यूपी सीएम योगी से एक्टिविस्ट संजय शर्मा का बड़ा सबाल : आखिर प्रशासनिक रूप से सरकार द्वारा कब दण्डित किये जायेंगे गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से लगभग एक साल पहले मारे गए मासूमों के हत्यारे ?
11-08-18 को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज घटना वाले दिन ऑक्सीजन की कमी होने पर आनंदलोक नर्सिंग होम से 6 और डा. कफील खान से 4 ऑक्सीजन सिलिंडर मेडिकल कॉलेज मंगवाए गए : RTI खुलासा l
लखनऊ / 27 जुलाई 2018............
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूपी की राजधानी लखनऊ आगमन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं l आने वाले दिनों में लखनऊ में केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ राजनैतिक दल बीजेपी के नेताओं द्वारा आम जनता के सामने एक सुनहरे भविष्य की तस्वीर पेश करते हुए बड़े-बड़े वादों और घोषणाओं की बात की जायेगी l ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि विकास और सुशासन के लिए ऐसा संवाद जरूरी भी है परन्तु यदि नेताओं द्वारा पूर्व के वादों और घोषणाओं को मनसा-वाचा-कर्मणा पूरा नहीं किया जा रहा हो तो ऐसे में सरकार और नेताओं से सबाल पूँछ उनको कटघरे में खड़ा करने का पूरा-पूरा हक़ आम जनता को है l सूबे की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने बीते साल के 14 अगस्त को यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर BRD मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार द्वारा बीती 3 जुलाई को दिए गए उत्तर के आधार पर योगी सरकार पर मृत बच्चों के हत्यारों के खिलाफ कोई प्रशासनिक कार्यवाही न करके मृत बच्चों से किये वादों को पूरा न करने और मामले में संवेदनहीन रवैया रखने का आरोप लगाते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके अगुआई वाली सरकार योगी के गृहजनपद में हुए इस भीषण मौत काण्ड के पीड़ितों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर कटघरे में खडा कर दिया है l
बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के अगस्त महीने की 14 तारीख को यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौतों के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2017-18 के सम्बन्ध में 9 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l संजय ने मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन सप्लाई,घटना की मजिस्ट्रेटी जांच, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर जांच, मारे गए बच्चों की पोस्ट मोरटम रिपोर्ट,प्राइवेट संस्थानों से खरीदी गई ऑक्सीजन और घटना के दोषियों को दिए गए दंड की सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव एवं जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने संजय का आवेदन बीते साल 21 अगस्त को उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को ट्रान्सफर किया था l हालाँकि आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देने के लिए अधिकतम 30 दिन की अवधि निर्धारित है लेकिन योगी सरकार ने मासूमों की मौत से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर निहायत असंवेदनशील रुख अपनाया और सूचना छुपाने के लिए RTI एक्ट का उल्लंघन तक कर दिया l निराश संजय ने बीती साल 5 अक्टूबर को मामला उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग पहुंचा दिया l बीती फरवरी में सूचना आयोग के नोटिस के बाद सूबे के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक कार्यालय की सम्बद्ध अधिकारी और जन सूचना अधिकारी प्रभा वर्मा ने बीती 6 फरवरी को संजय का आवेदन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को अंतरित किया था l मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बीती 6 फरवरी को पत्र लिखकर सूचना देने के लिए 15 अतिरिक्त दिनों की मांग की थी और अब सूचना आयोग के दखल के बाद 3 जुलाई के पत्र के माध्यम से संजय को सूचना दी गई है l
संजय को बताया गया है कि घटना की मजिस्ट्रेटी जांच, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर जांच, और घटना के लिए दोषी पाई गई ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने नाम और उनको दिए गए दंड से सम्बंधित कोई भी सूचना शासन से लेकर मेडिकल कॉलेज तक कहीं भी नहीं है l अलबत्ता संजय को यह जरूर बताया गया है कि मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है l
मामला न्यायलय में विचाराधीन होने की बात कहते हुए 01 अगस्त से 14 अगस्त के बीच अस्पताल में मरे रोगियों के नाम,मौत के कारणों,पोस्ट मोरटम रिपोर्ट देने से मना कर दिया गया है l मेसर्स इम्पीरियल गैसेस लिमिटेड इलाहाबाद से 6742 ऑक्सीजन सिलिंडर और मेसर्स मोदी केमिकल्स प्रा. लिमिटेड गोरखपुर से 8141 सिलिंडर खरीदे जाने की बात कहते हुए दिनांक 11-08-18 को घटना वाले दिन ऑक्सीजन की कमी होने पर आनंदलोक नर्सिंग होम से 6 और डा. कफील खान से 4 ऑक्सीजन सिलिंडर मेडिकल कॉलेज मंगवाए जाने की बात भी आरटीआई कंसलटेंट संजय शर्मा को बताई गई है l
एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में कहा है कि लगभग साल पूरा होने को है लेकिन मुख्यमंत्री के गृह-जनपद में ऑक्सीजन की कमी की बजह से हुई मासूमों की मौतों जैसे संवेदनशील मामले में भी योगी सरकार की प्रशासनिक चुप्पी कहीं यह बता रही है कि योगी सरकार ने इस भयावह मौतकाण्ड के मीडिया में लीक होने पर उस समय जांच बैठाने के नाम पर महज खानापूर्ति की थी और सरकार ने बाद में दोषियों को बचाने के लिए मामले की जांचों को ठन्डे बस्ते में डाल दिया है l सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विख्यात संजय ने इस आधार पर यूपी की सरकार और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर के मृत मासूमों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर पर कटघरे में खड़ा कर दिया है l
पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष संजय का कहना है कि वे मीडिया के माध्यम से अपनी बात देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पंहुचाना चाहते हैं ताकि राजधानी आगमन पर वे प्रदेश सरकार को गोरखपुर काण्ड के दोषियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही करने की नसीहत अवश्य दें l संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से भी अपेक्षा की है कि वे आने वाले 15 अगस्त को झंडारोहण कार्यक्रम से पहले गोरखपुर काण्ड के दोषी लोकसेवकों और दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही अवश्य पूर्ण करा देंगे l