Monday, September 6, 2021

यूपी : जेल में बंद अधिकार वाहिनी ट्रस्ट और अधिकार सेना के मुखिया पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने क्यों कराई थी अधीनस्थ महिला अधिकारी की जासूसी? एडीजी जसवीर सिंह की संस्तुति पर क्या योगी करायेंगे अमिताभ के खिलाफ एफआईआर और सीबीआई जांच?


 

लखनऊ / 07 सितम्बर 2021…………..

सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक रेप पीडिता और रेप मामले के गवाह को आत्महत्या के लिए उकसाने की आपराधिक साजिश करने के मामले में दर्ज एफआईआर में बीती 27 अगस्त को गिरफ्तार किये गए अधिकार वाहिनी ट्रस्ट और अधिकार सेना के मुखिया पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर अभी जेल में बंद हैं. उनके द्वारा अपनी बेगुनाही के सबूत अदालत के सामने रखकर एफआईआर को ख़त्म कराने या जमानत कराने जैसे विधिक रास्ते अपनाने की जगह विवेचना और जांच जैसी विधिक प्रक्रियाओं से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराकर मीडिया के माध्यम से अपने पक्ष में माहौल बनाने की असफल कोशिश की जा रही है. इन्टरनेट पर चल रही ख़बरों से यह बात खुलकर सामने आ रही है कि लखनऊ के कुछेक मीडिया संस्थान तो पत्रकारिता के एथिक्स ताक पर रखकर अभियुक्त अमिताभ के पक्ष में माहौल बनाने के लिए खुद एक पार्टी बनकर ऐसी खबरे चला रहे हैं जो पेड ख़बरों जैसी दिखाई दे रही हैं. लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि ये जो पब्लिक है न, ये सब जानती है. और शायद इसीलिये अमिताभ अपनी गिरफ्तारी के समय इतनी जबरदस्त हाई वोल्टेज  ड्रामेबाजी के बाद भी धरातल पर कोई भी जनसमर्थन हासिल नहीं कर पाए.

 


 

अमिताभ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद देश की जनता के सामने अमिताभ का स्याह पक्ष लाने के लिए अमिताभ को इन कैमरा लाइव बहस की चुनौती दे चुके लखनऊ के सोशल एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने यूपी के मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, रूल्स एवं मैनुअल, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक ( एडीजी )  जसवीर सिंह द्वारा तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) ओ. पी. सिंह को साल 2018 की 9 मई को पत्र लिखकर  तत्कालीन  आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा संयुक्त निदेशक नागरिक सुरक्षा के पद पर रहते अपनी एक अधीनस्थ महिला अधिकारी का फ़ोन अनधिकृत रूप से टेप कराने आदि आपराधिक कृत्यों की एफआईआर दर्ज कराने और सीबीआई जैसी स्वतंत्र इकाई से जांच कराने की संस्तुति करने का मामला देश की जनता  के सामने उठा दिया है. बताते चलें कि इसी चिठ्ठी में जसवीर ने अमिताभ के खिलाफ प्राथमिकी के आलावा विभागीय कार्यवाही कराने की संस्तुति भी डीजीपी से की थी.

 

 


चर्चा आम है कि अमिताभ ने ओ. पी. सिंह पर इसी तरह का दबाब बनाकर जैसा कि वह सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक रेप पीडिता और रेप मामले के गवाह को आत्महत्या के लिए उकसाने की आपराधिक साजिश करने के मामले में दर्ज एफआईआर से जुड़े अधिकारियों के मामले में जेल में रहकर भी कर रहे हैं, तत्कालीन डीजीपी को इस पत्र को दबा देने पर मजबूर कर दिया था जिसकी बजह से अमिताभ उस समय अपनी एक अधीनस्थ महिला अधिकारी का फ़ोन अनधिकृत रूप से टेप कराने आदि आपराधिक कृत्यों की एफआईआर और सीबीआई जांच जैसी कार्यवाही से बच गए थे लेकिन जैसे कि सरकारी अमलों में कहा जाता है कि कागज कभी नहीं मरता इसीलिये अब जसवीर सिंह की यह चिट्ठी सामने आने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार द्वारा अमिताभ ठाकुर को जबरिया रिटायर करने में जसवीर सिंह की इस चिट्ठी की भी महत्वपूर्ण भूमिका जरूर रही होगी.  

 

 

खैर, सच चाहे कुछ भी हो पर बड़ा सबाल यह है कि इस चिठ्ठी के सामने आने के बाद आखिर कब सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ महिला अस्मिता की रक्षा के लिए इस मामले में अमिताभ ठाकुर के खिलाफ अधीनस्थ महिला की जासूसी कराने की एफआईआर दर्ज कराकर सीबीआई से जांच कराएँगे ?

 

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