बीती 10 मई को यूपी के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय में दायर की गई एक आरटीआई पर निदेशालय के उप निदेशक और जन सूचना अधिकारी दिनेश कुमार सहगल द्वारा बीती 7 जून को दिए गए उत्तर से हुआ है.

 


 संजय ने आरटीआई आवेदन देकर सूचना मांगी थी कि उनको सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों,स्वतंत्र पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता की सूचना मीडिया प्रतिनिधि/पत्रकार के नाम-वार उनको दी जाए. इस पर सहगल ने संजय को लिखकर दिया है कि सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों,स्वतंत्र पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों के लिए कोई शैक्षिक योग्यता निर्धारित नहीं है.

 

संजय ने बताया कि उनको भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल हेल्पलाइन नंबर 7991479999  पर कई सूचनाएं प्राप्त हुई थीं कि कतिपय  मीडिया संस्थानों के मालिकों ने आपस में दुरभिःसंधि का गठजोड़ स्थापित कर एक दूसरे के मीडिया संस्थानों से अदला-बदली करके स्वयं अथवा अपने ऐसे रिश्तेदारों-नातेदारों को सूचना विभाग से सरकारी मान्यताएं दिलवा रखीं हैं जिनमें एक पेज खबर लिखने तक की क्षमता नहीं हैं इसीलिए उन्होंने इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए यह सूचना मांगी थी. संजय के अनुसार कम शिक्षित मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा जुगाड़ बैठाकर सरकारी मान्यताएं प्राप्त कर लेने से पत्रकारिता का स्तर गिरने के साथ-साथ उच्च शिक्षित मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों के सामने अपना सम्मान बचाए रखने का संकट भी उत्पन्न हो रहा है.

 

पत्रकारिता जैसे विशुद्ध रूप से लिखने पढने के पेशे में सरकारी मान्यता लेने ले लिए किसी भी शैक्षिक योग्यता का मानक निर्धारित नहीं होने पर आश्चर्य जताते हुए संजय ने कहा है कि पत्रकारिता के उच्च मानदंडों एवं पत्रकारिता के उच्च मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ वर्तमान मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों में से उच्च शिक्षित मीडिया प्रतिनिधियों के सम्मान को बचाए रखने के मद्देनज़र वे सूबे के मुखिया को पत्र लिखकर उनसे आग्रह करेंगे कि वे राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधि, स्वतंत्र पत्रकार मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधि, वरिष्ठ पत्रकार मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधि तथा जनपद स्तर पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधि जैसी सरकारी मान्यताएं देने की आवश्यक अर्हताओं में स्नातक के साथ साथ पत्रकारिता में डिप्लोमा जैसी कुछ न्यूनतम शैक्षिक योग्यतायें निर्धारित करने के लिए एक कमेटी का गठन करके कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम शैक्षिक योग्यताओं का निर्धारण करायें.

 

संजय ने बताया कि यदि आवश्यक हुआ तो वे इस मामले को जनहित याचिका के माध्यम से अदालत लेकर जायेंगे.

 

 

 


Saturday, June 25, 2022

लखनऊ : सिटी मोंटेसरी स्कूल मान्यता की सूचना छुपाने पर संयुक्त शिक्षा निदेशक सुरेन्द्र कुमार तिवारी पर 25 हज़ार रुपयों का जुर्माना.

लखनऊ / शनिवार, 25 जून 2022………….

गिनीज़ रिकॉर्ड बुक में दर्ज लखनऊ के प्रतिष्ठित सिटी मोंटेसरी स्कूल की मान्यता से सम्बंधित सूचना छुपाना जिले के संयुक्त शिक्षा निदेशक षष्ठ मंडल सुरेन्द्र कुमार तिवारी को भारी पड़ गया है. सूबे के सूचना आयोग ने सुरेन्द्र को सूचना कानून की धारा 20 के तहत दोषी मानते हुए 25 हज़ार रुपयों का जुर्माना लगा दिया है. आयोग ने यह कार्यवाही लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा आयोग में दायर की गई एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए की है.

