लखनऊ/01-07-2018 ......................
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने निजी खर्चों पर बोलने के मामलों में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के मुकाबले कम पारदर्शी होने का आरोप लगा है l यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा ने लगभग 56 साल पहले 28 जुलाई 1962 को लखनऊ से प्रकाशित हुए नवजीवन नाम के अखबार में “प्रधानमंत्री का वेतन" शीर्षक से छपी एक खबर में नेहरु द्वारा अपने निजी खर्चों पर दिए गए सार्वजनिक वक्तव्य और संजय द्वारा हाल ही में बीते 15 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में नरेंद्र मोदी के निजी खर्चों के सम्बन्ध में दायर की गई एक आरटीआई पर प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव एवं केन्द्रीय कोल सूचना अधिकारी प्रवीन कुमार द्वारा बीते 18 जून को दिए गए उत्तर के आधार पर लगाया है l
एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि उनके एक फेसबुक मित्र की बीते 4 मई की एक पोस्ट पर उनको 56 साल पहले का नवजीवन नाम का एक अखबार मिला जिसमें छपी खबर के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 27 जुलाई 1962 को इलाहाबाद की एक सार्वजनिक सभा मे बोलते हुए कहा गया था कि आयकर कटने के बाद उनको 1600 रुपये मासिक वेतन मिलता था तो उनके ऊपर 25 हज़ार प्रतिदिन खर्च का आरोप क्यों लगाया जा रहा था ?
संजय बताते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री रहते नेहरू द्वारा खुद पर हो रहे खर्च के आरोपों पर अपनी सफाई सार्वजनिक मंच से जनता के सामने पेश करने की हिम्मत और नैतिकता दिखाने की इस पोस्ट से प्रभावित होकर उन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी शाहखर्ची की सूचना आरटीआई में मांगने का निश्चय किया l
देश की नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय बताते हैं कि जब उन्होंने PMO में RTI लगाकर आयकर काटने के बाद मोदी द्वारा आहरित किये जा रहे वेतन भत्तों की सूचना माँगी तो PMO ने सीधे-सीधे सूचना देने की जगह गोलमोल जबाब देते हुए लिखा कि मोदी को संशोधित ‘The Salaries and Allowances of Ministers Act,1952’ के अनुसार वेतन भत्ते दिए जा रहे हैं l प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पर राजकोष से किये गए खर्चों की सकल धनराशि और प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी द्वारा आहरित किये गए वेतन भत्तों की धनराशि की सूचना को अस्पस्ट कहते हुए प्रवीन ने संजय को इन दो बिन्दुओं पर कोई भी सूचना नहीं दी है l प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी द्वारा खर्च की गई और बचत के रूप में जमा की गई सूचना को पीएमओ ने मोदी की व्यक्तिगत सूचना बताया गया है और यह सूचना पीएमओ में नहीं होने की बात कहते हुए सूचना समाजसेवी संजय को नहीं दी गई है l प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी द्वारा अपने पहनावे पर खुद की कमाई से , सरकारी स्रोतों से व निजी सहयोगियों के स्रोतों से किये गए खर्चों के साथ-साथ मोदी द्वारा अपने लिए बनबाई गई और रेडीमेड खरीदी गई ड्रेसों की संख्या की सूचना पर पीएमओ ने कहा है कि पीएम मोदी के निजी पहनावे पर खर्चों का मामला पीएम का व्यक्तिगत विषय है और ये खर्चे सरकारी खाते से नहीं किये जाते हैं और यह सूचना भी पीएमओ में नहीं होने की बात कहते हुए सूचना एक्टिविस्ट संजय को नहीं दी गई है lप्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी द्वारा की गई यात्राओं पर खुद की कमाई से , सरकारी स्रोतों से व निजी सहयोगियों के स्रोतों से किये गए खर्चों की सूचना पर पीएमओ ने कहा है कि पीएम मोदी की यात्राओं के खर्चों की सूचना किसी एक पब्लिक अथॉरिटी के पास नहीं है क्योंकि PM की यात्राएं विभिन्न पब्लिक अथॉरिटीज की भागीदारी से होती है l पीएमओ ने मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय को यह भी बताया है कि प्रधानमंत्री के गैर-सरकारी दौरों की हवाई यात्राओं का खर्चा सम्बंधित आयोजक द्वारा उठाया जाता है l
संजय का कहना है कि नेहरु के समय में पारदर्शिता के वर्तमान कानून आरटीआई जैसा कानून भी नहीं था लेकिन फिर भी नेहरु ने अपने वेतन और खर्चों पर सार्वजनिक वक्तव्य देकर स्थिति स्पष्ट की थी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेहरू पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगाने वाले वर्तमान पीएम नरेन्द्र मोदी वैसे तो खुद को शीशे की तरह पारदर्शी और नेहरू से कई युग आगे का जननेता मानते हैं पर जब बात अपनी कमाई और अनाप-शनाप खर्चों की आती है तो न तो नेहरु की तरह खुद ही आगे आकर स्थिति स्पष्ट करते हैं और न ही उनका प्रधानमंत्री कार्यालय आधिकारिक रूप से आरटीआई में अथवा अन्यथा इस सम्बन्ध में कोई स्थिति स्पष्ट करता है l
एक्टिविस्ट संजय कहते हैं कि हर सरकारी कर्मचारी के कार्यालय में उसकी आय-व्यय-बचत का लेखा जोखा रहता है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीएम मोदी की आय-व्यय-बचत का लेखा जोखा पीएमओ में नहीं है l समाजसेवी संजय सबाल उठाते हैं कि आखिर कैसे दो लाख मासिक से कम वेतन पाने वाले प्रधानमंत्री मोदी दस लाख का सूट पहनते हैं, करोड़ों रुपये सिर्फ डिज़ाइनर कपड़ों पर खर्च करते हैं जिसका पैसा अगर सरकार नहीं देती है तो आखिर इन खर्चों को कौन वहन करता है और इस एवज में वह PM से क्या-क्या अन्यथा लाभ लेता है ?
जहाँ एक तरफ नेहरू ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक पर्चा बंटवाये जाने पर ही सार्वजनिक सफाई पेश कर दी थी वहीं दूसरी और नेहरू को कोसने वाले मौजूदा पीएम नरेन्द्र मोदी ने आज तक अपनी व्यक्तिगत आय-व्यय-बचत के मुद्दों पर रहस्यमयी चुप्पी बनाई हुई है l
संजय ने बताया कि वे अपनी संस्था ‘तहरीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे अपनी निजी आय-व्यय-बचत के मुद्दों पर चुप्पी तोड़कर देश की जनता के सबालों का खुला जबाब देने की अपील करेंगे l
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