लखनऊ / बुधवार, 26 अक्टूबर 2022 …………………..
लखनऊ यूपी की राजधानी है और राजधानी के विकास प्राधिकरण से ये उम्मीद की जाती है कि वह अपने अमले की सभी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखेगा लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) इन उम्मीदों को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. अब इसे एलडीए के प्रशासनिक अधिकारियों और इंजिनियरों की अक्षमता कहा जाए या उनका भ्रष्टाचार कि राजधानी के नाका हिंडोला क्षेत्र में सुभाष मार्ग, दुगावान स्थित प्लाट संख्या 215 बटा 409 पर बनी बिल्डिंग में चल रहे होटल पाल अवध का हाल भी उस होटल लेवाना जैसा ही है जिसमें कुछ सप्ताह पहले हुए भीषण अग्निकांड में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. राजधानी के राजाजीपुरम निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीती 26 सितम्बर को दायर की गई आरटीआई पर एलडीए के मानचित्र सेल के अधिशासी अभियंता ने बीती 19 अक्टूबर को पत्र जारी करके संजय को बताया है कि नाका हिंडोला क्षेत्र में सुभाष मार्ग, दुगावान स्थित प्लाट संख्या 215 बटा 409 के नाम से मानचित्र जमा की कोई भी सूचना प्राधिकरण के रिकॉर्ड में नहीं है.
एलडीए द्वारा दी गई सूचना के बाद संजय ने एलडीए के जोन 6 के सहायक अभियंता ओमकार चौधरी, अवर अभियंता रंगनाथ सिंह के साथ-साथ लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय,अग्निशमन विभाग,पर्यटन विभाग और नगर निगम को कटघरे में खड़ा करते हुए इन सबकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाया है और सवाल उठाया है कि आखिर कैसे बिना मानचित्र जमा किये ही होटल पाल अवध न केवल बन गया बल्कि राजधानी में खुलेआम व्यवस्थाओं को मुंह चिढाते हुए इन सभी विभागों के आला अधिकारियों की नाक के नीचे चल भी रहा है. संजय का कहना है कि या तो इन विभागों के जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्य को करने में अक्षम हैं जिसके लिए सरकार द्वारा इनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर घर बैठा दिया जाना चाहिए या ये अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त होकर इस होटल को अवैध रूप से चलाने के गैरकानूनी काम को संरक्षण दे रहे है जिसके लिए सरकार द्वारा इनके साथ-साथ होटल मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर इनको जेल भेज दिया जाना चाहिए.
बकौल संजय ऐसे अधिकारियों से बने लचर और भ्रष्ट तंत्र के कारण ही चारबाग के एस.एस.जे. होटल अग्निकांड और हजरतगंज के होटल लेवाना अग्निकांड जैसी वारदातें होती हैं जिसकी कीमत इन अधिकारियों और सरकारी तंत्र पर विश्वास करके ऐसे होटलों में ठहरने वाले लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है.
एलडीए में मानचित्र जमा किये बिना ही अवैध रूप से बनकर चल रहे होटल पाल अवध को इस आरटीआई जवाब के आधार पर ‘मौत का होटल’ बताते हुए संजय ने सूबे के मुखिया को पत्र लिखकर इस होटल को तत्काल बंद कराने की मांग उठाने की बात कही है. बकौल संजय उनको उम्मीद है कि सीएम एक्शन लेकर एलडीए के साथ-साथ लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय,अग्निशमन विभाग,पर्यटन विभाग और नगर निगम के अधिकारियों के पेंच कसेंगे और राजधानी के होटल पाल अवध जैसे सभी होटलों को जल्द से जल्द बंद कराकर पर्यटकों को राजधानी में सुरक्षित होटल-प्रवास की गारंटी देंगे.
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