अब इससे
अधिक विडम्बना क्या होगी कि सूबे के सभी सरकारी कार्यालयों को भ्रष्टाचार से मुक्त
कर उनमें पारदर्शी कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए बनाये गए सूचना आयोग पर ही भ्रष्टाचार
में लिप्त होकर अपारदर्शी रीति से कार्य करने का गंभीर आरोप सप्रमाण लगाया गया है
l यूपी के राज्य सूचना आयोग पर यह गंभीर आरोप राजधानी के समाजसेवी और मानवाधिकार
कार्यकर्ता संजय शर्मा ने आयोग में दायर की गयी अपनी एक आरटीआई पर आयोग के उपसचिव
तेजस्कर पाण्डेय द्वारा दिए गए एक जबाब के आधार पर लगाया है l
दरअसल सूचना
आयोग के गोमतीनगर स्थित आरटीआई भवन में एक ट्राली पराग बूथ संचालित है l पराग बूथ के
लिए आरटीआई भवन परिसर में बने पॉवरहाउस के निकट स्थाई निर्माण भी कराया जा रहा है
l समाजसेवी ने इस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए बीते मार्च की 31 तारीख को आयोग
में एक आरटीआई दायर की थी l आयोग के उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय ने संजय की आरटीआई पर जो
जबाब दिया है वह सूचना आयोग की कार्यप्रणाली के काले पक्ष को उजागर करता है l
संजय ने आरटीआई
भवन के पॉवर हाउस के निकट के डेंजर जोन में पराग बूथ के लिए स्थाई निर्माण कराने
के लिए फायर डिपार्टमेंट,पर्यावरण विभाग,लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम से
प्राप्त की गई अनुमतियों और इस निर्माण पर व्यय की सूचना माँगी थी जिस पर तेजस्कर
ने संजय को बताया है कि आयोग के अभिलेखों में इस सम्बन्ध में कोई सूचना उपलब्ध ही
नहीं है l संजय कहते हैं कि तेजस्कर के इस उत्तर से स्पष्ट है कि आयोग ने पराग बूथ
के लिए स्थाई निर्माण कराते समय निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनाई है और कतिपय
भ्रष्टाचार करने के लिए ही निरंकुश होकर सुरक्षा को ताक पर रखकर मनमाना निर्माण
कराया है l
तेजस्कर ने
संजय को यह भी बताया है कि आयोग परिसर में पराग बूथ शुरू किये जाने के लिए न तो
पराग या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा आयोग में कोई आवेदन ही दिया गया है और न ही आयोग
द्वारा इस सम्बन्ध में किसी निविदा का ही प्रकाशन किया गया है l संजय ने बताया कि तेजस्कर
ने उन्हें पराग द्वारा किये गए किसी लिखित आवेदन, आयोग और पराग के बीच इस बाबत हुए
किसी लिखित करार, आयोग द्वारा पराग के पक्ष में जारी किसी अनुमति आदेश के न होने की भी सूचना दी है जिससे स्पष्ट
है कि आयोग परिसर में पराग बूथ का सञ्चालन आयोग और पराग के बीच हुई मौखिक वार्ता
के आधार पर हो रहा है l आयोग-पराग के बीच लिखित करार न होने और पराग बूथ का
सञ्चालन करने वाले व्यक्ति के नाम पते की सूचना आयोग में न होने को आयोग की सुरक्षा
के लिए खतरा बताते हुए संजय ने इस मामले में सीएम को पत्र लिखकर जांच कराकर
दोषियों को दण्डित कराने और सुरक्षा के द्रष्टिगत बूथ का आबंटन पारदर्शी रीति से
करने की मांग उठाने की बात कही है l
बकौल संजय
सूचना आयोग में पराग बूथ का सञ्चालन मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के ड्राईवर
के एक रिश्तेदार द्वारा किये जाने की बात भी सामने आई है अतः वे सीएम योगी को अलग
से पत्र लिखकर पराग बूथ प्रकरण की अनियमितताओं में जावेद उस्मानी की भूमिका की जांच की मांग करते
हुए आयोग के कार्यकलापों को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने की मांग भी कर रहे
हैं l
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