लखनऊ/14 जनवरी 2018
................... क्या यूपी के सीएम अपने गृह जनपदों में शाही अंदाज में आयोजन
करके जनता का पैसा खुले हाथ से बर्बाद करते हैं ? सबाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पूर्व
सीएम अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में जनता के पैसों से सैफई में शाही अंदाज में महोत्सव
मनाते थे तो सूबे की कमान संभालने के बाद संत और योगी आदित्यनाथ अब अपने चुनावी शहर गोरखपुर में
जनता के पैसों से राजसी अंदाज में महोत्सव मनाते नज़र आ रहे हैं l गौर करने की बात
यह है कि अखिलेश के कार्यकाल में गोरखपुर महोत्सव ख़बरों में नहीं रहता था तो योगी
के कार्यकाल में सैफई महोत्सव की आहट तक नहीं सुनाई दे रही है जबकि इन महोत्सवों
के लिए सरकारी धन आबंटित करने वाले अधिकारी आज भी वही हैं जो अखिलेश के समय में थे
l तो क्या स्टीलफ्रेम कही जाने वाली ब्यूरोक्रेसी आम जनता के हितों की बजाय सत्ताधारी
दल के हितों को ही तवज्जो देते है ?
सैफई महोत्सव की ही तरह गोरखपुर
महोत्सव भी विवादों से दूर नहीं रह पाया है
फिर चाहे वह इस महोत्सव पर जनता का पैसा पानी की तरह बहाने के साथ साथ
सरकारी अमले का दुरुपयोग करने का आरोप हो,कार्यक्रम के थीम सॉन्ग पर चोरी के आरोप हों
या फिर फ़िल्मी कलाकारों के ठुमके लगाने के लिए किये जाने वाले आयोजन हों l इन
विवादों पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों के एक दुसरे से उलट दावे
लगातार सामने आ रहे हैं l सबाल तो गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौतों
के बीच महोत्सव मनाने के साथ साथ पर्यटन बढाने की बात कहकर मनाये जाने वाले इन
महोत्सवों की सार्थकता पर भी उठ रहे है l
परस्पर विरोधी दावों के बीच जनता
के मन में उठ रहे इन जैसे दर्जनों सबालों के सरकारी जबाब जानने के लिए सूबे की
राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने उत्तर
प्रदेश के सरकारी विभागों में 5 आरटीआई अर्जियां भेजी है l देश के नामचीन
समाजसेवियों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बताया कि वे इस मुद्दे पर पूरा सरकारी
सच सामने अवश्य लायेंगे l
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