Sunday, April 30, 2017

यूपी सूचना आयोग की सुरक्षा को दरकिनार कर भ्रष्टाचार !

बिना लिखा-पढी चल रहा पराग बूथ, हो रहा अवैध निर्माण !

लखनऊ/30-04-17
अब इससे अधिक विडम्बना क्या होगी कि सूबे के सभी सरकारी कार्यालयों को भ्रष्टाचार से मुक्त कर उनमें पारदर्शी कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए बनाये गए सूचना आयोग पर ही भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपारदर्शी रीति से कार्य करने का गंभीर आरोप सप्रमाण लगाया गया है l यूपी के राज्य सूचना आयोग पर यह गंभीर आरोप राजधानी के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने आयोग में दायर की गयी अपनी एक आरटीआई पर आयोग के उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय द्वारा दिए गए एक जबाब के आधार पर लगाया है l

दरअसल सूचना आयोग के गोमतीनगर स्थित आरटीआई भवन में एक ट्राली पराग बूथ संचालित है l पराग बूथ के लिए आरटीआई भवन परिसर में बने पॉवरहाउस के निकट स्थाई निर्माण भी कराया जा रहा है l समाजसेवी ने इस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए बीते मार्च की 31 तारीख को आयोग में एक आरटीआई दायर की थी l आयोग के उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय ने संजय की आरटीआई पर जो जबाब दिया है वह सूचना आयोग की कार्यप्रणाली के काले पक्ष को उजागर करता है l

संजय ने आरटीआई भवन के पॉवर हाउस के निकट के डेंजर जोन में पराग बूथ के लिए स्थाई निर्माण कराने के लिए फायर डिपार्टमेंट,पर्यावरण विभाग,लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम से प्राप्त की गई अनुमतियों और इस निर्माण पर व्यय की सूचना माँगी थी जिस पर तेजस्कर ने संजय को बताया है कि आयोग के अभिलेखों में इस सम्बन्ध में कोई सूचना उपलब्ध ही नहीं है l संजय कहते हैं कि तेजस्कर के इस उत्तर से स्पष्ट है कि आयोग ने पराग बूथ के लिए स्थाई निर्माण कराते समय निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनाई है और कतिपय भ्रष्टाचार करने के लिए ही निरंकुश होकर सुरक्षा को ताक पर रखकर मनमाना निर्माण कराया है l

तेजस्कर ने संजय को यह भी बताया है कि आयोग परिसर में पराग बूथ शुरू किये जाने के लिए न तो पराग या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा आयोग में कोई आवेदन ही दिया गया है और न ही आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में किसी निविदा का ही प्रकाशन किया गया है l संजय ने बताया कि तेजस्कर ने उन्हें पराग द्वारा किये गए किसी लिखित आवेदन, आयोग और पराग के बीच इस बाबत हुए किसी लिखित करार, आयोग द्वारा पराग के पक्ष में जारी किसी अनुमति  आदेश के न होने की भी सूचना दी है जिससे स्पष्ट है कि आयोग परिसर में पराग बूथ का सञ्चालन आयोग और पराग के बीच हुई मौखिक वार्ता के आधार पर हो रहा है l आयोग-पराग के बीच लिखित करार न होने और पराग बूथ का सञ्चालन करने वाले व्यक्ति के नाम पते की सूचना आयोग में न होने को आयोग की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए संजय ने इस मामले में सीएम को पत्र लिखकर जांच कराकर दोषियों को दण्डित कराने और सुरक्षा के द्रष्टिगत बूथ का आबंटन पारदर्शी रीति से करने  की मांग उठाने की बात कही है l


बकौल संजय सूचना आयोग में पराग बूथ का सञ्चालन मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के ड्राईवर के एक रिश्तेदार द्वारा किये जाने की बात भी सामने आई है अतः वे सीएम योगी को अलग से पत्र लिखकर पराग बूथ प्रकरण की अनियमितताओं में  जावेद उस्मानी की भूमिका की जांच की मांग करते हुए आयोग के कार्यकलापों को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने की मांग भी कर रहे हैं l 

बिना लिखा-पढी चल रहा पराग बूथ, हो रहा अवैध निर्माण !