 


 

संजय ने साल 2020 के दिसंबर माह की 5 तारीख को संयुक्त शिक्षा निदेशक षष्ठ मंडल लखनऊ के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर शिक्षाविद के रूप में मशहूर जगदीश गाँधी द्वारा संचालित सिटी मोंटेसरी स्कूल की मान्यता से सम्बंधित सूचना मांगी थी. संयुक्त शिक्षा निदेशक के कार्यालय ने बीते साल के जनवरी महीने की 8 तारीख़ और 30 तारीख को संजय को दो पत्र लिखकर सूचनाओं को विस्तृत बताया और सूचना देने से इनकार कर दिया. संयुक्त शिक्षा निदेशक के कार्यालय के इन आदेशों के खिलाफ संजय ने बीते साल राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज की थी.

 

मामले की सुनवाइयों में से एक सुनवाई बीते साल के सितम्बर महीने की 1 तारीख को हुई जिसमें सूचना आयुक्त रचना पाल ने जन सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि डा. दिनेश कुमार, विज्ञान प्रगति अधिकारी की उपस्थिति में जन सूचना अधिकारी को साशय सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने,आयोग के आदेशों की अवहेलना करने और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के क्रियान्वयन में शिथिलता का दोषी पाते हुए 25 हज़ार रुपयों का अर्थदंड अधिरोपित किया और अर्थदंड के सम्बन्ध में सुनवाई का अवसर देते हुए मामले की सुनवाई के लिए बीते साल के दिसम्बर महीने की 8 तारीख पर सुनवाई फिक्स की.

बीते साल के दिसम्बर महीने की 8 तारीख पर हुई सुनवाई में जनसूचना अधिकारी के प्रतिनिधि उपनिरीक्षक, संस्कृत पाठशालाएं, षष्ठ मंडल लखनऊ ने आयोग से एक अवसर की माँग की जिस पर सूचना आयुक्त रचना पाल ने अंतिम अवसर देते हुए मामले की सुनवाई के लिए बीते मई महीने की 25 तारीख पर सुनवाई फिक्स की.

 


बीते मई महीने की 25 तारीख पर हुई सुनवाई में जनसूचना अधिकारी के अनुपस्थित रहने पर मामले की सुनवाई कर रहे सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने संयुक्त शिक्षा निदेशक षष्ठ मंडल सुरेन्द्र कुमार तिवारी के वेतन से 25 हज़ार रुपयों के जुर्माने की बसूली कराने के लिए सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को आदेशित करने के साथ साथ माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक  को भी दण्ड की बसूली के लिए आदेशित किया है.

 

 


 


  

 

Thursday, June 16, 2022

यूपी में आपराधिक इतिहास वाले मीडिया प्रतिनिधियों की निरस्त होगी सरकारी मान्यता – आरटीआई खुलासा.

 लखनऊ / 17 जून 2022 …………..


 

 

उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग मीडिया प्रतिनिधियों को विभिन्न प्रकार की मान्यताएं देता है जिनके साथ अनेकों निःशुल्क अथवा सशुल्क सरकारी लाभ भी दिए जाते हैं. इन लाभों में सरकारी आवास आबंटन, रियायती दर पर यात्रा, रिवाल्विंग फण्ड के माध्यम से एस.जी.पी.जी.आई. ( SGPGI ) लखनऊ में निःशुल्क इलाज़ समेत अनेकों लाभ शामिल हैं. सूचना विभाग द्वारा दी जाने वाली मान्यताओं की श्रेणियों में राज्य मुख्यालय मान्यता, स्वतंत्र पत्रकार मान्यता, वरिष्ठ पत्रकार मान्यता के साथ-साथ मंडल,जिला और तहसील स्तर पर मान्यताएं दी जाती हैं. इन मान्यताओं को दिए जाने के लिए कड़े नियम कानून भी बने हैं फिर भी यदि आपराधिक इतिहास वाला कोई मीडिया प्रतिनिधि कभी किसी भी प्रकार की मान्यता येन-केन-प्रकारेण प्राप्त कर लेता है तो आपराधिक इतिहास वाले ऐसे मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधि की मान्यता आसानी से निरस्त कराई जा सकती है. इस बात का खुलासा राजधानी लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीती 17 मई को यूपी के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय में दायर की गई एक आरटीआई पर निदेशालय के उप निदेशक और जन सूचना अधिकारी दिनेश कुमार सहगल द्वारा बीती 7 जून को दिए गए उत्तर से हुआ है.

