लखनऊ / शुक्रवार, 5 जुलाई 2024 ..............
बीती 1 जुलाई से देश भर में नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. अब कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 नाम के 3 नए कानून लागू कर दिए गए हैं और इसी के साथ कानून के क्षेत्र से जुड़े न्यायाधीश,जुडिशिअल मजिस्ट्रेट्स, एडवोकेट्स, शिक्षक,स्टूडेंट्स के साथ साथ कानूनी प्रक्रियाओं से प्रभावित अथवा कानून में रूचि रखने वाले देश के अन्य नागरिकों ने इन नए कानूनों की बुक्स खरीदना शुरू कर दिया है. इनमें सबसे अधिक पॉपुलर नए आपराधिक कानूनों के हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअल हैं जिनमें एक ही बुक में इन तीनों कानूनों की धाराओं का विवरण आमने सामने के पन्नों में मिलने से ये सभी को सुविधाजनक लगते हैं.
इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा ने दावा किया है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केट में बिक रहे अधिकांश पब्लिकेशन्स के नए आपराधिक कानूनों के हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों की हिंदी में कई कानूनी गलतियाँ हैं जिनके कारण से इन हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों की विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई है.
उदाहरण के लिए संजय बताते है कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 76 एवं 77 को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है यानि कि इन अपराधों को कोई भी महिला, पुरुष इत्यादि करें तो वह अपराध होगा किन्तु ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केट में बिक रहे अधिकांश पब्लिकेशन्स के नए आपराधिक कानूनों के हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों की हिंदी में लिखी धाराओं में “जो कोई” की जगह “कोई ऐसा पुरुष” शब्द का प्रयोग किया गया है जो देश में लागू की गई भारतीय न्याय संहिता 2023 से मेल नहीं खा रहा है और जिससे ऐसा असत्य सन्देश जा रहा है कि यदि पुरुषों के आलावा महिलाएं व अन्य इन अपराधों को करते हैं तो वे अपराध नहीं होंगे जो कि इन मैन्युअलों के सामान्य पाठकों को उलझन में डालेगा.
संजय ने बताया कि उनको लगता है कि शायद इन पब्लिकेशन्स के लेखकों ने भारतीय न्याय संहिता के बिल के हिंदी संस्करण के आधार पर इन हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों की इन धाराओं को हिंदी में छाप दिया है क्योंकि यदि इन हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों को गज़ट हुए कानूनों के हिंदी संस्करणों के आधार पर छापा जाता तो ये गलतियाँ नहीं होतीं.
संजय ने बताया कि वे अभी इन हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों का गहन अध्ययन कर रहे हैं और यदि उनको अन्य नई गलतियाँ मिलती हैं तो वे उनको भी समय समय पर आम जनता के सामने लायेंगे.
संजय ने सभी से अपील की है कि वे नए आपराधिक कानूनों के हिंदी अंग्रेजी द्विभाषी क्रिमिनल मैन्युअलों का हिंदी टेक्स्ट ठीक से जांचने के बाद ही नए क्रिमिनल मैन्युअल के द्विभाषी संस्करण खरीदें नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि हिंदी में लिखी भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 76 एवं 77 जैसी गलतियों के कारण उलझन में पड़ उनको बाद में पछताना पड़े या उनका अन्य कोई नुक्सान हो जाए.
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