लखनऊ/30-04-17
अब इससे अधिक विडम्बना क्या होगी कि सूबे के सभी सरकारी कार्यालयों को भ्रष्टाचार से मुक्त कर उनमें पारदर्शी कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए बनाये गए सूचना आयोग पर ही भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपारदर्शी रीति से कार्य करने का गंभीर आरोप सप्रमाण लगाया गया है l यूपी के राज्य सूचना आयोग पर यह गंभीर आरोप राजधानी के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने आयोग में दायर की गयी अपनी एक आरटीआई पर आयोग के उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय द्वारा दिए गए एक जबाब के आधार पर लगाया है l

दरअसल सूचना आयोग के गोमतीनगर स्थित आरटीआई भवन में एक ट्राली पराग बूथ संचालित है l पराग बूथ के लिए आरटीआई भवन परिसर में बने पॉवरहाउस के निकट स्थाई निर्माण भी कराया जा रहा है l समाजसेवी ने इस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए बीते मार्च की 31 तारीख को आयोग में एक आरटीआई दायर की थी l आयोग के उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय ने संजय की आरटीआई पर जो जबाब दिया है वह सूचना आयोग की कार्यप्रणाली के काले पक्ष को उजागर करता है l

संजय ने आरटीआई भवन के पॉवर हाउस के निकट के डेंजर जोन में पराग बूथ के लिए स्थाई निर्माण कराने के लिए फायर डिपार्टमेंट,पर्यावरण विभाग,लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम से प्राप्त की गई अनुमतियों और इस निर्माण पर व्यय की सूचना माँगी थी जिस पर तेजस्कर ने संजय को बताया है कि आयोग के अभिलेखों में इस सम्बन्ध में कोई सूचना उपलब्ध ही नहीं है l संजय कहते हैं कि तेजस्कर के इस उत्तर से स्पष्ट है कि आयोग ने पराग बूथ के लिए स्थाई निर्माण कराते समय निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनाई है और कतिपय भ्रष्टाचार करने के लिए ही निरंकुश होकर सुरक्षा को ताक पर रखकर मनमाना निर्माण कराया है l

तेजस्कर ने संजय को यह भी बताया है कि आयोग परिसर में पराग बूथ शुरू किये जाने के लिए न तो पराग या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा आयोग में कोई आवेदन ही दिया गया है और न ही आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में किसी निविदा का ही प्रकाशन किया गया है l संजय ने बताया कि तेजस्कर ने उन्हें पराग द्वारा किये गए किसी लिखित आवेदन, आयोग और पराग के बीच इस बाबत हुए किसी लिखित करार, आयोग द्वारा पराग के पक्ष में जारी किसी अनुमति  आदेश के न होने की भी सूचना दी है जिससे स्पष्ट है कि आयोग परिसर में पराग बूथ का सञ्चालन आयोग और पराग के बीच हुई मौखिक वार्ता के आधार पर हो रहा है l आयोग-पराग के बीच लिखित करार न होने और पराग बूथ का सञ्चालन करने वाले व्यक्ति के नाम पते की सूचना आयोग में न होने को आयोग की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए संजय ने इस मामले में सीएम को पत्र लिखकर जांच कराकर दोषियों को दण्डित कराने और सुरक्षा के द्रष्टिगत बूथ का आबंटन पारदर्शी रीति से करने  की मांग उठाने की बात कही है l


बकौल संजय सूचना आयोग में पराग बूथ का सञ्चालन मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के ड्राईवर के एक रिश्तेदार द्वारा किये जाने की बात भी सामने आई है अतः वे सीएम योगी को अलग से पत्र लिखकर पराग बूथ प्रकरण की अनियमितताओं में  जावेद उस्मानी की भूमिका की जांच की मांग करते हुए आयोग के कार्यकलापों को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने की मांग भी कर रहे हैं l 