 

 


संजय ने यह जानना चाहा था कि आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों को सूचना विभाग से मीडिया प्रतिनिधि की किसी भी प्रकार की मान्यता प्राप्त करने से रोकने के लिए कौन से नियम प्रचलित हैं. इस पर सहगल ने संजय को लिखकर दिया है कि आपराधिक इतिहास वाले मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों के सम्बन्ध में आवश्यक अभिलेख एवं साक्ष्य प्राप्त होने की दशा में सम्बंधित मीडिया प्रतिनिधि की मान्यता निरस्त कर दी जाती है.

 

 

संजय ने बताया कि उनको मोबाइल हेल्पलाइन नंबर 7991479999  पर सूचनाएं प्राप्त हुई हैं कि कतिपय मीडिया प्रतिनिधियों ने कतिपय गोलमाल करते हुए आपराधिक इतिहास होते हुए भी मान्यतायें प्राप्त कर रखी हैं अतः  पत्रकारिता में शुचिता के उच्च मानदंडों को बनाए रखने के मद्देनज़र वे सूबे के मुखिया को पत्र लिखकर उनसे आग्रह करेंगे कि वे गृह विभाग को निर्देशित करके राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त 887 मीडिया प्रतिनिधियों, स्वतंत्र पत्रकार मान्यता प्राप्त 114 मीडिया प्रतिनिधियों, वरिष्ठ पत्रकार मान्यता प्राप्त 71 मीडिया प्रतिनिधियों तथा जनपद स्तर पर मान्यता प्राप्त 3389 मीडिया प्रतिनिधियों के आपराधिक इतिहास के सम्बन्ध में गहनता से जांच कराकर जांच के परिणाम के आधार पर सूचना विभाग के नियमों के तहत अग्रेतर कार्यवाही अवश्य करायेंगे.  

 

 


Monday, June 6, 2022

‘पब्लिक की आवाज़’ अखबार मामले में सही कौन ? RNI या लखनऊ पुलिस ?

लखनऊ / 06 जून 2022……………..

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. मीडिया की औपचारिक शुरुआत समाचार पत्रों से ही मानी जाती रही है. आज भी समाचार पत्र मीडिया का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. बात उन्हीं समाचार पत्रों की हो रही है जिनके कन्धों पर देश और समाज को दर्पण दिखाकर उनको नैतिकता की कसौटी पर परखने का भारी-भरकम दायित्व है परन्तु क्या आज के समाचार पत्र स्वयं का चेहरा दर्पण में देखकर खुद को नैतिकता की उसी कसौटी पर कसने को तैयार हैं जिस कसौटी पर वह देश और समाज को कसने का कार्य  नित्य प्रति करते दिखाई देते हैं? यह वह यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर खोजा जाना नितांत आवश्यक है. यदि मीडिया की नित्यप्रति गिरती साख बचानी है तो मीडिया को खुद को भी नैतिकता की कसौटी पर कसना ही होगा.

 

