सुनवाई
कक्ष संख्या S1 - सुनवाई की तिथि 06-03-2017
सेवा
में,
श्री जावेद उस्मानी - मुख्य सूचना
आयुक्त
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन
गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016
विषय : संजय
शर्मा बनाम जन सूचना अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग से सम्बंधित 8
शिकायतों एवं 8 अपीलों ( कुल 16 प्रकरणों ) की दिनांक 06-03-17 की सुनवाई के
रिकॉर्ड में लेने के लिए पत्र का प्रेषण l
महोदय,
आपके संज्ञानार्थ
सादर अवगत कराना है कि :
1- दिनांक
06-03-17 को सूचीबद्ध 16 प्रकरणों के
सम्बन्ध में महोदय को एवं जन सूचना अधिकारी को पृथक-पृथक संबोधित करते हुए प्रकरण-वार
आपत्ति विषयक पत्र दिनांक
10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को आयोग के प्राप्ति पटल पर प्राप्त कराये जा चुके हैं
जिन के सम्बन्ध में मुझे आज तक जन सूचना अधिकारी का कोई भी पत्र नहीं मिला है l कृपया
दिनांक 10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को प्रेषित आपत्तियों का संज्ञान लेकर
सुनवाई करें l
2- दिनांक
06-03-17 को सूचीबद्ध मामलों में से
अधिकतर मामले पूर्व में भी आयोग में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थे किन्तु आप द्वारा इन
मामलों की पूर्व की इन सुनवाइयों के समय इन प्रकरणों में गुण-दोष के आधार पर सूचना
देने या न देने के सम्बन्ध में अपना अभिमत स्थिर कर जन सूचना अधिकारी को कोई
निर्देश नहीं दिये गये जिसके कारण न केवल आयोग के समय का दुरुपयोग हुआ है अपितु
मुझे सूचना दिलाने में नाहक ही बिलम्ब भी हुआ है और अधिनियम की मूल मंशा के खिलाफ
काम हुआ है l
3- उपरोक्त
16 प्रकरणों को जन सूचना अधिकारी के इस निवेदन पर एक साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध
किया गया है कि सुनवाई में कार्यालय के समय का सदुपयोग हो सके जबकि उपरोक्त 16
प्रकरणों में से जो आठ शिकायतें हैं वे आठ की आठों शिकायतें महज इसलिए करनी पडीं
हैं क्योंकि जन सूचना अधिकारी ने इन सभी शिकायतों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर 30 दिनों में कोई भी सूचना
नहीं दी है l अवशेष 8 द्वितीय अपीलें इस कारण करनी पडीं हैं कि प्रथम अपीलीय
अधिकारी ने किसी भी प्रथम अपील की सुनवाई नहीं की है और जन सूचना अधिकारी ने इन 8
में से 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है और
3 मामलों में द्वितीय अपील दायर करने के बाद आरटीआई आवेदन के उत्तर भेजे हैं जिनके
सम्बन्ध में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां आज तक जन सूचना अधिकारी के स्तर पर निस्तारण
के लिए लंबित हैं l उपरोक्त से स्पष्ट है कि आयोग के जन सूचना अधिकारी एक दोगली
कार्यपद्धति के तहत कार्य करके न केवल आयोग का कीमती समय नष्ट करने के अपितु आयोग
में आप की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के दोषी
हैं जिसके लिए इनको धारा 20(1) और 20(2)
के तहत दण्डित किया जाना अनिवार्य है l
4- उपरोक्त
16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 18 की शिकायतों के हैं उन में मैंने सूचना प्राप्त
करने की नहीं अपितु 30 दिन से अधिक की
प्रत्येक दिन की देरी के लिए जन सूचना अधिकारी को @250/- प्रतिदिन की दर से दण्डित
करने की मांग की है l जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में सूचना देने में 30
दिन से अधिक की प्रत्येक दिन की देरी के लिए स्पष्टीकरण तलब कर जन सूचना अधिकारी
को धारा 20(1) के तहत दण्डित किया जाए l
5- उपरोक्त
16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 19(3) की अपीलों के हैं उनमें आयोग के प्रथम
अपीलीय अधिकारी को अधिनियम की धारा 19(6) के तहत लेखबद्ध किये गये कारणों के साथ आयोग
के समक्ष तलब किया जाए और जन सूचना अधिकारी को उन 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई
आवेदनों पर, जिन पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है, बिन्दुवार सूचना निःशुल्क देने
के लिए और अवशेष 3 मामलों में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां का बिन्दुवार निराकरण
कर सूचना निःशुल्क देने के लिए निर्देशित करने के साथ साथ आयोग में आप की नाक के
नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के लिए जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में स्पष्टीकरण
तलब कर उसे धारा 20(2) के तहत दण्डित किया जाए l
6- सुनवाई
में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा Sanjay
Hindwan vs. State Information Commission and others, CWP
No.640 of 2012-D, decided on 24.08.2012 के आदेश और HIGH
COURT OF PUNJAB AND HARYANA AT CHANDIGARH
द्वारा CWP No.17758 of 2014 Smt. Chander Kanta
...Petitioner Versus The State
Information Commission and others ...Respondents के सम्बन्ध में
पारित आदेश दिनांक 19.05.2016 का संज्ञान लेकर जनसूचना
अधिकारी को 30 दिन के अधिक की अवधि की प्रत्येक दिन की देरी के लिए एक्ट की धारा
20 के तहत दण्डित किया जाए l
7- मेरे
द्वारा मांगीं गई सूचनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं
और भ्रष्टाचार तथा सूचना आयुक्तों से सम्बंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से
सम्बंधित हैं l ऐसे में आयोग के तीनों स्तरों क्रमशः जन सूचना अधिकारी, प्रथम
अपीलीय अधिकारी और मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर
मूर्ख बनने का नाटक करके सूचनाओं को सार्वजनिक करने में देरी की जा रही है और इस
प्रकार मेरे संवैधानिक/नागरिक/मानव अधिकारों का हनन तो किया ही जा रहा है साथ ही
साथ यह आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन भी है l कृपया या तो आयोग से सम्बंधित उत्तर प्रदेश आरटीआई
नियमावली 2015 के प्रारूप 3 को आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित कर प्रति सप्ताह
अपडेट कराने के लिए या फिर आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश एक्ट
की धारा 15(4) में जारी कर आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन समाप्त कराने का
कष्ट करें l
प्रतिलिपि : श्री तेजस्कर
पाण्डेय,उप सचिव एवं जन सूचना अधिकारी, राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन,गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016 को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित
l
दिनांक : 03-03-17
भवदीय,
( संजय शर्मा )
102, नारायण टॉवर, ईदगाह के सामने,ऍफ़
ब्लाक
राजाजीपुरम ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत,पिन कोड – 226017
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