Sunday, April 9, 2017

UP : योगी की ‘जीरो टॉलरेंस टु करप्शन’ की कसौटी पर कितने खरे मंत्री,अधिकारी? बताएगी संजय शर्मा की RTI



लखनऊ/ 09 अप्रैल 2017

बीजेपी नेता और सांसद योगी आदित्यनाथ ने सूबे में भ्रष्टाचार समाप्त करने के चुनावी अजेंडे को अमली जामा पहनाने के पहले कदम के तहत बीते 19 मार्च को उप्र का मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद पहला बड़ा फैसला करते हुए अपने सभी मंत्रियों से कहा था कि 15 दिन के अंदर सभी मंत्री अपनी आय और चल अचल संपत्ति का ब्योरा घोषित कर दें। 

इसके अगले ही दिन यानी कि बीते 20 मार्च को योगी ने लोकभवन में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परिचय बैठक की थी और सभी अधिकारियों को भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र के वादों को लागू करने की कार्य योजना जल्द से जल्द बनाने के साथ-साथ इन को भी मंत्रियों की ही भांति 15 दिन के भीतर आय और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
योगी के ये दोनों निर्णय उनकी ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ की मुहिम के रास्ते की पहली छोटी किन्तु महत्वपूर्ण मंजिल साबित हो सकते है बशर्ते योगी के सभी मंत्रियों और अधिकारीयों की मंशा भी योगी की ही तरह ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ की हो और वे इतने आज्ञाकारी भी हों कि अपनी सीएम के निर्देश को ब्रह्मवाक्य मानकर उसको अक्षरशः मानने के लिए कृतसंकल्प हों l
पर क्या योगी के मंत्री और अधिकारी वास्तव में उनके इतने आज्ञाकारी है कि वे उत्तर प्रदेश को उनके सपनों का प्रदेश बनाने के लिए उनके आदेशों को गंभीरता से लेकर उनको मान भी रहे हों ? इसी सबाल का जबाब पाने के लिए राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता इं. संजय शर्मा ने बीते 5 अप्रैल को यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई दायर कर उन मंत्रियों और अधिकारियों के नाम जानने चाहे हैं जो सीएम योगी के आज्ञाकारी हैं और जिन्होंने 15 दिन के अन्दर अपनी आय और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध करा दिया है l
10 बिन्दुओं की अपनी आरटीआई में संजय ने 15 दिन के अन्दर अपनी आय और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा देने वाले मंत्रियों,अधिकारियों की संख्या, उनके नाम और मंत्रियों,अधिकारीयों द्वारा दी गई आय और चल अचल संपत्ति के व्योरों की सत्यापित प्रतियाँ माँगी हैं l संजय ने बताया कि क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचना देने में कुछ दिन लगेंगे इसलिए उन्होंने उनके आरटीआई आवेदन पर सूचना देने के दिननक तक अपनी आय और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा देने वाले मंत्रियों,अधिकारियों की संख्या, उनके नाम और मंत्रियों, अधिकारीयों द्वारा दी गई आय और चल अचल संपत्ति के व्योरों की सत्यापित प्रतियाँ भी माँगी हैं l
बकौल संजय उनकी आरटीआई पर आये जबाब से मंत्रियों और अधिकारीयों की संपत्ति और आय आधिकारिक रूप से सार्वजनिक होने के साथ यह भी सामने आएगा कि कौन कौन मंत्री और अधिकारी योगी का कहना मान रहे हैं और कौन कौन योगी के आदेश को ठेंगा दिखा रहे है।
गौरतलब है कि संपत्ति का  ब्योरा देने में आईएएस अफसरों की सुस्ती को देखते हुए नियुक्ति और कार्मिक विभाग द्वारा मुख्य सचिव को भेजे प्रस्ताव के बाद संपत्ति की जानकारी देने की सीमा समाप्ति का समय 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है और नौकरशाहों ने अपनी शातिराना चाल चलते हुए योगी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की मंशा पर अंदरखाने प्रहार करते हुए संपत्ति जमा करने के फॉर्म में से संपत्ति अर्जित करने से सम्बंधित एक अहम बिंदु हटा दिया है ।