इसी क्रम में अब लखनऊ से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘पब्लिक की आवाज़’ की बात करते हैं. इस अखबार के सम्बन्ध में लखनऊ स्थित समाजसेवी इंजीनियर संजय शर्मा ने जब जानकारी इकट्ठी की तो सामने आया है कि भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक ( आरएनआई  ) की वेबसाइट के अनुसार इस समाचार पत्र के प्रकाशक,मुद्रक,संपादक का नाम पंडित हरि ओम शर्मा अंकित है. इस समाचार पत्र के प्रकाशक,मुद्रक,संपादक का पता और संपादन के स्थान का पता लखनऊ के अलीगंज के सेक्टर N स्थित C 23 प्लाट पर बनी बिल्डिंग को दर्शाया गया है जबकि लखनऊ पुलिस ने अपनी जांच में बताया है कि थाना विकासनगर  लखनऊ के अलीगंज के सेक्टर N स्थित C 23 प्लाट पर बनी बिल्डिंग एक आवासीय मकान है जिसमें वर्ष 2004 से वर्तमान तक हरि ओम शर्मा, जो कि पूर्व में दैनिक जागरण में कार्यरत थे और वर्तमान में रिटायर हैं और साहित्यकार हैं तथा अपने परिवार के साथ उक्त मकान में निवास कर रहे हैं उक्त मकान का प्रयोग किसी भी कामर्शियल बिल्डिंग के रूप में नहीं किया जा रहा है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग की वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार पंडित हरि ओम शर्मा सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार भी हैं. 

 


इसी क्रम में अब लखनऊ से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘पब्लिक की आवाज़’ की बात करते हैं. इस अखबार के सम्बन्ध में लखनऊ स्थित समाजसेवी इंजीनियर संजय शर्मा ने जब जानकारी इकट्ठी की तो सामने आया है कि भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक ( आरएनआई  ) की वेबसाइट के अनुसार इस समाचार पत्र के प्रकाशक,मुद्रक,संपादक का नाम पंडित हरि ओम शर्मा अंकित है. इस समाचार पत्र के प्रकाशक,मुद्रक,संपादक का पता और संपादन के स्थान का पता लखनऊ के अलीगंज के सेक्टर N स्थित C 23 प्लाट पर बनी बिल्डिंग को दर्शाया गया है जबकि लखनऊ पुलिस ने अपनी जांच में बताया है कि थाना विकासनगर  लखनऊ के अलीगंज के सेक्टर N स्थित C 23 प्लाट पर बनी बिल्डिंग एक आवासीय मकान है जिसमें वर्ष 2004 से वर्तमान तक हरि ओम शर्मा, जो कि पूर्व में दैनिक जागरण में कार्यरत थे और वर्तमान में रिटायर हैं और साहित्यकार हैं तथा अपने परिवार के साथ उक्त मकान में निवास कर रहे हैं उक्त मकान का प्रयोग किसी भी कामर्शियल बिल्डिंग के रूप में नहीं किया जा रहा है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग की वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार पंडित हरि ओम शर्मा सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार भी हैं.

 

बकौल संजय ऐसे में बड़ा सवाल यह  खड़ा हो रहा है कि आखिर कैसे लखनऊ के अलीगंज के सेक्टर N स्थित C 23 प्लाट पर बनी जो बिल्डिंग आरएनआई भारत सरकार में  हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘पब्लिक की आवाज़’ के प्रकाशक,मुद्रक,संपादक पंडित हरि ओम शर्मा के पते तथा संपादन के स्थान के रूप में दर्ज है तथा वही  बिल्डिंग लखनऊ पुलिस की जांच के अनुसार एक आवासीय मकान है जिसमें वर्ष 2004 से वर्तमान तक हरि ओम शर्मा, जो कि पूर्व में दैनिक जागरण में कार्यरत थे और वर्तमान में रिटायर हैं और साहित्यकार हैं तथा अपने परिवार के साथ निवास कर रहे हैं और उक्त मकान का प्रयोग किसी भी कामर्शियल बिल्डिंग के रूप में नहीं किया जा रहा है. देखने वाली बात यह भी है कि पुलिस की जांच में हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘पब्लिक की आवाज़’ के सम्बन्ध में कोई भी बात नहीं कही गई है. संजय के अनुसार ये विरोधाभाषी तथ्य इस समाचार पत्र के प्रकाशन के सम्बन्ध में प्रथम दृष्टया संदेह पैदा कर रहे हैं.

 

संजय ने बताया कि वे इस मामले में आरएनआई भारत सरकार और उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग को शिकायत प्रेषित करके  अखबार ‘पब्लिक की आवाज़’ के सर्कुलेशन इत्यादि के सम्बन्ध में गहनता से जांच कराकर नियमों के अंतर्गत कड़ी कार्यवाही का अनुरोध करेंगे.