लखनऊ / 09 अक्टूबर 2024.................
एक समय था जब पत्रकारों से मिलने के लिए चोटी के राजनेताओं समेत आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को भी इंतज़ार करना पड़ता था पर आज स्थिति यह हो गई है कि डीजीपी के लिखित आदेश के बाद भी यूपी के जिलों के पुलिस अधिकारी पत्रकारों की सुरक्षा और शिष्टता की व्यवस्थाओं को अपने ठेंगे पर रख पत्रकारों को यथोचित सुरक्षा सम्मान देने के प्रति पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं. चौंकाने वाला यह खुलासा कानूनी जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रहे राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी संजय शर्मा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत बीते 4 सितम्बर को डाली गई 10 बिन्दुओं की अर्जी पर 1 माह के अन्दर ही बीती 23 सितम्बर को मुख्यालय पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश के जन सूचना अधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र से हुआ है.
संजय बताते है कि बीती 27 अगस्त को यूपी के पुलिस मुख्यालय ने पत्र संख्या DG-8-140(25)2017-2019/8985/NR-159/2024 जारी करके सूबे के सभी जिलों के पुलिस कप्तानों से अपेक्षा की थी कि वे अपने जिले में पत्रकारों की सुरक्षा और शिष्टता व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए उठाए गए कदमों की सूचना 2 दिनों में मुख्यालय को ईमेल पर उपलब्ध करायें.
संजय ने आरटीआई में उन सभी जिलों की सूची मांगी थी जो मुख्यालय के पत्र के उत्तर में आवश्यक जानकारी ईमेल द्वारा प्रस्तुत कर चुके हैं.संजय ने उन जिलों के नाम भी मांगे थे जो आवश्यक जानकारी प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं. संजय ने तालिका के कॉलम 4 के अनुसार पत्रकारों की समस्याओं के निपटारे के लिए नामित अधिकारियों के नामों की जिला वार जानकारी के साथ-साथ उन जिलों के नाम जिन्होंने किसी अधिकारी का नामांकन नहीं किया है, की भी सूचना मांगी थी. संजय ने तालिका के कॉलम 5 के अनुसार उन जिलों के नाम मांगे थे जहाँ पत्रकारों की सुरक्षा और शिष्टता का ध्यान रखा जा रहा है तथा यह भी पूंछा था कि उन जिलों के नाम बताएं जहाँ सुरक्षा और शिष्टता का पालन नहीं किया जा रहा है.इसी तरह संजय ने तालिका के कॉलम 6 के अनुसार उन जिलों के नाम मांगे थे जहाँ पत्रकारों और उनके परिवारों पर झूठे आरोपों के आधार पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उन जिलों के नाम भी जानने चाहे थे जहाँ ऐसे मामले दर्ज नहीं किए जा रहे हैं. इसके अलावा संजय ने उन जिलों के अधिकारियों के खिलाफ मुख्यालय द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई की जानकारी मांगी थे जो निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं और मुख्यालय के पत्र के उत्तर में प्राप्त सभी पत्राचार, रिपोर्टों और दस्तावेज़ों की प्रतियां, जिनमें बाद के निर्देश या स्पष्टीकरण शामिल हैं, की भी मांग की थी.
मुख्यालय पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश के जन सूचना अधिकारी के साथ-साथ पुलिस मुख्यालय के पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था शैलेन्द्र कुमार राय ने संजय को लिखकर दिया है कि संजय द्वारा मांगी गई सूचना न तो कानून व्यवस्था शाखा अनुभाग 8 में है और न ही पुलिस मुख्यालय स्तर पर ही है जबकि यह सूचना मुख्यालय द्वारा जिलों के कप्तानों से 2 दिनों में मांगी गई थी.
संजय का कहना है कि उनकी आरटीआई से यह उजागर हो गया है कि यूपी के पुलिस मुख्यालय द्वारा बीती 27 अगस्त को जारी पत्र पर सूबे के किसी भी जिले के पुलिस कप्तान ने अपने जिले में पत्रकारों की सुरक्षा और शिष्टता व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए उठाए गए कदमों की सूचना अभी तक मुख्यालय को ईमेल पर नहीं भेजी है जिससे सभी जिलों की पुलिस का पत्रकारों की सुरक्षा और शिष्टता के प्रति पूर्ण उदासीनता सामने आई है.
संजय ने सूबे के सभी पत्रकार संगठनों और पत्रकारों का आह्वान किया है कि वे सुषुप्तावस्था से निकल जाग्रत और एकजुट होकर पत्रकार हित के इस मामले में कार्यवाही करायें. संजय ने बताया कि वे स्वयं भी शीघ्र ही पहले डीजीपी और कार्यवाही न होने पर सीएम योगी से मिलकर पत्रकार हित के इस मामले में त्वरित और प्रभावी कार्यवाही की मांग करेंगे.
अधिक अपडेट के लिए संजय शर्मा से ईमेल - sanjaysharmalko@icloud.com और फोन नंबर – 8004560000, 9454461111, 9415007567 पर संपर्क किया जा सकता है.
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