Friday, January 1, 2016

यूपी में 12% आईपीएस अधिकारियों की है कमी तो आने बाले साल में भी कैसे सुधरेगी कानून व्यवस्था और कैसे थमेंगे अपराध?



लखनऊ/31 दिसम्बर 2015/ आज साल 2015 का आख़िरी दिन है. यह साल भी यूपी को खराब कानून व्यवस्था और अपराधों की बढ़ती घटनाओं से मुक्ति नहीं दिला पाया. पर क्या साल 2016 इस मामले में कुछ अलग होगा. शायद नहीं,क्योंकि बढ़ते अपराधों और बदहाल कानून व्यवस्था के लिए बदनाम और आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में कानून व्यवस्था की नीति का निर्धारण करने बाले और उसका सही क्रियान्वयन कराने बाले अखिल भारतीय सेवा के आईपीएस अधिकारियों का जबरदस्त टोटा है. यूपी की राजधानी लखनऊ के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की आरटीआई पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुख्यालय में तैनात पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक बी० पी० जोगदण्ड द्वारा दिए जबाब से खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में इस समय कुल निर्धारित संख्या से 12.1% कम आईपीएस अधिकारी तैनात हैं.


बी० पी० जोगदण्ड के जबाब के अनुसार उत्तर प्रदेश संवर्ग के आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ 517 है जिसमें 112 डेपुटेशन रिज़र्व भी शामिल है. जोगदण्ड ने बताया है कि वर्तमान में 356 आईपीएस राज्य में तथा 59 आईपीएस अधिकारी डेपुटेशन पर हैं.


आरटीआई लगाकर सूचना मांगने बाले सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा का कहना है कि बी० पी० जोगदण्ड इस जबाब से स्पष्ट है कि यूपी में कुल 405 आईपीएस अधिकारियों के पद सृजित हैं पर इस समय केवल 356 आईपीएस अधिकारी ही तैनात हैं और इस प्रकार इस समय यूपी में कुल 49 आईपीएस अधिकारियों की कमी है अर्थात इस समय यूपी में कुल 12% आईपीएस अधिकारी कम तैनात हैं और इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को या तो एक आईपीएस अधिकारी को एक से अधिक पद की जिम्मेदारी देनी पड़ती है या फिर पीपीएस संवर्ग के अधिकारी को आईपीएस संवर्ग का कार्य देना पड़ता है जिसका सीधा असर कानून व्यवस्था पर पड़ता है.  


संजय बताते हैं कि किसी राज्य में आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ का निर्धारण अनेकों विशेषज्ञों द्वारा उस राज्य के अनेकों कारकों के गहन अध्ययन और विश्लेषण के बाद किया जाता है और यदि राज्य में तैनात आईपीएस अधिकारियों की संख्या इस कैडर स्ट्रेंथ से कम होती है तो एक आईपीएस अधिकारी को एक से अधिक पद की जिम्मेदारी देने पर उत्तरदायित्व के समुचित निर्धारण करने में समस्याएं आने के कारण और पीपीएस संवर्ग के अधिकारी को आईपीएस संवर्ग का कार्य देने पर कम सक्षम अधिकारी द्वारा कार्य किये जाने के कारण कानून व्यवस्था प्रतिकूल प्रभावित होती है और राज्य में अपराध बढ़ने लगते हैं.


अब कुछ बात उत्तर प्रदेश के पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद द्वारा संजय की आरटीआई पर दिए गए जबाब में हुई बेबजह देरी की दरअसल संजय ने बीते साल के मई माह में यूपी के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके यूपी के आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ और आईपीएस अधिकारियों के भरे पदों की संख्या की सूचना माँगी थीपुलिस महानिदेशक तक का कार्यालय इस सामान्य सी सूचना के मामले में भी हीलाहवाली करता रहा और राज्य सूचना आयोग के दखल के बाद पुलिस मुख्यालय लखनऊ के पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक ने बीते 17 दिसम्बर के पत्र के माध्यम से संजय को यह सूचना अब उपलब्ध कराई है.  


संजय ने बताया कि क्योंकि आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति का मुद्दा केंद्र सरकार के अधीन है इसलिए अब  वे इस मुद्दे पर देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखकर विशेष भर्ती अभियान चलाकर सभी अखिल भारतीय सेवाओं के रिक्त पदों को तत्काल भरने के लिए मांग करेंगे.


संजय ने बताया कि वे यूपी के राज्यपाल,मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी पत्र लिख रहे हैं जिनमें वे मांग करेंगे कि ये सब भी सभी अखिल भारतीय सेवाओं के यूपी कैडर के रिक्त पदों को तत्काल भरने की मांग करने हेतु केंद्र सरकार को पत्र लिखें. 


   
  

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