समाजसेवी संजय कहते हैं कि यदि योगी को भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करना है तो उनको भ्रष्टाचार के आरोप लगे दागी इतिहास वाले और संपत्ति सार्वजनिक न करने वाले अधिकारियों और मंत्रियों से किनारा करना ही होगा l संजय ने योगी को पत्र लिखकर संपत्ति जमा करने के फॉर्म में से संपत्ति अर्जित करने से सम्बंधित एक अहम बिंदु को हटाये जाने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए अधिकारियों और मंत्रियों और इनके परिवारीजनों के संपत्ति अर्जन को पूर्णतया पारदर्शी बनाने की मांग की है  ।


Friday, April 7, 2017

मोदी,योगी के फेसबुक पेज पर ओवेसी,आज़म की आपत्तिजनक फोटो ?


 

समाजसेवी संजय शर्मा ने हजरतगंज थाने में दी FIR की तहरीर l


लखनऊ / 07-04-17
वर्तमान समय में सोशल मीडिया नागरिकों की अभिव्यक्ति और संचार के सर्वाधिक सशक्त माध्यमों में से एक माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है l जहाँ एक तरफ सोशल मीडिया ने साधनविहीन हुनरमंद लोगों को अपनी बात विश्व के सामने रख आगे आने के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म मुहैया कराया है , लोगों को कम खर्च में अपने परिजनों, मित्रों से जोड़े रखने का काम किया है तो वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने के मामलों में भी जबरदस्त इजाफा होता जा रहा है l यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट डालने के दर्जनों मामलों में ऍफ़.आई.आर. दर्ज होना इसका जीता जागता सबूत है  l इसी बीच लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता इं. संजय शर्मा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से बने फेसबुक पेजों पर सांसद असदुद्दीन ओवेसी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वर्तमान विधायक आज़म खान की आपत्तिजनक फोटो अपलोड करने के मामले की ऍफ़.आई.आर. की  तहरीर यूपी की राजधानी के हजरतगंज थाने में देकर विधिक कार्यवाही की मांग की  है l

तहरीर में संजय ने नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम से बने फेसबुक पेजों पर डाली गई पोस्टों को दंगे भड़काने व  धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली पोस्ट बताया है l समाजसेवी ने बताया कि इन पेजों पर डाली गई एक पोस्ट में सांसद असदुद्दीन ओवेसी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वर्तमान विधायक आज़म खान के फोटो से छेड़-छाड़ कर इन दोनों माननीयों को  राम नाम की ईंटे सिर पर रखे  आपत्तिजनक  रूप में दिखाया गया है l  बकौल संजय इन पेजों पर डाली गई पोस्टों से भारत के नागरिकों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं और साथ ही यह पोस्ट लोगों में उन्माद पैदा कर दंगे भड़काने का कार्य भी कर रही है l संजय के अनुसार फेसबुक पर डाली गई इन पोस्टों को हज़ारों की संख्या में लाइक और शेयर किया गया है तथा इन पर तरह-तरह के कमेन्ट भी किये जा रहे हैं जो माहौल बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं l

संजय की तहरीर में यह जांच कराने का अनुरोध किया गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से बना यह पेज स्वयं नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के ही हैं या इन पेजों के माध्यम से अन्य किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है l

23 पेज के साक्ष्यों के साथ थाना हजरतगंज भेजी गई इस तहरीर में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम से फेसबुक पर बने दर्जनों पेजों और प्रोफाइलों पर भी लगातार लोगों में उन्माद पैदा कर दंगे भड़काने वाले पोस्टें डालकर नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम का दुरुपयोग किये जाने का आरोप लगाते हुए आई.पी.सी. और आई.टी.एक्ट की सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर साइबर सेल के सहयोग से विवेचना कराकर अभियुक्त/अभियुक्तों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की गई है  l


देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने पर तुरंत सख्त रुख अपनाकर ऍफ़.आई.आर. लिखने वाली यूपी पुलिस ओवेसी और आज़म के खिलाफ डाली गई इस आपत्तिजनक पोस्ट पर वही सख्त रुख रखकर ऍफ़.आई.आर. दर्ज करती है या इस मामले को ठन्डे बस्ते में डालकर अपने वर्तमान राजनैतिक आकाओं को खुश रखकर योगीराज में भी ‘अखिलेशी’ कार्यसंस्कृति बदस्तूर जारी रखने के सबूत देती है ।

मोदी,योगी के फेसबुक पेज पर ओवेसी,आज़म की आपत्तिजनक फोटो ? समाजसेवी संजय शर्मा ने हजरतगंज थाने में दी FIR की तहरीर l









लखनऊ / 07-04-17

वर्तमान समय में सोशल मीडिया नागरिकों की अभिव्यक्ति और संचार के सर्वाधिक सशक्त माध्यमों में से एक माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है l जहाँ एक तरफ सोशल मीडिया ने साधनविहीन हुनरमंद लोगों को अपनी बात विश्व के सामने रख आगे आने के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म मुहैया कराया है , लोगों को कम खर्च में अपने परिजनों, मित्रों से जोड़े रखने का काम किया है तो वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने के मामलों में भी जबरदस्त इजाफा होता जा रहा है l यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट डालने के दर्जनों मामलों में ऍफ़.आई.आर. दर्ज होना इसका जीता जागता सबूत है  l इसी बीच लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता इं. संजय शर्मा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से बने फेसबुक पेजों पर सांसद असदुद्दीन ओवेसी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वर्तमान विधायक आज़म खान की आपत्तिजनक फोटो अपलोड करने के मामले की ऍफ़.आई.आर. की  तहरीर यूपी की राजधानी के हजरतगंज थाने में देकर विधिक कार्यवाही की मांग की  है l

तहरीर में संजय ने नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम से बने फेसबुक पेजों पर डाली गई पोस्टों को दंगे भड़काने व  धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली पोस्ट बताया है l समाजसेवी ने बताया कि इन पेजों पर डाली गई एक पोस्ट में सांसद असदुद्दीन ओवेसी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वर्तमान विधायक आज़म खान के फोटो से छेड़-छाड़ कर इन दोनों माननीयों को  राम नाम की ईंटे सिर पर रखे  आपत्तिजनक  रूप में दिखाया गया है l  बकौल संजय इन पेजों पर डाली गई पोस्टों से भारत के नागरिकों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं और साथ ही यह पोस्ट लोगों में उन्माद पैदा कर दंगे भड़काने का कार्य भी कर रही है l संजय के अनुसार फेसबुक पर डाली गई इन पोस्टों को हज़ारों की संख्या में लाइक और शेयर किया गया है तथा इन पर तरह-तरह के कमेन्ट भी किये जा रहे हैं जो माहौल बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं l

संजय की तहरीर में यह जांच कराने का अनुरोध किया गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से बना यह पेज स्वयं नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के ही हैं या इन पेजों के माध्यम से अन्य किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है l

23 पेज के साक्ष्यों के साथ थाना हजरतगंज भेजी गई इस तहरीर में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम से फेसबुक पर बने दर्जनों पेजों और प्रोफाइलों पर भी लगातार लोगों में उन्माद पैदा कर दंगे भड़काने वाले पोस्टें डालकर नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम का दुरुपयोग किये जाने का आरोप लगाते हुए आई.पी.सी. और आई.टी.एक्ट की सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर साइबर सेल के सहयोग से विवेचना कराकर अभियुक्त/अभियुक्तों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की गई है  l

देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने पर तुरंत सख्त रुख अपनाकर ऍफ़.आई.आर. लिखने वाली यूपी पुलिस ओवेसी और आज़म के खिलाफ डाली गई इस आपत्तिजनक पोस्ट पर वही सख्त रुख रखकर ऍफ़.आई.आर. दर्ज करती है या इस मामले को ठन्डे बस्ते में डालकर अपने वर्तमान राजनैतिक आकाओं को खुश रखकर योगीराज में भी ‘अखिलेशी’ कार्यसंस्कृति बदस्तूर जारी रखने के सबूत देती है ।

Tuesday, April 4, 2017

RTI से उजागर होगी UP CM योगी के पालतू जानवरों की जानकारी! - पालतू जानवरों का पंजीकरण कराने के नियम को सूबे में सख्ती से लागू कराने की मंशा से समाजसेवी संजय शर्मा ने दायर की है आरटीआई l



लखनऊ/04-04-2017
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सूबे का मीडिया योगी आदित्यनाथ के जीवन के प्रत्येक पहलू की जांच-पड़ताल कर उसे जनता के सामने रखने की भरपूर कोशिश कर रहा है l योगी तो योगी उनसे जुडी हर चीज आज मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रही है फिर चाहे वह योगी द्वारा लिए गये नए प्रशासनिक निर्णय हों, सीएम आवास का कायाकल्प हो या योगी की दिनचर्या l इसी बीच राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने सूबे के मुख्यमंत्री कार्यालय के जनसूचना अधिकारी शिवपरसन को एक आरटीआई आवेदन भेजकर मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री योगी के साथ प्रवेश पाए योगी के पालतू जानवरों की सूचना मांग ली है l

समाजसेवी संजय बताते हैं कि नगर निगम की सीमा में रिहायश करने वाले लोगों द्वारा पाले जाने वाले पालतू जानवरों का नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाना कानूनन जरूरी है लेकिन न तो नगर निगम को इसकी चिंता है और न ही जानवर पालने वालों को। बकौल संजय चाहें भैंस पालें या गाय, बकरी पालें या खरगोश, बिल्ली या फिर कुत्ता, रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। संजय कहते हैं कि रजिस्ट्रेशन के बाद जानवर पालने वालों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो हो जाती है और इससे उन छुट्टा जानवरों पर, जो आये दिन लोगों को घायल करते रहते हैं, लगाम भी लगाईं जा सकती है । यही नहीं इससे पालतू जानवरों के मालिक को उनकी सेहत पर ध्यान देना भी कानूनी रूप से जरूरी हो जाता है ।जानवरों के पंजीकरण शुल्क से नगर निगम को अतिरिक्त आय होती है जिसका प्रयोग आम जन सुविधाओं के लिए किया जा सकता है lबकौल संजय, कानूनन हर पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन जरूरी है, वरना इन्हें छुट्टा जानवर की श्रेणी में मान लिया जाएगा और तब इनके पालने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

 

संजय ने अपने आरटीआई आवेदन में सीएम योगी के लखनऊ स्थित आवास में रह रहे पालतू जानवरों की कुल संख्या,पालतू जानवरों के प्रकार-वार उनकी संख्या , जानवरों के नगर निगम लखनऊ में कराये गये सभी पंजीकरणों और जानवरों को मुख्यमंत्री आवास में पालने के लिए नगर निगम लखनऊ द्वारा दिये गये लाइसेंसों  की सूचना माँगी है l

 


यह आरटीआई मांगने के उद्देश्य और इसमें निहित लोकहित के वारे में पूंछे जाने पर मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय ने बताया कि वे इस आरटीआई के द्वारा छुट्टा जानवरों से होने वाली दुर्घटनाओं के चलते मानव जीवन को उत्पन्न खतरों और पालतू जानवरों पर उनके मालिकों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों , जानवरों के स्वास्थ्य की सही देखभाल न करने आदि के मुद्दों को अपनी आरटीआई के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी  के संज्ञान में लाकर पालतू जानवरों का पंजीकरण कराये जाने संबंधी नियम को सूबे में सख्ती से लागू कराना चाहते हैं l