समाजवादी पार्टी और सीएम अखिलेश यादव के दिखावटी मुस्लिम प्रेम को उजागर करने के लिए सूबे भर से आए मौलानाओं,मुफ्तियों और समाजसेवियों ने लखनऊ में की तीन घंटे की सांकेतिक भूख हड़ताल की और राजभवन जाकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती उर्दू, अरवी ,फ़ारसी यूनिवर्सिटी के वीसी की जालसाजी और अनियमितताओं की सीबीआई जाँच की माँग बुलंद की .
आज़म ख़ान की भैंस खोने और आज़म पर एक फ़ेसबुक कमेंट होने पर तत्काल समाधान करने बाली सरकार का उर्दू भाषा के विकास की संभावनाओं को समाप्त करने के आरोपियों को ही संरक्षण देने से अखिलेश का खोखला मुस्लिम प्रेम उजागर हो रहा है. आख़िर मुसलमान का मतलब "आज़म से शुरू और आज़म पर ख़त्म" तो नही है. शर्म की बात है कि इल्म की तालीम देने बालों को आज खुद सड़क पर आना पड़ा है और बहरी सरकार के कानों पर जून तक नहीं रेंग रही है .
क्या अखिलेश ऐसा
दोहरा आचरण कर मुसलमानों के ज़मीनी मुद्दों पर उनको जानबूझकर कर गुमराह कर
रहे हैं या वे यूपी को संभालने में नितांत असमर्थ हैं ? एक ऐसा सबाल जिसका
उत्तर खोजा जाना आवश्यक है.
भूख-हड़ताल के फोटो भी साझा कर रहा हूँ. उमीद है अखिलेश अपनी कथनी करनी में समानता लाएँगे .
भूख-हड़ताल के फोटो भी साझा कर रहा हूँ. उमीद है अखिलेश अपनी कथनी करनी में समानता लाएँगे .
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