लखनऊ/20 January 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी
शर्मा ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
आजादी के 70 साल बाद भी यदि भारत
जैसे मजबूत लोकतंत्र में किसी नागरिक की मौत भूख की बजह से हो तो यह देश के
नागरिकों द्वारा चुनी गई सरकारों के लिए
निहायत ही शर्म की बात होने के साथ-साथ सरकारों के लिए ऐसी मौतें रोकने के लिए भविष्य
में हर संभव प्रभावी कदम उठाने के लिए कड़ा चेतावनी सन्देश भी होता है l चुनी हुई
सरकारों से अपेक्षा तो यह होती है कि वे ऐसी स्थिति ही न आने दें जिसके कारण कोई नागरिक भूख की बजह से मरे पर देखा
जाता है कि भूख से मौत होने पर सरकारें अधिकतर अपनी जिम्मेदारी मानने से इनकार
करती नज़र आती है और मौत के मामले को जांचों के मकड़जाल में उलझा देती हैं l कुल
मिलकर कहें तो लब्बोलुआब यही है कि सरकारें इस संवेदनशील मुद्दे के प्रति अक्सर ही
असंवेदनशील बनी रहती है l भूख से मौतों के
मुद्दे पर सरकार द्वारा असंवेदनशील रुख
रखने की ताजा खबर आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से आ रही
है जहाँ की सत्ता इस समय एक संत के हाथों में है l राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड
आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई पर शासन के राजस्व विभाग ने
कुछ ऐसा जबाब दे दिया है जिसने भूख से मौतों के मुद्दे पर योगी सरकार की संवेदनशीलता
को कटघरे में खड़ा कर दिया है l
लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और
मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा
ने बीते 15 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के
मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूख
से होने वाली मौतों को रोकने के लिए की सरकारी नीति, की गई सरकारी कार्यवाहियों,
भुखमरी कोष के गठन, भूख से मौत के मामलों में पीड़ित परिवारों को मुख्यमंत्री
सहायता कोष से दिए गए मुआवजों, ऐसी मौतों की संख्या,भूख से मौत के मुद्दे पर शासन
स्तर पर आहूत बैठकों और इन मौतों की जिम्मेवारी लोकसेवकों पर नियत करने की नीति आदि
के सम्बन्ध में 8 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना
अधिकारी और अनु सचिव पी. के. पाण्डेय ने बीते 30 नवम्बर को संजय की अर्जी को उत्तर
प्रदेश के राजस्व विभाग के जन सूचना अधिकारी को अंतरित कर दिया था l राजस्व
अनुभाग-10 के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी अभिषेक गंगवार ने बीते 3 जनवरी
को पत्र जारी करके संजय को जो सूचना दी है उसने भुखमरी के मुद्दे पर योगी सरकार की
संवेदनशीलता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया
है l
प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2 की 3
दिसम्बर 2015 की अधिसूचना की नियमावली के बिंदु संख्या 1(3) की बात लिखते हुए अभिषेक
गंगवार ने संजय शर्मा के आरटीआई आवेदन को ग्राह्य नहीं बताया है और आरटीआई आवेदन
के आठों बिन्दुओं पर सूचना देने से इनकार कर दिया है l
आरटीआई मामलों के एक्सपर्ट संजय
ने अभिषेक पर योगी सरकार की नाकामियों को छुपाने के लिए नियमावली के नियम की गलत व्याख्या
करके सूचना देने में जान-बूझकर रोड़ा अटकाने का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत
आयोग में करने के साथ-साथ अपील दायर करके सूचना को सार्वजनिक कराने के लिए हर संभव
प्रयास करने की बात कही है lसंजय का कहना है कि नियमावली का नियम 1(3) कहता है कि
ऐसी शिकायतें और अपीलें जो इस नियमावली के प्रारंभ होने के दिनांक को या उसके
पूर्व दाखिल की गईं हैं और उचित पाई गईं हैं और उक्त दिनांक के पूर्व पहले से ही
पंजीकृत हैं,के सम्बन्ध में कार्यवाही पूर्ववत की जायेगी और उनका उसमें किसी
शैथिल्य के कारण उपशमन नहीं किया जाएगा अथवा उन्हें नामंजूर नहीं किया जाएगा l संजय
के अनुसार यह नियम अपीलों और शिकायतों पर लागू होने के कारण इसका सम्बन्ध आयोग से
है न कि जन सूचना अधिकारी से और इस आधार पर संजय ने अभिषेक पर सरकारी अक्षमता
छुपाने के लिए कलुषित भावना से मानवाधिकारों के इस मुद्दे पर असंवेदनशील रवैया
अख्तियार करने का आरोप लगाया है और अभिषेक के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में
शिकायत करने की बात कही है l
भूख से होने वाली मौतों को समाज और
सरकार के मुंह पर कालिख पोतने जैसा बताते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने
योगी आदित्यनाथ से उच्च अपेक्षाओं की बात
कही है और अपने अपंजीकृत संगठन ‘तहरीर’ की ओर से योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर भुखमरी
रोकने में प्रभावी कदम उठाने के साथ-साथ माँगी गई प्रश्नगत सूचनाएं सरकारी वेबसाइट
पर सार्वजनिक करने की मांग उठाने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार से की गई एक एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma
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